BCom 2nd Year Cost Accounting Labour Remunerating Study Material Notes in Hindi

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हाल्से एवं रोवन प्रब्याजि योजना दोनों पर आधारित संयुक्त क्रियात्मक उदाहरण

Table of Contents

(Joint Numerical Illustrations Based on Halsey and Rowan Premium Plan)

Illustration 11.

एक श्रमिक निश्चित घंटों में एक कार्य पूरा करता है। कार्य को करने का स्वीकृत प्रमापित समय 12 घंटे तथा मजदूरी दर प्रति घंटा 5₹ है। हॉल्से प्रीमियम योजना के अन्तर्गत श्रमिक, 50% की दर पर, 7.5 ₹ बोनस कमाता है। रोवन प्रीमियम योजना के अन्तर्गत श्रमिक की कुल आय की गणना कीजिए। प्रति घंटा आय की प्रभावी दर की भी गणना कीजिए।

A worker completes a job in a certain number of hours. The standard time allowed for the job is 12 hours and the hourly rate of wages is 5 per hour. The worker earns, at the rate of 50%, a bonus of 75 under Halsey Plan. Ascertain the total earnings of the worker under Rowan Premium Plan. Also calculate the effective rate of earning per hour.

Solution :

Illustration 12.

एक कार्य हेतु प्रमाप समय 12 घंटे है एवं गारण्टी शुदा मजदूरी दर 6 र प्रति घंटा है। एक श्रमिक द्वारा प्रमाप समय में बचत करने के कारण रोवन बोनस योजना में उसकी प्रभावी श्रम दर 7.50 ₹ प्रति घंटा है। यदि इस श्रमिक द्वारा यही वास्तविक समय हाल्से योजना में लिया गया हो तो हाल्से योजना में उसकी प्रभावी श्रम घंटा दर ज्ञात करें।

Standard time for a job is 12 hours and hourly guaranteed rate of wages is 6 per hour. Due to saving in time under Rowan bonus scheme effective rate of wages of a worker is 7.50 per hour. If this worker has taken same actual time in Halsey scheme then find his effective labour rate per hour in Halsey Scheme.

Solution:

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Illustration 13.

एक कुशल श्रमिक को गारन्टी शुदा मजदूरी शुदा मजदरी 120१ प्रति घंटा की दर से भगतान की जाती है। एक उपकार्य हेतु सवीकृत प्रमापित समय 6 घंटे है । वह उपकार्य को पूर्ण करनें में 5 घंटे लेता है । उसे रोवन प्रेरणात्मक योगजनाके अन्तर्गत मजदूरी का  भुगतान किया जाता है।

(i) रोवन प्रेरणात्मक योजना के अन्तर्गत उसकी प्रति घंटा आय का प्रभाव

(ii) यदि श्रमिक को हाल्से प्रेरणात्मक योजना के अन्तर्गत (50% बोनस) रखा जाता है एवं  वह प्रति घंटा आय की वही प्रभावी दर बनाये रखना चाहता हो तो उसे कार्य उपकार्य समय में पूरा कर लेना चाहिए ?

 A Skilled  worker is paid a guaranteed wage rate of 120 per hour. The standard time allowed for a job is 6 hour. He took 5 hours to complete the  job. He is paid wages under Rowan Incentive Plan.

(I) Calculate his effective hourly rate of earnings under Rowan incentive plan

(ii) If  the worker is Placed under Halsey Incentibve Scheme (50%) and he wants to maintain  the same effective hourly rate of earnings , Calculate the time in which he should complete  the job

Solution :

Therefore, to earn effective hourly rate of 140 under Halsey Incentive Scheme worker has to complete the work in 4.5 hours.

(iii) टेलर अन्तर्यक्त/ विभेदात्मक कार्य दर विधि (Taylor Differential Piece Rate Plan) इस योजना को विकसित करने का श्रेय वैज्ञानिक प्रबन्ध के जन्मदाता श्री एफ० डब्ल्यू टेलर को है। इस पद्धति के अन्तर्गत समय, गति और थकान अध्ययन के आधार पर कार्य का प्रमाप स्तर निर्धारित कर लिया जाता है। इसके साथ-ही-साथ इस पद्धति में पारिश्रमिक भुगतान करने की भी दो दरें निश्चित कर दी जाती हैं-एक ऊँची और एक नीची। यदि कोई श्रमिक प्रमापित समय में प्रमापित कार्य नहीं कर पाता तो उसे अकुशल श्रमिक माना जाता है और उसे पारिश्रमिक की नीची दर से पारिश्रमिक भुगतान किया जाता है। दूसरी ओर जो श्रमिक प्रमापित समय में प्रमाप कार्य के बराबर या अधिक कार्य कर लेते हैं, उन्हें ऊँची दर से पारिश्रमिक दिया जाता है। पारिश्रमिक की ऊँची तथा नीची दरों में पर्याप्त अन्तर रखा जाता है, इसके साथ-साथ प्रमाप कार्य स्तर भी इस प्रकार से निश्चित किया जाता है कि उसे केवल कुशल श्रमिक ही पूरा कर सकते हैं।

पारिश्रमिक की दो दरों के निर्धारण के पीछे टेलर का उद्देश्य यह था कि जो श्रमिक कुशल नहीं हैं वे शीघ्र ही कुशल बनने का प्रयत्न करेंगे अन्यथा कारखाना छोड़ देंगे। कुछ आलोचक यह भी कहते हैं कि इस पद्धति में अतिरिक्त बोनस की कोई व्यवस्था नहीं है परन्त कशल श्रमिकों के लिए ऊंची दर होने से वे अपने आप ही अकशल श्रमिकों की तलना में अधिक पारिश्रमिक प्राप्त कर लेते हैं।

टेलर ने कार्य प्रमाप से कम होने पर कार्यानुसार मजदूरी दर के 80% की दर से तथा प्रमाप स्तर से कार्य अधिक होने पर 120% की दर से मजदूरी दी जाने की सिफारिश की थी।

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टेलर पद्धति के लाभ-(1) कुशल श्रमिकों को अधिक तथा अकशल एवं आलसी श्रमिकों को कम पारिश्रमिक मिलता है। (2) अकुशल श्रमिकों को कुशलता-स्तर तक पहुँचने के लिए प्रेरित करती है। (3) उत्पादन लागत में कमी होती है। ।

टेलर पद्धति के दोष-(1) न्यूनतम दैनिक मजदूरी का आश्वासन नहीं होता है। (2) प्रमाप से थोड़ा-सा भी कम उत्पादन हो जाने पर श्रमिकों के पारिश्रमिक में काफी कमी हो जाती है। (3) प्रमाप गलत निर्धारित हो जाने पर योजना असफल हो जाती है। (4) श्रम संगठनों द्वारा विरोध किया जाता है।

Illustration 14.

एक श्रमिकों के समूह को टेलर की विभेदात्मक कार्यानुसार दर पद्धति के आधार पर भुगतान किया जाता है। एक दिन का प्रमापित उत्पादन 500 इकाइयाँ है। कार्य दर 5₹ प्रति इकाई उन श्रमिकों के लिए है जो कार्य को प्रमापित समय पर या उससे कम समय में पूरा कर लेते हैं तथा 4 ₹ प्रति इकाई उन श्रमिकों के लिए है जो प्रमापित समय से अधिक समय लेते हैं। श्रमिक ने 20 मार्च, 2019 को समाप्त होने वाले सप्ताह के पहले, दूसरे व तीसरे दिन क्रमश: 520, 500 व 440 इकाइयों का उत्पादन किया। उपरोक्त अवधि के लिए श्रमिकों की कुल मजदूरी की गणना कीजिए।

A group of workers paid on the basis of Taylor’s Differential Piece Rate Plan. The standard production is 500 articles in a day. The piece rate are 5 for the workers who finish the work in standard time or in less than standard time and 4 for the workers who take more than the standard time. The worker produced 520, 500 and 440 articles respectively on the first, second and third day of the week ending on 20th March 2019. Calculate the total earning of the workers for the above period.

Solution :

Earning For First day =520*5=2,600rs

Earning for Second day = 500*5=2,500rs

Earning for Third day =440*4=17,60

Total Earning for  the above period =2,600+2,500 +17,60 = 6,860rs

Note : 5 is applicable as rate for the first and second day of the week because workers finished the work in less than or equal to standard time. 4 is applicable as rate for the third day because the work was finished in more time than the standard time.

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 Illustration 15.

निम्नलिखित सूचनाओं के आधार पर ‘x’ और ‘Y’ श्रमिकों की मजदूरी ज्ञात कीजिए

From the following informations compute the wages of labour X and Y:

प्रमापित समय (Standard Time)-प्रति घंटा 15 इकाइयाँ (Per hour 15 units)

सामान्य समय दर (Normal Time Rate) ₹1.50 per hour देय पारिश्रमिक दर (Remuneration to be paid at)

प्रमाप से कम उत्पादन की दशा में कार्य दर का 80%

(When production is below standard—80% of piece rate) प्रमाप के बराबर या उससे अधिक उत्पादन की दशा में कार्य दर का 120%

(When production is at or above standard-120% of piece rate)

(iv) मेरिक योजना की बहुविधि कार्य दर (Merric Multiple Piece Rate System) वस्तुतः इस योजना को टेलर पद्दतिर का ही सुधरा हुआ रुप  कहा जा सकता है। टेलर पद्धति का मुख्य दोष यह है कि उसमें प्रमाप बिन्द पर पारिश्रमिक दर में बहुत अधिक अन्तर आ जाता है  , अतः इस कमी को दर करने के लिए इस योजना में विभिन्न उत्पादन स्तर के  श्रमिकों हेतु तीन कार्यानुसार  दरें लागु की  जाती है, प्रमापित  उत्पादन के 83% तक काम करने वाले श्रमिकों को न्यूनतम दर से सामान्य मजदूरी दी जाती है 83% से 1000 तक उत्पादन करने वाले श्रमिकों को सामान्य दर का 110% तथा 100% आमका का सामान्य दर का 120% भुगतान किया जाता हैं। इस प्रकार यह पद्धति श्रमिकों को तीन भागों में बाँट देती है (i) साधारण श्रमिक , (2) कुशल श्रमिक, (3) अतिकुशल श्रमिक।

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मूल्यांकन-यह पद्धति समयानुसार न्यूनतम मजदूरी की गारण्टी नहीं देती क्योकि श्रमिकों को उनके द्वारा उत्पादित इकाइयों के आधार पर पारिश्रमिक का भुगतान किया जाता है। कुशल तथा अनुभवी व्यक्तियों को जिनकी कार्यक्षमता 100% से अधिक होती है, अधिक मजदूरी प्राप्त हो जाती है। साथ ही यह पद्धति टेलर योजना की तरह अधिक कठोर नहीं है क्योंकि टेलर योजना के अन्तर्गत अकुशल श्रमिक को अधिक दण्ड भुगतना पड़ता है।

(v) गैण्ट बोनस योजना (Gantt Bonus Plan) इस पद्धति को कार्य तथा बोनस योजना (Task and Bonus Plan) के नाम से भी जाना जाता है। इस पद्धति का प्रतिपादन टेलर के सहयोगी एच० एल० गैण्ट द्वारा किया गया था। वस्ततः यह पद्धति हाल्से तथा टेलर योजना का मिश्रित रूप है। इस योजना के अन्तर्गत श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी दिये जाने का आश्वासन प्राप्त होता है। दूसरी ओर कुशल श्रमिकों को कार्यक्षमता बढ़ाने का प्रोत्साहन भी मिलता है। इस पद्धति के अन्तर्गत कार्य विशेष को परा करने का प्रमापित समय निश्चित होता है तथा श्रमिक की वास्तविक निष्पत्ति की तलना करके उसकी कार्यक्षमता का मूल्यांकन किया जाता है। यदि श्रमिक प्रमापित समय में प्रमापित कार्य नहीं कर पाता अर्थात् उसकी कार्यक्षमता 100% से कम रहती है तो उसे प्रमाप समय की मजदूरी दे दी जाती है। किन्तु यदि वह श्रमिक प्रमापित समय में प्रमापित कार्य परा कर लेता है तो उसकी कार्यक्षमता 100% मानते हुए प्रमापित समय की मजदूरी प्रमापित मजदूरी का 20% बोनस के रूप में दिया जाता है। यदि कोई श्रमिक प्रमापित समय में प्रमापित उत्पादन से अधिक उत्पादन कर लेता है तो कुल उत्पादन पर ऊँची दरों से प्रति इकाई मजदूरी का भुगतान किया जाता है।

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गैण्ट बोनस योजना के लाभ-(1) यह पद्धति श्रमिकों को एक न्यूनतम पारिश्रमिक का आश्वासन देती है। (2) कुशल श्रमिकों के लिए पर्याप्त प्रेरणात्मक है। (3) श्रम-पूँजी संघर्ष को समाप्त करती है। (4) इसको समझना सरल है। ।

गैण्ट बोनस योजना के दोष-(1) न्यूनतम मजदूरी का आश्वासन होने के कारण यदि श्रमिक देखता है कि प्रमापित समय में कार्य पूरा नहीं हो पायेगा तो वह कार्य की गति और धीमी कर देता है। (2) टेलर पद्धति की भाँति यह योजना भी मजदूरों में फूट डालती है-वे श्रमिक जो बोनस अर्जित करते हैं तथा वे श्रमिक जो इससे वंचित रह जाते हैं। (3) श्रमिकों की एकता को आघात लगने के कारण श्रम-संघ इसका डटकर विरोध करते हैं।

(vi) इमरसन कार्यक्षमता योजना (Emerson Efficiency Plan)—यह योजना भी टेलर पद्धति का ही सुधरा हुआ रूप है। इस पद्धति के अन्तर्गत भी श्रमिक को दैनिक पारिश्रमिक मिलने की गारण्टी तो होती है किन्तु उन्हें जो बोनस दिया जाता है वह उनकी कार्यक्षमता के अनुसार बढ़ता जाता है। बोनस के लिए दो या तीन दरों का ही प्रयोग न करके अनेक दरों का प्रयोग किया जाता है ताकि श्रमिक को हर स्तर पर कार्यक्षमता बढ़ाने का प्रोत्साहन मिलता रहे। 66% से अधिक कार्य करने पर मजदूरी दरों में कार्यक्षमता के साथ मामूली वृद्धि होती है। प्रारम्भ में धीमी गति से व बाद में शीघ्रता से दर बढ़ती है। 100% कार्यक्षमता पर यह सामान्य दर का 120% हो जाती है। तत्पश्चात् कार्यक्षमता में प्रत्येक 1% की वृद्धि होने पर मजदूरी दर भी 1% अतिरिक्त बढ़ जाती है। उदाहरणार्थ, 108% कार्यक्षमता पर मजदूरी दर 120 +8= 128% होगी।

इस पद्धति के अन्तर्गत भी उपकार्य को पूरा करने के लिए प्रमाप समय तथा प्रमाप कार्य निश्चित कर दिया जाता है। परिश्रमिक की गणना हेतु सर्वप्रथम का प्रतिशत ज्ञात किया जाता है । जिसके लिए निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग करते हैं —

इमरसन योजना के लाभ-(1) न्यूनतम दैनिक मजदूरी की गारण्टी होती है। (2) यह पद्धति समझने में आसान है। (3) श्रमिकों की कुशलता को मापने की व्यवस्था काफी तर्क-पूर्ण है। (4) नये-नये श्रमिकों को भी थोड़ा बोनस मिल सकता है जिससे वह भी प्रोत्साहित होते है।

इमरसन योजना के दोष-इस प्रणाली का मुख्य दोष यह है कि तीव्र गति से कार्य किये जाने के कारण उत्पादन की किस्म की उपेक्षा हो सकती है।

Illustration 16.

एक कारखाने में स्थायी मानक समय 8 घण्टे प्रतिदिन और मानक उत्पादन 10 इकाई प्रति घण्टा है। मजदूरी प्रतिदिन 6 प्रति मजदूर है। कारखाने में 5 मजदूर P. Q, R, S और T हैं, उनके उत्पादन क्रमश: 50 इकाई, 65 इकाई, 45 इकाई. 75 इकाई और 100 इकाई है।

मजदूरों को कार्यक्षमता के अनुसार निम्नलिखित पद्धति से लाभांश दिया जाता है

In a factory the standard time fixed is 8 hours a day and the standard output is 10 units per hour The  daily wages rate is 6 per worker. There are 5 workers, P, Q, R, S and 1 and  T and Output are 50 units,65 units  45 units, 75 units and 100 units respectively. The following is the scheme workers on the basis of efficiency:

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 (vii) बेडाक्स पद्धति (Bedaux Plan) —इसे बिन्द प्रणाली के नाम से भी जाना जाता है। इस योजना में भी प्रमाप कार्य का निधारण किया जाता है। इस पद्धति में प्रति मिनट किये जाने वाले कार्य का औसत ज्ञात किया जाता है, जिसे बिन्दु का नाम दिया जाता है अर्थात् एक श्रमिक को 1 घण्टे में 60 बिन्दओं के बराबर कार्य करना चाहिए। जो श्रमिक निर्धारित समय में प्रमाप बिन्दुओं के बराबर कार्य करता है या कम कार्य करता है उसे निर्धारित मजदूरी दी जाती है एवं प्रमाप बिन्दुओं स आधिक कार्य करने वाले श्रमिक को बचाये हए समय की मजदूरी का 75% बोनस और दिया जाता है जो कि निर्धारित मजदूरी से अलग होता है शेष 25% बोनस सुपरवाइजर्स को दिया जाता है। कुछ फर्मों ने अब 75% की जगह 100% बोनस देना शुरू कर दिया है।

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chetansati

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