BCom 1st Year Miscellaneous Public Distribution System Consumer Protection Act 1986 Study Material Notes in Hindi

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BCom 1st Year Miscellaneous Public Distribution System Consumer Protection Act 1986 Study Material Notes in Hindi

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विविध : जन वितरण प्रणाली एवं उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986

[MISCELLANEOUS: PUBLIC DISTRIBUTION SYSTEM= AND CONSUMER PROTECTION ACT, 1986]

(A) जन वितरण प्रणाली

(PUBLIC DISTRIBUTION SYSTEM-PDS)

1960 के दशक में खाद्यान्न के अभाव को देखते हुए जन वितरण प्रणाली शुरू की गई ताकि उपभोक्ताओं को निजी व्यापारियों के शोषण से बचाया जा सके तथा उचित कीमत पर जरूरी सामान, जैसे–चावल, गेहूं, चीनी, खाने के तेल, कोयला तथा कैरोसिन तेल मिल सके। उचित कीमतों की दुकानों (fair price shops) द्वारा इन वस्तुओं का वितरण होता है। शुरू में यह व्यवस्था शहरों में लागू की गई, किन्तु 1980 के दशक के मध्य से इसे कुछ राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में भी लागू किया गया तथा इसने कल्याणकारी कार्यक्रम का रूप ले लिया गया। 1985 में देश के सभी जनजाति प्रखण्डों (Tribal Blocks) के 57 मिलियन व्यक्तियों को इसके दायरे में ले लिया गया। 4.62 लाख उचित कीमत की दुकानों के माध्यम से 30,000 करोड़ ₹ की वस्तुओं को 160 मिलियन लोगों को प्रतिवर्ष वितरित करने वाली भारत की जन वितरण प्रणाली विश्व की सबसे बड़ी वितरण प्रणाली है।

जन वितरण प्रणाली का परिचालन केन्द्रीय एवं राज्य सरकारों का संयुक्त दायित्व है। सरकार द्वारा सामान उचित कीमतों पर जन-साधारण को उचित कीमतों की दुकानों के माध्यम से उपलब्ध कराए जाते हैं। इसका प्रमुख उद्देश्य यह है कि उपभोक्ताओं को उचित कीमतों पर आवश्यक वस्तुएं प्राप्त हों तथा इनकी कालाबाजारी एवं जमाखोरी (hoarding) न हो।

पुनर्सज्जित तथा लक्ष्यआधारित जन वितरण प्रणाली (Revamped and Targeted Public Distribution System)-1992 से सरकार ने जन वितरण प्रणाली की एक नई व्यवस्था लागू की जिसे पुनर्सज्जित जन वितरण प्रणाली (Revamped Public Distribution System RPDS) का नाम दिया गया। इसे समाज के निम्न वर्गों के कुछ चुने हुए क्षेत्रों में लागू किया गया।

RPDS को सर्वप्रथम राजस्थान के बाड़मेर जिले में जनवरी 1992 को लागू किया गया। अगस्त 15, 1995 को इसे देश के उन सभी 2,446 प्रखण्डों में लागू किया गया जहां रोजगार आश्वासन कार्यक्रम (Employment Assurance Scheme-EAS) लागू था। इस विस्तार से 26.7 करोड़ जनसंख्या को इस स्कीम से लाभ मिलने लगा। जन वितरण प्रणाली के अन्तर्गत वितरित आवश्यक वस्तुओं के अतिरिक्त RPDS में चाय, साबुन, दाल तथा नमक को शामिल किया गया है।

RPDS तथा PDS द्वारा ली गई कीमतों में खाद्यान्नों के लिए 50 ₹ प्रति क्विण्टल का अन्तर है। इन वस्तओं की कीमतों में वृद्धि के कारण कीमतों में यह अन्तर घट गया है।

लक्ष्य आधारित जन वितरण प्रणाली (TPDS) जुलाई 1996 में मुख्यमन्त्रियों के सम्मेलन की सिफारियों के अनुसार जन वितरण प्रणाली को कारगर करने का प्रयास किया गया। परिणामतः जून 1997 से लक्ष्य आधारित जन वितरण प्रणाली (TPDS) को अपनाया गया। इसका उद्देश्य देश में लगभग 6 करोड़ निर्धन परिवारों को लाभ पहुंचाना है। इसे अपनाने के निम्न कारण थे :

(i) जन वितरण प्रणाली निर्धनता के नीचे (below poverty line-BPL) की जनसंख्या को लाभ पहुंचाने में असमर्थ रही;

(ii) शहरी क्षेत्र की ओर विशेष ध्यान दिया गया।

(iii) निर्धन राज्यों में निर्धन लोगों की संख्या अधिक है, परन्तु इन्हीं राज्यों में PDS कमजोर रही: तथा

(iv) भारतीय खाद्यान्न निगम से जो खाद्यान्न PDS के अन्तर्गत प्राप्त होने थे उनका एक हिस्सा खुले बाजार में पहुंच जाता था तथा निम्न कोटि के खाद्यान्न की उचित मूल्यों की दुकान से आपूर्ति होती थी।

TPDS के अन्तर्गत सब्सिडी प्राप्त खाद्यान्न को दो श्रेणियों में बांटा गया : (i) वे परिवार जो निर्धनता रेखा के नीचे (BPL) हैं, तथा (ii) वे परिवार जो निर्धनता रेखा के ऊपर (APL) हैं।

इन दोनों श्रेणियों के परिवारों को अलग-अलग कीमतों पर अनाज मिलते हैं। BPL परिवारों को विशेष कार्ड जारी किए गए हैं। नई कीमतें निम्न प्रकार हैं :

Miscellaneous Public Distribution

गेहं और चावल केन्द्रीय सरकार द्वारा एकसमान केन्द्रीय जारी कीमतों (Uniform Central Issue Prices) पर राज्य सरकारों को TPDS के अन्तर्गत वितरण के लिए जारी किए जाते हैं।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियमभारत सरकार ने जनता के खाद्य सुरक्षा के संकल्प को मजबूत बनाने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 बनाया, जो 2013 से लागू हुआ। इस अधिनियम का उद्देश्य लोगों को सम्मान के साथ जीवन व्यतीत करने के लिए उचित दरों पर गुणवत्ता सम्पन्न आहार सुनिश्चित करके खाद्य और पौष्टिकता सुरक्षा प्रदान करना है। यह कानून खाद्य सुरक्षा की अवधारणा में बदलाव का संकेत देता है और अब खाद्य सुरक्षा कल्याण आधारित न रहकर अधिकार आधारित हो गई है।

इस अधिनियम में लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के अन्तर्गत उचित दर पर अनाज प्राप्त करने के लिए 75 प्रतिशत ग्रामीण जनसंख्या तथा 50 प्रतिशत शहरी जनसंख्या को कवर करने का प्रावधान है। इस तरह, देश की जनसंख्या का दो-तिहाई हिस्सा कवर हो जाता है। उच्च रियायती दर पर अनाजों की प्राप्ति दो श्रेणियों—अन्त्योदय अन्न योजना के अन्तर्गत आने वाले परिवार की श्रेणी तथा प्राथमिकता वाले परिवार की श्रेणी में होती है। अन्त्योदय अन्न योजना (ए. ए. वाई) निर्धनतम व्यक्ति को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने और 2.5 करोड़ परिवारों को कवर करने के लिए दिसम्बर 2000 में शुरू की गई। अधिनियम के अन्तर्गत ऐसे परिवार को 1/2/3 ₹ प्रति किलोग्राम की दर से प्रति परिवार मोटे अनाज/गेहूं/चावल प्राप्त करने का अधिकार है। प्राथमिकता वाले परिवारों को उपर्युक्त रियायती दरों पर प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम अनाज पाने का अधिकार है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम अब सभी राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों में 80.55 करोड़ लाभार्थियों को कवर करता है, जबकि वांछित लक्ष्य 81.34 करोड़ व्यक्तियों को कवर करना था। चण्डीगढ़, पुडुचेरी तथा दादरा और नागर हवेली के शहरी क्षेत्रों में यह कानून नकद अन्तरण के रूप में लागू किया जा रहा है, जिसके तहत खाद्य सब्सिडी लाभार्थी के बैंक खाते में अन्तरित कर दी जाती है, जिससे लाभार्थी अपनी पसन्द के अनाज खुले बाजार में खरीद सकते हैं।

खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली संचालन में प्रारम्भ से अन्त तक कम्प्यूटरीकरण करने की योजना राज्यों के साथ लागत साझेदारी के आधार पर लागू कर रहा है।

लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली आपूर्ति बनाए रखने तथा आवश्यक जिंसों की उपलब्धता और। वितरण सुनिश्चित करने के लिए विभाग ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अनुरूप लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (नियन्त्रण) आदेश, 2015 को अधिसूचित किया।

लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (नियन्त्रण) आदेश, 2015 की धारा 9(1) राज्य सरकारों को आवश्यक जिंसों की बिक्री और वितरण के नियमन के लिए शक्ति प्रदान करती है, लेकिन राज्य सरकार द्वारा जारी ऐसा आदेश लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (नियन्त्रण) आदेश, 2015 के विपरीत नहीं होना चाहिए।

अन्नपूर्णा योजनाइसके अन्तर्गत राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेन्शन योजना के अन्तर्गत पेन्शन नहीं पाने वाले 65 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों को प्रति माह प्रति व्यक्ति निःशुल्क 10 किलोग्राम अनाज दिया जाता है। योजना के अन्तर्गत खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा अनाज दिया जाता है।

(B) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986

(CONSUMER PROTECTION ACT, 1986–COPRA, 1986)

पभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 का उद्देश्य उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना है तथा उन्हें उत्पादकों एवं विक्रेताओं के शोषण से बचाना। इस अधिनियम के अन्तर्गत जिला, राज्य तथा राष्ट्रीय स्तरों पर उपभोक्ता फोरम (Consumer Forum) का गठन किया गया है। यह अधिनियम जुलाई 1, 1987 से जम्मू तथा कश्मीर को छोड़कर देश के सभी भागों में लागू कर दिया गया। जम्मू तथा कश्मीर में उपभोक्ता संरक्षण के लिए अपना अलग अधिनियम है। COPRA, 1986 का 1993 में संशोधन किया गया।

उच्चतम न्यायालय ने अपने एक अहम् निर्णय के द्वारा मेडिकल सेवाओं को भी इस अधिनियम के अन्तर्गत ला दिया है। इस न्यायालय ने मेडिकल सेवाओं को 3 वर्गों में बांट दिया. यथा

(i) ऐसे केन्द्र जहां मुफ्त चिकित्सा की जाती है।

(ii) ऐसे केन्द्र जहां चिकित्सा सेवाएं भुगतान करने पर सभी को प्रदान की जाती हैं।

(iii) ऐसे केन्द्र जहां चिकित्सा सेवाएं कुछ को मुफ्त प्रदान की जाती हैं तथा कुछ को भुगतान करने के पश्चात। पहली श्रेणी की सेवा को COPRA से बाहर रखा गया जबकि बाकी दो प्रकार की सेवाओं को इस अधिनियम के अन्तर्गत रखा गया है।

फरवरी 29, 1996 को कोलकाता उच्च न्यायालय के एक ट्रायल कोर्ट (Trial Court) ने COPRA को संविधान के विरुद्ध बताते हुए खारिज कर दिया, किन्तु केन्द्रीय सरकार ने इस निर्णय के विरुद्ध अपील की जिसे कोलकाता उच्च न्यायालय के खण्ड पीठ ने स्वीकार कर लिया तथा COPRA को वैध करार दिया। अब COPRA फिर पूरे देश में लागू है।

प्रश्न

1 जब वितरण प्रणाली के महत्व पर प्रकाश डालते हुए इसके कार्यों की विवेचना करें।

2. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम पर टिप्पणी लिखें।

Miscellaneous Public Distribution

chetansati

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