अल्प-पूँजीकरण बनाम अति-पूँजीकरण
Table of Contents
(Under-Capitalisation VS. Over-Capitalisation)
अथवा
अल्प-पूँजीकरण एवं अति-पूँजीकरण का तुलनात्मक अध्ययन
(Comparative Evaluation of Under-Capitalisation and Over-Capitalisation)
अल्प-पूँजीकरण एवं अति-पूँजीकरण दोनों के प्रभावों के अध्ययन से स्पष्ट है कि दोनों ही स्थितियाँ उचित नहीं हैं। फिर भी यदि पूछा जाय कि दोनों में से कौन श्रेष्ठ है तो वैसी ही स्थिति उत्पन्न हो जाती है जैसे कोई यह पूछे कि कएँ एवं खाई में से कौन श्रेष्ठ है। लेकिन दोनों के पड़ने वाले प्रभावों का विश्लेषण करने के उपरान्त हम यह अवश्य कह सकते हैं कि अल्प-पूँजीकरण की तुलना में अति-पूँजीकरण की दशा अधिक कष्टदायक होती है। अति-पूँजीकरण की दशा में कम्पनी में आर्थिक संकट उत्पन्न हो जाता है जिसके फलस्वरूप कम्पनी अपने अंशधारियों को उचित लाभांश नहीं दे पाती। इतना ही नहीं, कम्पनी में समापन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है एवं पूरे समाज पर इसके बुरे प्रभाव होते हैं । अल्प-पूँजीकरण अपेक्षाकृत कम संकटपूर्ण है। अल्प-पूँजीकरण कम्पनी की समृद्धि एवं विकास में सहायता पहँचाता है एवं अंशधारियों को अधिक आय उपलब्ध कराता है। समाज में पूँजी-निर्माण की दर ऊँची होती है। परन्तु साथ ही साथ मजदूरों, मालिकों एवं उपभोक्ताओं के बीच गम्भीर तनाव उत्पन्न करता है,चूँकि अत्यधिक लाभांश सबकी नजरों में खटकता है । इसके साथ-साथ निरन्तर अल्प-पंजीकरण की नीति का पालन स्वयं अति-पंजीकरण की ओर ले जाता है। अतः अति-पूंजीकरण एवं अल्प-पूँजीकरण दोनों ही अवांछनीय हैं। संचालकों को यथासम्भव इन दोनों स्थितियों से बचने का प्रयत्न करना चाहिए एवं अपना लक्ष्य उचित पूँजीकरण बनाना चाहिए। परन्तु यदि दोनों में से एक को चुनने की समस्या हो तो अल्प-पूँजीकरण को ही चुनना चाहिए।
पूँजीकरण से सम्बन्धित क्रियात्मक प्रश्न हल सहित
(Numerical Questions With Solutions Relating to Capitalisation)
जैसा कि पीछे स्पष्ट किया जा चुका है, पूँजीकरण के सम्बन्ध में तीन प्रकार की स्थिति हो सकती है-अनुकूलतम पूँजीकरण, अति-पूँजीकरण तथा अल्प-पूँजीकरण । प्रदत्त प्रश्न में पूँजीकरण की स्थिति का पता ___ लगाने के लिए निम्नलिखित मदों की गणना करनी पड़ती है
लाभार्जन की वास्तविक दर (Actual Rate of Earning)
Actual Profit
Capital Employed *100
विनियोजित पूँजी (Capital Employed)
प्रारम्भिक व्यय अंशों के निर्गमन आदि पर छट जैसी
कृत्रिम सम्पत्तियों को छोड़कर कुल सम्पत्तियाँ – चालू दायित्व
लाभार्जन की प्रचलित दर (Current Rate of Earning)
अथवा सामान्य प्रत्याय दर (Normal Rate of Return)
Dividend Rate Market Value per share -x 100
व्यवसाय का पुस्तक-मूल्य (Book Value of the Business)
= Book Value of Total Assets – Outside Liabilities
व्यवसाय का वास्तविक मूल्य (Rcal Value of the Business)
_ Average Estimated Income .
-x 100 % of Capitalisation Rate
or
% of Normal Rate of Return
अंशों का पुस्तक-मूल्य (Book Value of Shares)
Book Value of the Business
No. of Shares
अंशों का वास्तविक मूल्य (Real Value of Shares)
Real Value of the Business
No. of Shares
नोट-व्यवसाय के पुस्तक-मल्य को ज्ञात करते समय कृत्रिम सम्पत्तियों को छोड़कर अन्य कुल सम्पत्तियों का पुस्तक-मूल्य लेते हैं। कृत्रिम सम्पत्तियों में मुख्य रूप से प्रारम्भिक व्यय, अंशों तथा ऋणपत्रों के निर्गमन पर। छूट, आदि को शामिल किया जाता है।
उपर्युक्त मदों के मूल्यों के आधार पर पूँजीकरण की स्थिति निम्नलिखित प्रकार तय की जाती है
अनुकूलतम-पूँजीकरण (Optimum-Capitalisation)
लाभार्जन की प्रचलित दर = लाभार्जन की वास्तविक दर
व्यवसाय का पुस्तक-मूल्य = व्यवसाय का वास्तविक मूल्य
अंशों का पुस्तक-मूल्य = अंशों का वास्तविक मूल्य
अति-पूँजीकरण (Over-Capitalisation)
लाभार्जन की प्रचलित दर > लाभार्जन की वास्तविक दर
व्यवसाय का पुस्तक-मूल्य > व्यवसाय का वास्तविक मूल्य
अंशों का पुस्तक-मूल्य > अंशों का वास्तविक मूल्य
अल्प-पूँजीकरण (Under-Capitalisation)
लाभार्जन की प्रचलित दर < लाभार्जन की वास्तविक दर
व्यवसाय का पुस्तक-मूल्य < व्यवसाय का वास्तविक मूल्य
अंशों का पुस्तक-मूल्य < अंशों का वास्तविक मूल्य
अनुमानित आय दी हुई होने पर पूँजीकरण की राशि ज्ञात करना यदि अनुमानित आय तथा समान प्रकार की कम्पनियों द्वारा अर्जित लाभ दर या पूँजीकरण दर दी हुई हो तो पूँजीकरण की राशि निम्नलिखित सूत्र के द्वारा ज्ञात की जा सकती है
Amount of Capitalisation = Estimated Income of Earnings *100
x 100 % of Rate of Return
% of Capitalisation Rate
इसे संक्षेप में निम्नलिखित प्रकार लिखा जा सकता है
C=i/r
C= Amount of Capitalisation
i = Annual Income or Earnings
r = % rate of Capitalisation in the mai ket
or % rate of return in same companies.
अनुकूलतम या उचित पूँजीकरण
(Fair Or Optimum Capitalisation)
अनुकूलतम पूँजीकरण को उचित पूँजीकरण भी कहा जाता है। अनुकूलतम पूँजीकरण की स्थिति में। संस्था विनियोजित पूँजी पर सामान्य प्रत्याय दर (Normal Rate of Return) से अर्जन करने में समर्थ होती। है। इस प्रकार पूँजी की अनुकूलतम मात्रा का निर्धारण विनियोग और आय के सम्बन्ध द्वारा किया जाता है । ऐसी दशा में अंशों का पुस्तक मूल्य, अंशों के वास्तविक मूल्य के बराबर होता है एवं व्यवसाय का पुस्तक मूल्य, व्यवसाय के वास्तविक मूल्य के बराबर होता है। अति-पूँजीकरण की दशा में पूँजी की राशि घटाकर और अल्प पूँजीकरण में पूँजी की राशि बढ़ाकर अनुकूलतम पूँजीकरण की स्थिति प्राप्त की जा सकती है। अति पंजीकरण की दशा में वास्तविक अर्जन दर को बढ़ाकर भी अनुकूलतम पूँजीकरण में परिवर्तित किया जा सकता है और अल्प पूँजीकरण की दशा में वास्तविक अर्जन दर को घटाकर अनुकूलतम पूँजीकरण में परिवर्तित किया जा सकता है।
Illustration 1. फाइन कार्पेट लिमिटेड कम्पनी के प्रबन्धक एक नई कम्पनी स्थापित करने के बारे में विचार कर रहे हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि प्रस्तावित कम्पनी की ब्याज एवं कर घटाने से पूर्व वार्षिक आय 5,00,000 रुपये होगी। बाजार में उसी प्रकार के व्यवसाय में पूँजी पर प्रत्याय की दर 20 प्रतिशत है। उपर्युक्त सूचनाओं के आधार पर बतलाइए कि प्रबन्धकों द्वारा प्रस्तावित कम्पनी का पूँजीकरण कितनी राशि पर किया जाना चाहिए।
The Management of Fine Carpet Limited Co. is considering to set-up a new Company. It has been estimated that the proposed company would earn an annual income of Rs. 5 lacs before interest and tax. The rate of return on capital in the market for similar business is 20 per cent. What amount of capitalisation should be fixed by the management for the proposed company?
Ilustration 2. प्रवर्तकों द्वारा नवीन स्थापित कम्पनी के लिए कुल पूँजीकरण की राशि 50 लाख रुपये की निर्धारित की गयी है। बाजार में उसी प्रकार की अनेक कम्पनियों के लिए पूँजीकरण की दर 15% है, तो बतलाइए कि कम्पनी के प्रबन्धकों द्वारा कितनी आय प्रति वर्ष उपार्जित की जाय कि वे विनियोजकों को बाजार में प्रचलित दर से प्रत्याय दे सकें।
The total amount of capitalisation of a newly set up company has been fixed at Rs. 50,00,000 by the promoters. The current rate of capitalisation in the market for similar companies is 15%. What level of income in rupees should be the management of the company earn so as to give to the investors the benefit of the current rate of return (prevalent in the market) on capital employed.
Given : Amount of Capitalisation = Rs. 50,00,000 (C)
Current rate of Capitalisation in the market = 15% (7)
We know C=i/r
By putting the known values in above formula, we get
50,00,000 = i/15%
i = 50,00,000 x 15% = Rs. 7,50,000
स्पष्ट है कि बाजार में प्रचलित दर 15% से विनियोजकों को प्रत्याय देने के लिए प्रबन्धकों द्वारा 7,50,000 रुपये की आय प्रतिवर्ष उपार्जित की जानी चाहिए ।
Verification :
Rate of Return (ROI) – Income
Capital X 100
7,50,000
= 50,00,000 x 100
15%