BCom 1st Year Hire Purchase System Calculation Table and Interest study Material notes In Hindi

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[XII] बीमा प्रीमियम का किराया-क्रेता द्वारा भुगतान (Payment of Insurance Premium by the Hire-Purchaser) :

किराया-क्रय पर सम्पत्ति बेचने वाला अन्तिम किश्त के भुगतान प्राप्त करने तक स्वामी ही बना रहता है अर्थात् स्वामित्व किराया-विक्रेता का ही रहता है। वह अपनी सम्पत्ति की सुरक्षा के लिये बेची हुई सम्पत्ति का बीमा करा लेता है और किराया क्रय अनबन्ध में वह यह शर्ते भी लिखता है कि शेष धनराशि पर किराया-क्रेता बीमा प्रीमियम की धनराशि का भुगतान प्रत्येक किश्त की धनराशि के साथ किराया-विक्रेता को करेगा, किराया-क्रेता यह शर्त स्वीकार कर लेता है। ऐसी स्थिति में किराया-क्रेता और किराया-विक्रेता की पुस्तकों में निम्न प्रकार लेखे किये जाते हैं। किराया-क्रेता की पुस्तकों में बीमा प्रीमियम के लेखे (Entries of Insurance Premium in the Books of Hire Purchaser):

(i) प्रत्येक किश्त के देय होने की तिथि पर ब्याज एवं बीमा प्रीमियम देय होने का भी लेखा किया जाता है इसके लिये व्याज की धनराशि से ब्याज खाते को डेबिट और बीमा प्रीमियम की धनराशि से बीमा प्रीमियम खाते को डेबिट और दोनों की धनराशियों के। योग से किराया-विक्रेता खाते को क्रेडिट किया जाता है :

Interest Account                                                          Dr.

Insurance Premium Account                                 Dr.

To Hire-Vendor’s Account

(For Amount of Interest and Insurance Premium Due)

(ii) वर्ष के अन्त में ब्याज और हास की धनराशि को लाभ-हानि खाते में हस्तान्तरित करने के साथ ही बीमा प्रीमियम की धनराशि को भी लाभ हानि खाते में हस्तान्तरित करते हैं। इसके लिए लाभ-हानि खाते को डेबिट और व्याज खाते, हास खाते एवं बीमा प्रीमियम खाते को क्रेडिट किया जाता है :

Profit & Loss Account                                                Dr

To Interest Account

To Depreciation Account

To Insurance Premium Account

(For Transfer of Interest Alc, Depreciation A/c and Insurance Premium A/c to .

किराया-विक्रेता की पुस्तकों में बीमा प्रीमियम के लेखे (Entries of Insurance Premium in the Books of Hire-Vendor) : __

(i) बीमा प्रीमियम की धनराशि का भुगतान करने पर बीमा प्रीमियम खाते को डेबिट और रोकड़ खाते /बैंक खाते को क्रेडिट किया जाता है :

Insurance Premium Account                                                              Dr.

To Cash Account/Bank Account (For Payment of Insurance Premium)

(ii) व्याज की धनराशि के साथ बीमा प्रीमियम की धनराशि किराया-क्रेता से वसूल की जाती है, अतः इनकी धनराशियों के योग से किराया-क्रेता खाते को डेबिट और ब्याज खाते एवं बीमा प्रीमियम खाते को क्रेडिट किया जाता है :

Hire-Purchaser’s Account                                                                     Dr.

To Interest Account

To Insurance Premium Account

(For Interest and Insurance Premium charged from Hire-Purchaser)

उदाहरण 18. आर० एल० एण्ड कम्पनी ने एक मशीनरी एस० के० एण्ड कम्पनी से 1 अप्रैल, 2005 को किराया-क्रय पद्धति पर क्रय की। इसका रोकड़ मूल्य 24,000 रु० था और किराया-क्रय मूल्य 28,000 रु० था, इसका भुगतान निम्न प्रकार किया गया :

7,000 रु0 अनुबन्ध पर हस्ताक्षर करते समय और शेष धनराशि का भुगतान तीन किश्तों में, जिनमें से प्रत्येक किश्त 7,000 रु० की है और प्रत्येक वर्ष के अन्त में दी जानी है। एस० के० एण्ड कम्पनी द्वारा 10% वार्षिक की दर से प्रत्येक वर्ष की बाकियों पर ब्याज लगाया जाता है और 2% बीमा प्रीमियम भी प्रतिवर्ष की बाकियों पर आर० एल० कम्पनी से लिया जाता है। बीमा प्रीमियम का भुगतान वार्षिक किश्त के साथ किया जाना है। आर० एल० कम्पनी की पुस्तकों में किराया-विक्रेता खाता तथा बीमा प्रीमियम खाता बनाइए।

  1. L. & Company purchased a Machinery on 1st April, 2005 from S. K. & Company on Hire Purchase System. The Cash Price of this was Rs. 24,000 and Hire-Purchase Price was Rs. 28,000. Its payment was made as follows :

An amount of Rs. 7,000 was paid on signing the contract and the balance was to be paid in three equal Instalments of Rs. 7,000 each at the end of each year. S. K. & Company charges Interest @ 10% p.a. on yearly balances and also charges 2% Insurance Premium on yearly balances. Insurance Premium is to be paid alongwith the amount of annual Instalment. Prepare Hire-Vendor’s Account and Insurance Premium Account in the Books of R. L. & Company.

 [XIII] किश्तों के भुगतान में त्रुटि करने पर विक्रेता द्वारा माल वापस प्राप्त करना :

यदि किराया-क्रेता शर्तों के अनुसार किश्तों का भुगतान नहीं करता है, तो किराया-विक्रेता को यह अधिकार होता है कि वह किराया-क्रय पद्धति के अन्तर्गत बेचा हुआ माल वापस प्राप्त कर ले और प्राप्त किश्तों को किराया स्वरूप मान ले। ऐसी दशा में किराया-क्रेता और किराया-विक्रेता की पुस्तकों में निम्नलिखित लेखे किये जाते हैं :

किराया-क्रेता की पुस्तकों में लेखे (Entries in the Books of Hire-Purchases) :

(1) जब किराया-क्रेता प्रथम पद्धति के अनुसार लेखा करता है अर्थात् सम्पत्ति खाते को किश्त की धनराशि से डेबिट करता है तो सम्पत्ति खाते को शेष धनराशि से लाभ-हानि खाते को डेबिट और सम्पत्ति खाते को क्रेडिट करना चाहिये :

Profit & Loss Account                                                     Dr.

To Asset Account

(For Writing-off Loss on Asset from P. & L. A/c)

(2) यदि किराया-क्रेता ने द्वितीय विधि के अनुसार लेखे किये हैं अर्थात् सम्पत्ति खाते को रोकड़ मूल्य (Cash Price) से डेबिट किया है, तो निम्न प्रविष्टियाँ की जायेंगी : (i) किराया-विक्रेता के खाते की बाकी धनराशि से किराया-विक्रेता खाता डेबिट और सम्पत्ति खाता क्रेडिट किया जायेगा :

Hire-Vendor’s Account                                                         Dr.

To Asset Account

(For Balance of Hire-Vendor’s transferred to Asset A/c)

(ii) सम्पत्ति खाते की बाकी धनराशि से लाभ-हानि खाते को डेबिट और सम्पत्ति खाते को क्रेडिट किया जायेगा ।

Profit & Loss Account                                                           Dr.

To Asset Account

(For Transfer of Balance of Asset to Profit & Loss A/c)

chetansati

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