BA 3rd Year Tara Study Material Notes in Hindi

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‘तारा’ नाटक का सारांश

अंक1

महेश दत्तानी ने तारा 1990 में लिखी। यह उनका तृतीय नाटक है। यह नाटक माता-पिता का उनके बच्चों के लिए पक्षपात, ससुराल वालों की दखलदाजी के कारण बनी समस्याएँ, सामाजिक पक्षपात तथा नवीन स्त्री का उदय, का वर्णन तथा चिन्तन करता है। नाटक दो भाग में बाँटा गया है। दत्तानी ने अतीत पर प्रकाश डालने के लिए Flash back Technique का प्रयोग किया है। नाटक में सात प्रमुख पात्र हैं। वे तारा, चंदन, पटेल, भारती, डान, रुपा तथा डॉ. ठक्कर हैं। सबसे पहले डान (बड़ा चंदन) का परिचय होता है वह एक लेखक की कठिनाइयों को व्यक्त करता है, वह लेखक जो एक ड्रामा लिखने का प्रयास करता है। वह खुद के बारे में भी श्रोताओं को बताता है। सबसे पहले वह बताता है कि वह लन्दन में रहता है। खुद को अपने अतीत से दूर रखने के लिए वह तारा नामक नाटक लिख रहा है। वह अपनी कहानी कुछ इस तरह प्रारम्भ करता है।

वह मार्ग जिस पर हमने अपना जीवन प्रारंभ किया-दो जीवन ओर एक शरीर। वह Siamese जुडॅवा होने के कारण प्राप्त हुए गहरे दर्द को हमें बताता है। जबसे उन्होंने एक शरीर को बाँटते हुए जीया, जीवन उनके लिए बहुत कठिन हो गया था तथा अतीत उनके लिए बहुत दर्दनाक रहा, उसकी बहन तारा के कारण। इसके बाद नाटक की कहानी हमें लन्दन से मुम्बई ले जाती है। मुम्बई में उसकी माँ भारती सुबह की पूजा खत्म कर चुकी है ओर उसके पिता पटेल कार्य पर जाने के लिए तैयार हैं। चंदन और तारा आते हुए दिखायी पड़ते हैं। दोनों की टॉगों में लगड़ापन है। उन्हें डॉ॰ ठक्कर के ऑपरेशन के द्वारा अलग-2 कर दिया गया है। तारा और चंदन अब ताश खेल रहे है। भारती तारा के लिए चिन्तित है कि उसका वजन हल्का हो गया है, तारा की Thatha के brass tumbles में दूध पीने इच्छा से पटेल को अपने कार्यालय जाने के लिए देर हो रही है। भारती की बातें कि पटेल ही है जो यह नहीं चाहता था कि चीजों को unpacked किया जाय और पटेल का अपनी पत्नि को झिड़कना, आदि बाते चल रही है। भारती एवं पटेल तारा के वजन हल्का होने की बात को अलग-2 तरीके से लेते है। रूपा, 15 वर्ष की एक लड़की है। वह अपनी दोस्त को पुकारते हुए दिखायी पड़ती है। उसे पता चलता है कि प्रेमा को सर्दी लग गयी है

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ओर वह उसके साथ नहीं सकती। वह तारा से मिलने जाती है। वहाँ वह पटेल को चंदन के ऑफिस जाने के सम्बन्ध में बातें करते हुए सुनती है। वह पूरी बात जानना चाहती है। चंदन और तारा अपने घर के मामले में रुपा की दखलंदाजी पसन्द नहीं करते। चंदन एक लेखक है। रुपा यह जानने के लिए बहुत उत्सुक है कि चंदन किस बारे में लिखता है। वह भूतों की कहानी के लिए अपनी पसन्द जाहिर करती है। राक्षस एवं oglars की कहानियाँ भी उसे पसन्द हैं। लेकिन चंदन उन लोगों के बारे में लिखता है जिन्हें वह जानता है। वह तारा के बारे में भी लिखने जा रहा है। दूसरी ओर पटेल भारती के लिए बहुत चिन्तित है।

अब डॉन पर ध्यान केन्द्रित होता है वह अपने लेख को पूर्ण करना मुश्किल पाता है। वह तारा अपनी जुड़वाँ बहन, पटेल अपने पिता, भारती अपनी माता के बारे में सोचता हैं। वह तारा को दयालु, सज्जन, शक्तिशाली. तथा पटेल को गम्भीर और क्रोधी पाता है। जब तक वह अपनी माँ भारती के बारे में सोच पाता उसकी सोचने की डोर टूट जाती है। अब वह तारा के बारे में सोचता है। वह बहुत गम्भीर हो जाता है। वह महसूस करता है कि अगर भगवान की इच्छा से यह ऑपरेशन ना हुआ ओता तो वह दोनों भाई बहन भविष्य में हमेशा एक साथ रहने की योजना बना रहे होते।

इसके बाद डॉन के द्वारा डा० ठक्कर का साक्षात्कार लेते हुए दिखाये जाते है। वह दर्शकों को डा. ठक्कर की उपलब्धियों तथा तारा एवं चंदन के जीवन को सम्भव बनाने में उनकी भूमिका से परिचित कराते है। डॉ॰ ठक्कर एक बार फिर उस सर्वाधिक जटिल सर्जरी को दोहराते है जो कभी उन्होंने पटेल के जुड़वा बच्चों को अलग करने के लिए की थी।

अब तारा और चन्दन का वर्णन है। चंदन संगीत सुन रहा है। तारा Physiotheriapistओर नर्स के बारे में बता रही है। तारा नये डॉक्टर डा. गोखले से बहुत प्रभावित है। वह कहती है कि वह महाराष्ट्रीयन से बहुत प्रेम करती है। चंदन तारा की परिपक्वता को पहचानता है।

तारा भारती के बारे में पूछती है और पता लगता है कि वह शायद रसोइया को तारा की किसी मनपसन्द डिश पकाने का आदेश दे रही होगी। चंदन कहता है कि वे ऑपरेशन के समय नहीं थे। तारा अपने लिए अपने माता पिता के प्रेम का आनन्द लेते हुए कल्पना करती है। रुपा उनसे मिलने आयी है। तारा उसे अपनी बनावटी टॉग दिखा चुकी है। वह चंदन की टॉग भी उसे दिखाती है। रुपा यह देखकर आश्चर्यचकित होती है। तारा उसे बताती है वे बैंगलोर से है और वे दसवी कक्षा के रिजल्ट का इंतजार कर रहे है। वह भी उसे बताती है कि उसकी माँ बंगलोर से है और उसके पिता एक गुजराती है। मेरे पिता देश की सबसे बड़ी Pharmaceutical Company में जनरल मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं।

रुपा भारती को नमस्ते करती है ओर कन्नड़ भाषा में बोलकर उसे प्रभावित करती है। भारती प्रभावित होती है। वह चाहती है कि रुपा तारा की दोस्त बन जाय। वह उसे मूवी का अवसर देती है। रुपा मूवी के लिए भारती की प्रेरणा देखकर आश्चर्य चकित होती और प्रेमा तथा नलिनी को सब बताने के लिए आवाज लगाती है।

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डा० ठक्कर साक्षात्कार के मध्य में दिखाये जाते है। वह श्रोताओं को आपरेशन से पहले तारा के मातापिता की मानसिक एवं भावुक दशा के बारे में जानकारी देते है। पटेल डा० कपूर से बात करते हए दिखायी पडते है। पटेल तारा की शक्तिशाली इच्छा शक्ति की प्रशसा करते हैं। वह उस नैतिक सहयोग को नहीं भूलते जो वह चंदन अपने भाई से प्राप्त करती है। लेकिन पटेल नहीं चाहता कि भारती तारा को अपनी किडनी योगदान करे। वह हिंसक हो जाती है ओर तारा व चंदन को रहस्य बताने के लिए उसे भयभीत करती है।

डॉन अपने लेख में व्यस्त है। रुपा, चंदन, तारा मूवी देख रहे है और भारती स्वेटर बना रही है। भारती तारा के भविष्य को लेकर चिन्तित है। इस बारे में वह चंदन से चर्चा करती है। वह पटेल को चंदन पर खास रुप से ध्यान देने को भी टोकती है। चंदन अपनी माँ को समझाने की कोशिश करता है। पटेल तारा के भविष्य एवं स्वास्थ्य के लिए भी चिन्तित है वह उसे तारा के लिए चिंता न करने के लिए कहता है क्योंकि तारा अपने भविष्य का चुनाव करने एवं उसे संवारने के लायक है। वह भारती से यह भी कहता है कि वह हमेशा तारा के साथ है।

चंदन भारतीय समाज में पुरुषों की एक नयी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करता है। वह भारती की स्वेटर बुनने में मदद करते हुए संकोच नहीं करता लेकिन पटेल को यह पसन्द नहीं है। वह सुझाव देता है कि जब तक रिजल्ट आता है तब तक चंदन ऑफिस में उसके साथ चलेगा। लेकिन चंदन कहीं पर भी तारा के बिना जाने के लिए तैयार नहीं होता। इस बात पर भारती को यह साबित करने का मौका मिल जाता है कि पटेल केवल चंदन के लिए चिन्तित है और जिसकी वजह से वह तारा की परवाह नहीं करता। पटेल भारती को तारा की परवाह न करने का दोषी ठहराता है। वे झगड़ते है। पटेल भारती को बच्चों को उसके विरुद्ध करने का दोष देता है।

अंक2

जैसे ही दूसरा भाग शुरु होता है श्रोता भारती ओर तारा को स्टेज पर पाते हैं। भारती वही हमेशा की तरह तारा के लिए प्यार ओर परवाह जता रही है। भारती कहती है कि सब कुछ ठीक हो जायेगा क्योंकि अब वह अपनी किडनी तारा को योगदान कर रही है। वह आशा करती है कि ऐसा करने से वह अपने दोषी होने की सोच से छुटकारा पा लेगी। तारा के पास जो है वह उससे सन्तुष्ट है क्योंकि वह अपनी माँ को धरती पर सबसे अच्छा मानती है।

कैमरा डॉन पर आता है जो एक scrap book में व्यस्त है। यह तारा, चंदन, भारती, पटेल के जीवन में होने वाली घटनाओं का रिकार्ड है।

यह कहा जाता है कि इनका संघर्ष स्वयं में एक मैडिकल इतिहास रहा है। डॉन तारा के लिए द:खी है। वह कहता है कि प्रकृति ने भी तारा के साथ भेदभाव किया है। कैमरा डा. ठक्कर पर आता है। यही वह इन्सान है जिसने जुड़वाँ बच्चों को अलग-अलग करके मैडिकल विज्ञान में एक इतिहास रचा था। वह भगवान का धन्यवाद करते हैं कि भगवान ने उन्हें अलग-अलग “वाइटल ऑरगन्स” दिये।

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पटेल ओर तारा हॉस्पिटल से लौटते है। रुपा एंव चंदन बुके के साथ तारा का स्वागत करते हैं। लेकिन तारा आश्चर्य में पड़ जाती है कि अभी तक भारती उसका अभिवादन करने नहीं आयी। लेकिन पटेल यह उचित नहीं समझता कि तारा को उसकी माँ भारती के बारे में पता चले। इसलिए वह उसे अपना बैग धोने के लिए भेज देता है। पटेल और चन्दन तारा को खुश करने की कोशिश करते हैं। लेकिन तारा केवल अपनी माँ से मिलना चाहती है। उसे अपनी माँ की बीमारी के विषय में पता चलता है। वह हॉस्पिटल में ही अपनी माँ के साथ ठहरना चाहती है। चंदन चाहता है कि तारा प्रवेश फार्म भर दे लेकिन वह तैयार नहीं होती। चंदन भी उसके बिना कॉलिज जाने को तैयार नहीं है। पटेल चंदन को विदेश उच्च शिक्षा के लिए भेजने की योजना के बारे में तारा से चर्चा करता है। पटेल को उम्मीद है कि वह छात्रवृत्ति प्राप्त कर सकता है। चंदन सम्पत्ति में तारा का हिस्सा जानना चाहता है

और दुखी होता है यह जानकर कि उसके दादा जी ने तारा के लिए कोई हिस्सा नहीं छोड़ा है। तारा ओर चंदन दोनों टहलने के लिए बाहर आते हैं। तारा वास्तविक टॉग की इच्छा करती अगर ऐसा संभव होता। दोनों भावुक हो जाते है।

रुपा चंदन से मिलने आयी है। वह एक विडियो कैसेट लायी है। वह चंदन को अकेला घर में देखकर खुश होती है। वह उससे काफी असामान्य प्रश्न पूछती हैं। रुपा चंदन से पूछती है कि क्या उसकी कोई गर्लफ्रेन्ड है ? वह कहता है उसकी केवल एक फ्रेन्ड है तारा। रुपा चंदन की दोस्त बनना चाहती है। वह नहीं चाहता। वह उसे सबक सिखाने के लिए इस प्रकार व्यवहार करता है मानो वह उसके शरीर में रुचि ले रहा है। तारा अस्पताल से घर वापस आती है। उसे घटना का पता लगता है। लेकिन वह अपने भाई को अच्छी तरह जानती है। वह उसे सबसे सिखाना चाहती है। वह स्कूल में अपने अनुभव का वर्णन करती है ओर उसे बताती है कि किस प्रकार उसने अपना प्रोजेक्ट कार्य को पूरा कराने के लिए दीपा की कमजोरी का फायदा उठाया था।

वह रुपा को बताती है कि वह उसकी चालाकी के बारे में अच्छी तरह जानती है। रुपा अपने होश में नहीं रह पाती। रूपा नालिनी को पटेल परिवार की खास बाते बताने के लिए पुकारती है। चंदन तारा को शान्त करने की कोशिश करता है। चंदन उससे कहता है कि उसे चारों ओर लोगों की परवाह करनी चाहिए लेकिन तारा उसके लिए परवाह नहीं करती जो उसके लिए नहीं सोचते। कैमरा डान पर आता है। वह अपने पिता से सम्पर्क करने की कोशिश कर रहा है कि वह वहाँ रहने लगा है और पटेल उससे सम्पर्क कर सकता है। वह अपनी माँ की खबर सुनकर चोंक जाता है। केवल डान से ही हमें पता लगता है कि तारा 6 साल पहले मर गयी। वह कहता है-कुछ नहीं बचा भारत में जिससे वह वापस भारत लौटे। वह पटेल से कहता है कि भारत वापस बुलाने के लिए वहाँ कुछ नहीं बचा है। वह बताता है कि पटेल को भी लन्दन आ जाना चाहिए वरना उसे पूरा जीवन भारत में अकेला ही जीना होगा।

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कैमरा चन्दन और तारा पर है। वे अपनी माँ को याद कर रहे हैं। तारा हमेशा अपनी माँ के साथ रहना चाहती है लेकिन चन्दन को हॉस्पिटल पसन्द नहीं है। तारा कहती है कि पटेल नहीं चाहते कि वह हॉस्पिटल में वह उससे मिले। भारती की उन्हें कुछ रहस्य बताने की इच्छा हो रही है। चंदन तारा को समझाना चाहता है कि उसके पिता वह नहीं है जो है। वह पटेल के लिए अपनी नफरत व्यक्त करती है। चंदन जानना चाहता है वह Physiotherapist के पास गयी है। वह हॉस्पिटल गयी थी लेकिन भारती से। मल सकी। हॉस्पिटल के छात्रावास में उसे भारती से मिलने की अनुमति नहीं दी गई क उन्हें ऐसा करने का निर्देश पटेल ने दिया था। चंदन थोड़ा शान्त है। वह कहता है। क पटेल के इस निर्णय के पीछे जरूर कोई कारण रहा होगा। वह अपने पिता पर विश्वास करता है। तारा पटेल को स्वार्थी होने का दोष देती है। वह पटेल से पूछती है कि उसे मिलने से क्यों रोका गया। तभी पटेल वहाँ पहुँच जाता है। वह यह जानकर नाराज होता है कि वे Physiotherapist के पास नहीं गये है। वह भड़क उठता है जब उसे पता लगता है कि तारा भारती से मिलने गयी थी। वह नहीं चाहता कि भारती अपना दोष स्वीकार करे और सन्तुष्ट हो जाय। वह उन्हें रहस्य उगल देता है। वह बताता है कि किस प्रकार बेसहाय भारती और उसके पिता ने उससे यह कराया। तारा और चंदन दोनों सच जानकर बहुत आश्यर्च चकित हो जाते हैं। तारा भारती के व्यवहार को सोचकर चौंक जाती है। वह कहती है, “ओर वह तो मुझे अपनी तारा पुकारती थी।

डॉ. ठक्कर अपनी सफलता से बहुत खुश होते हैं और आशा करते हैं कि मैडिकल विज्ञान अगले दस सालों में बहुत प्रगति करेगा। डा. ठक्कर का साक्षात्कार खत्म होने वाला है। लेकिन वे विस्तृत रुप में जानने के बाद भावुक रुप से परेशान हो जाते हैं। वह डॉ. को अब और अधिक अपने जीवन में पसन्द नहीं करता; वह उसकी भौतिकतावादी सोच और पहुँच को सोचकर बहुत दर्द महसूस करता है जिसने उसकी बैग्लोर में सबसे बड़ा हॉस्पिटल खोलने की इच्छा को पूरा किया। वह डा॰ ठक्कर की ऑपरेशन के पीछे स्वार्थी भौतिकवादी सोच पर चौंक जाता है। उसका दर्द एक कलाकार के दर्द का प्रतीक है जो दर्द के कारण हमें अपना सम्पूर्ण देने के अयोग्य हो रहे हैं। वह अपनी आजादी से खुश नहीं है। वह इच्छा करते है कि किसी दिन तारा जो अब सितारों के बीच रहती है उसे क्षमा कर देगी। नाटक एक आशावादी नोट पर खत्म होता है। “लेकिन कैसे भी, कभी तो मै। एक ट्टते तारे को देखू ओर इच्छा मॉगू। मेरी इच्छा है कि वह भुलाया गया प्राणी मुझे क्षमा कर दे वह जहाँ कहीं भी हो।

 

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