Bcom 2nd Year Cost Accounting Machine Hour Rate Method Factory Study material notes in Hindi

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सामान्य कार्यशील घण्टे (Normal Working Hours)

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सामान्य कार्यशील घण्टों से आशय उन घण्टों से है जिनके लिए मशीन सामान्य दशाओं में किसी विशेष अवधि में प्रयोग की जा सकती है। सामान्य कार्यशील घण्टों की गणना के सम्बन्ध में निम्नलिखित बिन्दुओं पर ध्यान देना आवश्यक है

(1) मरम्मत एवं अनुरक्षण समय (Repairs and Maintenance Time)-मशीनों की मरम्मत एवं देखभाल करने में जो समय लगता है, उसे उत्पादक समय नहीं माना जाता है। अत: मरम्मत एवं अनुरक्षण में लगने वाले समय को मशीन के कुल उपलब्ध घण्टों में से घटा दिया जाता है। मरम्मत एवं अनुरक्षण के समय में मशीन पर शक्ति (Power)/विद्युत का उपभोग नहीं होता है।

(2) मशीन सैट करने का समय (Machine Setting-up Time)-कुछ मशीनें ऐसी होती है जिन्हें विभिन्न उपकार्यों पर प्रयोग किया जा सकता है। ऐसी मशीन को किसी उपकार्य पर लगाने से पहले उसको उस उपकार्य की आवश्यकतानुसार समायोजित (Adjust) करना पड़ता है। इस कार्य को करने में कुछ समय लगता है जिसे हम मशीन सेट करने का समय कहते हैं। प्रश्न यह उठता है कि क्या इस समय को मशीन का उत्पादक समय माना जाये या नहीं। वास्तव में यह एक विवादग्रस्त पशन है। मशीन घण्टा दर ज्ञात करते समय ऐसे समय को उत्पादक समय माना भी जा सकता है और नहीं भी। यदि हम उसे उत्पादक समय मानेंगे तो उसे कार्यशील घण्टों में शामिल करेंगे अन्यथा नहीं।

उदाहरणार्थ-यदि कोई मशीन किसी उपकार्य पर 50 घण्टे काम करती है और उसमें से 2 घण्टे मशीन सेट करने में सो जाते है तो सेटिंग समय को उत्पादक मानने पर कार्यशील घण्टे 50 होंगे अन्यथा 48 घण्टे होंगे। यद्यपि दोनों दशाओं में मशीन घण्टा दर भिन्न-भिन्न आयेगी परन्तु दोनों ही दर सही मानी जायेंगी।

 

Bcom 2nd Year Cost Accounting Machine Hour Rate Method Factory Study material notes in Hindi ( Most Important for Bcom 2nd Year students)

परीक्षा के दृष्टिकोण से विद्यार्थी दोनों विकल्पों में से किसी भी विकल्प को अपना सकते हैं लेकिन प्रश्न के अन्त में उन्हें स्पष्ट नोट लिख देना चाहिए।

(3) बेकार समय (Idle Time)-कुछ परिस्थितियों में मशीन उत्पादन कार्य नहीं कर पाती अर्थात कार्यहीन रहती है। को पावर की सप्लाई बन्द हो जाना, मशान खराब हो जाना, आदि। इन परिस्थितियों से सम्बन्धित समय मशीन का कार्यहीन सुम्त समय (achine Idle Time) कहा जाता है। कार्यहीन समय अनुत्पादक समय होता है और उसे सामना ना है। परन्त कछ व्यक्तियों का विचार है कि यद्यपि कार्यहीन समय अनुत्पादक समय है, लेकिन नियन्त्रण के दृष्टिकोण लागत अलग से ज्ञात होनी चाहिए। इसलिए मशीन के कार्यहीन समय की लागत ज्ञात करने हेतु यह आवश्यक है कि

सम्बन्धित उपरिव्ययों में मशीन के कार्यशील घण्टे + कार्यहीन घण्टों का भाग दिया जाये। यदि उत्पादक घण्टो में समय को सम्मिलित किये बिना ही मशीन घण्टा दर ज्ञात की जायेगी तो कार्यहीन समय की लागत से मशान आनुपातिक रूप से बढ़ जायेगी तथा उत्पादन पर इस बढी हई दर से कार्यहीन समय की लागत भी चार्ज हो जायेगी जो उचितत नहीं है।

(4) कभी-कभी प्रश्न में प्रत्यक्ष रूप से कार्यशील घण्टे सम्बन्धी सचना नहीं दी हई होती है, ऐसा दशा की रकम एवं इकाइयों सम्बन्धी सूचना की सहायता से कार्यशील घण्टों की गणना की जा सकती है एक फैक्ट्ररी मे कार्यरत 5 मशीनों का वार्षिक शक्ति व्यय 4.000₹ है तथा शक्ति की दर 10 पैसे इकाई है एवं प्रत्येक मशान एक 5 इकाइयों का उपभोग करती है तो सबसे पहले यह देखेंगे कि उक्त शक्ति व्यय कितनी इकाइयों के लिए किया।

मशीन घण्टा दर की गणना में आने वाली कुछ अन्य समस्याएँ एवं उनका निराकरण

(1) मशीन परिचालक की मजदूरी (Wages of the machine operator)-कुछ जदूरा (Wages of the machine operator)-कछ व्यक्ति मशीन परिचालक की मजदूरी को मशान घण्टा दर की गणना हेतु स्थायी व्ययों में शामिल करते हैं। इस सम्बन्ध में यह ध्यान रखें कि यदि मशान परिचालन का मजदरा मशान से प्रत्यक्ष रूप से सम्बन्धित है तो उसे मशीन घण्टा दर की गणना हेत शामिल नहीं करग वरन उस मूल लागत (Prime Cost) में शामिल किया जाता है। इसके विपरीत यदि परिचालक एक समय पर विभिन्न मशीनों पर काय। करता है तो उसकी मजदूरी, अप्रत्यक्ष मजदूरी मानी जायेगी एवं मशीन घण्टा दर निर्धारण हेतु शामिल करेंगे।

(2) किराया क्रय किस्त में शामिल ब्याज (Interest in Hire Purchase Instalement) किराया क्रयाकस्त म शामिल ब्याज (Interest in Hire Purchase Instalment)-किराया क्रय किस्त का भूगतान एक पूंजीगत भुगतान है, उपरिव्यय नहीं। अत: किराया क्रय किस्त की रकम को मशीन घण्टा दर के निर्धारण में शामिल नहीं करेंगे। किराया क्रय किस्त में सम्मिलित ब्याज भी वित्तीय प्रकति का व्यवहार है, इस कारण मशीन घण्टा दर को। गणना में ब्याज की रकम को भी शामिल नहीं करना चाहिए। परीक्षा के दृष्टिकोण से विद्यार्थी इसे शामिल भी कर सकते हैं। अथवा नहीं। परन्तु जैसा भी किया हो इस सम्बन्ध में प्रश्न के अन्त में टिप्पणी दे देनी चाहिए।

सामान्यतया जो ब्याज दिया जाता है उसे उपरिव्यय मानते हैं एवं ब्याज की रकम को उसी मशीन पर उपरिव्यय के रूप में चार्ज किया जाता है जिस मशीन से वह सम्बन्धित होता है।

मशीन घण्टा दर की गणना का प्रारूप (Format for Computation of Machine Hour Rate)-मशीन घण्टा दर की गणना हेतु प्राय: निम्नलिखित प्रारूप का अनुसरण किया जाता है

मशीन घण्टा दर पद्धति के लाभ (Advantages of Machine Hour Rate Method)

(1) जन सस्थाओं में मशीनों का प्रयोग अधिक होता है, वहाँ कारखाना उपरिव्यय मशाना स आषक सा अत: यह पद्धति अधिक उपयुक्त रहती है।

(2)इस पद्धति द्वारा विभिन्न मशीनों की सापेक्षिक कार्यकशलता मापी जा सकती है।

(3) इस पद्धति के द्वारा मशीन के कार्यहीन समय की जानकारी भी हो जाती है।

(4) इस पद्धात के द्वारा प्रबन्ध को यह निर्णय लेने में सविधा हो जाती है कि मानवीय श्रम की जगह मशीनों का प्रयोग । कहाँ तक लाभदायक है।

(5) यह पद्धति उत्पादन की लागत का अनुमान करने, प्रमाप स्थापित करने तथा विक्रय मूल्य निर्धारण हेतु उपयोगी समंक उपलब्ध कराती है।

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मशीन घण्टा दर पद्धति के दोष (Defects of Machine Hour Rate Method)

(1) श्रम प्रधान उद्योगों में इस पद्धति को नहीं अपनाया जा सकता।

(2) अनेक व्यय ऐसे होते हैं जिनका मशीन परिचालन से कोई सम्बन्ध नहीं होता, मशीन घण्टा दर ज्ञात करने में ऐसे व्ययों के विभाजन की समस्या बनी रहती है।

(3) कारखाने में अनेक आकार एवं प्रकार की मशीनों का उपयोग होने की दशा में प्रत्येक मशीन के व्ययों का अलग-अलग हिसाब रखना तथा प्रत्येक मशीन की मशीन घण्टा दर ज्ञात करना काफी जटिल एवं महंगा कार्य है।

(4) यदि उत्पादन कार्यक्रम अग्रिम रूप से उपलब्ध न हो तो मशीन घण्टा दर ज्ञात करना एक जटिल कार्य है।

chetansati

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