BCom 1st Year Royalty Accounting Study Material Notes In Hindi

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BCom 1st Year Royalty Accounting Study Material Notes In  Hindi

BCom 1st Year Royalty Accounting Study Material Notes In  Hindi: Explanation of Some Important Terms Accounting Records to Mining Royalties Calculation Table Short-workings Accounting Landlords  Accounting Journal Entry

Royalty Accounting
Royalty Accounting

BCom 1st Year Responsibility Accounting Study Material notes in Hindi

अधिकार-शुल्क खाते 

(Royalty Accounts)

विशेष प्रकार की सम्पत्तियों को प्रयोग करने के प्रतिफल में जो धनराशि प्रयोग करने वाले व्यक्ति के द्वारा उन सम्पत्तियों के स्वामी को दी जाती है, उसे अधिकार शुल्क (Royalty) कहते हैं। जैसे-खान (Mines) के स्वामी को खनिज पदार्थ निकालने वाले व्यवसायी से मिलने वाली धनराशि, पुस्तक के लेखक को प्रकाशक से मिलने वाली धनराशि, किसी गुप्त विधि (Secret Process) के स्वामी को उसे प्रयोग करने वाले से मिलने वाली धनराशि, पेटेन्ट के स्वामी को उसे प्रयोग करने वाले से मिलने वाली धनराशि आदि सब अधिकार शुल्क (Royalty) कहलाती हैं। प्राचीन काल में जब भारत में राजा महाराजाओं का बोलबाला था तब अधिकार-शुल्क शब्द कवल राजाओं को अपनी खानों से जो किराया प्राप्त होता था उसी के लिए प्रयोग किया जाता था लेकिन अब इसका प्रयोग विस्तश्त अर्थ में किया जाता है। अधिकार-शुल्क की कुछ प्रमुख परिभाषायें निम्नलिखित हैं :

जे० आर० बाटलीबॉय के शब्दों में, “अधिकार-शुल्क से अभिप्राय उस धनराशि से है जो कि एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को उसके द्वारा दिये गये विशेषाधिकार के प्रतिफल में देय होती है, जैसे एक पुस्तक प्रकाशित करने का अधिकार, एक पेटेन्ट वस्तु बनाने व बेचने का अधिकार या खान खोदने का अधिकार।”

विलियम पिकिस के अनुसार, “किसी सम्पत्ति के प्रयोग के सम्बन्ध में एक व्यक्ति को देय पारिश्रमिक अधिकार-शुल्क होता है, चाहे इस सम्पत्ति को उस व्यक्ति से किराये पर लिया हो या खरीद लिया हो। इस धनराशि की गणना उस सम्पत्ति के प्रयोग में हुये उत्पादन या बिक्री की मात्रा पर की जाती है।”

उपर्युक्त वर्णित अधिकार-शुल्क की परिभाषाओं के विश्लेषणात्मक आधार पर यह कहा जा सकता है कि अधिकार-शुल्क का आशय उस भुगतान की गई धनराशि से है जो कि दूसरों की कुछ विशेष प्रकार की सम्पत्तियों के प्रयोग करने के अधिकार के बदले किराये के रूप में दिया जाता है। इस भुगतान की गई धनराशि की गणना अधिकार प्रयोग से हुये उत्पादन या बिक्री की मात्रा पर आधारित होती है। ऐसी सम्पत्ति खान (Mines), पेटेन्ट (Patent), कापीराइट (Copyright), व्यापार चिन्ह (Trade Mark), गुप्त निर्माण-विधि (Secret Manufacturing Process), यांत्रिक ज्ञान (Technical Knowledge) आदि हो सकती हैं।

खानों के स्वामी को जमींदार (Landlord), कॉपीराइट का स्वामी, लेखक (Author), पेटेन्ट के स्वामी को पेटेन्टी (Patentee) कहते हैं। जमींदार, लेखकं या पेटेन्टी और पट्टेदार (Lessee) के बीच एक लिखित या मौखिक समझौता होता है जिसमें अधिकार प्रयोग की समस्त शर्ते (Conditions) व अधिकार शुल्क भुगतान की धनराशि व विधि तय की जाती है। यह समझौता मौखिक भी हो सकता है परन्तु भविष्य में आपसी झगड़ों से बचने के लिए लिखित समझौता ही अधिक उचित व न्यायपूर्ण रहता है।

कुछ महत्वपूर्ण शब्दों का स्पष्टीकरण

(Explaination of Some Important Terms) 

पट्टा देने वाला या जमींदार (Leaser or Lessor or Landlord) : सम्पत्ति का स्वामी पट्टा देने वाला (Leaser or Lessor) या जमींदार (Landlord) कहलाता है।

पट्टेदार (Lessee) : सम्पत्ति को जो व्यवसायी किराये पर लेता है उसे पट्टेदार (Lessee) कहते हैं।

अधिकार-शुल्क (Royalty) : खानों की दशा में पट्टेदार द्वारा किये गये उत्पादन की मात्रा पर एक निश्चित दर से खान के स्वामी को धनराशि भुगतान की जाती है, पुस्तक के लेखक को उसके विक्रय मूल्य का एक निश्चित प्रतिशत धनराशि प्रकाशक द्वारा

लेखांकन को दी जाती हैं, इसी प्रकार पेटेन्टी को पेटेन्ट प्रयोग करने वाले से मिलने वाली एक मुक्त  वार्षिक धनराशि दी जाती है इन सबको अधिकार-शुल्क कहते हैं।

न्यूनतम किराया (Minimum Rent) : विशेष रूप से यह शब्द खान सम्बन्धा royalty Lease) में खान का स्वामी पट्टेदार से यह समझौता करता है कि वास्तविक आधिकार धनराशि से कम होने की दशा में जमींदार एक निश्चित धनराशि अवश्य लेगा, इसी पे ‘Rent) या मश्त या अनिवार्य किराया (Dead Rent) या निश्चित किराया (Fixed Rent हैं। ऐसे न्यूनतम किराये की व्यवस्था पट्टेदार को अधिक उत्पादन करने को प्रोत्साहित करती है ।

लघुकार्य (Shortworkings) : जब कम उत्पादन के कारण वास्तविक अधिकार-शुल्क का धनराशि से कम होती है, तो इस कमी को ही लघकार्य कहते हैं। जिस पट्टे में न्यूनतम किराये का प्रावधान होता है। जिस पट्टे में न्यूनतम किराये का प्रावधान होता है उसमें सामान्यतया यह भी रहता हाक लघुकाये की धनराशि को किसी सीमित या असीमित अवधि में भावी अतिरिक्त अधिकार-शुल्क का बनता से अपलिखित किया जा सकता है।

लघु कार्य पूरा करने का अधिकार

(Right to Recoup Short workings) 

अतिरिक्त आधिकार शुल्क धनराशि का अभिप्राय वास्तविक अधिकार-शल्क की धनराशि का न्यूनतम किराये की धनराशि पर अधिकार (Right to Recoup आधिक्य (Surplus) से है। पट्टेदार के इस अधिकार को लघकार्य परा करने का Shortworkings) कहते हैं। साधारणतया यह अधिकार पट्टे के शरु में कछ वर्षों के लिये दिया जाता है क्योंकि प्रारम्भ में खानों से खानज उत्पादन प्रारम्भ करने में कुछ समय बरबाद होता है और कछ समय तक पूर्ण कशलता या गति से उत्पादन नहीं हो पाता है। अतः उस समय की लघुकार्य की धनराशि को पूरा करने का अधिकार पट्टेदार को दे दिया जाता है। लघूकार्य और आधिक्य की गणना करने के सूत्र निम्न

                         Shortworkings = Minimum Rent – Actual Royalties

Rs. 15000 – Rs. 12000 = Rs. 3000

                         Surplus = Actual Royalties – Minimum Rent

Rs. 20000 – Rs. 15000 = Rs 5000

अधिकार-शुल्क के विभिन्न प्रकार

(Various Types of Royalties) 

अधिकार-शुल्क निम्न प्रकार के होते हैं :

(i) खान सम्बन्धी अधिकार-शुल्क (Mining Royalties);

(ii) पेटेन्ट सम्बन्धी अधिकार-शुल्क (Patent Royalties);

(iii) कॉपीराइट सम्बन्धी अधिकार-शुल्क (Copyright Royalties);

(iv) तेल के कुंओं से सम्बन्धित अधिकार-शुल्क (Oil Wells Rolayties):

(v) ईंट बनाने से सम्बन्धित अधिकार-शुल्क (Bricks Making Royalties);

(vi) उत्पादन या बिक्री पर अधिकार-शुल्क (Royalties on Proudction or Sales):

(vii) ट्रेड मार्क से सम्बन्धित अधिकार-शुल्क (Trade Mark Royalties);

(viii) मशीनों, गुप्त प्रक्रिया, तकनीकी ज्ञान आदि से, किया तकनीकी ज्ञान आदि से सम्बन्धित अधिकार-शुल्क (Royalties in connection with Machines, Secret Process, Technical Knowledge etc.)

खान सम्बन्धी अधिकार शुल्क के लेखे

(Accounting Records Related to Mining Royalties) 

पट्टेदार की पुस्तकों में लेखें (Accounting Records in the Books of Lessee) : 

इन लेखों को सरलता से समझने के लिए तीन परिस्थितियों से समझने के लिए तीन परिस्थितियों में अलग-अलग लेखे किये जाते हैं : (क) जब अधिकार-शल्क। ने धनराशि न्यूनतम किराये के बराबर (Royalties = Minimum Rent)  (ख) जब अधिकार-शुल्क की धनराशि न्यनतम । कराये से कम हो (Royalties < Minimum Rent); तथा  (ग) जब अधिकार-शुल्क की धनराशि न्यूनतम किराये से अधिक हो।

Royalties > Minimum Rent)। इन सभी विधियों के अन्तर्गत पट्टेदार की पुस्तकों में निम्न प्रकार से जर्नल प्रविष्टियाँ की। जाती हैं:

(क) जब अधिकार-शुल्क की राशि न्यूनतम किराये के बराबर होती है (When Amount of Royalties is equal to | Minimum Rent), तो पट्टेदार की पुस्तकों में निम्न प्रकार से जर्नल प्रविष्टियाँ की जाती हैं :

(i) अधिकार-शुल्क की धनराशि देय होने पर इस धनराशि से अधिकार-शुल्क खाते को डेबिट और जमींदार खाते को क्रेडिट करते हैं:

Royalties Account                                               Dr

To Landlord’s Account

(For Royalties due and payable to Landlord)

(ii) जमींदार को अधिकार-शुल्क की धनराशि का भुगतान करने पर, जमींदार खाते को डेबिट और बैंक खाते या रोकड खाते को क्रेडिट करते हैं :

Landlord’s Account                                            Dr

To Bank Account Or Cash Account

(For Payment made to Landlord)

(iii) अधिकार-शुल्क खाते को बन्द करने के लिये, लाभ हानि खाते को डेबिट और अधिकार-शुल्क खाते को क्रेडिट करते हैं :

Profit & Loss Account                                              Dr.

To Royalties Account

(For Transfer of Royalties A/c to P. & L. A/c)

(ख) जब अधिकार- शुल्क की धनराशि न्यूनतम किराये से कम होती है (When Amount of Royalties is less than Minimum Rent), तो इसी कमी को लघुकार्य (Shortworkings) कहते हैं। ऐसी दशा में पुस्तकों में लेखा करने की दो वैकल्पिक विधिया अपनाई जा सकती है : (1) जब पुस्तकों में न्यूनतम किराया खाता न खोला जाये, अथवा (2) जब पुस्तकों में न्यूनतम किराया खाता खोला जाये। इनके सम्बन्ध में पूर्ण विवेचन निम्नलिखित है :

(1) जब पुस्तकों में न्यूनतम किराया खाता न खोला जाये (When Minimum Rent Account is not opened in the Books), तो पट्टेदार की पुस्तकों में निम्न जर्नल प्रविष्टियाँ की जाती हैं :

(i) अधिकार-शुल्क की धनराशि देय होने पर, वास्तविक अधिकार-शुल्क की धनराशि से अधिकार शुल्क खाता डेबिट, लघुकार्य की धनराशि से लघुकार्य खाता डेबिट और न्यूनतम किराये की धनराशि से जमींदार खाते को क्रेडिट करते हैं :

Royalties Account                               Dr.

Shortworkings Account                     Dr.

To Landlord’s Account

(For Royalties due and Shortworkings arised)

(ii) जमींदार को भुगतान करने पर जमींदार के खाते को डेबिट और बैंक या रोकड़ खाते को क्रेडिट करते हैं :

Landlord’s Account                             Dr.

To Bank Account Or Cash Account

(For Payment made to Landlord)

(iii) अधिकार-शुल्क खाते को बन्द करने के लिए, लाभ हानि खाते को डेबिट और अधिकार-शुल्क खाते को क्रेडिट करते हैं :

Profit & Loss Account                         Dr.

To Royalties Account

(For Transfer of Royalties A/c to P. & L. A/c)

(2) जब पुस्तकों में न्यूनतम किराया खाता खोला जाये (When Minimum Rent Account is opened in the __Books), तो पट्टेदार की पुस्तकों में निम्न प्रकार से जर्नल प्रविष्टियाँ की जाती हैं :

(i) न्यूनतम किराया देय हो जाने पर इस धनराशि से न्यूनतम किराया खाता डेबिट और जमींदार खाता क्रेडिट करते हैं :

Minimum Rent Account                       Dr.

To Landlord’s Account

(For Minimum Rent due)

(ii) न्यूनतम किराये की धनराशि को अधिकार शुल्क खाते और लधुकार्य खाते में हस्तातरित करने के लिए वास्तविक अधिकर शुल्क की धनराशि से अधिकार शुल्क खाते को और लघुकार्य की धनराशि खाते को डेबिट तथा ऩ्यूनतम किराये खाते को डेबिट करते हैं

Royalties Account                Dr.

Shortworkings Account

To Minimum Rent Account

(For Transfer of Minimum Rent A/c to Royalties

Account and Shortworkings A/c) (Im)

(iii) जमींदार को भुगतान करने पर, जमींदार खाते को डेबिट और बैंक या रोकड़ खाते को क्रडिट करतें हैं । Landlord’s Account               Dr.

To Bank Account Or Cash Account

(For Payment made to Landlord)

(iv) अधिकार-शुल्क खाते को बन्द करने के लिये, लाभ हानि खाते को डेबिट और अधिकार शुल्क खाते को क्रेडिट करते है :

Profit & Loss Account             Dr.

To Royalties Account

(For Transfer of Royalites A/c to P. & L. A/c)

नोट : यदि Dead Rent Account खोलना हो तो Minimum Rent Account के स्थान पर Dead Rent Account | लिखते हैं।

(ग) जब अधिकार-शल्क की राशि न्यूनतम किराये से अधिक होती है (When Amount of Royalties is more than Minimum Rent), तो पट्टेदार की पुस्तकों में निम्न प्रकार से जर्नल प्रविष्टियाँ की जाती हैं : (i) अधिकार-शुल्क की धनराशि देय होने पर, वास्तविक अधिकार-शुल्क की धनराशि से अधिकार-शुल्क खाते को डेबिट और जमींदार खाते को क्रेडिट करते हैं :

Royalities Account                            Dr

To Landlord’s Account

(For Royalties due to Landlord)

(ii) यदि पिछले वर्षों की शेष लघुकार्य धनराशि, यदि कोई है, को अपलिखित करने के लिये जमींदार खाते को डेबिट और लघकार्य खाते को क्रेडिट करते हैं। लघुकार्य की धनराशि को केवल न्यूनतम किराये से अधिकार-शुल्क की आधिक्य की सीमा तक अपलिखित कर सकते हैं और यदि लघुकार्य की धनराशि कम है और अधिकार-शल्क का आधिक्य अधिक। होने पर लघुकार्य खाते के शेष धनराशि की सीमा तक लघुकार्य खाते को क्रेडिट करते हैं :

Landlord’s Account                         Dr.

To Shortworkings Account

(For Writing off Shortworkings A/c out

of Surplus of Royalties Alc)

(iii)  जमींदार को भुगतान करने पर, जमींदार खाते को डेबिट और बैंक खाते या रोकड़ खाते को क्रेडिट करते हैं :

Landlord’s Account                       Dr

To Bank Account Or Cash Account

(For Payment made to Landlord)

नोट :ऊपर दी गई (i) और (iii) प्रविष्टियों के स्थान पर निम्न एक जर्नल प्रविष्टि भी कर सकते  हैं ।

Landlord’s Account                     Dr

To Bank Account Or Cash Account

To Shortworkings Account

(For Shortworking  of Royalties paid to Landlord)

Shortworkings of Rs. …. recouped and Balance

Of Rotalties paid to Landlord)

(iv) अधिकार-शुल्क खाते को बन्द करने के लिये, लाभ-हानि खाते को डेबिट और अधिकार शुल्क खाते को क्रेडिट करते है।

Profit & Loss Account                    Dr.

To Royalties Account

(For Transfer of Royalties A/c to P.&L. A/c)

(स) यदि लघुकार्य की कोई धनराशि शेष बचती है और उसे भविष्य में अपलिखित करने का अधिकार नहीं रहता है, तो उसे | लाभ हानि खाते में हस्तान्तरित करने के लिये लाभ हानि खाते को डेबिट और लघुकार्य खाते को क्रेडिट करते हैं :

Profit & Loss Account

To Shortworkings Account

(For Transfer of Unrecouped Or Irrecoverable

Balance of Shortworking A/c to P.&L. A/c)

नोट : ऊपर दी गई (iv) और (v) जर्नल प्रविष्टियों के स्थान पर निम्न एक जर्नल प्रविष्टि भी कर सकते हैं ।

Profit & Loss Account

Dr. To Royalties Account

To Shortworkings Account

(For Transfer of Royalites A/c and Unrecouped Or Irrecoverable

Balance of Shortworkings A/c to P.&L. A/c)

नोट : विद्यार्थियों को ध्यान में रखना चाहिये कि यदि पट्टेदार को जमींदार से लघुकार्य की धनराशि अपलिखित करने का  अधिकार न हो, तो पट्टेदार को प्रत्येक वर्ष की लघुकार्य की धनराशि को उसी वर्ष लाभ-हानि खाते में हस्तान्तरित कर देनी चाहिये।

लघुकार्य की धनराशि को पट्टे के प्रथम कुछ वर्षों में अपलिखित करना (Recoupment of Amount of workings in the First FewYears of the Lease): जब लघकार्य की धनराशि का आतारक्त आयकार शुल्क से। प्रथम कुछ (दो या तीन या चार या पाँच वर्षों तक अपलिखित करने का अधिकार पट्टेदार को होता है, तो ऐसी दशा में। रचत समय के बाद लघुकार्य खाते का शेष लाभ-हानि खाते में हस्तान्तरित किया जाता है।

उदाहरण 1. जोली एण्ड कम्पनी ने पंजाब मिनरल्स से एक कोयले की खान 30 वर्ष की अवधि के लिय पट्ट पर ला: आधिकार। का दर रु० प्रति रन और न्यूनतम किराया 44,000 रु० प्रति वर्ष है। लघकार्य की धनराशि पट्टे के प्रथम पाँच वर्षों में अपलिखित की जाती है।

Jolly and Co. took a Lease of Coal Mine from Punjab Minerals for a period of 30 years with Royalty of Ks. per tonne of Coal raised subiect to a Minimum Rent of Rs. 44,000 a year with a right to COUP Shortworkings during the first five years of the lease.

वार्षिक उत्पादन इस प्रकार है :

The Annual Output is as follows:

Year                                 2004            2005          2006          2007         2008

Output in Tonnes    2,000           3,600         9.000          15,000        12,000

जोली एण्ड कम्पनी की पुस्तकों में आवश्यक जर्नल के लेखे कीजिये।

Journalise above transactions in the Books of Jolly and Co.

उदाहरण 3. एक कोयले की खान को एक कम्पनी ने 6 रु0 प्रति टन के अधिकार शुल्क के पट्टे पर लिया। न्यूनतम किराया 50,000  वार्षिक निर्धारित हुआ , और लघुकार्य की धनराशि को प्रथम चार वर्षों में ही वसूल किया जा सकता था । प्रथम चार वर्षों में कोयले का उत्पादन क्रमश: $42: 4,800, 7,000 7,013 e 12,000 टन हुआ कम्पनी की पुस्तकों में अधिकार शुल्क खाता, न्यूनतम किराया खाता, लघुकार्य धनराशि खाता तथा भस्वामी का खाता तैयार। कीजिये।

A Colliery is leased to a Company subject to a Royalty of Rs. 6 per tonne on the output. The Minimum 000 Yearly, and provision is made for Shortworkings which may be recouped within the Coal actually got in the series of first four years 4.800 tonnes. 7.000 tonnes. 7.013 tonnes, Rs.Rent is Rs. 50,000 yearly, and provi four years. The Coal actually got in tl and 12.000 tonnes respectively.

Draw up Royalties Account, Dead Re the Company’s Books. Iries Account, Dead Rent Account, Shortworkings Account and landlord’s Account in Company books .

(ii) लघुकार्य की धनराशी को अगले वर्ष या कुछ अगले वर्षं में अपलिखित करना (Recoupment of Shortworkings in the Next Year Or Next Few Years) : कभी-कभी पट्टेदार को लघुकार्य धनराशि अगले वर्ष (Subsequent Year) .या अगले कुछ वर्षों में अपलिखित करने का ही अधिकार होता है । ऐसी दशा में लधुकार्य की धनराशि समझौते के अनुसार अगले वर्ष या अगले कछ वर्षों में अपलिखित करते हैं और निश्चित समय में लघकार्य की धनराशि अपलिखित न होने पर उसको लाभ हानि-खाते में हस्तान्तरित करते हैं।

उदाहरण 4. जौली लाइमस्टोन कम्पनी देहरादून ने एक पट्टा रु0 2.50 प्रति टन रायल्टी पर लिया, जिसका न्यूनतम किराया 7,500 प्रति वर्ष है । प्रत्येक वर्ष की लघुकार्य की धनराशि को अगले तीन वर्षों में अपलिखित किया जा सकता है । पाँच वर्षों का उत्पादन इस प्रकार है :

Jolly Limestone Co. Dehradun took a Lease on a Minimum Rent of Rs. 7,500 p.a. merging into a Royalty of Rs. 2.50 per tonne with a right to recoup Shortworkings of any year with in the next three years. The Output of five years is as follows:

Year                                   1st                 2nd              3rd                   4th               5th

Output in Tonnes    Nill                600              2,400            6,000            4,500

कम्पनी की पुस्तकों में रायल्टी, खाता, लघुकार्य खाता तथा जमींदार खाता बनाइये।

Prepare Royalties Account, Shortworkings Account and Landlord’s Account in the Books of Co.

स्पष्टीकरण : (1) दूसरे वर्ष की लघुकार्य की धनराशि 6,000 रु0 में से पाँचवें वर्ष तक केवल 3,750 रु0 ही अपलिखित की जा सकी शेष 2,250 रु0 लाभ-हानि खाते में हस्तान्तरित की गयी। ।

(2) तीसरे वर्ष की लघुकार्य की धनराशि 1,500 रु0 छठी वर्ष तक अपलिखित की जा सकती है इसीलिये इसे लाभ-हानि खाते में हस्तान्तरित नहीं किया गया है। यह मान लिया गया है कि पट्टे की अवधि अभी शेष है।

उदाहरण 5. एक कोलियरी कम्पनी पट्टे पर कोयले के निकालने का कार्य करती है। पट्टे के अनुसार 5 रु० प्रति टन रायल्टी का भुगतान किया जाता है तथा न्यूनतम किराया 1,70,000 रु० प्रति वर्ष था। किसी वर्ष की लघकार्य (Shortworkings) की धनराशि को उसके अगले तीन वर्ष तक अपलिखित करने का अधिकार है। उत्पादन निम्न प्रकार था ।

A Colliery Company worked for extraction of Coal under a Lease which provided for the payment of Royalty of Rs. 5 per tonne with a Minimum Rent of Rs. 1.70.000 per annum. Each year’s Shortworkings! was recoverable during the subsequent three years. The Output was as follows:

         Year                                                 Output

         2004                                     4,000 Tonns

              2005                                     28,000 Tonnes

               2006                                      38,000 Tonnes

              2007                                     46,000  Tonnes

                2008                                        38,000 Tonnes

उपर्युक्त प्रत्येक वर्ष के लिये भूस्वामी का खाता, अधिकार शुल्क खाता तथा लघुकार्य खाता बनाइये।

Write up the Landlord’s Account, Royalties Account and Shortworkings Account for each of the above years.

उदाहरण 6. बद्रीनाथ कोल कं० लि. ने 1 जनवरी, 2005 को एक कोयले की खान चार वर्ष के लिये पट्टे पर ली। अधिकार-शुल्क की दर कोयले के उत्पादन पर रु0 2.5 रु० प्रति टन है। प्रतिवर्ष का न्यूनतम किराया 3,750 रु० है। लघुकार्य की धनराशि को अनिश्चित काल के लिये आगे ले जाया जा सकता है। बद्रीनाथ कोल कं0 की पुस्तकों में अधिकार-शुल्क खाता, लघुकार्य खाता तथा भू-स्वामी का खाता बनाइये। कोयले का उत्पादन निम्न प्रकार था :

The Badrinath Coal Co. Ltd. took a Coal Mine on Lease for four years on 1st January, 2005 on a Royalty of Rs. 2.50 per tonne of coal raised subject to Minimum Rent of Rs. 3,750 per year. Shortworkings may carried forward indefinitely. You are required to prepare Royalties Account, Shortworkings Account and Landlord’s Account in the Books of Badrinath Coal Co. Ltd. The Production of Coal was as follows:

Year                                     2005                      2006                     2007                         2008

Output in Tonnes            750                       800                       1,126                        1,2

 

प्रत्येक वर्ष न्यूनतम किराये की राशि में परिवर्तन (Annual Change in the Amount of Minimum Rent): अधिकतर न्यूनतम किराये की धनराशि प्रत्येक वर्ष समान रहती है, परन्तु कभी कभी रॉयल्टी समझौते के अनुसार न्यनतम किराये की राशि में प्रत्येक वर्ष परिवर्तन होता रहता है। ऐसा समझौता इस कारण किया जाता है कि प्रारम्भ के वर्षों में उत्पादन कम होता है। या तीन वर्षों में न्यूनतम किराये की धनराशि को धीर-धीरे बढ़ाते हैं और इसके बाद प्रत्येक वर्ष समान रहती है। ऐसी गति वर्ष की न्यनतम किराये की धनराशि में से उस वर्ष की आधिकार-शुल्क की धनराशि घटाकर लघकार्य की धनराशि यदि। कोई हो, निकाली जाती है।

उदाहरण .7 1 जनवरी, 2005 को रानीगज कालराज लि. ने भूमि का टुकड़ा पट्टे पर लिया। न्यूनतम किराये की धनराशि दसरे वर्ष में 5,125 रु0 तीसरे वर्ष और उसके बाद वाले वर्षों में 8,625 रु० वार्षिक रखी गई। प्रति टन निश्चित हुइ। लघुकाय का धनराशि पट्टे के प्रथम तीन वर्षों में अपलिखित करने का अधिकार प्रथम वर्ष में 2,000 रु०, दूसरे वर्ष में 5,125 रु० तीसरे वर्ष और अधिकार-शुल्क की दर 2 रु० प्रति टन निश्चित हुई। लघकार्य की है। प्रथम चार वर्षों का उत्पादन इस प्रकार था :

On 1st Jan., 2005 the Raniganj Collieries Ltd. took a piece of Land on Lease. A Minimum Rent of Rs. 2.000 for Ist year, Rs. 5.125 for 2nd year and Rs. 8.625 p.a. for the 3rd year and onwards is to be paid merging into a Royalty of Rs. 2 per tonne on Coal raised, with right to recoup Shortworkings over the first three years of the lease. Output for first four years was as follows:

Year                                    2005              2006           2007          2008

Output in Tonnes           250               2,500           4,500         3,600

रानीगंज कोलरीज लि0 की पुस्तकों में लघुकार्य खाता खोलिये।

Show Shortworkings Account in the Books of Raniganj Collieries Ltd.

उदाहरण 8. चन्द्रा एण्ड चन्द्रा लि० ने एक भूमि का टुकड़ा दस वर्ष के पट्टे पर निम्न शर्तों पर लिया।

(i) न्यूनतम किराया प्रथम वर्ष के लिए 5,600 रु0 प्रति वर्ष, ।

(ii) न्यूनतम किराया किराये में प्रत्येक वर्ष 400 रु0 की वद्धि (केवल दूसरे व तीसरे वर्ष,

(iii) अधिकार शुल्क की दर 2 रु0 प्रति टन तथा

(iv) लघुकार्य को पट्टे के प्रथम दो वर्षों में अपलिखित करने का अधिकार। प्रथम तीन वर्षों का उत्पादन इस प्रकार है :

Chandra and Chandra Ltd. took a piece of Land on ten years’ Lease on the following conditions: (1) Minimum Rent for the first year Rs. 5,600 per year.

(1) An annual increase of Rs. 400 in Minimum Rent (in 2nd and 3rd year only),

(iii) Royalty @ Rs. 2 per tonne, and (iv) Right to recoup Shortworkings during the first two years of the lease.

Year                                            1st                                 2nd                         3rd

Output in Tonnes              1,000                           3,500                    3,300

चन्द्रा एण्ड चन्द्रा लि0 की पुस्तकों में आवश्यक जर्नल प्रविष्टियाँ कीजिए और लघुकार्य खाता खोलिये।

Pass the necessary Journal Entries in the Books of Chandra and Chandra Ltd. and open Shortworkings! Account.

अधिकार-शुल्क का अर्द्धवार्षिक भुगतान (Half-yearly Payment of Royalties) : जब पट्टे के अनुसार अधिकार-शुल्क की धनराशि का भुगतान प्रत्येक 6 माह के बाद होना होता है, तो अधिकार-शुल्क की तुलना छमाही न्यूनतम किराये की धनराशि से करते हैं। प्रत्येक 6 माह में लघुकार्य की धनराशि या आधिक्य निकालते हैं। परन्तु अधिकार-शुल्क की धनराशि वर्ष के अन्त में ही लाभ-हानि खाते में हस्तान्तरित करते हैं। लघुकार्य की धनराशि पट्टे की शर्तों के अनुसार अपलिखित की जाती है।

उदाहरण 9. जनता माइनिंग कम्पनी ने XYZ लि0 से 10 वर्ष के लिये 1 जनवरी, 2005 को एक खान पट्टे पर ली। पट्टे की शर्तों के अनुसार अधिकार-शुल्क की दर रु0 2.50 प्रति टन है और न्यूनतम किराये की धनराशि 10,000 रु० प्रति वर्ष है जो कि छमाही 30 जून और 31 दिसम्बर को देय है। प्रत्येक छमाही की लघुकार्य की धनराशि को अगली तीन छमाहियों में अपलिखित करने का अधिकार है। पहली पाँच छमाहियों की निकासी निम्न प्रकार है :

Janta Mining Company took a Mine on Lease for 10 years on Jan. 1, 2005 from XYZ Ltd. Under this Lease, there is payable a Royalty of Rs. 2.50 per tonne merging into a Minimum Rent of Rs. 10,000 per year, payable half-yearly on 30th June and 31st December. Shortworkings of any half-year may be recouped in any of the three half-years immediately following that in which the Shortworkings occurred. During the first five half-years, Minerals were worked as follows:

Half year ended on 30-6-2005                    500 Tonnes

Half year ended on 31-12-2005                  600 Tonnes

Half year ended on 30-6-20062,                600 Tonnes

Half year ended on 31-12-2006                  3,600 Tonnes

Half year ended on 30-6-2007                    2,400 Tonnes

जनता माइनिंग कम्पनी की पुस्तकों में, जो कि प्रति वर्ष 30 जून को बन्द की जाती हैं, आवश्यक खाते खोलिये।

Show the necessary Ledger Accounts in the Books of Janta Mining Company whose Books are closed on 30th June every year.

(V)खान के क्षेत्र के आधार पर दी गई दर या दरों के आधार पर न्यूनतम किराये की गणना करना (Computation of Minimum Rent on the Basis of Rate or Rates given on the Basis of Area of Mine): कभी कभी न्यूनतम  की गणना करने के लिये पट्टे पर ली गई खान का क्षेत्रफल दिया होता है और अधिकतर तो एक ही टर दी गई होती है.’ र साथी दो दरें भी दी जाती हैं। एक दर से उत्पादन प्रारम्भ होने से पहले का न्यूनतम किराया निकालते हैं  पहली दर दूसरी की तुलना में कम होती है।

उदाहरण 10. 1 नवम्बर, 2005 को 400 एकड़ वाली एक चूने की खान अशोक को पट्टे पर दी गई अधिकार शुल्क की दर  1 रु प्रति टन लदान किये हुये चूने पर रखी गई यह भी निश्चित हुआ कि लदान के शुरु होने के समय तक 3 रु० प्रति एकड़। प्रति वर्ष की दर से न्यूनतम किराया लिया जाएगा । और इसके बाद 4 रु० प्रति एकड़ प्रति वर्ष की दर से न्यनतम किराया लिया। जायेगा। 1 जुलाई, 2006 से लदान निम्न प्रकार प्रारम्भ हुए

A Lime  Mine  of 400 Acres of Land is  leased to Ashok on IstNovember.2005subject to Royalty Of Re I per tone of Lime Desptched It was also agreed that Minimum Rent of Rs. 3 per Acre per annum will be of despatches and thereafter a Minimum Rent of Rs. 4 per Acre cement of despatches began from 1st July, 2006 as follows:

Year                        Despatches in Tonnes

2006                             1,000

2007                             1,900

2008                             1,100

यह मानकर कि लघुकार्य की धनराशि को 2007 तक ही अपलिखित किया जा सकता है, भू-स्वामी का खाता तथा लघुकार्य खाता बनाइये । अशोक अपनी पुस्तको को 31 दिसम्बर को बन्द करता है.

Prepare Landlord and Shortworkings Accounts assuming that Shortworkings can be recouped upto 2007 only. Ashok closes his books every year on 31st December.

अधिकार-शुल्क का भुगतान अगले वर्ष में होना (Payment of Royalties to be made in the Next Year)  कभी-कभी अधिकार-शुल्क समझौते में यह प्रावधान किया जाता है कि प्रत्येक वर्ष के अधिकार-शुल्क की धनराशि का भुगतान अगले वर्ष में किसी निर्धारित तिथि पर किया जायेगा। जैसे 31 दिसम्बर 2007 को देय अधिकार-शल्क का भुगतान 10 जनवरी, 2008 को होना अथवा 30 जून, 2008 को देय अधिकार-शुल्क का भुगतान 8 जलाई, 2008 को होना आदि। ऐसी दशा में अधिकार-शुल्क देय की प्रविष्टि तथा लघुकार्य अपलिखित करने की जर्नल प्रविष्टि 31 दिसम्बर 2007 या 30 जून, 2008 |

जैसी भी स्थिति हो, को ही होगी परन्तु अधिकार-शुल्क के भुगतान की जर्नल प्रविष्टि भुगतान करने की तिथि पर ही होगा।

उदाहरण 11. जे० के० माइनिंग कम्पनी ने । जनवरी, 2004 को कोयले की खान 2.50 रु० प्रति टन आधकार-शुल्क पर 25 वर्ष के पट्टे पर ली और उसका न्यूनतम किराया 2,500 रु० प्रति वर्ष था। लघुकार्य को पट्टे के प्रथम पांच वर्षों में अपलिखित करने का अधिकार हैं  प्रत्येक वर्ष 31 दिसम्बर को देय अधिकार-शल्क का भुगतान अगली 10 जनवरी को किया जाना है।

पाँच वर्षों का उत्पादन निम्न प्रकार था :

On 1st January, 2004 J. K. Mining Company took a Lease of Coalfield for a period of 20 years, on a Royalty of Rs. 2.50 per tonne of Coal raised with a Dead Rent of Rs. 2,500 p.a., and right to recoup Shortworkings during the first five years of the Lease. The Royalty due on 31st December, each year is to be paid on 10th January next.

The Output during the first five years was as follows: 2004

2004                                            600 Tonnes

2005                                            900 Tonnes

2006                                            1,100 Tonnes

2007                                           1,200 Tonnes

2008                                          1,500 Tonnes

जे० के० माइनिंग कम्पनी की पुस्तकों में पाँच वर्ष का अधिकार-शुल्क खाता, लघुकार्य खाता एवं भू-स्वामी का खाता बनाइये।

Prepare ‘Royalties Account, Shortworkings Account and Landlord’s Account in the Books of J. K. Mining Company for five years.

[VII] अधिकार-शुल्क आधिक्य की सम्पूर्ण धनराशि, लघुकार्य अपलिखित करने के लिए उपलब्ध न होना (Whole Amount of Surplus of Royalties being not available for Recoupment of Shortworkings) : कभी-कभी पट्टे में यह शर्त भी होती है कि अधिकार-शुल्क की धनराशि का न्यूनतम किराये पर जो आधिक्य होगा, उसकी पूरी धनराशि गत वर्ष के लघकार्य के शेष को अपलिखित करने को उपलब्ध नहीं होगी बल्कि उस आधिक्य के कुछ भाग ही से लघुकार्य की धनराशि को अपलिखित करने का अधिकार ही पट्टेदार को प्राप्त होता है।

उदाहरण 12. आत्माराम ने 10 वर्ष के लिये एक खान पट्टे पर ली। अधिकार शल्क की दर 1 रु० प्रति टन है तथा मस्त किराया 4,000 रु० प्रति वर्ष है। जिस वर्ष अधिकार-शुल्क की धनराशि न्यूनतम किराये से अधिक होगी, उस वर्ष इस आधिक्य का कवल 50% हा लघुकाय का धनराशि को अपलिखित करने के लिये प्रयोग किया जायेगा। पट्टेदार की पुस्तकों में आवश्यक खार बनाइए जबकि प्रथम पाँच वर्षों का उत्पादन क्रमश: 1,750 टन, 3,500 टन 3.750 टन. 4.500 टन तथा 500 टन है।।

Atmrm took  Mine on Lease for ten years. The Rate of Royalty is Re. I per tonne and the Dead Rent  per annum. In the year in which Royalty will be more than Dead Rent, only 50% of excess will be used for Recoupment of Shorty for Recoupment of Shortworkings. Prepare the necesssary Accounts in the Books of Lessee when Output for the first five years was 1,750 tonnes, 3,500 tonnes, 3,750 tonnes, 4.500 tonnes and 5,500 tonnes respectively.

नोट : इस प्रश्न में पट्टा 10 वर्ष के लिये है और लघुकार्य की धनराशि की पूर्ति के लिये कोई समय सीमा नहीं दी गई है और इस प्रश्न में उत्पादन के आँकड़े केवल प्रथम पाँच वर्षों के लिये ही दिये गये हैं, इसलिये लघुकार्य खाते में शेष को आगे ले जाया गया है।

[VIII] लघुकार्य की धनराशि को अपलिखित करने का अधिकार न होना (Lessee has no Right to Recoup the Amount of Shortworkings) : पट्टे में यह शर्त भी हो सकती है कि पट्टेदार को लघुकार्य की धनराशि को अधिकार-शुल्क के न्यूनतम किराये पर आधिक्य से अपलिखित करने का अधिकार ही न हो। ऐसी दशा में जिस वर्ष में लघुकार्य उदय होगा वह उसी वर्ष की हानि होगी क्योंकि पट्टेदार को उसको अपलिखित करने का अधिकार ही नहीं है, अतः उस लघुकार्य की धनराशि को उसी वर्ष के लाभ हानि-खाते में हस्तान्तरित कर देना चाहिये और लघुकार्य खाते का शेष आगे नहीं ले जाया जायेगा।

कभी-कभी पट्टे में यह शर्त भी हो सकती है कि एक निश्चित उत्पादन से कम उत्पादन होने पर पट्टेदार को उस वर्ष की लघुकार्य की धनराशि को अपलिखित करने का अधिकार नहीं होगा, तो उस वर्ष की लघुकार्य की धनराशि को उसी वर्ष लाभ-हानि खाते में हस्तान्तरित कर देते हैं और यदि उत्पादन उस निश्चित सीमा से अधिक हो और अधिकार-शुल्क न्यूनतम किराये से कम हो, तो उस लघुकार्य की धनराशि को पट्टे की शर्तों के अनुसार अपलेखन हेतु आगे ले जाया जायेगा।

उदाहरण 13. रानीगंज कोल कम्पनी ने कोयले की एक खान 1 जनवरी, 2004 को 30 वर्ष के लिये 2.50 रु० प्रति टन अधिकार शुल्क पर ली जिसका मश्त किराया 2.000 रु० प्रति वर्ष है। गत पाँच वर्षों का उत्पादन निम्न प्रकार हैं:

Raniganj Coal Company took a Lease of a Coalfield for a period of 30 years from 1st January, 2004 on a Royalty of Rs. 2.50 per tonne of Coal raised with a Dead Rent of Rs. 2,000 per year. The Annual Output for the last five years was as follows:

2004                                 200 Tonnes

2005                               350 Tonnes

2006                               900 Tonnes

2007                               1500 Tonnes

2008                               2,400 Tonnes

रानीगंज कोल कम्पनी की पुस्तकों में पाँच वर्ष के लिये जर्नल लेखे कीजिए तथा लघुकार्य खाता खोलिये।

Make Journal Entries and open Shortworkings Account for five years in the Books of Raniganj Coal Company.

 

 

 

chetansati

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