सेविवर्गीय इनवेण्ट्री व अप्रचलन
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(Personnel Inventory and Obsolescence)
पूँजीगत सम्पत्तियों, सेवाओं व सामग्री को बाजार से इच्छानुसार व आवश्यकतानुसार खरीदा जा सकता है, फिर भी सामग्री का कुछ-न-कुछ स्टॉक रखना ही पड़ता है परन्तु प्रबन्धकों एवं उच्च दक्षता वाले कर्मचारियों को बाजार से इच्छानुसार प्राप्त नहीं किया जा सकता है, क्योंकि बाजार में इनकी पूर्ति (उपलब्धि) सीमित होती है। यही कारण है कि प्रबन्धकीय व कर्मचारी मानव-शक्ति नियोजन का कार्य प्रबन्ध का महत्त्वपूर्ण कार्य बन गया है। कुशल प्रबन्ध को विसित करने में वर्षों का समय लग जाता है। संस्था जिन। प्रबन्धकों व कर्मचारियों को विकसित करने की योजना में कार्यरत है. उन्हें ‘सेविवर्गीय इनवेण्टी’ की श्रेणी में रखा गया है। यहाँ पर।
लेखापालक का कर्तव्य है कि वह इस इनवेण्ट्री का लेखा करने की न केवल विधि बताये बल्कि उसकी औचित्यता पर भी अपनी राय दे।
यही नहीं, मानव संसाधन को सम्पत्ति मानकर लेखा करने में एक और समस्या उत्पन्न हो सकती है। यह समस्या अधिकारियों के अप्रचलन से सम्बन्धित है। ऐसे मापदण्ड व प्रमाप निर्धारित करने होंगे, जिनका प्रयोग करके पता लगाया जा सके कि कौन-से अधिकारी अवकाश ग्रहण की तिथि से पूर्व ही अप्रचलित हो गये हैं। यहां पर अप्रचलन से तात्पर्य विद्यमान परिस्थितियों द्वारा जिस ज्ञान की मांग है, उसका अभाव होना है। यदि अधिकारी अपने ज्ञान व कुशलता को पूर्णत: अप-टू-टेड नहीं बनाये रखते हों, तो वे अप्रचलित हो जाते हैं। लेखापालक का यह भी कर्त्तव्य है कि इस सम्बन्ध में उचित प्रमाप निर्धारित करे और अप्रचलन के कारण हुई। हानि को खाते में दर्शाये।
मानव संसाधन लेखांकन की बाधाएँ
(Obstacles of H. R. A.)
वर्तमान में मानव संसाधन को सम्पत्ति के रूप में मानते हुए वित्तीय विवरणों में दर्शाया जाये, परन्तु यह भी सत्य है कि अभी तक इसे पूर्णत: वैज्ञानिक रूप नहीं प्रदान किया गया है। इसमें अभी बहत-सी कमियाँ हैं और साथ ही बहुत-सी बाधाएँ भी हैं। कुछ बाधाएँ निम्नवत् हैं
(1) मानव संसाधन के मूल्य मापन हेतु कोई निश्चित व पर्याप्त प्रमाप निर्धारित नहीं किया गया है।
(2) श्रम संघों द्वारा भी इस लेखांकन का विरोध किये जाने का भय व्याप्त है।
(3) कुछ लोग इस तथ्य का भी विरोध करते हैं कि मानव प्राणी सम्पत्ति है। इस विरोध का आधार भावनात्मक है। वे सोचते हैं कि ऐसा करने से मानव गुलाम बनकर रह जायेगा।
(4) यह भी सुनिश्चित नहीं किया गया है कि मानव संसाधन को किस वर्ग की सम्पत्ति (स्थायी सम्पत्ति, चल सम्पत्ति। या विनियोग या अमूर्त) माना जाये।
(5) अन्य सम्पत्तियों की भाँति मानव सम्पदा को संस्था में ही बने रहने की दशा पूर्णतः अनिश्चित है, क्योंकि कर्मचारीगण पूर्णत: संस्था को छोड़ने के लिए स्वतन्त्र होते हैं।
(6) मानव संसाधन के मूल्य मापन में प्रयुक्त विभिन्न मॉडल में जिस भावी आय के अनुमान की बात की गयी है,
उसके सम्बन्ध में पूर्ण ज्ञान का अभाव है। इस अनिश्चयपूर्ण विश्व में भावी आय का अनुमान कभी भी सही नहीं हो सकता।
(7) सेविवर्गीय इनवेण्ट्री व अधिकारियों के अप्रचलन के सम्बन्ध में लेखा-विज्ञान मौन है। अभी तक किसी लेखांकन तकनीकी या आविर्भाव नहीं हुआ है
5 .निम्न मॉडल की व्याख्या कीजिए
(i) लेव व श्वार्ज मॉडल
(ii) फ्लेम्होल्ज मॉडल।
6 .सेविवर्गीय इनवेण्ट्री व अधिकारियों के अप्रचलन से आप क्या समझते हैं? मानव संसाधन लेखांकन की बाधाओं का वर्णन
कीजिए।
7. मानव संसाधन लेखांकन क्या है? मानव संसाधन के मापन में किन्हीं दो तरीकों का वर्णन कीजिए।
1 .Define Human Resource Accounting. Point out its characteristics and objectives.
2. What is Human Resource Accounting? Discuss its uses and merits.
3. Can Human Resources be considered as an asset? Critically examine the Historical Cost Method as
used to measure to value it as an asset.
4. Explain any two models used in Human Resource Accounting.
5. Explain the following models :
(i) Lev & Schwartz’s Model,
(ii) Flamholtz Model.
6. What do you understand by Personnel Inventory and Executives Obsolescence? Discuss the
obstacles of Human Resource Accounting.
7 .What is Human Resource Accounting? Discuss any two methods of measuring the human resources.