BA Neo-Classicism Study Material Notes

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Neo-Classicism Study Material
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Neo-Classicism Study Material Notes

तीन नाम अंग्रेजी साहित्य के इतिहास में 1660-1789 तक का समय Dryden, Pope और Dr. Johnson के यगों को अपने में सम्मिलित करता है। इसे विभिन्न नामों से सम्बोधित किया जाता है

(a) Classical age

(b) Pseudo-Classical age sir

(c) Neo-Classical age

Classical: विभिन्न अर्थ-यह शब्द ‘क्लासिकल’ संसार के किसी भी साहित्य के सर्वोच्च ग्रन्थों के लिए प्रयुक्त होता है। इस प्रकार (1) Rome के राजा Augustas (27 B.Cto14 A.D.) के युग को Latin साहित्य का Classical age कहते हैं, (2) Dante का युग, इटली का Classical age कहलाता है, (3) King Louis xiv का युग फ्रांस का Classical age कहलाता है, और (4) Dryden तथा Pope का युग England का Classical age कहलाता है, इन सभी युगों में ऊँचे साहित्य ग्रन्थ और वे ग्रन्थ जो अमर हो गये हैं, लिखे गये। Homer और Virgil प्राचीन लेखक Boileau और Racine फ्रांस के लेखक तथा Pope, Addison, Swift आदि इंगलैण्ड के लेखक-अपने-अपने साहित्य के Classics हैं।

(A) क्लासिकल स्कूल की विशेषताएँ

(1) इन युगों के लेखक दावा करते थे कि प्राचीन यूनान और रोम के Classical लेखक उनके आदर्श थे और वे उन आदर्शों की नकल करते थे।

(2) वे अभिव्यक्ति की निश्चितता और आकृति की सुन्दरता पर बल देते थे।

(3) Elizabethan की अतियों के विरूद्ध एवं Metaphysical कवियों की उन्मादपूर्ण फिजूलखर्ची के विरूद्ध विद्रोह करते थे।

(4) “The Classics” पराने अंग्रेजी लेखकों को उपेक्षा एवं घृणा की दृष्टि से देखते थे।

(5) उनका मार्गदर्शन तर्क, अच्छी भावना तथा Wit द्वारा होता था।

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(6) वे व्यवस्था, सन्तुलन को पसन्द करते थे और हर प्रकार की अति एवं अनियमितता से घृणा करते थे। (B) प्राचीन लेखकों द्वारा निर्दिष्ट नियमों को ठीक प्रकार से अनुसरण करना

(1) Neo-Classical लेखक जोर देते थे कि नियमों का ठीक प्रकार से पालन किया जाना चाहिए।

(2) इन नियमों को प्राचीन Classical लेखकों जैसे Horace तथा Aristotle द्वारा लिखा गया।

(3) इन नियमों का फ्रासीसी लेखकों द्वारा Neo-Classical लेखकों के लिए व्याख्या की गयी।

(4) जीवन को आलोचनात्मक दृष्टि से देखना, साहित्य की प्रवत्ति बन गया। उन्होंने कल्पना के स्थान पर बौद्धिकता पर बल दिया और इसी वाक्य में विषय-वस्तु की अपेक्षा आकृति पर बल दिया गया।

(5) वे “Correctness” का बहुत

आदर करते थे और अतियों की उपेक्षा करते थे।

(6) उन्होंने भाव एवं उत्साह का दमन किया, और कहा कि हम सब को अभिव्यक्ति के तरीके में सुन्दर एवं सही होना चाहिए।

(7) शब्द “Classic” उस युग के लेखकों की आलोचनात्मक एवं बौद्धिक भावना को दर्शाता है और सुन्दर पॉलिश एवं शब्द चयन तथा कविता लिखने की कला के सहीपन को भी दर्शाता है।

Pseudo-classic चिन्तन, अनुभूति, आकृति तथा शैली- वास्तव में ये कवि classics नहीं थे अपितु ‘Pseudo-classics’ अथवा बनावटी classics थे। प्राचीन शास्त्रीय साहित्य की विशेषतायें थीं-विषय एवं आकृति के बीच सहज सन्तुलन। परन्तु Pope के युग में यह सन्तुलन बिखर गया। Pope के युग के लेखक विषय की परवाह नहीं करते थे, वे आकृति की परवाह करते थे, वे शैली की परवाह करते थे। वे शैली अथवा विधि की परवाह करते थे, वे कलात्मक पॉलिश एवं सजाने की परवाह करते थे, परन्तु वे वास्तविक कवित्त की प्रेरणा की परवाह नहीं करते थे। उन्होंने निहित अर्थ, विचार एवं अनुभूति को आकृति एवं शैली के आधीन बनाया।

Neo-classical कवि मानते थे कि विषय, विचार अथवा निहित अर्थ साधारण अथवा तुच्छ हो सकते हैं, परन्तु इसकी अभिव्यक्ति पॉलिश एवं पूर्ण होनी चाहिये। वे मौलिक विचार की परवाह नहीं करते थे, अपितु अपनी अभिव्यक्ति की पॉलिश तथा सुन्दरता पर जोर देते थे। उनके लेखों में सरल शब्दों को परिश्रमपूर्वक हटाया गया है, उनका विचार साधारण, तुच्छ एवं अत्यन्त सरल होता है। इस प्रकार Neo-classical कवियों ने आकृति को अनुभूति से ज्यादा, तर्क को कल्पना से ज्यादा, और “Correctness” को कविता के आनन्द से ऊपर स्थान दिया। इससे उनकी कविता भावुकता से हीन, प्रेरणा से हीन, एवं Pseudo classical बन गई।

Neo-classical chat ( स्कूल )

“Neo-classical school” का कविता को classical कहा जाता है। इसका उदय।

Neo-Classicism

105 Dryden के युग में हुआ और यह अठारहवीं शताब्दी के अन्त तक छायी रही।

– अर्थ- Neo classicism का अर्थ है Aristotle एवं अन्य यूनानी एवं रोमन आलोचकों द्वारा लिखे गये नियमों एवं सिद्धान्तों का सम्मान करना। इन नियमों एवं सिद्धान्तों की पहले तो इटली के लोगों ने व्याख्या की और सम्वधित किया, और इसके बाद Louis XIV के शासनकाल के आलोचकों ने व्याख्या की। इस आन्दोलन की व्याख्या करते हुये Atkins ने कहा है कि यह तो फ्रांस की एक पद्धति है, जिसे Louis XIV के शासनकाल में विकसित किया गया, यह यूनान के मौलिक प्राचीन ग्रन्थों की कोरी नकल नहीं है। Augustan साहित्य के युग में England में लिखा गया। हम इसे Augustan साहित्य कहते हैं, जो 1660 से 1780 तक अर्थात् Dryden की परिपक्वता से Dr. Johnson की मृत्यु तक माना जाता है। Augustan साहित्य एवं Classical साहित्य निम्नलिखित बातों में मिलते जुलते हैं

(1) विचार एवं अभिव्यक्ति की स्पष्टता।

(2) भावुकता का दमन करना।

(3) नियमों का वफादारी से पालन करना।

(4) बौद्धिकता।

(5) तर्क को ऊँचा स्थान देना।

इन गुणों के अतिरिक्त Pope के युग के साहित्य को यूनान के Classicism से और कुछ लेना-देना नहीं था। इसका आदर्श Latin कवि एवं आलोचक Horace था। इस यग के मुख्य लेखक थे

(1) Metaphysical कवियों की अतियों के विरुद्ध विद्रोह स्वाभाविक रूप से व्यवस्था, सन्तुलन एवं समझदारी के पक्ष में चला गया। उनकी अतिश्योक्तियाँ, विचित्र उपमायें एवं रुपक तथा अत्यन्त उन्माद भरी सीमा तक लम्बे conceits ने Neo-classicism के लिये मार्ग प्रशस्त कर दिया, जिसका जोर मर्यादा एवं शुद्धता पर था।

(2) फ्रांसीसी प्रभाव का छाया होना एक बहुत ही महत्वपूर्ण कारण बना। यह प्रभाव King Charles || के माध्यम से आया। Restoration के बाद के समय में Dryden एवं Congreve जैसे कवि फ्रांसीसी संस्कृति, फ्रांसीसी नियमों के प्रति सम्मान और फ्रांसीसी साहित्य के सिद्धान्तों से प्रभावित हये। फ्रांसीसी लेखकों ने साहित्य के विषय में बड़े कटोर नियम पहले ही बना दिये थे। ये सब चीजें Kina Charles || के माध्यम से आयीं जो एक से ज्यादा फ्रांस में रह चुके थे। इस समय फ्रांसीसी आलोचक और नाटककार बड़े हावी थे। Shakespeare और Spenser को पहले ही उपेक्षित कर दिया गया था। लेखक लोग फ्रांसीसी लेखकों की पूरी नकल करते थे, बल्कि यों कहिये कि उन्होंने फ्रांसीसियों की wit, कोमलता और बहुतायत में विचारों के स्थान पर उनकी अत्यन्त खराब बातों की नकल की। फ्रांसीसी comedy का असम्यक प्रभाव Dryden और Congreve की comedies के भद्देपन में झलकता है। French और Classical Tragedies का मिश्रित प्रभाव “Heroic Tragedy” (एक नयी विधा) जैसे कि Dryden का “AII For Love” में पाया जाता है। French प्रभाव के कारण, England में restoration age में “The Opera” का विकास एवं लोकप्रियता बढ़ी।

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(3) Elizabethans एवं Metaphysicals की अतियों के विरुद्ध प्रतिक्रिया-Neo-classical युग, Elizabethan, Metaphysical (जिनके नेता Donne थे) की अतियों के खिलाफ एक प्रतिक्रिया युग था। यह प्रतिक्रिया बात को सीधा कहने और अभिव्यक्ति की सरलता की विशेष प्रवृत्ति के रूप में आयी, और अंग्रेजी साहित्य इस शानदार प्रवत्ति के लिये ऋणी है। इस युग से पहले लेखक लोग classical quotations एवं संदभा से भरे भ्रमात्मक वाक्य प्रयोग करते थे। Restoration युग के लेखकों ने इस प्रवृत्ति का विरोध किया। उन्होंने फ्रांसीसियों द्वारा व्याख्या के हेतु प्राचीन लोगों के नियमों को ठीक प्रकार से पालन करने पर जोर दिया। __इस “correctness” का अर्थ था “उत्साह की उपेक्षा करना, साधारण राय साधारण रूप से व्यक्त करना, कवित्व की तनकीक में ज्यादा ध्यान और सहीपन होना, और Latin भाषा के “classics” का विनम्रतापूर्वक अनुसरण करना। Dryden में यह नयी प्रवत्ति विशेष रूप से दिखती है। यह मुख्य रूप से इसी के प्रभाव के कारण हुआ कि लेखकों ने कुछ विशेष बातें विकसित की-शैली की औपचारिकता, गणित के समान सही सुन्दरता, जिसे गलती से Classicism कहा गया। यह प्रवृत्ति अगली शताब्दी तक अंग्रेजी साहित्य पर छायी रही। Dryden इस Neo-classicism अथवा Pseudo-classicism का पहला प्रवक्ता बना।

(4) नवीन खोज, गहरी भावुकता, जिज्ञासा और साहस आदि को एक अव्यवस्थित मस्तिष्क की Wildness माना गया। इसे बिना संयोजन के Nature माना गया, जो घटिया एवं असभ्य चीज थी।

(5) Neo-classicism के साथसाथ वैज्ञानिक भावना एवं नये दर्शन का भी विकास हुआ। इसका जोर तर्क-संगत, स्पष्टता और विचार एवं अभिव्यक्ति की सरलता और सभी अति सम्बन्धी बातों की उपेक्षा पर रहा। इन तमाम बातों ने Neo-classicism को बढ़ावा दिया।

(6) Hobbes जैसे दार्शनिकों ने बताया कि कल्पना का मार्गदर्शन निर्णय द्वारा होना चाहिये। The Royal Society for Science की पहले ही स्थापना हो चुकी थी। वैज्ञानिकों ने आत्म-संयम, सरलता और तर्क संगतता को पसन्द किया।

(7) समय बीतने के साथ-साथ Neo-classical Movement कठोर हो गया। भावना की बलि देकर भी नियमों का पालन किया गया।

Neo-Classical school की मुख्य विशेषतायें Neo-classical स्कूल की जिसके प्रमुख लेखक Dryden तथा Pope हैं, प्रमुख विशेषतायें अथवा Augustan युग के लेखकों की साधारण विशेषतायें निम्नलिखित हैं

(1) नियमों के लिये सम्मानAugustan युग के लेखक classical लेखकों का. विशेष रूप से Romans का भारी सम्मान करते थे। वे विश्वास करते थे कि Roman लेखकों ने आने वाले युगों के लिये, प्रमुख साहित्यिक विधायें स्थापित की और उन्हें पूर्ण बनायाNeo-classical लेखकों का विश्वास था कि शास्त्रीय नियमों का पालन करना स्वयं Nature का अनुसरण करना है। अत: वे प्राचीन लेखकों को अपने लिये अध्ययन एवं आनन्द का स्रोत मानते थे। वे यह भी विश्वास करते थे कि प्राचीन लेखकों ने सीधे ढंग से “methodised nature”, और कुछ नियम बना दिये जिन्हें महान साहित्य के सृजन के लिये माना जाना चाहिये। नाटक लिखने के लिये “three unities” को आवश्यक समझा जाना चाहिये। Aristotle के अनुसार tragi-comedy त्याग दिया गया।

(2) वे साहित्य को एक कला मानते थे, जिसमें कठोर परिश्रम और लम्बे अध्ययन के द्वारा शास्त्रीय लेखकों, विशेष रूप से Horace के ग्रन्थों का अध्ययन करके, उत्तमता को प्राप्त किया जा सकता है। उनकी पद्धति पूर्णतयः पेशेवर थी।

(3) सहीयनउनका उद्देश्य ठीक एवं सही लिखना था। उनके इस उद्देश्य की उनकी heroic couplet उदाहरण सहित प्रस्तुत करती है। correctness का अर्थ reason एवं अच्छी समझदारी पर बल देना था। लेखकों को चाहिये कि नियमों का सही तौर से अनसरण करें। ये नियम अति कल्पना और भावुकता को नियन्त्रित करें और कल्पना और निर्णय के बीच सन्तुलन बनायें।

प्रेरणा’ को सन्तुलित रूप में मान्यता दी जाये। जीवन एवं साहित्य में सम्यकता को। स्वर्णिम नियम माना गया।

(3) जीवन की कल्पना- वे मानव और इसके कार्यकलापों को अथवा उसकी साधारण विशेषताओं को, प्रकृति, ब्रह्माण्ड एवं परमात्मा से उसके सम्बन्धों को, अपने ग्रन्थों का मुख्य विषय मानते थे। इससे उन्होंने मानव एवं जीवन की कल्पना की”The proper study of mankind is man”

(Pope – “An Essay on Man” कवि को चाहिये कि सारे विश्व के सत्य विचारों का चित्रण करे।

(4) भाषा एव शब्द चयनवे निर्णय एवं कारण को प्रशंसा के योग्य गुण मानते थे। वे समझते थे कि कविता की शैली एवं शब्द चयन सज्जनतापूर्ण हो, ऊँचा उठने वाला हो और शानदार हो। Virgil उनके आदर्श थे। मानवीकरण एवं बात को लम्बी करके कहने का वे प्रयोग करते थे ताकि अपने शब्द-चयन को शान और ऊँचाई प्रदान कर सके। इसी उद्देश्य को दृष्टि में रखकर वे साधारण शब्दों की उपेक्षा करते थे और पौराणिक देवी-देवताओं का प्रयोग करते थे। इसी कारण वे मिश्रित शब्दों एवं epithets (nouns) को प्रयोग में लाते थे। इस प्रकार बनावटी कवित्व शब्द चयन बना, जिसे आगे चलकर Wordsworth ने अपनी “Preface to Lyrical Ballads” में भर्त्सना की।

(5) शैलीवे व्यवस्था एवं सन्तुलन को प्यार करते थे, नियन्त्रण, सहजता और समानुपात को वे अत्यन्त वांछनीय सद्गुण मानते थे। चलन से बाहर के शब्दों और conceits को वे प्रयोग में नहीं लाते थे।

(6) खोज (अन्वेषण)-परम्परा एवं साधारण चीजों पर बल देने के अतिरिक्त वे नयी एवं विशेष बातों को स्वीकार करने के लिये तैयार रहे थे। उन्होंने खोज. अतिकल्पना में गहरी रुचि दिखाई।

(7) Satire-उन्होंने व्यंग को सुधारने का यन्त्र बनाया। व्यंग, अतियों-मुर्खता, छोटी-छोटी मूर्खतापूर्ण बातें एवं भ्रष्टाचार आदि को सुधारने एवं नियन्त्रित करने का साधन माना। अन्य शब्दों में, उन्होंने उन तमाम बातों की भर्त्सना की जो नैतिक व्यवस्था एवं अनशासन के पार्ग में बाधक हैं। Pope व्यवस्था को “आकाश का प्रथम कानन” मानते थे। इस प्रकार “Neo-classical” लेखक कुछ नैतिक थे और कुछ सौन्दर्यानुभूति की जिम्मेदारी

तो और यह जिम्मेदारी थी शिक्षा और आनन्द देना। नाटक और महाकाव्य कविता की सबसे अच्छी आकृतियाँ हैं जो इस युग के लेखकों की पहुँच से परे थीं। उनमें गीत की तीवता नहीं थी और वे गीत लिखने में सक्षम नहीं थे। वे तो केवल व्यंग लिख सकते थे जो निश्चय ही सर्वोच्च प्रकार की कविता नहीं है। एसा राजनाति एवं साहित्य के दर्भाग्य हआ। इस युग का लगभग प्रत्येक लेखक दो राजनैतिक दलों द्वारा एक दूसरे पर व्यंग कसने के लिये प्रयुक्त होता था। निःसन्देह Dryden, Pope, Swift और Addison के व्यंगों में दर्लभ चमक है और वे अंग्रेजी भाषा में सर्वश्रेष्ठ व्यंग हैं। परन्तु इन्हें महान साहित्य नहीं कह सकते।

(8) साहित्यिक सिद्धान्तों एवं मानकों की नकल परिश्रमपूर्वक करते थेयदि ज्यादा सही तरीके से कहा जाये तो Pope का युग Neo-classical अथवा Pseudoclassical युग कहलाता है। इस युग के लेखक रोम के राजा Augustus Caesar के शासनकाल के लेखक Virgil, Horace, Cicero और अन्य प्राचीन लेखकों के साहित्यिक सिद्धान्तों एवं मानकों की परिश्रमपूर्वक नकल करते थे। ये रोम के लेखक कुछ शताब्दियाँ पहले ही यूनान के शास्त्रीय लेखकों के नमूने पर, कार्य कर चुके थे। Pope के युग के अंग्रेजी लेखक मानते थे कि हम साहित्य एवं सामाजिक तौर-तरीकों में पूर्णता प्राप्त कर चुके हैं। वे अनुशासन एवं तर्क को बहुत ऊँचा मानते थे। फलत: लगभग एक शताब्दी तक आलोचनात्मक आदत एवं तर्कशीलता ने कल्पना, भावुकता और सृजनात्मक गुणों को दबाकर रखा।

(9) इस युग की कविता लंदन नगर के धनवान एवं फैशनबाज उच्च वर्ग की नगरीय कविता है- लेखक लोग दावा करते थे कि हम “Nature” का अनुसरण करते हैं। परन्तु वह “Nature’ जिसे वे follow करते हैं “human nature” है जो कि लंदन समाज के फैशनबाज लोगों में प्रगट होती है। यह कविता बुराइयों, अच्छी बातों, छैल-छबीले लड़के-लड़कियों की छोटी-छोटी मूर्खताओं, क्लबों एवं Coffee-houses के जीवन, और ग्रामीण क्षेत्रों के बनावटी तरीकों एवं फैशन, का चित्रण करती है। यह उस “Nature” का चित्रण नहीं करती जो हमें Wordsworth की कविताओं में मोहित करती है। Dryden और Pope फूलों और पत्तियों के संसार को प्यार नहीं करते।

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(10) वे केवल एक छन्द Heroic Couplet, का प्रयोग करते थे- Neoclassical कवि केवल एक छन्द Heroic Couplet का प्रयोग करते थे। उन्होंने इस कविता के रूप को पूर्ण बनाया और अन्यों को मात कर दिया। इस छन्द का प्रयोग दर्लभ चमक और प्रभाव के साथ व्यंगात्मक एवं बौद्धिक कविता के लिये किया गया। Pope के हाथों में यह छन्द पूर्णत: एवं “Correctness” को कर गया। Dryden इस सम्बन्ध में पिछड़ गये। परन्तु अति उत्तमता उबाने वाली एवं कठोर बन गई, और ऐसा Pope के अनुयायियों के हाथों में हुआ।

(11) शिक्षाप्रद होनाकविता का कार्य शिक्षा एवं आनन्द देना था। शिक्षा देने का कार्य आनन्द देने से ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया। अत: ‘Poetic Justice’ को अवश्य ही follow किया गया, कवि को चाहिये कि सद्गुण को उपयुक्त पुरस्कार दे और बुराई को दण्ड दे। Dryden एवं अन्य कवि भी विश्वास करते थे कि कविता हृदय को प्रभावित करे। दुखान्तः नाटक आत्मा के घमण्ड को और हृदय की कठोरता को शुद्ध करें। दया एवं प्रशंसा को अब दुखान्तः नाटक का कार्य माना गया।

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Neo-classical युग : गद्य और तर्क का युग

Neo-classical युग ने औपचारिकता, सहीपन, उत्साह की उपेक्षा, तर्क को गहरी अनुभूति से ऊँचे मानना, आदि की एक विशेष प्रवृत्ति को उभरते देखा। इससे इस मत-“Age of Prose and Reason” का औचित्य प्रगट होता है।

Dryden के युग में अंग्रेजी गद्य पैर जमाने लगी और गद्य शैली धीरे-धीरे विकसित होने लगी। यह गद्य शैली दैनिक जीवन की भिन्न-भिन्न आवश्यकताओं के लिये प्रशंसनीय ढंग से उपयुक्त थी।

इस युग का आलोचनात्मक स्वभाव, विज्ञान की वृद्धि, धार्मिक एवं राजनैतिक विवाद-सबने Neo-classical कविता को पोषित किया। इससे पहले युग के लेखक (The Elizabethans और Metaphysicals) बहुधा त्रुटिपूर्ण थे, साहित्य बहुधा भारी और अस्पष्ट, और Latin शब्दों, शास्त्रीय संदर्भो एवं उद्धरणों से लदा हुआ था। परन्तु अब हम पाते हैं कि Dryden को आधुनिक गद्य का पिता कहा जाता है। John Bunyan के संग, अंग्रेजी गद्य

और ज्यादा सरल हो गयी जबकि अभी भी इसका सशक्त एवं प्रभावशाली बना रहना जारी रहा।

आज की कविता कुछ नीरससी दिखाई पड़ती है। कवि लोग कविता में तर्क करते हैं। अब कविता बहुत लम्बे समय तक “divine frenzy” की अभिव्यक्ति नहीं रही। परन्तु अब इसका प्रयोग कथात्मक, व्यंगात्मक तथा शिक्षाप्रद उद्देश्यों के लिये अभिव्यक्ति में होने लगा। कविगण कविता में तर्क या कारण बताने लगे। गीत की भावना मुख्यत: गिरावट की ओर थी और Dryden से बाहर गीत-कविता बहुत कम पायी जाती है। कविता का सृजन बड़े पैमाने पर कथात्मक एवं तर्कपूर्ण था। इसका उद्देश्य आश्वस्त करना, समझाना-बुझाना था, प्रेरित करना नहीं। कुछ हालात जिसमें धार्मिक एवं राजनैतिक विवाद सम्मिलित हैं, के फलस्वरूप व्यंग की अद्वितीय वृद्धि हुई। उसके युग की सबसे कविता व्यंगात्मक है। Dryden की “Asalom and Achitophel” और Pope की “Rape of the Lock” क्रमशः राजनैतिक एवं सामाजिक व्यंगों के उत्तम उदाहरण हैं।

Neo-classical युग का साधारण स्वभाव कविता की अपेक्षा गद्य के लिये और शिक्षाप्रद होने के लिये एवं तर्क संगतता के लिये ज्यादा उपयुक्त था। अत: यह उपयुक्त ही है कि M. Arnold ने इस युग को “Age of Prose and Reason” कहकर पुकारा।

 

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