BCom 1st Year Business Development Meaning Scope Statistics Study Material Notes in Hindi

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Table of Contents

और सांख्यिकी की प्रकृति

(Nature of Statistics)

सांख्यिकी की प्रकृति के सम्बन्ध में मुख्यतः दो बातों का अध्ययन किया जाता है कि सांख्यिकी एक विज्ञान है अथवा कला या दोनों ही । यद्यपि सांख्यिकी के विज्ञान और कला होने के सम्बन्ध में कोई विशेष मतभेद नहीं पाया जाता फिर भी विभिन्न विचारकों ने इसे अलग स्वरूपों में अध्ययन करने का प्रयास किया है । इस निर्णय पर सांख्यिकी का विकास,अर्थ एवं क्षेत्र /7 आने के लिए कि क्या सांख्यिकी विज्ञान है या कला, सर्वप्रथम यह जान लेना अत्यन्त आवश्यक होगा कि विज्ञान तथा कला से हमारा अभिप्राय क्या है?

विज्ञान से अभिप्राय ज्ञान की उस शाखा से होता है जिसमें कारणों और परिणामों के अन्तर्गत क्रमबद्ध एवं सामूहिक रूप से किसी ज्ञान का विश्लेषण किया जाता हो। दूसरे शब्दों में,विज्ञान होने के लिए निम्न तत्वों की आवश्यकता होती है

एक क्रमबद्ध एवं सामूहिक रूप से ज्ञान प्राप्त किया जाये।

ऐसे विज्ञान में प्रयुक्त की जाने वाली प्रणालियाँ एवं रीतियाँ निश्चित तथा सुव्यवस्थित हों।

ऐसे विज्ञान के नियम सार्वभौमिकता का गुण रखते हों।

कारण और परिणामों का विश्लेषण किया जाता हो।

उसमें पूर्वानुमानों तथा कल्पनाओं की पर्याप्त क्षमता हो।

उपरोक्त विशेषताओं के आधार पर अगर सांख्यिकी की जाँच करें तो स्पष्ट होगा कि यह विज्ञान है,क्योंकि इसके द्वारा अध्ययन करने वाली प्रणाली क्रमबद्ध एवं सव्यवस्थित है।

(ii) भविष्य के सम्बन्ध में पूर्वानुमान सरलता से लगाये जा सकते हैं।

(iii) इसके नियम अन्य विज्ञानों की भाँति सार्वभौमिक हैं और प्रत्येक स्थान पर समान रूप से कार्यान्वित किये जा सकते हैं। महांक जड़ता नियम (Inertia of Large Numbers), सम्भावना सिद्धान्त (Theory of Probability) तथा सांख्यिकीय नियमितता का सिद्धान्त (Law of Statistical Regularity) इसके सर्वव्यापी नियम है और ये प्रत्येक विज्ञान में प्रयोग किये जा सकते हैं।

(iv) सांख्यिकी के नियम कारणों और परिणामों के विश्लेषण द्वारा ही प्रतिपादित किये जाते हैं।

उपरोक्त तथ्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि सांख्यिकी एक विज्ञान है; परन्तु कुछ ऐसे भी विचारक हुए हैं जिन्होंने सांख्यिकी को एक विशुद्ध विज्ञान न मानकर केवल एक ‘वैज्ञानिक विधि’ (Scientific Method) माना है।

ऐसा मत ‘काक्सटन’ तथा ‘काउडेन’ ने व्यक्त किया है। इनके अनुसार सांख्यिकी’ विज्ञान नहीं है, यह एक वैज्ञानिक विधि है। सच यह है कि अन्य सामाजिक या भौतिक विज्ञानों की तरह से सांख्यिकी को एक विज्ञान मानना भूल होगी। निःसन्देह, सांख्यिकी का विज्ञान से अधिक, एक वैज्ञानिक विधि के रूप में अन्य विज्ञानों के अनुसन्धानकर्ताओं द्वारा प्रयोग किया जाता है, जैसा कि वालिस तथा राबर्ट्स लिखते हैं, “सांख्यिकी एक स्वतन्त्र तथा मूलभूत ज्ञान का समूह नहीं है,बल्कि वह ज्ञान प्राप्त करने की रीतियों का समूह है। इस दृष्टि से सांख्यिकी अपने आप में कोई साध्य (End) नहीं है । बल्कि एक साधन (Means) मात्र है और इसलिए यदि यह कहा जाये कि सांख्यिकी केवल एक विज्ञान ही नहीं वरन् यह एक वैज्ञानिक विधि भी है; तो यह अधिक उपयुक्त होगा। टिपेट की दृष्टि में, “विज्ञान के रूप में सांख्यिकी रीति सामान्य वैज्ञानिक रीति का एक भाग है और उन्हीं मौलिक विचारों तथा प्रक्रियाओं पर आधारित है ।”

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सांख्यिकी कला के रूप में

(Statistics as an Art)

कला का सम्बन्ध एक क्रमबद्ध क्रिया से है । वास्तव में विज्ञान और कला, एक सिक्के की तरह एक ही चीज के दो पहलू हैं। एक का सम्बन्ध क्रमबद्ध जानकारी से है और दूसरे का इसके क्रियात्मक पहलू से । इसीलिए विज्ञान द्वारा ‘क्या है’, का उत्तर मिलता है और कला यह आदेश देती है कि “कैसे करें”। कला में अग्रलिखित लक्षण पाये जाते हैं

(1) कला उन क्रमबद्ध क्रियाओं का समूह है जिसके द्वारा दी हुई समस्या के उचित हल को ढूँढ़ा जाता है। अथवा निश्चित उद्देश्य की प्राप्ति की जाती है ।

(2) कला द्वारा केवल तथ्यों का वर्णन ही नहीं किया जाता बल्कि अभीष्ट लक्ष्यों को प्राप्त करने का उपाय भी बतलाया जाता है।

(3) कला एक निरन्तर साधना और आत्म-संयम की वस्तु है।

उपर्युक्त सभी कलात्मक लक्षण सांख्यिकी विज्ञान में पाये जाते हैं । जब दी हुई समस्याओं के हल ढूँढ़े जाते हैं तो सांख्यिकी के नियमों और सिद्धान्तों का व्यवहार में पालन किया जाता है। निर्देशांक बनाने अथवा माध्यम निकालने की रीति का ही ज्ञान नहीं प्राप्त किया जाता बल्कि यह भी निर्णय लिया जाता है कि तुलना करने अथवा अभीष्ट उद्देश्य की पूर्ति हेतु कौन-सा माध्य अधिक उपयुक्त रहेगा। इसमें भी कोई सन्देह नहीं कि सांख्यिकी की विभिन्न रीतियों का उचित प्रयोग करने के लिए विशेष दक्षता और अनुभव की आवश्यकता होती है; जैसे बीमा कम्पनियों की प्रीमियम दरों का निर्धारण करने के लिए मत्यु-तालिकाओं (Mortality Tables) का प्रयोग किया जाता है। यह कार्य गहन अनुभव और साधना का होता है।

इस दृष्टिकोण से आँकने पर यह पाया जाता है कि सांख्यिकी विज्ञान व कला दोनों ही है। इसके अन्तर्गत इसके दोनों पहलुओं सैद्धान्तिक तथा व्यावहारिक का अध्ययन किया जाता है। सांख्यिकीय रीतियों व नियमों का प्रयोग केवल जानकारी प्राप्त करने के उद्देश्य से ही नहीं बल्कि सम्बन्धित समस्याओं के लिए महत्वपूर्ण हल निकालने के लिए भी किया जाता है, जिसके आधार पर सामाजिक तथा आर्थिक क्षेत्रों की भावी उन्नति सम्भव हो सके। इस सन्दर्भ में टिपेट का यह कथन महत्वपूर्ण है

यह विज्ञान तथा कला दोनों ही है। यह विज्ञान इसलिए है कि इसकी रीतियाँ मौलिक रूप से क्रमबद्ध और उनका सामान्य प्रयोग होता है, तथा कला इसलिए है कि रीतियों का सफल प्रयोग एक बड़ी सीमा तथा सांख्यिकीविद् की कुशलता व उसके विशेष अनुभव तथा उसके प्रयोग-क्षेत्र जैसे अर्थशास्त्र के ज्ञान पर निर्भर करता है।”

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सांख्यिकी का अन्य विज्ञानों से सम्बन्ध

(Relation of Statistics with other Sciences)

यह हम देख चुके हैं कि सांख्यिकी आधुनिक युग में एक ऐसे विज्ञान के रूप में स्थापित हो चुका है जिसकी कार्यशीलता व उपयोगिता मानव-जीवन के सभी क्षेत्रों में पायी जाती है। सच यह है कि वर्तमान ज्ञान तथा सभ्यता की कोई ऐसी शाखा शेष नहीं है जहाँ पर सांख्यिकी के सिद्धान्तों,नियमों और रीतियों का किसी न किसी रूप में प्रयोग न किया जाता हो । सांख्यिकी विज्ञान की इस व्यापकता को टिपेट ने अपनी भाषा में इस प्रकार व्यक्त किया

“कुछ विषयों के लिए सांख्यिकी आधारभूत महत्व की धारायें प्रदान करती है, कुछ के लिए यह अनुसंधान की रीतियाँ प्रदान करती है । इनमें से सांख्यिकी,किसी एक रूप में या दोनों रूपों में,ज्ञान की तमाम अन्य शाखाओं पर प्रभाव डालती है।”

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सांख्यिकी तथा गणितशास्त्र

(Statistics and Mathematics)

इन दोनों शास्त्रों में अतिनिकट तथा घनिष्ट सम्बन्ध पाया जाता है । दोनों के बीच सबसे बड़ा सामान्य आधार यह है कि दोनों ही शास्त्र अंकों पर आधारित हैं। सच यह है जैसा कि “कानर” का कथन है कि सांख्यिकी के नियमों तथा विधियों को सही व सरल रूप में समझाने के लिए गणित के सामान्य ज्ञान का होना अति आवश्यक है। सांख्यिकीय माध्यमों का निकालना.निर्देशांक रेखाचित्र. .सहसम्बन्ध,आन्तरगणन आदि की रीतियां गणितीय सूत्रों पर आधारित हैं। इसमें सन्देह नहीं कि सांख्यिकी के कई महत्वपूर्ण नियम; जैसे सांख्यिकीय नियमितता नियम (Law of Statistical Regularity), महांक जड़ता नियम (Law of Inertia of Large Numbers) इत्यादि गणित के सम्भावना सिद्धान्त (Law of ‘Probability) तथा जाँच एवं अशुद्धि रीति (Trial and Error Method) पर आधारित हैं। इसके अतिरिक्त सांख्यिकीय विधियों का निरन्तर विकास करने, उनको परमार्जित करने तथा उनको वर्तमान स्वरूप देने में अनेक गणितज्ञों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है जिनमें ये नाम विशेष उल्लेखनीय हैं-जेम्स बर्नोली (James Bernoulli), लाप्लास (Laplace), गास (Gauss), फ्रांसिस गाल्टन (Francis Galton), नैप (Knapp), कार्ल पियरसन (Karl Pearson) इत्यादि।

संक्षेप में सांख्यिकी तथा गणितशास्त्र दोनों के बीच सम्बन्ध की एक अटूट रेखा है तथा दोनों को एक दूसरे से किसी भी प्रकार अलग नहीं किया जा सकता। इसलिए फिशर का यह कथन बहुत ही समुचित है कि___”सांख्यिकी विज्ञान आवश्यक रूप से व्यावहारिक गणित की एक शाखा है और उसे निरीक्षण सम्बन्धी समंकों में प्रयोग किये जाने वाला गणित माना जा सकता है।”

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सांख्यिकी तथा अर्थशास्त्र

(Statistics and Economics)

आधुनिक अर्थशास्त्र की निर्भरता सांख्यिकी तथा गणित इन दो विज्ञानों पर अत्यधिक बढ़ती जा रही है। सच तो यह है कि इनके अभाव में अर्थशास्त्र का ज्ञान अपने आप में अधूरा मात्र है। समंकों पर अर्थशास्त्र की | बढती हई निर्भरता के संदर्भ में ही प्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रो० मार्शल ने कहा है, “समंक वे तण हैं जिनमें प्रत्येक अर्थशास्त्री की भाँति मुझे भी ईटें बनानी पड़ती हैं।”

अन्य विज्ञानों की भाँति, आर्थिक अध्ययन को सुविधा के लिए दो भागों में बाँट लिया गया है-सैद्धान्तिक तथा व्यावहारिक । सही तथा वास्तविक अध्ययन के लिए अर्थशास्त्र के दोनों क्षेत्रों में निष्कर्षों की जाँच समंकों के आधार पर ही सम्भव है। आर्थिक नियमों की जाँच तथा नवीन आर्थिक सिद्धान्तों का प्रतिपादन सांख्यिकी के अन्तर्गत एकत्रित समंकों के विश्लेषण तथा निर्वचन द्वारा ही सम्भव होता है। इन सिद्धान्तों का समर्थन अथवा खण्डन तथ्यों के संख्यात्मक विश्लेषण द्वारा ही किया जाता है। अध्ययन की आगमन प्रणाली (Inductive Method) की कसौटी पर आर्थिक नियमों की सत्यता को कसा जाता है। उदाहरण के लिए; माल्थस का जनसंख्या सिद्धान्त, उत्पत्ति ह्रास नियम, उपयोगिता ह्रास नियम,मांग का नियम, मुद्रा का परिमाण सिद्धान्त आदि सिद्धान्तों की जाँच केवल आगमन प्रणाली द्वारा ही सम्भव है । इसके अतिरिक्त बहुत सारे आर्थिक सिद्धान्तों का

वचन तथा प्रदर्शन चित्रों तथा रेखाचित्रों द्वारा सन्दर ढंग से किया जा सकता है। यह सम्भव है कि सांख्यिकी का अभाव अर्थविज्ञान के उचित विकास में बाधक हो सकता है। अतः प्रो० जेवन्स का यह विचार समुचित ही है, “मैं यह नहीं जानता कि हम सांख्यिकी व्यवस्था को कब पूर्ण बना सकेंगे, लेकिन उसकी कमी ही अर्थशास्त्र को निश्चित विज्ञान बनाने में एकमात्र अजेय बाधा है।” |

जहाँ तक अर्थशास्त्र के व्यावहारिक क्षेत्र का सम्बन्ध है, यह विवाद से परे है कि अनेक महत्वपूर्ण आर्थिक समस्याओं का अध्ययन तथा हल केवल सांख्यिकीय आँकड़ों के आधार पर ही ढूंढ़ा जा सकता है। उदाहरण के लिए मुद्रा प्रसार,बेरोजगारी,जनसंख्या वृद्धि, औद्योगिक शिथिलता, उत्पादन की दर, आर्थिक वृद्धि दर प्रति व्यक्ति वास्तविक आय,आदि ऐसी समस्यायें हैं जिनका सन्तोषजनक हल सांख्यिकीय तथ्यों के आधार पर निकाला जा सकता है।

वर्तमान समय में अर्थशास्त्र के क्षेत्र में समंकों के तेजी से बढ़ते हुए प्रयोग को देखकर टिपेट का यह कथन समाचीन है

“एक दिन ऐसा भी हो सकता है कि विश्वविद्यालयों के अर्थशास्त्र विभाग कोरे सिद्धान्तवादियों के अधिपत्य में न रहकर सांख्यिकीय प्रयोगशालाओं के अधीन हो जायें,जिस प्रकार कि भौतिक और रसायन शास्त्र विभाग प्रयोगात्मक प्रयोगशालाओं के अधीन है।

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सांख्यिकी तथा अर्थमिति

(Statistics and Econometrics)

प्रथम महायुद्ध के पश्चात् पश्चिमी यूरोप में अर्थशास्त्र तथा सांख्यिकी के बढ़ते हुए सम्बन्ध के आधार पर एक नवीन विज्ञान का जन्म हुआ जो अर्थशास्त्र, सांख्यिकी तथा गणितशास्त्र इन तीनों का मिश्रण है। इसे अर्थमिति का नाम दिया गया है तथा इसके निर्माण का श्रेय नार्वे के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री व सांख्यिक रागनर फिश (Reganari Frish) को दिया जाता है। फ्रिश ने सर्वप्रथम 1926 में अर्थमिति को ऐसे विज्ञान के अर्थ में प्रयोग किया था जिसमें अर्थशास्त्र के नियमों का गणितीय आधार पर सत्यापन किया जा सके। ऑस्कर लाँग के अनुसार-“अर्थमिति वह विज्ञान है जो आर्थिक जीवन में पाये जाने वाले स्पष्ट परिमाणात्मक नियमों के सांख्यिकीय विधियों द्वारा निर्धारण से सम्बन्ध रखता है।”

वास्तव में अर्थमिति के निर्माण का उद्देश्य अर्थशास्त्र को एक वास्तविक और व्यावहारिक विज्ञान बनाना है, इसलिए इस विज्ञान में विकास प्रतिरूपों (Methods), समीकरणों (Equations) तथा फलनों (Functions) आदि की सहायता से आर्थिक क्रियाओं को नापा जाता है और उनके सम्बन्ध में महत्वपूर्ण अनुमान लगाये जाते हैं यह सब गणित,सांख्यिकी और अर्थविज्ञान के मिले-जुले उपयोग द्वारा ही सम्भव होता है।

सांख्यिकी तथा अन्य सामाजिक विज्ञान

(Statistics and other Social Sciences)

अन्य सामाजिक विज्ञानों के क्षेत्र में सांख्यिकी के प्रयोग ने एक महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है। उदाहरणार्थ, समाजशास्त्र, राजनीतिविज्ञान, नीति विज्ञान, मनोविज्ञान, शिक्षाशास्त्र आदि सभी विज्ञानों में समंकों का प्रयोग आवश्यक हो गया है। इन विज्ञानों के नियमों व सिद्धान्तों के प्रतिपादन तथा पुष्टिकरण के अतिरिक्त निरक्षरता, बेकारी, अपराध-प्रवृत्ति, पारिवारिक सम्बन्ध, सामाजिक विघटन जैसी समस्याओं की विवेचना तथा उनके उचित समाधान के लिए सांख्यिकीय रीतियों और नियमों का आवश्यक रूप से प्रयोग किया जाता है। आश्चर्य की बात नहीं, बल्कि सत्यता यह है कि अब साहित्य में भी अंकों का प्रयोग किया जाने लगा है। सभी समाजशास्त्री समंकों के आधार पर अपने-अपने नियमों और पूर्व कल्पनाओं की जाँच करके इनमें आवश्यक संशोधन करते हैं। यह कहना अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं होगा कि सामाजिक अनुसन्धानकर्ता के लिए सांख्यिकीय रीतियाँ एक उपयोगी यन्त्र के समान हैं।

इसी सन्दर्भ में क्राक्सटन तथा काउडेन का निम्नांकित कथन महत्वपूर्ण है

“सांख्यिकी की पर्याप्त जानकारी के बिना सामाजिक विज्ञानों का अनुसन्धानकर्ता प्रायः एक ऐसे अन्धे व्यक्ति के समान है जो एक अंधेरे कमरे में उस काली बिल्ली को ढूँढ़ने का प्रयत्न कर रहा है जो वहाँ है ही नहीं।”

सांख्यिकी तथा प्राकृतिक विज्ञान

(Statistics and Natural Sciences)

आधनिक समय में प्राकृतिक विज्ञानों के निर्माण व उसकी प्रगति में सांख्यिकीय विधियों की उपयोगिता को किसी प्रकार भी कम नहीं किया जा सकता है । भौतिकशास्त्र, जीवशास्त्र, ज्योतिषशास्त्र आदि के सिद्धान्तों के । निरूपण में सांख्यिकी ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है । डा० बाउले का मत तो यह है कि “सांख्यिकी तथा । भौतिक विज्ञानों की अनुसंधान विधि एक ही है।”

इसके अतिरिक्त भौतिकी (Physics) तथा रसायनशास्त्र (Chemistry) के प्रयोगों के परिणामों का सही विश्लेषण तथा उनसे सही निष्कर्ष केवल सांख्यिकीय रीतियों द्वारा ही निकाले जा सकते हैं। इसी प्रकार जीव-विज्ञान (Biology) में वंश परम्परा (Heredity) से सन्तानों में आने वाले गुणों का विश्लेषण करने के लिए विभिन्न सांख्यिकीय रीतियों जैसे-सहसम्बन्ध,गुण सम्बन्ध,प्रतीपगमन आदि का प्रयोग नितान्त आवश्यक है। ज्योतिषशास्त्र में भी न्यूनतम वर्गों की रीति (Method of Least Squares) के प्रयोग द्वारा विभिन्न नक्षत्रों की सही स्थिति और गति का पता लगाया जाता है। अन्तरिक्ष विज्ञानवेत्ता (Meterologist) भी मौसम का पूर्वानुमान, तापक्रम तथा वायु-दबाव आदि के अनुमान सांख्यिकीय रीतियों द्वारा लगाते हैं । इस प्रकार सांख्यिकी का प्राकृतिक विज्ञानों से एक घनिष्ठ सम्बन्ध है जिसे क्लार्क मैक्सवेल ने अपने शब्दों में इस प्रकार व्यक्त किया

“राशिभूत पदार्थों का हमारा वास्तविक ज्ञान आवश्यक रूप से सांख्यिकीय प्रकृति का है।

सारांश में हम यह कह सकते हैं कि आज के इस परिवर्तनशील युग में जहाँ क्षण-क्षण पर परिवर्तन हो रहे हैं. सांख्यिकी विज्ञान की महत्ता को सभी प्रमुख विज्ञानों ने स्वीकार किया है और इसलिए कहा जाता है कि“समंकों के बिना विज्ञान निष्फल है तथा बिना विज्ञान के समंक निर्मूल हैं।”

प्रश्न

1 सांख्यिकी की परिभाषा दीजिए तथा उसके क्षेत्र को बताइए।

Define ‘Statistics’ and discuss its nature and scope.

2. “सांख्यिकी एक विज्ञान नहीं एक वैज्ञानिक पद्धति है।” इस कथन की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिये। “Statistics is not a science, it is a scientific method.” Discuss it critically.

3. निम्न कथनों की व्याख्या कीजिए

Explain the following statements –

(i) सांख्यिकी गणना का विज्ञान है ।

(Statistics is science of counting.)

(ii) सांख्यिकी अनुमान एवं सम्भावनाओं का विज्ञान है।

Statistics is a science of estimates and probabilities.

(iii) सांख्यिकी औसतों का विज्ञान है

(Statistics is a science of averages.)

4. सांख्यिकी के बिना विज्ञान निष्फल होते हैं तथा विज्ञानों के बिना सांख्यिकी निर्मूल है।” स्पष्ट कीजिए

“Science without statistics bears no fruit, statistics without science have no root.” Explain this statement.

5. सांख्यिकी समंक संख्यात्मक तथ्य होते हैं, किन्तु सभी संख्यात्मक तथ्य सांख्यिकीय समंक नहीं होते।” इस कथन को स्पष्ट कीजिए

Statistics are numerical statements of facts, but all facts numerically stated are not statistics.” Explain this statement.

6. किसी जाँच से सम्बन्धित अंकों में व्यक्त होते हुए उन तथ्यों के विचरण को समंक कहते हैं जो एक दूसरे से सम्बन्धित रूप में प्रस्तुत किये जाते हैं।” बाउले के इस कथन की जाँच कीजिए तथा सांख्यिकी की सीमाओं को बताइए। ”

Statistics are numerical statements of facts in any department of enquiry, placed in relation to each other.” -Bowley. Discuss this statement and explain the limitations of statistics.

7. सांख्यिकी की एक उचित परिभाषा दीजिए तथा अ

Give a suitable definition sciences.

8. आनश्चितता के मध्य बद्धिमत्तापर्ण निर्णय करने की रीतियों के समूह को सांख्यिकी कहकर पालिस और रॉबटर्स उक्त परिभाषा की विवेचना कीजिए और नवीन दृष्टिकोण के अनुरूप सांगित विज्ञान के मूल तत्वों का समावेश करते हए उसकी व्यापक परिभाषा दीजिए।

Statistics is a body of methods for making wise decisions in the face of Uncertainty.” – Wallis and Roberts. Critically examine the above definition and give a comprehenive definition if the science of statistics as per the new approach is corprating its fundamental elements.

9. सांख्यिकीय समंक संख्यात्मक तथ्य है, किन्तु सभी संख्यात्मक तथ्य सांख्यिकीय समंक नहीं होते।” इस कथन को स्पष्ट कीजिए और यह बताइये कि कौन से संख्यात्मक तथ्य सांख्यिकीय समंक हैं।

Statistics and numerical statements of facts, but all the facts numerically stated are not statistics.” Clarify this statement and point out briefly which numerical of facts are statistics.

10. सांख्यिकी की दो महत्वपूर्ण परिभाषाओं की व्याख्या कीजिए। दोनों परिभाषाओं के मध्य अन्तर पर भी। प्रकाश डालिए सांख्यिकी को कुछ सीमाओं को सूचीबद्ध कीजिए।

Discuss the two important definitions of statistics. Also highlight the difference between the two definitions. Also enlist some of the limitation of statistics.

11. सांख्यिकीय को विज्ञान तथा कला दोनों कहा जाता है.क्यों?

Statistics is said to be a Science and an Art. Why?

12. सांख्यिकी वह विज्ञान है जिसका सम्बन्ध समंकों के संकलन,वर्गीकरण,प्रदर्शन,तुलना तथा निवर्चन की रीतियों से है।” इस कथन की विवेचना कीजिये।

Statistics may be defined as science of collection, presentation, analysis comparison and interpretation of numerical data.” Discuss.

लघु उत्तरीय प्रश्न

(Short Answered Questions)

13. प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 100 से 120 शब्दों में दीजिये

The answer should be betweer: 100 to 120 words:

(i) सांख्यिकी का अर्थ व क्षेत्र स्पष्ट कीजिए।

Explain the meaning and scope of Statistics’.

(ii) सांख्यिकी की परिभाषा दीजिए।

Define Statistics.

(iii) “विज्ञान अपने चरमोत्कर्ष रूप में सांख्यिकी है।”

At its best science is statistics”.

(iv) सांख्यिकी को विज्ञान तथा कला दोनों कहा जाता है.स्पष्ट कीजिप

Explain, Statistics is said to be a science and an art.

(v) सांख्यिकी का अन्य विज्ञानों से सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।

सांख्यिकी का विकास,अर्थ एवं क्षेत्र /13

Clear the relationship of statistics with other sciences.

(vi) समंकों से क्या आशय है? समंकों की विशेषताएँ बताइये।

What is data and explain the characteristics of data.

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

(Very Short Answered Questions)

14. (अ) निम्न कथनों में कौन-सा कथन सत्य या असत्य है –

State whether the following statements are

समंकों का संग्रहण किसी पूर्व निश्चित उद्देश्य के लिये होना चाहिये।

The collection of data should be for a predetermined purpose.

(ii) समंकों में सजातीयता का गुण आवश्यक नहीं है ।

Homogeneity is not necessary in data.

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