BCom 2nd Year Cost Accounting Material Control Concept and Techniques Study Material

//

3. ठीक उसी समय क्रय स्कन्ध प्रणाली

Table of Contents

(Just-In-Time Purchasing Inventory System)

 स्कन्ध प्रबन्ध की ठीक उसी समय क्रय स्कन्ध प्रणाली (JIT) का उद्गम जापान में हुआ है। JIT क्रय से आशय है कि सामग्री का क्रय ठीक उसी समय किया जाये जब उत्पादन में प्रयोग के लिए इसकी आवश्यकता होती है। CIMA, London के अनुसार, “JIT क्रय के अन्तर्गत सामग्री की प्राप्ति इसके प्रयोग के समय के इतने समीप हो सकती है कि कच्चे माल का स्टॉक स्तर लगभग शून्य स्तर पर रखा जा सकता है।” JIT क्रय का उद्देश्य सप्लायर्स से अच्छे सम्बन्ध विकसित करके छोटी-छोटी मात्राओं में ठीक आवश्यकता के समय क्रय करके स्टॉक स्तरों को न्यूनतम करना होता है। इस प्रकार इस प्रणाली में इन्वेन्टरी को शून्य स्तर तक लाने का प्रयास किया जाता है। इसे ZIPS (Zero Inventory Production System) भी कहा जाता है। JIT के लिए MAN (Material As Needed) तथा MIPS (Minimum Inventory Production System) शब्दों का भी प्रयोग किया जाता है। JIT क्रय के परिणामस्वरूप स्टोर में सामग्री रखने की लागते, सामग्री में विनियोजित पूँजी की लागत आदि कम हो जाती हैं तथा सामग्री का पड़े-पड़े नष्ट हो जाना तथा अप्रचलित होने की जोखिम भी नहीं रहती। JIT क्रय का एक महत्वपूर्ण प्रभाव यह भी होता है कि सामग्री का निर्गमन मूल्य इसके बाजार मूल्य के अत्यन्त निकट होता है।

4. निरन्तर स्टॉक-सूची प्रणाली

(Perpetual Inventory System)

यह तो स्पष्ट है कि स्टोर में सामग्री की प्राप्ति एवं निर्गमन का लेखा बिन कार्ड में रखा जाता है जबकि लागत लेखा विभाग में स्टोर्स लेजर में मात्रा व मूल्य दोनों का लेखा होता है। परन्तु सामग्री पर उचित नियन्त्रण स्थापित करने के लिए आवश्यक है कि स्टोर्स लेजर तथा बिन कार्ड में प्रत्येक समय सामग्री का अन्तिम शेष दर्शाया गया हो ताकि किसी भी समय वास्तविक सामग्री की भौतिक गणना करके सामग्री की जाँच की जा सके। सामग्री के सम्बन्ध में इस प्रकार की लेखा करने की विधि को ही निरन्तर सूची पद्धति’ कहते हैं।

निरन्तर सूची पद्धति वह पद्धति है जिसके अन्तर्गत सामग्री की प्राप्ति व निर्गमन तथा शेष का तुरन्त लेखा किया जाता है जिससे स्टोर्स लेजर में प्रत्येक समय हस्तस्थ सामग्री की सची उपलब्ध रहती है। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि, “निरन्तर सूची पद्धति अभिलेख की एक ऐसी विधि है जो सामग्री के भौतिक आवागमन और वर्तमान शेष को प्रकट करती है।”

इसके आधार पर स्टोर में शेष सामग्री की जाँच किसी भी समय की जा सकती है जिस प्रकार से रोकडं पुस्तक में प्रतिदिन रोकडं शेष किया जाता है और रोकडं का वास्तविक मिलान रोकडं की गिनती करके कर लिया जाता है लगभग उसी प्रकार की इस पद्धति के अन्तर्गत स्टोर्स लेजर में सामग्री के प्रत्येक आगमन व निर्गमन के पश्चात् सामग्री का शेष निकाला जाता है । और इस शेष की मिलान समय समय पर सामग्री  की तोल ‘ गिनती माप आदि द्धारा किया जाता है यदि सामग्री के भौतिक स्टाँक में कुछ कमी या अन्तर होता है तो उसकी जाँच करके उसका कारण ज्ञात किया जाता है । अन्तर के मुख्यत:  निम्नलिखित कारण हो सकते हैं ।

(1) सामग्री के लेखांकन में लिपिकीय अशुद्धि होना।

 (2) सामग्री के सूखने या वाष्पीकरण के कारण वास्तविक वजन कम हो जाना।

(3) स्टोर में नमी, आदि के कारण सामग्री के भार में वृद्धि होना।

(4) सामग्री में सामान्य टूटन-फूटन या छीजन।

(5) सामग्री की चोरी हो जाना।

(6) अलग-अलग निर्गमन पर अलग-अलग तोल के कारण वजन में अन्तर हो जाना।

B com 2nd Year Cost Accounting Material Control Concept and Techniques Study Material

निरन्तर सूची पद्धति के लाभ (Advantages of Perpetual Inventory system )

(1) सामग्री शेष की निरन्तर जानकारी रहने से आदेश स्तर (Ordering Level) तर जानकारी रहने से आदेश स्तर (Ordering Level) आने पर ही सामग्री क्रय की जाती है। जिससे सामग्री पर पूँजी का अनावश्यक विनियोग नहीं हो पाता।

८)श्स पद्धात के अपनाने से संस्था के कर्मचारियों पर नैतिक दबाव रहता है और गलती शीघ्र पकड़ में आ जाती है।

(3) स्टॉक की सूचना उपलब्ध होने से वर्ष में कभी भी लाभ-हानि ज्ञात कर सकते हैं।

(4) इस पद्धति से सामग्री के संग्रह की मात्रा भी नियन्त्रित रहती है क्योकि सामग्री शेष की निरन्तर जानकारी होने की वजह से सामग्री का संग्रहण सामग्री स्तर की सीमाओं में करना सम्भव हो जाता है।

chetansati

Admin

https://gurujionlinestudy.com

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Previous Story

BCom 2nd Year Cost Accounting Cost Audit Study Material notes in Hindi

Next Story

BCom 2nd Year Cost Accounting Labour Remunerating Study Material Notes in Hindi

Latest from B.Com