BCom 2nd Year Penalties Procedures Supplemental Study Material Notes in Hindi

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BCom 2nd Year Penalties Procedures Supplemental Study Material Notes in Hindi 

BCom 2nd Year Penalties Procedures Supplemental Study Material Notes in Hindi: Provisions Related to Penalties and procedures Supplemental Provisions Service of Notice Submission of Returns Obligation of Workers Effects of Factories Act Important Examination Questions Long Answer Questions Short Answer Questions )

Penalties Procedures Supplemental
Penalties Procedures Supplemental

BCom 2nd Year Special Provisions Regarding Health Safety Study Material Notes in Hindi

दण्ड, कार्यविधि एवं पूरक प्रावधान

(PENALTIES, PROCEDURES AND SUPPLEMENTAL)

कारखाना अधिनियम, 1948 के अन्तर्गत उल्लेखित विभिन्न प्रावधान तब तक सार्थक नहीं होंगे जब तक कि इन्हें पूर्णतया कार्यान्वित न कराया जाये। प्रस्तुत अध्याय के अन्तर्गत सम्बन्धित प्रावधानों के कार्यान्वयन की विधि तथा अवहेलना की दशा में दण्ड व्यवस्थाओं का उल्लेख किया गया है। कारखाना अधिनियम, 1948 की धारा 92 से 106 में दण्ड एवं कार्यविधि सम्बन्धी प्रावधानों का उल्लेख किया गया है एवं धारा 107 से 120 में कुछ पूरक प्रावधान दिये गये हैं। दण्ड, कार्यविधि एवं पूरक प्रावधानों की विस्तृत विवेचना निम्न प्रकार है

Penalties Procedures Supplemental

दण्ड एवं कार्यविधि से सम्बन्धित प्रावधान

(Provisions Related to Penalties and Procedures)

1 अपराधों के लिए सामान्य दण्ड (General Penalty for offences) यदि किसी कारखाने का परिभोगी अथवा प्रबन्धक भारतीय कारखाना अधिनियम की किसी धारा अथवा इसके अन्तर्गत बनाये गये किसी नियम अथवा इसके अन्तर्गत दिये गये किसी लिखित आदेश का उल्लंघन करता है, तो उसे अधिकतम 2 वर्ष तक का कारावास अथवा एक लाख रुपए तक का आर्थिक दण्ड अथवा दोनों दण्ड दिये जा सकते हैं। यदि ऐसा उल्लंघन दण्ड देने के पश्चात् भी जारी रहता है तो जब तक उल्लंघन जारी रहेगा, प्रतिदिन 1,000 रुपए तक का आर्थिक दण्ड भी लगाया जा सकता है।

उल्लंघन की अवधि में दुर्घटनाकारखाना अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन होने के कारण यदि कोई व्यक्ति दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप या तो उसकी मृत्यु हो जाती है अथवा गम्भीर शारीरिक चोट से ग्रस्त हो जाता है, तो मृत्यु की दशा में कम-से-कम 25,000 रुपए तथा गम्भीर शारीरिक चोट की दशा में कम-से-कम 5,000 रुपए के आर्थिक दण्ड का कारखाने का परिभोगी अथवा प्रबन्धक भागी होगा।

गम्भीर शारीरिक चोट से आशयगम्भीर शारीरिक चोट में शरीर के किसी अंग का पूर्ण नुकसान अथवा देखने या सुनने की पूर्ण क्षति अथवा किसी भी हड्डी का टूटना सम्मिलित है, किन्तु इसमें हाथ या पैर की उँगलियों के जोड़ की हड्डी के टूटने को शामिल नहीं किया जायेगा।

2. कुछ परिस्थितियों में भूगृहादि के स्वामी का दायित्व (Liability of owner in Certain Cases)-धारा 93 के अनुसार, जब किसी भू-गृहादि में भिन्न-भिन्न भवन पृथक्-पृथक् परिभोगियों को पृथक्-पृथक् कारखानों के रूप में प्रयुक्त करने के लिए पट्टे पर दिए गए हों तो ऐसे भू-गृहादि का स्वामी इस अधिनियम में वर्णित संयुक्त सुविधाओं और सेवाओं, जैसे कारखाने तक पहुँचने के मार्ग.पानी आदि निकालने की नालियाँ, जल की आपूर्ति, प्रकाश और सफाई इत्यादि का प्रबन्ध करने के लिए उत्तरदायी होगा। वह प्रावधानों के किसी भी उल्लंघन के लिए उसी प्रकार से दायी होगा जिस प्रकार कारखाने का परिभोगी अथवा प्रबन्धक होता है।

भू-गृहादि का स्वामी शौचालय और नहाने-धोने की सुविधाओं से सम्बन्धित प्रावधान का पालन करने के लिए दायी रहेगा।

3. अपराध की पुनरावृत्ति की दशा में अधिक दण्ड (Enhanced Penalty after Previous Conviction)-धारा 94 के अनुसार, धारा 92 के अन्तर्गत यदि दो वर्ष के अन्दर कोई व्यक्ति पहले किसी अपराध के लिए दण्डित किया जा चुका है और फिर वह उसी प्रावधान का उल्लंघन करने के अपराध का दोषी होता है तो इस प्रकार पुनः दोषी होने पर उसे तीन वर्ष तक की कैद अथवा 10,000 रुपए से 2 लाख रुपए। तक का जुर्माना अथवा दोनों दण्ड दिए जा सकते हैं।

धारा के लिए दो वर्ष के बाद होने वाले अपराध को अपराध की पुनरावृत्ति नहीं माना जाता है। न्यायालय पर्याप्त कारण होने पर विशेष दशा में दस हजार रुपए से कम अर्थदण्ड भी लगा सकता है।

यदि उल्लंघन के कारण दुर्घटना से कोई मृत्यु हो जाती है अथवा गम्भीर शारीरिक चोट लग जाती है तो मृत्यु होने की दशा में अर्थदण्ड पैंतीस हजार रुपए से कम नहीं होगा और गम्भीर शारीरिक चोट लगने का दशा में यह दस हजार रुपए से कम नहीं होगा।

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4. निरीक्षक के कार्य में बाधा उत्पन्न करने पर टण्ट (Penalty for Obstruction in the Ins Work)-धारा 95 के अनुसार, निरीक्षक को जो अधिकार दिए गए हैं उनका निरीक्षक द्वारा प्रयोग करने में यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर बाधा डालता है या रजिस्टर अथवा अधिकार में रहने वाले अन्य कागज प्रस्तुत करने में त्रुटि करता है या किसी श्रमिक को निरीक्षक के समक्ष प्रस्तत होने या निरीक्षक द्वारा उसकी जांच करने में बाधा डाता है या उसे छिपाता है तो ऐसे व्यक्ति को 6 माह तक की कैद अथवा 10,000 रुपए तक जुमाना । अथवा दोनों से दण्डित किया जा सकता है।

5. धारा 91 के अन्तर्गत विश्लेषण के परिणाम त्रटि से प्रकट करने के लिए दण्ड (Penalty for Wrongfully Disclosing Result of Analysis under Section 91) [धारा 96]-जो भी व्यक्ति धारा 91 के अन्तर्गत सरकारी विश्लेषक द्वारा किए गए विश्लेषण के परिणाम किसी अन्य व्यक्ति को प्रकट करता है। अथवा उन्हें प्रकाशित करता है तो उसे 6 महीने तक की कैद अथवा 10.000 रुपए जुर्माना अथवा दोनों से। दण्डित किया जा सकता है। धारा 41B, 410 और 41H का पालन न करने पर सात साल की कैद अथवा । 2 लाख रुपए तक का आर्थिक दण्ड अथवा दोनों दण्ड दिये जा सकते हैं।

6. श्रमिक द्वारा अपराध (Offences by Workers)-धारा 97 के अनुसार, धारा 111 के प्रावधानों के अन्तर्गत कारखाने में नियुक्त कोई भी श्रमिक यदि इस अधिनियम के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन करता है अथवा किसी नियम या आदेश का पालन नहीं करता है तो श्रमिक को 500 रुपए तक के अर्थ-दण्ड से दण्डित किया जा सकता है।

7. स्वस्थता का झूठा प्रमाणपत्र उपयोग करने पर दण्ड (Penalty for Using False Certificate of Fitness)-धारा 98 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी दूसरे व्यक्ति को प्रदान किये गये स्वस्थता प्रमाण-पत्र को अपने उपयोग में लाता है अथवा उपयोग में लाने हेतु प्रयल करता है अथवा प्रमाण-पत्र दूसरों को उपयोग में लाने के लिए दे देता है तो उस व्यक्ति को दो माह तक का कारावास अथवा 1,000 रुपए तक का अर्थदण्ड अथवा दोनों ही दण्ड दिये जा सकते हैं।

8. बालक को दोहरा काम करने की अनुमति देने के लिए दण्ड (Penalty for Permitting Double Employment of a Child)-धारा 99 के अनुसार, यदि किसी कारखाने में कोई बालक किसी भी दिन दोहरा काम करता है तो उस बालक के माता-पिता अथवा पालक अथवा उसके संरक्षक या उस बालक की मजदूरी से प्रत्यक्ष लाभ उठाने वाले व्यक्ति को 1,000 रुपए तक के जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है। परन्तु यदि न्यायालय में यह सिद्ध कर दिया जाये कि उस बालक ने उनकी बिना सहमति के दोहरा काम किया है तो उन्हें दण्डित नहीं किया जाएगा।

नोटकारखाना (संशोधन) अधिनियम 1987 के द्वारा धारा 100 को समाप्त कर दिया गया है।

9. विशेष दशाओं में परिभोगी या प्रबन्धक का दायित्व से मुक्त होना (Exemption of Occupier or Manager from Liability in Certain Cases)-धारा 101 के अनुसार, यदि यह सिद्ध हो जाता है कि कोई अन्य व्यक्ति दोषी है और कारखाने का प्रबन्धक या परिभोगी न्यायालय को इस बात से सन्तुष्ट कर देता है कि इस अधिनियम के आदेशों का पालन करने के लिए उसने उचित प्रयत्न किया है तथा उस अन्य व्यक्ति ने उसकी जानकारी, सहमति अथवा उपेक्षा के बिना अपराध किया है तो वह अन्य व्यक्ति ऐसे अपराध के लिए दोषी ठहराया जाएगा, उसी प्रकार दण्डित किया जाएगा जिस प्रकार कारखाने का प्रबन्धक या परिभोगी। इस प्रकार ऐसी दशा में कारखाने का प्रबन्धक या परिभोगी अपने दायित्व से मुक्त हो जाएगा।

10. न्यायालय को आदेश जारी करने का अधिकार (Power of Court to make Orders)-धारा 102 के अनसार यदि इस अधिनियम के अन्तर्गत दण्डनीय किसी अपराध के लिए कारखाने के परिभोगी या प्रबन्धक को सजा दी जाती है तो न्यायालय, सजा के अतिरिक्त एक लिखित आदेश द्वारा यह निर्देश दे सकता है कि आदेश में निर्दिष्ट अवधि के अन्दर उन बातों को दूर करने के उपाय किए जाएँ जिनके कारण अपराध हुआ है। यदि निर्दिष्ट अवधि के अन्दर न्यायालय के आदेशों का पालन नहीं किया जाता है तो यह माना जायेगा कि कारखाने के अधिष्ठाता या प्रबन्धक ने पुनः अपराध किया है और इसके लिए न्यायालय उसे माह तक का कारावास अथवा 100 रुपए प्रतिदिन की दर से आर्थिक दण्ड अथवा दोनों ही दण्ड दे सकता है।

Penalties Procedures Supplemental

11. नियोजन (रोजगार) के सम्बन्ध में मान्यता (Presumptions as to Employment) धारा 100 के अनमार यदि कोई व्यक्ति कारखाने में भोजन और विश्राम के मध्यान्तरों को छोडकर किसी भी माय जब कोई काम चल रहा हो अथवा कोई मशीन चल रही हो, कारखाने में पाया जाएगा तो वह कारखाने में काम करने वाला श्रमिक ही समझा जाएगा, जब तक कि इसके विपरीत कोई बात सिद्ध न हो।

12. आय के सम्बन्ध में उत्तरदायित्व (Onus as to Age) [धारा 104]-जब कारखाने में काम करने वाले किसी व्यक्ति की आय एक निर्धारित आय से कम होने के कारण उसके द्वारा किया गया कोई कार्य अथवा त्रुटि एक दण्डनीय अपराध हो जाता है और न्यायालय की राय में वह व्यक्ति निर्धारित आयु से कम आयु का है तो यह सिद्ध करने का भार कि वह व्यक्ति निर्धारित आयु से कम आयु का नहीं है, उसी पर (दोषी व्यक्ति पर) रहेगा, अर्थात् दोषी व्यक्ति को यह सिद्ध करना पड़ेगा कि उसकी आयु निर्धारित आयु से कम नहीं है।

यदि प्रमाणित करने वाला चिकित्सक उक्त श्रमिक की व्यक्तिगत रूप से जांच करने के पश्चात् लिखित रूप में यह घोषित करता है कि उसने उस व्यक्ति की जाँच कर ली है और वह व्यक्ति घोषणा में बतायी गयी आयु से कम आय का है तो इस अधिनियम के उद्देश्यों के लिए ऐसी घोषणा उस व्यक्ति की आयु के सम्बन्ध में एक प्रमाण मानी जाएगी।

13. अवहेलना के लिए सीमाएँ सिद्ध करने का भार (Onus of Proving Limitations for Contravention)-इस अधिनियम के किसी भी प्रावधान या उसके अन्तर्गत बने नियमों की अवहेलना करने या कर्त्तव्य में असफल रहने के दोष की कार्यवाही के दौरान उस अभियुक्त व्यक्ति को ही यह सिद्ध करना पड़ेगा कि उस कर्त्तव्य या प्रावधान का पालन करना व्यावहारिक नहीं था अथवा उस कर्त्तव्य या आवश्यकता को पूरा करने के लिए सभी व्यावहारिक प्रयास कर लिये थे।

14. न्यायालय द्वारा अपराधों की सुनवाई (Cognizance of Offences)-धारा 105 के अनुसार जब तक शिकायत कारखाना निरीक्षक द्वारा अथवा उसकी पूर्वलिखित अनुमति से न की गई हो तब तक अदालत इस अधिनियम के अन्तर्गत किसी भी अपराध की सुनवाई नहीं करेगी।

प्रेसीडैन्सी मजिस्ट्रेट अथवा प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट से ऊपर की श्रेणी वाले न्यायालय को इस अधिनियम के अन्तर्गत किसी दण्डनीय अपराध की सुनवाई करने का अधिकार होगा।

15. अभियोग चलाने की सीमा (Limitation of Prosecutions)-धारा 106 के अनुसार, इस अधिनियम के अन्तर्गत दण्डनीय किसी भी अपराध की सुनवाई कोई भी अदालत तब तक नहीं करेगी जब तक उसकी शिकायत उस तिथि से 3 महीने के अन्दर न की गई हो जिस तिथि को अपराध की जानकारी कारखाना निरीक्षक को मिली हो।

लेकिन यदि अपराध कारखाना निरीक्षक के किसी लिखित आदेश के उल्लंघन से सम्बन्धित हो तो उसकी शिकायत अपराध करने के छ: माह के अन्दर की जा सकती है।

इस अधिनियम के अन्तर्गत किये गये अपराधों के लिए न्यायालय का क्षेत्र निर्धारित करने की दृष्टि से जिस स्थान पर संयन्त्र स्थापित है उस स्थान को ही अपराध का स्थान माना जाएगा।

Penalties Procedures Supplemental

अनुपूरक प्रावधान [धारा 107-120]

(Supplementals Provisions)

1 अपील (Appeals)-यदि कारखाना अधिनियम के प्रावधानों के अन्तर्गत कोई लिखित आदेश कारखाना निरीक्षक द्वारा कारखाना प्रबन्धक या परिभोगी को जारी किया जाता है तो प्रबन्धक या परिभोगी आदेश प्राप्त होने की तिथि से 30 दिन के अन्दर निर्धारित अधिकारी के समक्ष अपील कर सकते हैं। निर्धारित अधिकारी राज्य सरकार द्वारा बनाये गये नियमों के आधार पर ऐसे आदेश की पुष्टि कर सकता है या इसमें परिवर्तन व संशोधन कर सकता है।

राज्य सरकार द्वारा बनाये गये नियमों के अधीन यदि आवश्यक समझे तो अपील अधिकारी एक सहायक की नियुक्ति स्वयं कर सकता है तथा दूसरा सहायक सम्बन्धित उद्योग अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए नियुक्त कर सकता है। यदि सुनवाई की तिथि तक सम्बन्धित उद्योग ने अपना सहायक नियुक्त नहीं किया है अथवा सनवाई की तिथि पर अनुपस्थित रहता है तथा स्पष्ट एवं पर्याप्त कारण भी न हो तो सुनवाई कार्य बिना सहायक के ही सम्पन्न किया जायेगा।

राज्य सरकार द्वारा बनाये गये नियमों के अधीन यदि अपील अधिकारी चाहे तो आदेश को, जिसके विरुद्ध अपील की गई है स्थगित कर सकता है।

2. सूचनाएँ लगाना (Display of Notices) इस अधिनियम के अन्तर्गत जो-जो सूचनाएँ कारखाने में लगाई जाएंगी उनके अलावा प्रत्येक कारखाने में ऐसी सूचना भी लगाई जाएगी जिसमें इस अधिनियम के प्रमुख प्रवेश द्वारा समझी जाती है अंग्रेजी भाषा में तथा ऐसी जाएगा।

सारांश तथा इसके अन्तर्गत बनाए गए नियमों,कारखाना निरीक्षक तथा प्रमाणित करने वाले चिकित्सक के नाम और पते इत्यादि लिखे होंगे।

इस अधिनियम के अन्तर्गत कारखाने में लगाई जाने वाली समस्त सूचनाएँ अंग्रेजी भाषा में तथा ऐसी भाषा में होगी जो कारखाने के बहुसंख्यक श्रमिकों द्वारा समझी जाती हों। यह सचनाएँ स्पष्ट और सुविधाजनक स्थान पर अथवा कारखाने के प्रमुख प्रवेश द्वार के पास लगाई जाएँगी तथा इन्हें स्वच्छ और स्पष्ट दशा में रखा

3. सूचना भेजना (Service of Notice)-राज्य सरकार इस अधिनियम के अन्तर्गत कारखाना स्वामियां व प्रबन्धों के पास भेजे जाने वाले आदेशों की विधि के सम्बन्ध में नियम बना सकती है। [धारा 109] :

4. विवरण पत्र प्रस्तुत करना (Submission of Returns)-राज्य सरकार इस अधिनियम के अन्तर्गत कारखाना स्वामियों व प्रबन्धकों द्वारा समय-समय पर प्रस्तुत किये जाने वाले विवरण-पत्रों के सम्बन्ध में नियम बना सकती है।

5. श्रमिकों के दायित्व (Obligation of Workers) कारखाने में नियुक्त कोई भी श्रमिक यदि निम्नलिखित आदेशों अथवा प्रावधानों का उल्लंघन करता है तो उसे 3 माह तक का कारावास या 100 रुपए तक का अर्थदण्ड अथवा दोनों से ही दण्डित किया जा सकता है(i) कारखाने का कोई भी श्रमिक स्वास्थ्य सुरक्षा एवं कल्याण सम्बन्धी रखे गये उपकरणों सविधाओं या अन्य वस्तुओं में जानबूझकर कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा तथा उनका दुरुपयोग नहीं करेगा।। (ii) कोई भी श्रमिक ऐसा कार्य जानबूझकर या बिना किसी उचित कारण के नहीं करेगा जिससे स्वयंउसे या किसी अन्य को हानि पहुँच सकती है। (iii) कोई भी श्रमिक कारखाने के श्रमिकों की सुरक्षा एवं स्वास्थ्य के लिए रखे गये उपकरणों या अन्य वस्तुओं का उपयोग करने में जानबूझकर लापरवाही नहीं करेगा।

6. नियम बनाने का सामान्य अधिकार (General Power to make Rules)-राज्य सरकार को इस अधिनियम के अन्तर्गत किसी भी तथ्य की व्यवस्था करने या प्रावधानों को कार्यान्वित करने के लिए नियम बनाने का अधिकार है।

7. केन्द्रीय सरकार को निर्देश देने का अधिकार (Power of Central Govt. to give Direction)केन्द्रीय सरकार इस अधिनियम के प्रावधानों को कार्यान्वित करने के लिए राज्य सरकार को निर्देश दे सकती

8. सुविधाओं के लिए शुल्क लेना (No Charge for Facilities and Conveniences)-इस अधिनियम की धारा 46 के प्रावधानों के अधीन अधिष्ठाता द्वारा प्रदान की गई सुविधाओं या उनके प्रबन्ध या सामग्री एवं उपकरणों के सम्बन्ध में किसी भी श्रमिक से कोई भी शुल्क या व्यय वसूल नहीं किया जा सकता हैें ।

9. नियमों का प्रकाशन (Publication of Rules)- … i) इस अधिनियम के अन्तर्गत बनाये गये समस्त नियमों का प्रकाशन सरकारी गजट में किया जायेगा

जो कि पूर्व प्रकाशन की शर्त के अधीन होंगे। दूसरे शब्दों में,उन्हें प्रभावी बनाने के लिए कम-से-कम 45 दिन पहले सरकार द्वारा राज-पत्र में प्रकाशित किया जाना चाहिए। [धारा 115(1)] (ii) इस अधिनियम के अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा नियम बनाने के बाद शीघ्रातिशीघ्र उन्हें राज्य विधान सभा के सम्मुख रखा जायेगा।

10. सरकारी कारखानों पर अधिनियम का लागू होना (Application of Act to Government Factories) जब तक अधिनियम में इसके विपरीत कोई अन्य व्यवस्था न हो कारखाना अधिनियम, 1948 केन्द्रीय व राज्य सरकार के कारखानों पर भी लागू होगा।

11. अधिनियम के अधीन कार्यरत व्यक्तियों को संरक्षण (Protection to Persons Acting Under the Act) यदि कोई व्यक्ति इस अधिनियम के अन्तर्गत सद्भावना से कार्य करता है तो उसके विरुद्ध कोई भी कानूनी कार्यवाही नहीं की जायेगी और न ही वाद प्रस्तुत किया जायेगा।

12. सूचना प्रकट करने पर प्रतिबन्ध (Restriction on Disclosure of Information) कोई भी निरीक्षक सेवाकाल के दौरान तथा सेवा मुक्ति के बाद किसी भी निर्माण प्रक्रिया अथवा व्यवसाय सम्बन्धी जानकारी जोकि उसे अपने कर्तव्यों का पालन करते समय प्राप्त हुई थी, किसी के भी सम्मुख प्रकट नहीं करेगा। केवल न्यायालय के समक्ष आवश्यकता पड़ने पर ऐसी जानकारी प्रकट कर सकता है अन्यथा इस धारा का उल्लंघन करने पर उसे 6 माह तक का कारावास या 1.000 रुपए तक का अर्थदण्ड अथवा दोनों से ही दण्डित । किया जा सकता है।

13. कारखाना अधिनियम की प्रभावशीलता (Effects of Factories Act)-श्रम अनुबन्ध (नियमन एवं समाप्ति) अधिनियम, 1970 के प्रावधानों से असंगत न होते हुए कारखाना अधिनियम, 1948 के प्रावधान प्रभावशील रहेंगे।

विशेष-धारा 120 को निरस्त कर दिया गया है।

परीक्षा हेतु सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न

(EXPECTED İMPORTANT QUESTIONS FOR QUESTIONS)

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

(LONG ANSWER QUESTIONS)

1 भारतीय कारखाना अधिनियम, 1948 के अन्तर्गत विभिन्न अपराधों के लिए क्या दण्ड हैं?

What are the different penalties for offences committed under the Indian Factories Act, 1948?

2. निम्नलिखित के सम्बन्ध में दण्ड की क्या व्यवस्था है-

(i) अपराधों के लिए सामान्य दण्ड,

(i) निरीक्षण के कार्य में बाधा डालने पर दण्ड,

(iii) श्रमिकों द्वारा अपराध,

(iv) सामर्थ्य का झूठा प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने पर तथा

(v) दोहरे रोजगार की अनुमति देने पर दण्ड।

Discuss the provisions regarding penalties relating to the following:

(i) General penalty for the offence,

(ii) Penalty for obstructing inspection work,

(iii) Offences by Workers,

IV. Penalty for using a false certificate of fitness,

(v) Penalty for permitting double employment.

लघु उत्तरीय प्रश्न

(SHORT ANSWER QUESTIONS)

1 कारखाना अधिनियम की धारा 93 में दी हुई कुछ परिस्थितियों में भू-गृहादि के स्वामी के दायित्व को समझाइए।

Explain the liabilities of an owner of premises in certain circumstances under Section 93 of the Factory Act..

2. अपराधों के लिए सामान्य दण्ड की विवेचना कीजिए।

Discuss the General Penalty for offences.

3. निरीक्षक के कार्य में बाधा उत्पन्न करने पर दण्ड की विवेचना कीजिए।

Discuss the penalty for obstruction in the Inspector’s work.

4. आयु के सम्बन्ध में उत्तरदायित्व को समझाइए।

Discuss the liability related to age.

5. पूर्व अपराध के लिए पुनः दोषी पाये जाने पर दण्ड की विवेचना कीजिए।

Discuss the enhanced penalty after previous conviction.

6. दोहरे रोजगार की अनुमति देने पर दण्ड की विवेचना कीजिए। ।

Discuss the penalty for permitting double employment.

7. सामर्थ्य का झूठा प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने पर दण्ड की विवेचना कीजिए।

Discuss the penalty for using false certificate of fitness.

8. कारखाना अधिनियम के अन्तर्गत अपील सम्बन्धी प्रावधान की विवेचना कीजिए।

Discuss the provisions of the Factory Act regarding appeals.

9. कारखाना अधिनियम, 1948 के अधीन श्रमिकों के दायित्वों को संक्षेप में समझाष्टए ।

Discuss briefly the obligations of workers under the Factories Act, 1948.

10 किन विशेष परिस्थितियों में कारखाने का परिभोगी या प्रबन्धक अपने दायित्वों से मक्त हो सकता है?

State the circumstances under which an occupier or manager of the factory may be exempted from his liability.

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chetansati

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