(अ) व्यक्तिगत बोनस योजनाएँ
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( Individual Bonus Schemes )
इस विधि के अन्तर्गत प्रत्येक श्रमिक को उसकी अच्छी कार्यक्षमता के लिए समयानसार मजदरी के अतिरिक्त पुरस्कार स्वरूप बोनस दिया जाता हा विभिन्न विद्वानों द्वारा अलग-अलग पद्धतियाँ सद्यायी गई हैं परन्त सभी योजनाओं में निम्नलिखित विशेषताएँ पाई जाती हैं
(i) कार्य सम्पन्न करने हेतु प्रमाप समय एवं समय-मजदूरी दर को पहले से ही निश्चित कर दिया जाता है।
(ii) निर्धारित प्रमाप समय से कम समय प्रयुक्त करने पर ही बोनस दिया जाता है।
(iii) अतिरिक्त पुरस्कार, बोनस या प्रीमियम की गणना बचाये गये समय के आधार पर की जाती है। .. विभिन्न विद्वानों के नाम से अनेक व्यक्तिगत बोनस योजनाएँ प्रचलित हैं जिनमें से प्रमुख निम्न प्रकार है
(i) हाल्से प्रीमियम योजना (Halsey Premium Plan)
(ii) रोवन प्रब्याजि योजना (Rowan Premium Plam)
(iii) टेलर अन्तर्युक्त कार्य दर विधि (Toylor Differential Piece Rate Plan)
(iv) मेरिक योजना (Merric Multiple Piece Rate System)
(v) गैण्ट बोनस योजना (Gantt Bonus Plan)
(vi) इमरसन कार्यक्षमता योजना (Emerson Efficiency Plan)
(vii) बेडॉक्स पद्धति (Bedaux Plan)
(i) हाल्से प्रीमियम योजना (Halsey Premium Plan)—इस योजना का प्रतिपादन अमेरीकन इन्जीनियर श्री एफ० ए० हाल्से द्वारा 1891 में किया गया था। उनके नाम पर इसे हाल्से प्रीमियम योजना कहा जाता है। इस पद्धति में प्रमाप समय एवं प्रमाप कार्य पहले से ही निर्धारित कर लिया जाता है अर्थात यह पहले से ही निर्धारित कर लेते हैं कि कितने समय में कितना कार्य हो जाना चाहिए। जो श्रमिक प्रमाप समय में प्रमाप कार्य के बराबर या प्रमाप कार्य से कम कार्य कर पाता है उसे उसके द्वारा व्यतीत किये गये वास्तविक समय के लिए समयानुसार मजदरी ही दी जाती है। लेकिन जो श्रमिक प्रमापित कार्य को प्रमापित समय से कम समय में पूर्ण कर लेता है या प्रमापित समय में प्रमापित कार्य से अधिक कार्य कर लेता है तो उसे समयानुसार मजदूरी के अतिरिक्त बचाये गये समय के लिए अतिरिक्त पुरस्कार के रूप में प्रीमियम, प्रब्याजि या बोनस भी दिया जाता है। प्रब्याजि की दर बचाये गये समय की मजदूरी के 10% से 90% तक कुछ भी हो सकती है। परन्तु प्रश्न में बोनस प्रतिशत का उल्लेख न होने पर 50% माना जाता है पति बचाये गये समय का 50% बोनस श्रमिक को मिलता है तथा 50% भाग नियोक्ता के पास रहता है। संक्षेप में, हाल्से प्रीमियम योजना के अन्तर्गत किसी श्रमिक के कुल पारिश्रमिक की गणना निम्न प्रकार की जाती है
हाल्से योजना के लाभ या गुण-(1) यह पद्धति समझने में काफी सरल है। (2) इसमें न्यूनतम दैनिक मजदूरी का आश्वासन होता है। (3) श्रमिकों की कार्यक्षमता वृद्धि का लाभ नियोक्ता को भी मिलता है। (4) कुशल श्रमिकों को अधिक कार्य करने की प्रेरणा मिलती है। (5) कुशल श्रमिकों में सन्तोष रहता है क्योंकि बोनस में वृद्धि कार्यकुशलता में वृद्धि के अनुरूप ही होती है।
हाल्से योजना के दोष (1) प्रमाप निर्धारण में कठिनाई होती है।
Bcom 2nd Year Cost Accounitng Labour Remunerating Study Material Notes
(2) बचाये हुए समय का लाभ नियोक्ता भी लेता है, इस कारण श्रमिकों द्वारा इस पद्धति का विरोध किया जाता है। (3) श्रमिकों द्वारा अधिक उत्पादन के प्रयास के कारण अच्छे किस्म का उत्पादन नहीं हो पाता। (4) अकुशल श्रमिकों में वैमनस्य की भावना पनपती है।
Illustration 4.
निम्नलिखित सूचना से हाल्से प्रीमियम योजना के अन्तर्गत श्रमिक का कुल आय़ की गणना भी ज्ञात कीजिए । आय की प्रभावी दर भी ज्ञात कीजिए
Calculate total earnings of the worker Under Halsey Premium Plan form the following information :
प्रति घण्टा मजदूरी दर (Wage Rate per Hour) 10rs
कार्य का प्रमापित समय (Standard Time of Work) 15 hours
कार्य का वास्तविक समय (Actual Time taken) 15 hours
बोनस का प्रतिशत (Percentage of Bonus) 50%
Bcom 2nd Year Cost Accounitng Labour Remunerating Study Material Notes
Illustration 5.
हाल्से पद्धति के अन्तर्गत एक श्रमिक का 48 घण्टों के सप्ताह का ₹ 720 की दर से पारिश्रमिक दिया जाता है तथा इसके अतिरिक्त प्रति कार्य किये घण्टों का 2.00 पैसे प्रति घंटा जीवन-निर्वाह अधिलाभांश मिलता है। उसे 8 घण्टे का कार्य करने के लिये दिया गया है जिसे वह 6 घण्टों में पूरा कर लेता है। उसे बचाये हुए समय का 40% प्रब्याजि बोनस के रूप में मिलता है।
दी गयी सूचनाओं से श्रमिक का कुल पारिश्रमिक एवं पारिश्रमिक की प्रति घंटा दर ज्ञात करें।
A worker under the Halsey Method of Remuneration is paid at a rate of 720 per week of 48 hours plus a cost of living bonus of 2.00 paise per hour worked. He is given an 8 hour’s task to perform, which he accomplished in 6 hours. He is allowed 40% of the time saved as premium bonus.
Find total wages of the worker and hourly rate of earnings from the given information.
Solution :
Illustration 6.
दो श्रमिक सोहन तथा मोहन को समान कार्य दिया गया। श्रम लागत का अनुमान 1.50 ₹ प्रति घंटे के हिसाब से 32 घंटे का है। उपरिव्यय की अवशोषण दर 4.50 ₹ प्रति श्रमिक घण्टा है। दोनों श्रमिकों द्वारा कार्य में ली गई सामग्री का मूल्य 120 ₹ प्रत्येक के लिए है। उत्पादन कारखाना लागत दोनों श्रमिकों की हाल्से योजना के अन्तर्गत (50%) के आधार पर क्रमश: 270 ₹ तथा 291 र है। सोहन एवं मोहन द्वारा लिया गया समय ज्ञात कीजिए।
Two workers Sohan and Mohan were given an identical job. The labour cost was estimated at ₹1.50 per hour for 32 hours. Overhead are recovered at 4.50 per labour hour. Material used by both the workers valued at ₹ 120 each. The works cost of production came to₹ 270 and ₹291 respectively for two jobs with Halsey Plan (50%). Find out the time taken by Sohan and Mohan.
Solution :
Standard Time =32 hours
Standard Rate per hour = 1.50 rs
Factory Overhead per hour =4.50rs
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(ii) रोवन प्रब्याजि योजना (Rowan Premium Plan)-वास्तव में यह पद्धति हाल्से प्रब्याजि पद्धति का ही सुधरा हुआ रूप है। इस योजना को जेम्स रोवन द्वारा 1901 में लागू किया गया था। उन्हीं के नाम पर इस पद्धति को रोवन प्रीमियम योजना के नाम से सम्बोधित किया जाता है।हाल्से प्रीमियम योजना की भाँति इस पद्धति में भी प्रत्येक कार्य को सम्पन्न करने का एक प्रमाप समय निश्चित कर दिया जाता है। मजदूरी समय के अनुसार भुगतान की जाती है और प्रमाप समय से पूर्व कार्य पूरा कर लेने पर श्रमिकों को प्रीमियम दिया जाता है। किन्तु इस पद्धति में प्रीमियम की गणना हाल्से प्रीमियम योजना की गणना से भिन्न है। इसके अन्तर्गत प्रीमियम के प्रतिशत का सम्बन्ध ‘बचाए हुए समय’ से न होकर ‘कार्य में लगाए गये समय’ से होता है। बचाये हुए समय का जो प्रतिशत या अनुपात प्रमापित समय से होता है वही प्रतिशत या अनुपात कार्य में लगे समय की मजदूरी का प्रीमियम के रूप में प्राप्त होता है।
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रोनम योजना के लाभ (1) इस पद्धति के अन्तर्गत श्रमिक को न्यनतम मजदरी का आश्वासन मिलता है। (2) कुशल श्रमिक को प्रीमियम दिये जाने की व्यवस्था होती है। (3) इस पद्धति में श्रमिक जल्दबाजी नहीं करता क्योंकि एक सीमा के बाद बोनस धटती हुई दर से बढंता है। जिससे श्रमिक उत्पादन की किस्म पर ध्यान देने लगता है। (4) हाल्से योजना की तुलना में श्रमिक को अधिक प्रीमियम प्रीमियम होता है
रोवम योजना के दोष-(1) इस पद्धति की कार्य-विधि तलनात्मक रूप से जटिल है. परिणामस्वरूप श्रमिक इसे आसानी से नहीं समझ पाते इस पद्धति में श्रमिकों को अधिक समय बचाने की प्रेरणा नहीं मिलती क्योकि एक सीमा के बाट प्रीमियम बहुत कम रह जाता है। (3) प्रीमियम का बडा भागनियोक्ताओं द्वारा छीन लिया जाता है जो श्रमिकों में असन्तोष की भानना विकसित करता है (4) कभी-कभी अधिक कुशल श्रमिक तथा एक कम कशल श्रमिक दोनों को एक समान प्रीमियम प्राप्त होता है ।
सारांशतः रोवन पद्धति के गण-दोष भी हाल्से प्रीमियम योजना जैसे ही है मुख्य बात यह है कि इस प्रणाली में हाल्से प्रणाली का वह दोष दूर हो गया है जिसके अन्तर्गत एक अतिकुशल श्रमिक मजदूरी से कई गणो बोनस प्राप्त कर सकता है परन्तु रोवन प्रणाली में प्रीमीयम की राशि किसी भी दशा में मजदूरी से अधिक नहीं हो सकती ।