BCom 1st Year Business Communications Letters Study Material Notes in Hindi

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व्यावसायिक पत्र की प्रभावशीलता के निर्णायक घटक

Table of Contents

(Essentials of Effective Business Letter)

पत्र के बाहरी रूप का विस्तृत विवेचन इसी अध्याय में पूर्व में किया जा चुका है, अत: यहाँ केवल पत्र की विषय सामग्री को प्रभावपूर्ण बनाने से सम्बन्धित तत्त्वों का ही विवेचन करेंगे।

Business Communications Letters

पत्र की विषय सामग्री

(Subject Matter of the Letter)

पत्र के बाह्य स्वरूप को प्रभावशाली रखने के साथ-साथ उसके अन्दर की विषय सामग्री को भी प्रभावी बनाने का प्रयास किया जाना चाहिये। विषय सामग्री को प्रभावी बनाने के लिये निम्नलिखित बातों पर ध्यान दिया जाना चाहिये।

1.योजना (Planning)-पत्र लेखन प्रारम्भ करने से पूर्व लेखन की योजना बनाई जानी चाहिये। यह पर्णतया सिद्ध है कि किसी भी कार्य को करने से पूर्व उसकी योजना बना लेने से कार्य आसान हो जाता है। अतः पत्र लिखने से पूर्व यह तय कर लेना चाहिये कि हमें क्या लिखना है, विषय सामग्री क्या योगी भाषा कौन सी होगी, पाठक कैसा है आदि बातों पर विचार कर लेने के बाद पत्र लेखन प्रारम्भ किया जाना चाहिये।

2.स्पष्टता (Clarity) व्यापारिक पत्रों की भाषा सरल एवं स्पष्ट होनी चाहिए जिससे उसका सही अजाना जा सके। व्यापारिक पत्रों में असुविधाजनक, बड़े एवं भ्रमपूर्ण वाक्यांशों का प्रयोग नहीं किया हैं। दस सन्दर्भ में कहा जाता है कि “व्यापारिक पत्रों का प्रत्येक शब्द ऐसा होना चाहिये कि। सामान्य से सामान्य बुद्धि वाला व्यक्ति भी इसे आसानी से समझ स आवश्यकता न हो।” स्पष्टता के घटक के लिए आवश्यक है कि प्रत्येक शब्द, वाक्य एवं शैली में सरलता का तत्व होना चाहिए।

3. संक्षिपत्ता “(Conciseness) व्यापारिक पत्रों को लिखते समय अनावश्यक शब्दों एवं विषया से बचना चाहिये। एक ही शब्द एवं वाक्यांश को बार-बार दोहराना नहीं चाहिए क्योकिं इसमें वाक्याशों को बार-बार दोहराना नहीं चाहिए क्योंकि इससे पाठक पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। व्यापारिक पत्र अनावश्यक रूप से लम्बा नहीं होना चाहिये, परन्तु इस सन्दममा कि सक्षिप्तता का आशय यह नहीं है कि पत्र का विषय ही पूर्ण न किया जाये। अथवा शुद्धता को छोड़ दिया जाये या शिष्टाचार को भूला जाये।

4. नम्रता (Politeness) व्यापारिक पत्रों में प्रयक्त भाषा अत्यधिक संयमित एवं शिष्टतापूर्ण होना मातर कृपया (Please), धन्यवाद (Thanks) जैसे अनुकूल शब्दों का चयन पाहिए। इस प्रकार विनम्रता का प्रयोग अन्तत: व्यावसायिक सफलता प्रदान करता है। इसलिए कहा। जाता है कि नम्रता का प्रदर्शन हमें अन्य लोगों की श्रद्धा एवं सहानुभूति दिला दता है, जबकि लिए कुछ दना नहीं पड़ता (Courtsey costs nothing but wins everything) नम्र भाषा के प्रयोग द्वारा बल्कि शीघ्रातिशीघ्र प्रति उत्तर देकर भी किया जा सकता है। सामान्यत: सामान्य भाषा की क्लिष्टता एवं अशिष्ट भाषा के प्रयोग से बचना चाहिए। शिकायती एवं भुगतान सम्बन्धी पत्रों में विशेष रूप से नम्रता का ध्यान रखना आवश्यक है। इस सन्दर्भ में विशेष उल्लेखनीय बात यह है कि नम्रता का प्रयोग करते समय इसकी सीमा को ध्यान में रखना चाहिए। किसी भी दशा में यह खुशामद प्रतीत नहीं होनी चाहिये।

5. शुद्धता (Correctness) व्यापारिक पत्रों की विषय-सामग्री के अन्तर्गत शुद्धता पर भी विशेष ध्यान दिया जाना आवश्यक है। सामान्यत: इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि पत्र में असत्य एव मिथ्या तथ्यों के लेखन से बचा जाये। इससे भविष्य में अनावश्यक रूप से असुविधा एवं भ्रमपूर्ण स्थिति उत्पन्न होती है। अत: आवश्यक है कि समस्त तथ्य एवं आँकड़ें जो वस्तु एवं अन्य बातों से सम्बन्धित हैं पूर्णत: शुद्ध होने चाहिये। इस सन्दर्भ में एक महत्त्वपूर्ण बात यह कही जाती है कि मिथ्या एवं गलत बातों के उल्लेख से व्यापार को अत्यधिक कीमत चुकानी पड़ती है। इससे व्यापार में एक ओर अनावश्यक पत्राचार बढ़ता है तो दूसरी ओर, व्यापार में अत्यधिक हानि भी उठानी पड़ती है। शुद्धता को व्यापारिक जगत् की आवश्यकता बताते हुए कहा जाता है कि “जिस प्रकार एक सज्जन व्यक्ति के लिए सदाचार की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार से एक व्यापारी के लिए पत्र-व्यवहार में शुद्धता अनिवार्य है।” |

6. पूर्णता (Completeness) व्यापारिक पत्रों में समस्त आवश्यक बातों को सम्मिलित करना चाहिए। कोई भी बात छूटनी नहीं चाहिए अन्यथा इस सन्दर्भ में पुन: पत्राचार करना पड़ेगा। इससे धन एवं समय दोनों का अपव्यय होता है। अत: व्यवसायी को पत्र में समस्त बातों का उल्लेख करना चाहिए। उदाहरण के लिए यदि किसी व्यापारी को माल मँगाने के लिये आदेश देना है तो वस्तु की किस्म, वस्तु की मात्रा, वस्तु की कीमत, पैंकिंग का तरीका, सुपुर्दगी का समय एवं प्रकार, भुगतान की विधि समस्त बातों का उल्लेख करने से अत्यन्त सुविधा रहती है जो सामान्यत: दोनों पक्षों के लिए अच्छा होता है।

7. सरलता (Simplicity) व्यापारिक पत्र की भाषा सरल एवं सुबोध होनी चाहिए। व्यापारिक पत्रों को लिखते समय व्यवसायी को मुहावरेदार, क्लिष्ट एवं उच्चकोटि की शैली के प्रयोग से बचना चाहिए। जो भी लिखा जाये, वह उद्देश्यपूर्ण एवं सरल तथा स्पष्ट होना चाहिये।

8. मौलिकता (Originality)-पत्र की भाषा पूर्णतः मौलिक रहने से प्राप्तकर्ता पर अधिक प्रभाव पड़ता है। अत: पत्र में बनावटी शब्दों के प्रयोग से बचा जाना चाहिए। पत्र लिखने की मौलिक विधियाँ व्यवहार एवं विक्रय दोनों को बढ़ाती हैं। अपनत्व सम्बन्धी घटक (Personal Touch) से मौलिकता में वृद्धि होती है।

9. चातुर्य पूर्ण (Cleverity)—व्यापारिक पत्रों में व्यवसायी को इस तत्व का विशेष ध्यान रखना चाहिए। चातुर्य अथवा चतुरता से तात्पर्य यह नहीं है कि व्यवसायी अपनी बात को बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत करे। इससे बाद में व्यवसाय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। सामान्यतया स्पष्टता, सरलता, शुद्धता, नम्रता के साथ अन्य व्यक्तिगत गुणों के सामूहिक रूप को चातुर्य कहा जाता है। चातुर्य को ‘कूटनीति’ नहीं कहा जा सकता है।

10. प्रभावपूर्ण (Effectiveness)-व्यापारिक पत्रों की भाषा अत्यधिक प्रभावपूर्ण होनी चाहिए, ताकि उसे पढ़ने वाला उससे प्रभावित हो और साथ ही ऐसी तर्क शैली अपनायी जाये जो प्राप्तकर्ता को पत्र के निर्धारित उद्देश्य पर सोचने को बाध्य करे। प्रभावपूर्णता का तात्पर्य है कि लेखक ने जिस उद्देश्य एवं कारण से पत्र लिखा है। उस पर प्राप्तकर्ता सोचने को बाध्य हो। भाषा स्वाभाविक होनी चाहिए। इसका प्रत्यक्ष एवं सीधा प्रभाव पड़ता है। पत्र की समाप्ति के पश्चात् हस्ताक्षर के उपरान्त शुभकामनाओं सहित ‘बन्यवाद, कष्ट के लिए क्षमा जैसे शब्दों का प्रयोग करना विशेष प्रभाव छोड़ता है।

11. आकर्षण (Attractiveness) व्यापारिक पत्रों की विषय-सामग्री में आकर्षण सम्बन्धी तत्व मा महत्त्वपूर्ण होता है। व्यापारिक पत्रों की भाषा-शैली एवं प्रस्तुतीकरण ऐसा होना चाहिए जिससे पता उस मिलने के बाद उसे बार-बार पढ़ने को बाध्य हो। ऐसा न हो कि वह पत्र को रही की टोकरी में फेंक दे।

12. सम्बद्धता (Coherence) व्यापारिक पत्रों को लिखते समय दो बातों पर विशेष ध्यान देना। चाहिए-पहला. प्रत्येक विचार को क्रम के अनुसार उचित स्थान पर प्रकट किया जाये तथा दसरा प्रत्येक विचार तर्कपूर्ण एवं एक-दूसरे से सम्बन्धित होना चाहिए।

13. सन्तुष्टता (Convincingness)-पत्र इस प्रकार लिखा जाना चाहिये कि पाने वाला उसे पढ़कर आत्मसन्तोष की अनुभूति करे अर्थात् पत्र से उसे सन्तुष्टि प्राप्त हो। पत्र में सन्देह उत्पन्न करने वाली बातें नहीं लिखी जानी चाहिए।

14. पाठकों की अपेक्षाओं पर ध्यान (Attention to the needs of readers)-पत्रों को लिखते समय इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिये कि जिसे आप पत्र लिख रहे है वह आपसे क्या अपेक्षाएँ रखता है। जहाँ तक सम्भव हो पाठक की अपेक्षा को पूर्ण करने का प्रयास किया जाना चाहिए।

15. रुचिपूर्ण (Interesting)—व्यापारिक पत्रों की विषय-सामग्री में रुचिपूर्णता भी महत्त्वपूर्ण होती है। यदि पत्र में रोचकता नहीं है तो प्राप्तकर्ता इससे आकर्षित नहीं होता तथा पत्र लिखने का उद्देश्य। व्यर्थ हो जाता है। ई. एल. फ्रेली (E. L. Fralee) ने पत्र को रुचिपूर्ण बनाने के लिए निम्नांकित सुझाव दिये हैं

(i) पत्र का प्रारम्भ आम बोलचाल की भाषा में किया जाना चाहिए।

(ii) पत्र में स्वाभाविकता होनी चाहिए।

(iii) पत्र में अशिष्टता के प्रयोग से यथासम्भव बचना चाहिए।

(iv) पाठक को एक या दो बार उसके नाम से पत्रों में सम्बोधित करने से अधिक प्रभाव पड़ता

(v) पत्र का प्रारम्भ ‘आप’ शब्द से होना चाहिए तथा प्रथम पुरूष शब्द का प्रयोग कम से कम होना चाहिए।

(vi) पत्र में परम्परागत घिसी-पिटी भाषा के स्थान पर रोचक, यथार्थ शब्दों का प्रयोग किया जाना चाहिए।

(vii) पाठक के मनोविज्ञान को समझने का प्रयास करना चाहिए। उस पर अपनी मान्यताओं को थोपने का कदापि प्रयास नहीं करना चाहिए।

(viii) पत्र पाठक के व्यक्तित्व के अनुकूल होना चाहिए।

(ix) पत्र में प्रसन्नता का भाव प्रकट होना चाहिए।

(x) पत्र में बन्धुत्व एवं मित्रता का स्पष्ट भाव होना चाहिए।

इस प्रकार व्यापारिक पत्रों में यदि उपरोक्त बाह्य एवं आन्तरिक तत्त्वों को सम्मिलित किया जाये तो इसका व्यवसायी पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है जो अल्पकालीन एवं दीर्घकालीन दोनों दृष्टियों से सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। इन्हें व्यापारिक पत्रों के अनिवार्य एवं महत्त्वपूर्ण घटक भी कहा जा सकता है।

Business Communications Letters

व्यावसायिक पत्रों के प्रकार

(Types of Business Letters)

सामान्यत: पत्रों के अनेक रूप एवं प्रकार पाये जाते हैं। सुविधा के दृष्टिकोण से पत्रों को निम्नांकित आधार पर विभक्त किया जा सकता है

I स्थिति कार्य के आधार पर वर्गीकरण (Classification on the Basis of State and Work)

1 व्यापारिक पत्र (Commercial or Business Letters)

2. सरकारी पत्र (Official Letters) तथा

3. निजी या व्यक्तिगत पत्र (Personal or Private Letters)

उदेश्य एवं प्रतिक्रिया के आधार पर वर्गीकरण (Classification on the Basis of Objectives and Reaction)

1 अनुकूल संवाद पत्र (Good News Letters)

2. प्रतिकूल संवाद पत्र (Bad News Letters)

3. प्रेरक पत्र (Persuasive Letters)

4. अनुरोध पत्र (Request Letters)

Business Communications Letters

I.स्थिति कार्य के आधार पर वर्गीकरण

(Classification on the Basis of State and Work)

इस आधार पर विभाजित व्यापारिक पत्रों की विस्तृत विवेचना निम्नलिखित प्रकार है

  1. व्यापारिक पत्र (Business Letters)-जब एक व्यापारी किसी दूसरे व्यापारी को आपस में व्यवसाय के कार्य हेतु पत्र लिखता है तो उसे व्यापारिक पत्र कहते हैं। व्यापारिक पत्रों को निम्नलिखित रूपों में विभाजित किया जा सकता है

(i) पूछताछ सम्बन्धी पत्र (Enquiry letters)

(ii) निर्ख पत्र (Quotation letters)

(iii) आदेश पत्र (Order letters)

(iv) आदेश स्वीकृति पत्र (Order Acceptance letters)

(v) आदेश अस्वीकृति पत्र (Order Refusal letters)

(vi) सन्दर्भ एवं साख सम्बन्धी पत्र (Reference & Credit letters)

(vii) विक्रय पत्र (Sales letters)

(viii) तगादे सम्बन्धी पत्र (Dunning letters)

(ix) गश्ती पत्र (Circular Letters)

2. सरकारी पत्र (Official Letters)-जब शासकीय कार्य से सम्बन्धित पत्र सरकारी अधिकारियों या कर्मचारियों द्वारा एक विभाग से दूसरे विभाग को या किसी व्यापारी को या जनता को लिखा जाता है तो उसे सरकारी पत्र कहते हैं। उदाहरण के लिये आयकर विभाग द्वारा व्यापारियों को लिखा गया कोई पत्र या बिक्रीकर अधिकारी द्वारा लिखा गया पत्र या जिलाधिकारी द्वारा लिखा गया पत्र आदि।

3. निजी या व्यक्तिगत पत्र (Personal or Private Letters)-जब दो ऐसे व्यक्ति जिनके मध्य अनौपचारिक सम्बन्ध होते हैं, एक दूसरे को पत्र लिखते हैं तो उन्हें व्यक्तिगत या निजी पत्र कहा जाता है। जैसे-मित्र, रिश्तेदार, परिवार के सदस्य आदि द्वारा आपस में पत्र व्यवहार करना। व्यवसाय में भी निजी पत्रों का प्रयोग किया जाता है। जब एक व्यापारी दूसरे व्यापारी को केवल उसकी कुशलता जानने के लिये पत्र लिखता है तो वह निजी पत्र की श्रेणी में आ जायेगा।

उद्देश्य एवं प्रतिक्रिया के आधार पर वर्गीकरण

(Classification On the Basis of Objectives and Reaction)

उद्देश्य व प्रतिक्रिया का अर्थ है कि आप पत्र किसे और क्यों लिख रहे हैं। इस आधार पर लिखे जाने वाले पत्रों को निम्नलिखित रूपों में विभक्त किया जा सकता है

(1) अनुकूल संवाद पत्र (Good News Letters)-जब हम किसी पत्र के माध्यम से कोई ऐसी सूचना भेजते हैं जिससे कि प्राप्तकर्ता प्रसन्न हो जाता है अर्थात् उस सूचना को वह अपने हित में सोचता है तो ऐसे पत्र को अनुकूल संदेश पत्र (Good News Letter) कहा जाता है। अनुकूल सूचना पत्रों का उद्देश्य पाठक को कुछ आनन्ददायक या लाभदायक जानकारी प्रदान करना होता है। इस प्रकार के पत्र पाठक की अनुकूल प्रतिक्रिया प्राप्त करते हैं। अनुकूल संवाद पत्रों में मुख्यत: निम्नलिखित पत्रों को सम्मिलित किया जाता है

Business Communications Letters

(i) आदेश की स्वीकृति की सूचना देना। (ii) उधार की स्वीकृति की सूचना देना। (iii) प्रशंसा पत्र। (iv) नौकरी पर रखने के स्वीकृति पत्र। (v) नवीन लाभदायक सूचना सम्बन्धी पत्र। (vi) सद्भावना सन्देश तथा बधाई पत्र आदि।

(2) प्रतिकूल सूचना या संवाद पत्र (Bad News Letters)-एक प्रतिकूल संवाद वाला पत्र वह पत्र है जिसमें संवाद प्राप्तकर्ता को प्रतिकूल सूचना इस प्रकार से दी जाती है कि उसकी सद्भावना बनी रहे। एक प्रतिकल-संवाद पत्र को लिखना बहुत कठिन होता है क्योंकि इसमें निराश करने वाले संदेश के साथ-साथ प्राप्तकर्ता की सदभावना भी बनाए रखनी पड़ती है और साथ ही यह प्रयास भी करना पड़ता है कि वह क्रोधित न हो। यद्यपि इस पत्र में प्रेषित संदेश निराशाजनक व अप्रसन्न करने वाल हात है। परन्तु इन पत्रों की विशेषता यह होती है कि पत्र के प्रारम्भ में कम से कम शब्दों में तटस्थ सूचना प्रषित कर अन्त में नकारात्मक संदेश की प्रस्तुति की जाती है।

एक प्रतिकूल संवाद वाले पत्र का मुख्य उद्देश्य यही होता है कि प्रतिकूल तथ्यों को इस तरह। प्रस्तुत किया जाये कि संवाद प्राप्तकर्ता आपको न्यायशील और तर्कशील समझे। जहाँ तक सम्भव हो सके वह संस्था का मित्र बना रहे। प्रतिकूल संवाद वाले पत्र में निम्नलिखित विषय शामिल हो सकते हैं

(i) ऋण देने से इन्कार सम्बन्धी पत्र। (ii) उपभोक्ता के लिए अलाभकारी नीतियों की घोषणा। (iii) अस्वीकृति पत्र, निरसन पत्र तथा समायोजन पत्र। (iv) प्रदर्शन का नकारात्मक मूल्यांकन व अनुशासनात्मक विज्ञप्तियाँ। (v) माल वापसी या उसमें त्रुटि की सूचना।

(3) प्रेरक पत्र (Persuasive Letters)-ऐसे पत्र जिन्हें पढ़कर व्यक्ति आपकी बात मानने के लिये तैयार हो जाता है, उसे प्रेरक पत्र कहते हैं। ऐसे पत्रों के द्वारा पाठक की रुचि जाग्रत करने का प्रयास किया जाता है तथा उनको अपनी तरफ आकर्षित किया जाता है।

प्रेरित करने वाले पत्रों का संदेश सामान्यत: तर्कपूर्ण, विश्वास दिलाने वाला तथा आधिकारिक तथ्यों पर आधारित होता है। आधुनिक युग में प्रेरक संचार पत्रों का प्रयोग व्यापार और विज्ञापन के क्षेत्र में उत्पादों को बेचने या कम्पनी की ख्याति को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। प्रेरक संचार के द्वारा हम अक्सर कार्य कराने का प्रयास करते हैं। प्रेरक, संचार को प्रभावशाली बनाने के लिए अनुनयकर्ता भलाई-बुराई, स्वास्थ्य-अस्वास्थ्य जैसे मूल्यों का भी सहारा लेता है। इनके अन्तर्गत आदेश व प्रार्थना पत्र. बिक्री पत्र, वसूली पत्र, प्रस्ताव व सुझाव पत्र, नौकरी के लिए आवेदन पत्र आदि आते हैं। इन पत्रों के माध्यम से किसी भी प्रकार के विरोध को समाप्त कर कार्य या विश्वास को परिवर्तित करने का प्रयास किया जाता है।

(4) अनुरोध पत्र (Request Letters)-ऐसे पत्र जो किसी वस्तु या सेवा के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त करने, वस्तु या सेवा की पूर्ति अथवा किसी विशिष्ट क्रिया को जानने के लिये लिखे जाते हैं, उन्हें अनुरोध पत्र कहते हैं। इस प्रकार के पत्रों को लिखते समय स्नेह व मैत्रीपूर्ण शैली का प्रयोग करना चाहिए। इन पत्रों के अन्तर्गत किसी उत्पाद के सम्बन्ध में पूछताछ सम्बन्धी पत्र, दैनिक क्रिया की जानकारी सम्बन्धी पत्र, ग्राहकों या अन्य लोगों से निवेदन पत्र आदि आते हैं।\

Business Communications Letters

परीक्षा हेतु सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न

(Expected Important Questions for Examination)

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

(Long Answer Questions)

1 एक व्यावसायिक पत्र के विभिन्न मानक भागों की व्याख्या कीजिए। एक मानक व्यावसायिक पत्र का नमूना बनाइए।

Discuss the different standard parts of a business letter. Give a sample of a standard business letter.

2. एक प्रभावशाली व्यावसायिक पत्र के आवश्यक तत्वों की विवेचना कीजिए। एक व्यावसायिक पत्र की संरचना समझाइए।

Discuss the essentials of an effective business letter. Explain the structure of a business letter.

3. व्यावसायिक पत्र का क्या अर्थ है? इसका महत्त्व बताइए।

What do you mean by business letter? Explain the importance of business letters?

4. व्यावसायिक पत्र की प्रभावशीलता के निर्णायक घटकों की विवेचना कीजिए।

Describe the essentials of effective business letter.

5. व्यापारिक पत्र से क्या आशय है? एक श्रेष्ठ व्यापारिक पत्र लेखक

Business letter? State the qualities of a good business letter writer. What is meant by business letter? State the qualities

6. एक व्यावसायिक पत्र के उत्तम बाह्य रूप की विशेषताओं की व्याख्या करें।

Explain the characteristics of good appearance of a business letter.

Business Communications Letters

लघु उत्तरीय प्रश्न

(Short Answer Questions)

1 एक मानक व्यावसायिक पत्र का नमूना दीजिए।

Give a specimen of a standard business letter.

2. एक व्यावसायिक पत्र की संरचना एवं शैली पर टिप्पणी कीजिए।

Give a short note on the structure and language of a business letter.

3. व्यावसायिक पत्रों को प्रभावी बनाने के लिये सुझाव दीजिए।

Give suggestions for making business letters effective.

4. एक श्रेष्ठ व्यावसायिक पत्र के आवश्यक लक्षण क्या हैं?

What are the essentials of a good business letter?

5. मेमोरेण्डम से आप क्या समझते हैं? यह एक पत्र से किस प्रकार भिन्न होता है?

What do you understand by memorandum? How does it differ from a letter?

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chetansati

Admin

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