(VII) व्यवसाय के स्वामी द्वारा अनुसन्धान

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(INVESTIGATION BY THE OWNER OF BUSINESS)

व्यवसाय का स्वामी विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति हेतु अनुसन्धान करवा सकता है। प्रायः व्यवसाय का निम्न उद्देश्यों के लिए अनुसन्धान करवाता जाता है :

(अ) कपटों का पता लगाने के लिए

(ब) अंशों के मूल्यांकन के लिए

(स) लाभार्जन शक्ति ज्ञात करने के लिए

(द) प्रविवरण में सूचनाओं के प्रकाशन के लिए।

(अ) कपटों का पता लगाने के लिए अनुसन्धान—यदि किसी व्यापारिक संस्था के स्वामी को इस बात का सन्देह है कि किसी कर्मचारी ने व्यापार में रुपयों अथवा माल का कपट किया है, तो उसका अनुसन्धान करवाता है। उस कपट के प्रकार, उस व्यक्ति का नाम जिस पर सन्देह है, उसके कार्य और सम्बन्धित बहियों के नाम जानना चाहता है। ऐसी दशा में अनुसन्धानकर्ता को निम्न बातों पर ध्यान देना चाहिए :

जो कपट किया गया है वह माल का गबन है, या रकम का। प्रायः माल का गबन कई व्यक्तियों की साजिश से होता है, अतः माल को प्राप्त करने और बाहर भेजने की प्रणाली की परीक्षा करना आवश्यक है। सब प्राप्त हए और भेजे हुए माल की किसी उच्च अधिकारी द्वारा जांच होनी चाहिए। उस वर्ष में किये गये क्रयों को उचित रूप से जांचना चाहिए। उसी प्रकार बिक्री को पूर्णरूप से जांचना चाहिए। इन दोनों पस्तकों को जांचते समय क्रय-वापसी एवं विक्रय-वापसी का भी ध्यान रखना चाहिए। इसके अतिरिक्त देनदारों के खातों. अप्राप्य ऋण, स्टॉक, आदि की जांच भी सावधानीपूर्वक करनी चाहिए। अगर रकम का गबन हुआ है, तो अनुसन्धानकर्ता को निम्नलिखित बातें ध्यान में रखनी चाहिए :

(1) अनसन्धानकर्ता को व्यापार के स्वभाव के बारे में और कपट के बारे में पूर्ण जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए।

(2) रोकड़-बही की पूर्णतः जांच करनी चाहिए: जैसे :

(i) रोकड़-बही के शेष और जोड़ों की जांच,

(ii) उन शेषों का बैंक के शेषों से मिलान.

(iii) जमा-पुस्तक (pay-in-slip) की प्रतिलिपियों का बैंक से प्राप्त पनि

(iv) नकद बिक्री की प्रारम्भिक प्रलेखों से जांच..

(v) व्ययों का प्रमाणित करना,

(vi) प्राप्त एवं दी गयी कटौती की जांच।

(3) क्रय एवं विक्रय-पुस्तक की जांच करनी चाहिए।

(4) खुदरा रोकड़-बही को प्रमाणित करना चाहिए।

उपर्युक्त सब बातों को ध्यान में रखते हुए अनुसन्धानकर्ता को भी में रखते हुए अनुसन्धानकर्ता को अपनी रिपोर्ट देनी चाहिए।

(ब) अंशों के मूल्यांकन के लिए अनुसन्धान—किसी कम्पनी के अंशों का मूल्यांकन करने के दो तरीके हैं।

(1) सम्पत्ति आधार (Assets Method), और

(2) उत्पत्ति मूल्यांकन आधार (Yield Method)

सम्पत्ति आधार पद्धति के अनुसार शुद्ध सम्पत्तियों का मूल्य चिट्ठे में दी हुई सम्पत्तियों जैसे ऋणों को घटाकर एवं सम्भावित लाभ-हानि का प्रबन्ध करके किया जाता है। तत्पश्चात् उसमें से पूर्वाधिकार अंशों के मुल्य को घटाकर शेष को साधारण अंशों की संख्या में भाग देना चाहिए। अगर पूर्वाधिकार अंशों को पंजी प्राप्ति का पूर्वाधिकार प्राप्त नहीं है तो शद्ध सम्पत्तियों को कल अंशों की संख्या से भाग दे देना चाहिए।

उत्पत्ति मूल्यांकन आधार के अनुसार प्रत्येक प्रकार के अंशों का मूल्य उस प्रकार के अन्य विनियोगों पर प्राप्त आय की तुलना में कम्पनी के अंशों पर मिलने वाले लाभांशों पर निर्भर होगा।

यह निम्नांकित उदाहरण से स्पष्ट होता है :

उदाहरण— माना एक कम्पनी की अंश पूंजी निम्न प्रकार है :

(a) 1,00,000 समता अंश @ 100 ₹ एवं

(b) 2,00,000, 3% पूर्वाधिकार अंश @ 100 ₹।

अतः अनुसन्धानकर्ता को देखना चाहिए कि :

(1) गत वर्षों में कितना लाभ दिया गया है और भविष्य में उसमें परिवर्तन की कितनी आशा है।

(2) पूर्वाधिकार अंशों पर दिये जाने वाले लाभांश

(3) लाभांश की रकम जो कटौती, डूबत ऋण आदि के लिए रखी जाती है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए अनुसन्धानकर्ता को अपनी रिपोर्ट देनी चाहिए।

(स) लाभार्जन शक्ति ज्ञात करने के लिए अनुसन्धान—व्यवसाय का स्वामी व्यवसाय की लाभार्जन शक्ति को ज्ञात करने के लिए अनसुन्धान करा सकता है। यदि व्यवसाय का लाभ अपेक्षित क्षमता से कम है तो व्यवसाय का स्वामी उन कारणों का पता लगाने के लिए अनुसन्धान करा सकता है कि क्या वास्तव में संस्था द्वारा कमाया गया लाभ कम है या उससे अधिक है। ऐसे क्या कारण हैं जिससे व्यवसाय की लाभार्जन शक्ति उसी आर्थिक परिवेश में अन्य प्रतियोगी व्यवसायों से कम है।

इस उद्देश्य हेतु अनुसन्धानकर्ता निम्न कदम उठा सकता है :

(1) माल के क्रय मूल्य की जांच,

(2) विक्रय मूल्य की जांच,

(3) स्टॉक का मूल्यांकन करना,

(4) आयगत व्ययों की जांच,

(5) आयगत प्राप्तियों की जांच,

(6) कर्मचारियों के द्वारा सुस्त समय की जांच,

(7) अपव्यय की जांच,

(8) उत्पादन नीति एवं कार्यप्रणाली की जांच.

(9) संस्था के संगठन संरचना की जांच,

(10) पूंजीगत व्यय एवं प्राप्तियों की जांच,

(11) नयी तकनीक व संस्था के शोध कार्यों की जांच.

(12) आन्तरिक नियन्त्रण प्रणाली की जांच।

(द) प्रविवरण में सूचनाओं के प्रकाशन के लिए अनुसन्धान कम्पनी अधिनियम की धारा 55 के अनुसार,

कम्पनी अंशों एवं ऋणपत्रों को क्रय करने के लिए जनता को आमन्त्रित करने के लिए प्रविवरण जारी रती है। इस प्रविवरण में संस्था से सम्बन्धित अनेक तथ्यों की जानकारी संस्था द्वारा दी जाती है। अतः विवरण में दी जाने वाली विभिन्न सूचनाएं एवं तथ्यों की सत्यता की जांच के लिए व्यवसाय का स्वामी अनसन्धान करा सकता है। प्रायः यह अनुसन्धान निम्न तथ्यों की जांच के लिए कराया जाता है

(i) पूर्व के पांच वर्षों के लाभ-हानि ज्ञात कर व्यवसाय की आर्थिक स्थिति का विश्लेषण, (i) कम्पनी की विभिन्न सम्पत्तियों एवं दायित्वों का मूल्यांकन, (iii) कम्पनी द्वारा प्रविवरण जारी करने से पूर्व के पांच वर्षों के लाभांशों का अध्ययन, (iv) सहायक कम्पनियों (Subsidiary Co.) की आर्थिक स्थिति की अध्ययन, (v) कम्पनी में विद्यमान विभिन्न जोखिमों (Risks) की सूचना, आदि।

Investigation Study Material notes

प्रश्न

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1 अनुसन्धान क्या है? यह क्यों किया जाता है?

What is Investigation? Why is it done?

2. अनुसन्धान की परिभाषा दीजिए। इसके विभिन्न प्रकारों को बताइए।

Define Investigation. Explain its various kinds.

3. ‘खातों के अनुसन्धान’ से आप क्या समझते हैं? अनुसन्धान के उद्देश्यों को स्पष्टतः समझाइए।

What do you mean by Investigation of Accounts? Explain the objects of investigation clearly.

4. अनुसन्धान व अंकेक्षण में भेद कीजिए। एक अनुसन्धान की विधि को विस्तृत ढंग से समझाइए।

Differentiate between Investigation and Auditing. Discuss the process of investigation in detail.

5. अनुसन्धान क्या है और अंकेक्षण से यह किस प्रकार भिन्न है? कुछ उद्देश्यों का वर्णन कीजिए, जिनके कारण किसी व्यापार के खातों का अनुसन्धान आवश्यक होता है।

What is investigation and how does it differ from Auditing? State certain objects due to which the investigation of accounts is necessary.

6. अनुसन्धान क्या है? यह अंकेक्षण से किस प्रकार भिन्न है? अनुसन्धान करते समय ध्यान देने योग्य बातों का उल्लेख कीजिए।

What is investigation? How does it differ from auditing? Elaborate the points to be remembered while investigation.

7. एक व्यक्ति की ओर से जो एक व्यवसाय को चालू स्थिति में खरीदना चाहता है, अनुसन्धान करते समय किन विशेष बातों को ध्यान में रखेंगे?

What special points will be considered while investigating for a person who wants to purchase a running business.

8. संक्षेप में बताइए कि आप एक सीमित कम्पनी की ओर से अनुसन्धान किस प्रकार करेंगे, जो एक व्यापार को चाल स्थिति में खरीदना चाहती है तथा जो आपसे व्यापार के पिछले लाभ के सम्बन्ध में प्रमाण-पत्र प्राप्त करना चाहती है ताकि वह प्रविवरण में उसे नत्थी कर सके।

Explain in brief how will you investigate on behalf of a limited company who wants to purchase a running business and who wants a certificate related to profits of past years so as to enclose it in prospectus.

9. आपका ग्राहक एक स्थापित व्यापार में एक साझेदार की हैसियत से आना चाहता है तथा आपसे फर्म के खातों अनुसन्धान करने के लिए कहता है। उन बातो को बताइए जिन पर आप मुख्यतः अपना ध्यान आकर्षित करेंगे।

Your client wants to join as a partner in a established business and request to accounts of the firm. Highlight those points on which you will like to concentrate,

10. किसी परिस्थितियों में केन्द्रीय सरकार कम्पनियों का अनुसन्धान करने का आदेश दे सकती है? ऐसी दशा में अनुसन्धान की क्या पद्धति होनी चाहिए?

In What Circumstances a Central Government can order for Investigation of a Company. What In what circumstances a Central Government should be the method of investigation in such cases?

11. एक व्यापार में कपट की सम्भावना की गयी है और आपको इस सम्बन्ध में अनुसन्धान करने को कहा गया।संक्षेप में समझाइए कि इस सम्बन्ध में आप क्या करेंगे?

In a business their is a probability of a fraud and you are asked to Investigate. Explain in bri what you will do in this regard.

12. आपको एक व्यवसाय से प्राप्त लाभ की मात्रा में असाधारण उतार-चढ़ाव के कारण जानने के लि करना है। आप क्या करेंगे ?

You are required to investigate the reasons of fluctuations of in profit margin of a business What will you do?

13. एक बैंक ने अपने एक ग्राहक से ऋण के लिए आवेदन-पत्र प्राप्त किया है। बैंक की ओर से आपको उस माके लेखों का अनुसन्धान करना है। आप यह कार्य किस प्रकार करेंगे ?

A bank has received an application from a customer for loan. You have to investigate on behalf of the bank the accounts of the customer. How will you do the work?

लघु उत्तरीय प्रश्न

1 अनुसन्धान क्या है ? अंकेक्षण से इसका अन्तर बताइए।

2. कम्पनी अधिनियम, 2013 की धारा 213 के अन्तर्गत नियुक्त निरीक्षक के अधिकार व कर्तव्य बताइए।

3. वे परिस्थितियां बताइए जिनमें केन्द्रीय सरकार सीमित दायित्व वाली कम्पनी के अनुसन्धान का आदेश दे सकती

4. अनुसन्धान करने से पूर्व क्या-क्या सावधानियां आवश्यक हैं ?

5. अनुसन्धान की प्रक्रिया पर एक संक्षिप्त टिप्पणी दीजिए।

6. ‘खातों के अनुसन्धान’ से आप क्या समझते हैं ? अनुसन्धान के उद्देश्यों को स्पष्टतः समझाइए।

7./अनुसन्धान व अंकेक्षण में भेद कीजिए। एक अनुसन्धान की विधि को विस्तृत ढंग से समझाइए।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

1. अनुसन्धान क्या है ?

2. अनुसन्धान व अंकेक्षण में क्या अन्तर है ?

3. अनुसन्धान का उद्देश्य बताइए।

4. अनुसन्धान रिपोर्ट क्या है ?

5. व्यवसाय का लाभोपार्जन क्षमता जानने की दो विधियां बताइए।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. अनुसन्धान का उद्देश्य होता है :

(अ) सामान्य

(ब) विशेष

(स) सकारात्मक

(द) नकारात्मक

2. अनुसन्धानकर्ता की योग्यता होती है :

(अ) चार्टर्ड एकाउण्टेण्ट

(ब) आर. ए.

(स) वाणिज्य-स्नातक

(द) इनमें से कोई नहीं

3. खातों का अनुसन्धान करवाया जाता है :

(अ) वर्ष के अन्त में

(ब) वर्ष भर

(स) आवश्यकतानुसार

(द) इनमें से कोई नहीं

4. कम्पनी अधिनियम, 2013 की निम्न धाराओं के अन्तर्गत सदस्यों के आवेदन पर कम्पनी के कार्यों का अनुसन्धान करवाया जाता है :

(अ) धारा 210

(ब) धारा 214

(स) धारा 213

(द) इनमें से कोई नहीं

5. कम्पनी के कार्यों की जांच के लिए निरीक्षक (धारा 215 के अन्तर्गत) नियुक्त हो सकता है :

(अ) व्यक्ति

(ब) संघ

(स) कम्पनी

(द) इनमें से कोई नहीं

chetansati

Admin

https://gurujionlinestudy.com

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