BCom 3rd Year Consumer Dispute Redressal Agencies Study Material Notes in Hindi

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राष्ट्रीय आयोग

Table of Contents

(National Commission)

केन्द्रीय सरकार एक अधिसूचना जारी करके ‘राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग’ (National Consumer Disputes Redressal Commission) की स्थापना कर सकती है जिसे राष्ट्रीय आयोग के नाम से जाना जाएगा। यह उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने देश में राष्ट्रीय आयोग की स्थापना कर दी है एवं इस आयोग का कार्यालय दिल्ली में स्थित है। राष्ट्रीय आयोग हमारे देश में उपभोक्ता विवादों को हल करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सर्वोच्च संस्था है। यह एक स्वतन्त्र वैधानिक संस्था है।

राष्ट्रीय आयोग का गठनराष्ट्रीय आयोग का गठन निम्नानुसार किया जाएगा

() एक ऐसा व्यक्ति जो उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश हो या रह चुका हो और जिसकी नियुक्ति केन्द्रीय सरकार द्वारा की गई हो, वह व्यक्ति इस आयोग का अध्यक्ष होगा। यहाँ पर यह उल्लेखनीय है कि ऐसी नियुक्ति केन्द्र सरकार द्वारा भारत के उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से सलाह करने के उपरान्त ही की जा सकती है।

() कम से कम चार सदस्य होंगे परन्तु इस सम्बन्ध में केन्द्रीय सरकार द्वारा निर्धारित संख्या से अधिक सदस्य नहीं हो सकते। इनमें एक आवश्यक रूप से महिला सदस्य होगी। केवल निम्नलिखित योग्यताएँ पूरी करने वाले व्यक्ति ही सदस्य बन सकते हैं-(i) आयु 35 वर्ष से कम न हो, (ii) किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय द्वारा स्नातक की उपाधि रखता हो; (iii) योग्य, सत्यनिष्ठा और प्रतिष्ठा वाले व्यक्ति हों जिनको अर्थशास्त्र, कानून, वाणिज्य, लेखाकर्म, उद्योग, लोककार्य या प्रशासन से सम्बन्धित समस्याओं का पर्याप्त ज्ञान और कम-से-कम दस वर्ष का अनुभव हो।

यह उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय आयोग के कुल सदस्यों में से न्यायिक पृष्ठभूमि वाले सदस्यों की संख्या 50% से अधिक नहीं होगी। न्यायिक पृष्ठभूमि रखने वाले व्यक्तियों से तात्पर्य ऐसे व्यक्तियों से है जिनके पास जिला स्तर के न्यायालय या इसके समकक्ष किसी अधिकरण (Tribunal) में पीठासीन अधिकारी के रूप में कार्य करने का कम-से-कम दस वर्ष की अवधि का ज्ञान और अनुभव हो।

अयोग्यताएँनिम्नांकित में से किसी भी अयोग्यता वाले व्यक्ति को राष्ट्रीय आयोग का सदस्य नियुक्त नहीं किया जा सकेगा

(i) यदि उसे किसी अपराध के लिए सजा मिली हो तथा जेल भेजा गया हो तथा वह अपराध केन्द्रीय सरकार की राय में नैतिक दुराचरण से सम्बन्धित हो।

(ii) यदि वह अमुक्त दिवालिया हो।

(iii) यदि वह सक्षम न्यायालय द्वारा घोषित अस्वस्थ मस्तिष्क का व्यक्ति हो।

(iv) यदि वह सरकारी सेवा या सरकारी स्वामित्व या नियन्त्रण वाली समामेलित संस्था की सेवा से हटाया या पदच्युत किया गया हो।

(v) यदि केन्द्रीय सरकार की राय में, उसका ऐसा वित्तीय या अन्य हित हो जो सदस्य के रूप में उसके कर्तव्यों के निष्पक्ष निर्वाह को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकता हो।

(vi) यदि उसमें केन्द्रीय सरकार द्वारा निर्धारित की जाने वाली अन्य कोई अयोग्यताएँ हों।

सदस्यों की नियुक्ति-राष्ट्रीय आयोग के सदस्यों की नियुक्ति केन्द्र सरकार द्वारा एक चयन समिति की सिफारिश के आधार पर की जाती है। ऐसी चयन समिति का गठन निम्नानुसार होगा

(i) अध्यक्ष–भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा नामित ऐसा व्यक्ति जो उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश है।

(ii) सदस्यभारत सरकार के विधि विभाग का प्रभारी सचिव। (iiसदस्य-भारत सरकार के उपभोक्ता मामलों के विभाग का प्रभारी सचिव।

राष्ट्रीय आयोग के सदस्यों का कार्यकाल-राष्ट्रीय आयोग के प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल पाँच वर्ष तक अथवा 70 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, तक बना रहेगा

परन्तु उपभोक्ता संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2002 के लागू होने से पूर्व नियुक्त अध्यक्ष या सदस्य अपना कार्यकाल पूरा होने तक अपने पदों पर बने रह सकेंगे।

पुनियक्ति किसी भी सदस्य को पाँच वर्ष अथवा उसकी सत्तर वर्ष की आय परी होने तक. जो भी पहले हो, के लिए पुनः नियुक्त किया जा सकता है। किन्तु, उस सदस्य को योग्यताओं तथा नियक्ति की अन्य शर्तों को पूरा करना पड़ेगा। ऐसी पुनर्नियुक्ति भी चयन समिति की सिफारिश से की जाएगी। इतना ही नहीं, राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष की भी पुनर्नियुक्ति इसी प्रकार की जा सकेगी।

(3) पद त्याग एवं रिक्त स्थान की पूर्ति कोई भी सदस्य केन्द्रीय सरकार को लिखित में अपना त्यागपत्र दे सकता है। त्यागपत्र स्वीकार होने पर उसका पद रिक्त हो जाएगा। उस रिक्त पद पर निर्धारित योग्यता वाले व्यक्ति की चयन समिति की सिफारिश पर नियुक्ति की जा सकेगी।

वेतन अथवा मानदेय व सेवा शर्ते आदि-राष्ट्रीय आयोग के सदस्यों को देय वेतन अथवा मानदेय एवं अन्य भत्ते तथा सेवा शर्ते आदि वहीं होंगी जोकि केन्द्रीय सरकार द्वारा निर्धारित की गई हों।

राष्ट्रीय आयोग का क्षेत्राधिकार

(Jurisdiction of the National Commission)

राष्ट्रीय आयोग का क्षेत्राधिकार निम्न प्रकार होगा-(i) उन शिकायतों पर विचार करना जिनमें माल या सेवा का मूल्य तथा क्षतिपूर्ति 1 करोड़ रुपए से अधिक हो। (ii) किसी राज्य आयोग के आदेश के विरुद्ध की गई अपील की सुनवाई करना। (iii) राज्य आयोग के अधीन कोई उपभोक्ता विवाद जो विचाराधीन हो जिसका निर्णय दे दिया गया हो और उसके सम्बन्ध में राष्ट्रीय आयोग को यह लगता हो कि सम्बन्धित राज्य आयोग ने अपने क्षेत्राधिकार का उल्लंघन किया है या दिए गए क्षेत्राधिकार का उपयोग करने में असमर्थ रहा है या अपने क्षेत्राधिकार का उपयोग करने में अवैधानिक या मौलिक अनियमितता की है तो सम्बन्धित अभिलेखों को मंगवाना तथा उपयुक्त आदेश निर्गमित करना।

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राष्ट्रीय आयोग की शिकायतों के निपटारे की प्रक्रिया

(Procedure of Disposal of Complaints by National Commission)

1 शिकायत प्रस्तुत करना-राष्ट्रीय आयोग के समक्ष शिकायत प्रस्तुत करने सम्बन्धी नियम निम्नानुसार हैं-(i) शिकायत शिकायतकर्ता द्वारा स्वयं या उसके एजेण्ट द्वारा प्रस्तुत की जानी चाहिए। (ii) शिकायत व्यक्तिगत रूप से या पंजीकृत डाक से प्रस्तुत की जा सकती है। (iii) शिकायत में शिकायतकर्ता का नाम, पता तथा विवरण होना चाहिए। (iv) शिकायत में विरोधी पक्षकार का नाम, पता तथा विवरण होना चाहिए। (v) शिकायत में शिकायत से सम्बन्धित तथ्य, शिकायत उत्पन्न होने का स्थान, समय, दिन आदि का उल्लेख हो। (vi) शिकायत के साथ आरोपों को पुष्ट करने वाले प्रलेख हों। (vii) शिकायत में शिकायत के लिए अपेक्षित राहत का दावा किया गया हो।

2. शिकायत निवारण की प्रक्रिया-राष्ट्रीय आयोग शिकायत निवारण हेतु वही प्रक्रिया अपनाएगा जो जिला मंच द्वारा अपनाई जाती है। राष्ट्रीय आयोग द्वारा इसके अतिरिक्त वह प्रक्रिया भी अपनाई जाएगी जो केन्द्र सरकार द्वारा नियत की जाए।

3. सुनवाई की तिथि पर उपस्थित होना-शिकायत की सुनवाई के दिन पक्षकारों को व्यक्तिगत रूप से या अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से उपस्थित होना होगा। यदि शिकायतकर्ता या उसका प्रतिनिधि उपस्थित नहीं होता है तो राष्ट्रीय आयोग शिकायत को रद्द कर सकता है। विरोधी पक्ष या उसके प्रतिनिधि के उपस्थित न होने पर एक्स-पार्टी (Ex-Parte) निर्णय किया जा सकेगा।

4. निर्णय का स्थगन तथा निर्णय की समय अवधि-आवश्यकता होने पर राष्ट्रीय आयोग शिकायत की सुनवाई को स्थगित कर सकता है। राष्ट्रीय आयोग सुनवाई की तिथि से तीन महीने के अन्दर अपना निर्णय दे देगा। किन्तु यदि शिकायत की वस्तु के विश्लेषण या जाँच की आवश्यकता है तो वह पाँच महीने के अन्दर अपना निर्णय देगा।

5. आदेश देनाराष्ट्रीय आयोग सुनवाई की कार्यवाही पूरी हो जाने पर एवं शिकायत में लगाए गए आरोपों से सन्तुष्ट होने पर सम्बन्धित माल में प्रयोगशाला द्वारा इंगित दोष को दूर करने के लिए, उस माल के स्थान पर उसी प्रकार का नया दोषमुक्त माल देने के लिए, कीमत वापिस करने अथवा मुआवजा भुगतान करने का आदेश दे सकता है।

6. राष्ट्रीय आयोग के आदेश के विरुद्ध अपील (Appeal)-राष्ट्रीय आयोग के आदेश से पीड़ित कोई भी व्यक्ति उक्त आदेश के विरुद्ध आदेश की तिथि से 30 दिन के अन्दर उच्चतम न्यायालय । के समक्ष अपील प्रस्तुत कर सकता है।

आदेशों की अन्तिमता (Finality of orders) जिला मंच, राज्य आयोग या राष्ट्रीय आयोग में से किसी के भी आदेश के विरूद्ध इस अधिनियम क प्रावधाना करने की दशा में सम्बन्धित आदेश अन्तिम माना जाता है।

पारसीमा अवधि (Limitation Period)-जिला मंच, राज्य आयोग या राष्ट्रीय आयोग ऐसी शिकायतों को स्वीकार नहीं कर सकेगा जो कार्यवाही के कारण उत्पन्न होने की तिथि से 2 वर्ष के भीतर प्रस्तुत न की गई हों।

उक्त अवधि की समाप्ति के पश्चात् भी जिला मंच, राज्य आयोग या राष्ट्रीय आयोग शिकायतों को स्वीकार कर सकेगा बशर्ते शिकायतकर्ता उन्हें सन्तुष्ट कर दे कि निर्धारित अवधि में अपील न करने के पर्याप्त कारण थे।

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प्रशासनिक नियन्त्रण

(Administrative Control)

1 निम्नलिखित विषयों के सम्बन्ध में राष्ट्रीय आयोग का राज्य आयोगों पर प्रशासकीय नियन्त्रण होगा

(i) दावों के संस्थापन (Institution), निपटारा, अनिर्णय (Pendency) आदि के सम्बन्ध में सामयिक प्रतिवेदन माँगना;

(ii) निम्नलिखित के सम्बन्ध में निर्देश जारी करना(अ) मामलों की सुनवाई में समान प्रक्रिया अपनाने के लिए।

(ब) एक पक्षकार द्वारा प्रस्तुत प्रलेखों की प्रतिलिपि विरोधी पक्षकार को पहले से प्रदान करने के लिए। (स) किसी भी भाषा में लिखे निर्णयों का अंग्रेजी अनुवाद उपलब्ध कराने के लिए।

2. राज्य आयोग का अपने क्षेत्राधिकार के सभी जिला मंचों पर उपधारा (i) में दिए गए सभी मामलों के सम्बन्ध में प्रशासकीय नियन्त्रण होगा।

(ii) जिला मंच, राज्य आयोग या राष्ट्रीय आयोग के आदेशों को लागू करना (Enforcement of Orders by the Forum, the State Commission or the National Commission) [धारा 251-जिला मंच, राज्य आयोग या राष्ट्रीय आयोग द्वारा दिए गए आदेशों को उसी प्रकार से लागू किया जाएगा जिस प्रकार कि एक न्यायालय द्वारा अपने यहाँ प्रस्तुत किसी विवाद के सम्बन्ध में दिए गए आदेश या डिक्री (Decree) को लागू किया जाता है। यदि जिला मंच, राज्य आयोग या राष्ट्रीय आयोग के लिए अपने आदेश को लागू कराना सम्भव न हो तो ऐसी स्थिति में उसके द्वारा उक्त आदेश को स्थानीय क्षेत्राधिकार वाले किसी ऐसे न्यायालय के पास भेजना वैधानिक होगा जिसके क्षेत्राधिकार में

() यदि आदेश किसी कम्पनी के विरुद्ध दिया गया हो तो जहाँ उक्त कम्पनी का पंजीकृत कार्यालय स्थित हो; अथवा

() यदि आदेश किसी व्यक्ति के विरुद्ध दिया गया हो तो जहाँ वह व्यक्ति स्वेच्छा से निवास करता हो या व्यापार करता हो या लाभ के व्यक्तिगत कार्य करता हो।

इसके पश्चात् उक्त न्यायालय (जिसके पास उक्त आदेश भेजा गया हो) उस आदेश को उसी प्रकार से कार्यान्वित करेगा जिस प्रकार कि वह स्वयं के द्वारा दिए गए आदेश या डिक्री को कार्यान्वित करता है।

तच्छ या तंग करने वाली शिकायतों को निरस्त किया जाना (Dismissal of Frivolous or Vexations Complaints) |धारा 26]-यदि कोई शिकायत तुच्छ या तंग करने वाली पाई जाती है तो सम्बन्धित जिला मंच, राज्य आयोग या राष्ट्रीय आयोग उक्त शिकायत को निरस्त कर सकता है किन्तु उसके कारणों को अभिलिखित भी किया जाएगा। साथ ही विरोधी पक्ष को शिकायतकर्ता द्वारा लागत भगतान करने जो कि दस हजार से अधिक न हो, का आदेश दे सकता है।

दण्ड सम्बन्धी प्रावधान (Penalties) [धारा 27]-यदि कोई व्यापारी या व्यक्ति जिसके विरुद्ध शिकायत की गई हो, जिला मंच, राज्य आयोग या राष्ट्रीय आयोग द्वारा दिए गए आदेश की अनपालना करने में चक करता है तो ऐसा व्यापारी या व्यक्ति कम से कम एक महीना तथा अधिक से अधिक तीन। वर्ष तक के कारावास अथवा कम से कम 2,000 ₹ तथा अधिकतम 10,000 ₹ तक के आर्थिक दण्ड अथवा दोनों प्रकार के दण्डों का भागी हो सकता है।

किन्तु यदि जिला मंच, राज्य आयोग या राष्ट्रीय आयोग मामले की परिस्थितियों को देखते हुए मन्तष्ट हो जाता है तो वह उपर्युक्त निर्धारित न्यूनतम दण्ड से भी कम दण्ड (कारावास या आर्थिक दण्ड या दोनों) प्रदान कर सकता है।

केसलॉ (Case Law)

जनता ट्रेडर्स बनाम जिलाधीश कस्टम, मुम्बई (1985) के वाद में मुम्बई उच्च न्यायालय द्वारा निर्णय दिया गया है कि दण्ड सम्बन्धी कार्यवाहियाँ, अर्द्ध-दण्डनीय कार्यवाहियाँ हैं। अतएव इन्हें लागू करने से पूर्व इस बात का विश्वास होना आवश्यक है कि अपराध पूर्णत: सिद्ध हो चुका है।

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परीक्षा हेतु सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न

(Expected Important Questions for Examination)

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

(Long Answer Questions)

1 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत जिला मंच का गठन किस प्रकार किया जाता है? जिला मंच द्वारा उपभोक्ता विवादों को निपटाने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया का संक्षेप में वर्णन कीजिए।

What is the composition of District Forum under the Consumer Protection Act, 1986? Give in brief the procedure adopted by the District Forum in setting consumer disputes.

2. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत जिला मंच, राज्य आयोग तथा राष्ट्रीय आयोग से सम्बन्धित प्रमुख प्रावधानों का वर्णन कीजिए।

Describe the main provisions as to District Forum, State Commission and National Commission under the Consumer Protection Act, 1986.

3. उपभोक्ता विवाद निवारण एजेन्सी क्या है? एक जिला मंच क्या है? विवेचना कीजिए।

What are the Consumer’s disputes redressal agencies? What is district forum? Discuss

4. उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम के अन्तर्गत राष्ट्रीय आयोग क्या है? इसके गठन, कार्यक्षेत्र एवं शिकायतों के निवारण की कार्यविधि का वर्णन कीजिए।

What is National Commission in Consumer Protection Act? Describe its constitution, scope and procedure of disposal of complaints,

5. राज्य आयोग के गठन, क्षेत्र तथा विवाद के निपटारे के सम्बन्ध में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया का संक्षेप में वर्णन करो।

Describe in brief the constitution, jurisdiction and procedure used for setting the disputes by State Commission.

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लघु उत्तरीय प्रश्न

(Short Answer Questions)

1 जिला उपभोक्ता मंच पर टिप्पणी लिखिए।

Write a note on District Consumer Forum.

2. राज्य आयोग पर टिप्पणी लिखिए।

Write a note on State Commission.

3. राष्ट्रीय आयोग पर टिप्पणी लिखिए।

Write a note on National Commission.

4. जिला उपभोक्ता मंच द्वारा शिकायत की प्राप्ति पर अपनाई जाने वाली कार्यविधि का वर्णन कीजिए।

Describe the procedure adopted by the District Consumer Forum on admission of complaint.

5. जिला मंच का क्षेत्राधिकार क्या है?

What is the Jurisdiction of the District Forum?

6. त्रि-स्तरीय अर्द्ध-न्यायिक व्यवस्था क्या है?

What is the three-tier quasi-Judicial machinery?

7. राज्य आयोग का क्षेत्राधिकार क्या है?

What is the Jurisdiction of the State Commission?

8. राष्ट्रीय आयोग का क्षेत्राधिकार क्या है?

What is the Jurisdiction of the National Commission?

9. राज्य आयोग का गठन किस प्रकार किया जाता है?

How is the constitution of the State Commission take place?

10. राष्ट्रीय आयोग का गठन किस प्रकार होता है?

How is the constitution of the National Commission take place?

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chetansati

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