BCom 3rd Year Financial Management An Introduction Study Material Notes In Hindi

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वित्त संगठन से सम्बन्धित विभिन्न अधिकारियों के कार्य

Table of Contents

(Functions of Various Authorities Related to Finance Organization)

वित्त समिति के कार्य (Functions of Finance Committee)

प्राय: बडे निगमों में वित्तीय नीतियों के निर्धारण एवं समन्वय हेतु वित्त समिति का गठन करना नितान्त आवश्यक है। वित्त समिति एक ओर संचालक-मण्डल तथा दूसरी ओर विभागीय प्रबन्धकों के बीच सम्बन्ध स्थापित करने वाली एक मध्यस्थ श्रृंखला है जो वित्तीय नियोजन, वित्तीय नियन्त्रण तथा वित्तीय पूर्वानुमान सम्बन्धी अनेक जटिल प्रश्नों का उचित विश्लेषण करके संचालक-मण्डल को उचित परामर्श देती है ।संक्षेप में, वित्त समिति के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं :

  1. वित्तीय पूर्वानुमान लगाना ।
  2. वित्तीय नियोजन करना।
  3. वित्तीय प्रशासन एवं नियन्त्रण पर ध्यान देना।
  4. वित्तीय नियोजन एवं नियन्त्रण के विषय में संचालक-मण्डल को उचित परामर्श देना।

वित्त नियन्त्रक के कार्य (Functions of Financial Controller)

कोषों की सुरक्षा एवं धरोहर जितनी आवश्यक है, कोषों के उपयोग पर नियन्त्रण उससे भी अधिक आवश्यक है। वित्त नियन्त्रक को कोर्षों के उचित उपयोग का प्रहरी (watch dog) माना जाता है जिसका मख्य कार्य इस बात की देख-रेख करना है कि कम्पनी द्वारा व्यय किये जाने वाला प्रत्येक रुपया उचित रीति से एवं नियमानुसार ही व्यय किया जा रहा है या नहीं। नियन्त्रक एक ऐसा व्यति

रित प्रमापों से वास्तविक कार्य निष्पादन की तुलना करके उपक्रम की प्रगति का निरन्तर मूल्यांकन करता है और उसका वैज्ञानिक विश्लेषण प्रबन्ध संचालक या मुख्य वित्तीय प्रबन्धक को प्रेषित करता है, जो उसे संचालक-मण्डल के उचित विचारार्थ एवं उचित निर्णयार्थ प्रस्तुत करता है। इसके मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं :

  1. सामान्य लेखों, लागत लेखों तथा प्रबन्धकीय लेखों की व्यवस्था करना;
  2. नियन्त्रण के लिए योजना तैयार करना; ।
  3. वास्तविक निष्पादनों का मूल्यांकन करना;
  4. आन्तरिक निरीक्षण एवं आन्तरिक अंकेक्षण की व्यवस्था करना;
  5. कर सम्बन्धी दायित्वों का विवरण तैयार करना;
  6. आवश्यकतानुसार वित्तीय रिपोर्टों को तैयार करके उन्हें प्रबन्धकों के समक्ष प्रस्तुत करना; ।
  7. बजट निर्माण तथा पर्वानमानों के आधार पर भावी नियोजन की रूपरखा तयार करना।
  8. अधिनियमों के अन्तर्गत वांछित सूचना सरकार को भिजवाना।।

वित्तीय प्रबन्धक के कार्य या उत्तरदायित्व

(Job or Responsibilities of the Financial Manager)

अथवा

वित्त अधिशासी के सामान्य उत्तरदायित्व

(General Responsibilities of Finance Executive)

एक व्यावसायिक उपक्रम में वित्तीय प्रबन्ध के कुछ महत्त्वपूर्ण दायित्व होते हैं जिनका निष्पादन विभिन्न कार्यों को सम्पन्न करके किया जाता है। वित्तीय प्रबन्ध द्वारा किये जाने वाले कार्यों को वित्त कार्य के रूप में जाना जाता है । यद्यपि वित्त सम्बन्धी सभी महत्त्वपूर्ण निर्णय संचालक-मण्डल अथवा वित्त समिति द्वारा ही लिये जाते हैं, लेकिन इन निर्णयों में भी वित्तीय प्रबन्धक महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है। ऐसे निर्णयों के सम्बन्ध में उसका यह दायित्व हो जाता है कि वह वित्तीय निर्णयों से सम्बन्धित सभी सूचनाओं तथा तथ्यों को ठीक प्रकार से प्रस्तुत करे। वित्तीय प्रबन्धक के प्रमुख उत्तरदायित्वों (कार्यो) का अध्ययन निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत सरलतापूर्वक किया जा सकता है:

(1) वित्तीय नियोजन एवं वित्त की व्यवस्था (Financial Planning and Procurement of Funds)-एक वित्तीय प्रबन्धक का मुख्य उत्तरदायित्व व्यवसाय की आवश्यकताओं को देखते हुए वांछित पूँजी का पूर्वानुमान लगाकर वित्त सम्बन्धी योजना बनाना है। इसके लिए वित्तीय प्रबन्धक को वित्तीय योजना का निर्माण पूँजी-ढांचे का निर्धारण आदि कार्यों को करना पड़ता है तदुपरान्त वह वित्त की व्यवस्था करता है। इसके लिए उसे यह देखना होता है कि वित्त सम्बन्धी माँग किस प्रकृति की है,क्या वह मौसमी मांग है अथवा स्थायी। इतना ही नहीं, धन एकत्रित करने से पूर्व सभी वैकल्पिक वित्तीय स्रोतों का मूल्यांकन भी करना चाहिए ताकि न्यूनतम लागत पर वित्त की प्राप्ति हो सके। किसी भी स्रोत से वित्त प्राप्त करने से पूर्व यह भी देख लेना चाहिए कि उसका वर्तमान अंशधारियों की आय, नियन्त्रण तथा जोखिम पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।

(2) कोषों का विनियोजन (Investment of Funds)-वित्तीय प्रबन्धक का दूसरा मुख्य उत्तरदायित्व उपलब्ध कोषों का सुरक्षित एवं लाभप्रद स्थानों पर विनियोग करना है। सरल शब्दों में, विभिन्न सम्पत्तियों (स्थायी तथा चालू सम्पत्तियों) में साधनों का आबंटन करना भी वित्तीय प्रबन्धक की मुख्य जिम्मेदारी है । यद्यपि स्थायी सम्पत्तियों का प्रबन्ध करने की जिम्मेदारी वित्तीय प्रबन्धक की नहीं होती, परन्तु इस सम्बन्ध में वित्तीय प्रबन्धक का कर्तव्य इंजीनियरों को पूँजीगत विनियोग के महत्त्वपूर्ण सिद्धान्तों की जानकारी देना तथा पूँजी की उपलब्धि के बारे में सूचित करना है। उचित मात्रा में स्थायी सम्पत्तियों का प्रबन्ध कर लेने मात्र से ही व्यवसाय का संचालन नहीं किया जा सकता है वरन चालू सम्पत्तियों के प्रबन्ध पर भी पर्याप्त ध्यान देना आवश्यक है। चाल सम्पत्तियों के प्रबन्ध में रोकड प्रबन्ध प्राप्तियों के प्रबन्ध तथा स्कन्ध प्रबन्ध को मुख्य रूप से शामिल किया जाता है।

(3) समन्वय एवं नियन्त्रण (Co-ordination and Control)- व्यवसाय की प्रत्येक गतिविधि के साथ वित्त का प्रश्न जडा हआ होता है. अतः वित्त विभाग तथा अन्य विभागों में अच्छा समन्वय होना चाहिए। वित्तीय प्रबन्धक का यह दायित्व है कि वह फर्म में लिये गये विभिन्न निर्णयों में समन्वय स्थापित करे। समन्वय के साथ-साथ वित्तीय नियन्त्रण स्थापित करना भी वित्तीय प्रबन्धक का मुख्य उत्तरदायित्व है । इस कार्य के लिए वित्तीय प्रबन्धक, वित्तीय नियन्त्रण की आधुनिक विधियों (रोकड़ बजट, लोचपूर्ण बजटिंग, विचरण विश्लेषण) का प्रयोग करता है।

(4) आय का उचित प्रबन्ध (Fair Management of Income): आय का उचित प्रबन्ध करना भी वित्तीय प्रबन्धक के मुख्य उत्तरदायित्वों में से एक है। आय के प्रबन्ध के सम्बन्ध में वित्तीय प्रबन्धक को यह निर्णय लेना होता है कि प्राप्त आय का कितना भाग भविष्य के लिए संचय के रूप में रखा जाये, कितना भाग देय ऋणों के भुगतान के लिए प्रयोग किया जाये तथा कितना भाग लाभांश के रूप मे वितरित किया जाये। इस सम्बन्ध में निर्णय फर्म की वित्तीय स्थिति, वर्तमान तथा भावी नकदी आवश्यकताओं तथा अंशधारियों की रुचि के अनुसार लिए जाते हैं।

(5) अन्य उत्तरदायित्व (Other Responsibilities) :

(a) उधार क्रय-विक्रय नीति के निर्धारण एवं उधार की वसूली में तालमेल;

(b) ह्रास एवं करों के लिए उचित व्यवस्था;

(c) वित्तीय कार्यों का निष्पादन;

(d) आवश्यक आँकडों का संकलन एवं उनका निर्वचनः

(e) सम्पूर्ण अर्थवयवस्था में होने वाले परिवर्तनों से व्यावसायिक गतिविधियों पर सम्भावित प्रभाटा। का पूर्वानुमान।

chetansati

Admin

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