BCom 3rd Year Financial Management Statement Limitations Study Material Notes in hindi

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वित्तीय विवरणों के प्रमुख गुण

Table of Contents

(ESSENTIAL QUALITIES OF FINANCIAL STATEMENTS)

संस्था के वित्तीय विवरणों में अंशधारी, विनियोजक, वित्तीय संस्थायें,श्रमिक तथा अन्य वर्ग भिन्न-भिन्न उद्देश्य से रुचि रखते हैं। इस कारण प्रबन्ध की यह जिम्मेदारी हो जाती है कि वे संस्था के मामलों के सम्बन्ध में विस्तारपूर्वक सूचनाओं को प्रकट करें जिससे सभी वर्गों की आवश्यकतायें पूरी हो सकें। वित्तीय विवरणों में निम्नलिखित गुणों का होना आवश्यक है1

1  प्रासंगिकता (Relevance)-वित्तीय विवरणों में केवल उन्हीं सूचनाओं को प्रकट किया जाये जो कम्पनी के उद्देश्यों को स्पष्ट करती हों। कोई भी प्रासंगिक बात छूटनी नहीं चाहिये। यदि वित्तीय विवरणों में उद्देश्यों के अनुरूप सूचनायें नहीं होंगी तो उनके आधार पर निकाले गये निष्कर्ष गलत होंगे तथा उनका कोई महत्व नहीं होगा। ताला

2. बोधगम्यता (Understandability)-वित्तीय विवरणों का प्रमुख उद्देश्य उपक्रम के साधनों एवं कार्यों के निष्पादन के सम्बन्ध में सूचनायें उपलब्ध करवाना होता है। अतः इनमें दी जाने वाली सूचनायें स्पष्ट, सरल व बोधगम्य होनी चाहिये जिन्हें एक सामान्य व्यक्ति भी, जिसे लेखांकन के सिद्धान्तों का ज्ञान नहीं है, आसानी से समझ सके।

3. विश्वसनीयता (Reliability)-वित्तीय विवरणों में दी जाने वाली सूचनायें ऐसी होनी चाहियें जो विश्वसनीय हों। वित्तीय विवरणों की विश्वसनीयता लेखों की शुद्धता पर भी निर्भर करती है। __

4. तुलनात्मकता (Comparability)- वित्तीय विवरण इस प्रकार तैयार किये जायें ताकि चालू वर्ष की प्रगति की तुलना गत वर्ष से की जा सके। साथ ही इनकी सहायता से अंतः फर्म तुलना भी सम्भव हो सके।

5. पूर्णता (Completeness)- वित्तीय विवरणों में दी गई सूचनायें स्वयं में पूर्ण होनी चाहिये। अपूर्ण सूचना वाले वित्तीय विवरण अपने उद्देश्यों की पूर्ति में असफल रहते हैं। इसलिये इन विवरणों में दी गई सूचनाओं के अर्थ को स्पष्ट करने के लिये टिप्पणी, विवेचना, तालिका आदि दे देनी चाहिये।

6. शीघ्रता (Promptness)-वित्तीय विवरण वित्तीय अवधि की समाप्ति पर तुरन्त उपलब्ध होने चाहिये यदि उचित समय पर इन्हें उपलब्ध नहीं कराया गया तो तैयार किये गये वित्तीय विवरण उद्देश्यहीन तथा उपयोगिता-रहित हो जाते हैं।

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वित्तीय विवरणों की सीमाएँ

(LIMITATIONS OF FINANCIAL STATEMENTS)

प्रत्येक व्यावसायिक संस्था द्वारा रखे गये लेखों का सारांश ही वित्तीय विवरणों (चिट्टा व लाभ-हानि खाता) के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। परन्तु केवल ऐसी सूचनाओं के आधार पर लिये गये निष्कर्ष अन्तिम व शुद्ध नहीं माने जा सकते क्योंकि इन वित्तीय विवरणों की कुछ सीमायें हैं। अतः वित्तीय विवरणों का विश्लेषण या प्रयोग करते समय इनकी सीमाओं को ध्यान में रखना चाहिये । प्रमुख सीमायें इस प्रकार हैं

1 सूक्ष्मता का अभाव (Lack of Precision)-वित्तीय विवरणों के तथ्यों में सूक्ष्मता नहीं पाई जाती क्योंकि इन विवरणों के समंक लेखांकन मान्यताओं एवं अवधारणाओं तथा लेखापाल के व्यक्तिगत निर्णय के आधार पर ज्ञात किये जाते हैं। इसलिये इनसे प्राप्त सूचनाओं में सूक्ष्मता का अभाव होता है।

2 ऐतिहासिक प्रलेख (Historical Records)-वित्तीय विवरण ऐतिहासिक प्रलेख होते हैं। अत: उपक्रम की वर्तमान स्थिति का सही चित्रण नहीं करते हैं।

3. ऊपरी दिखावट की प्रकृति (Window dressing)- कम्पनी के वित्तीय विवरणों में कम्पनी की वित्तीय स्थिति वास्तविकता से अधिक बढ़ा-चढ़ाकर बताई जाती है। ऐसा कई प्रकार से किया जा सकता है। जैसे आवश्यक स्कन्ध अथवा प्लान्ट व मशीन की खरीद को चिट्टे की तिथि तक स्थगित करके संस्था की तरल स्थिति को अधिक मजबूत प्रकट किया जा सकता है।

4. अन्तरिम प्रतिवेदन (Interim Reports)-वित्तीय विवरण अन्तरिम प्रतिवेदन होते हैं क्योंकि व्यवसाय के वास्तविक लाभ की जानकारी व्यवसाय के पूर्णतः बन्द होने के पश्चात ही जानी जा सकती है।

5. गैर मौद्रिक तथ्यों का समावेश न होना (Do not include non-monetary items)-वित्ताया विवरण व्यवसाय का सही चित्र प्रस्तुत नही करते हैं क्योंकि इनमें केवल मौद्रिक तथ्यों को ही सम्मिलित किया जाता है जबकि गैर-मौद्रिक तत्त्व भी व्यवसाय को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिये प्रबन्धकों की कुशलता योग्यता तथा कार्य करने की शक्ति, कच्चे माल की प्राप्ति में संभावित कठिनाइयाँ अथवा सुविधायें आदि।’

6. मूल्य परिवर्तन को न दर्शाना (Do not Reflect Price Level Changes)-वित्तीय विवरण मूल्य स्तर में होने वाले परिवर्तनों को नहीं दर्शाते । अतः विभिन्न वर्षों के वित्तीय विवरणों में दिखाये गये तयों की तुलना नहीं की जा सकती।

7. व्यक्तिगत पक्षपात एवं ज्ञान से प्रभावित (Affected by Personal Bias and knowledge) वित्तीय विवरणों में प्रदर्शित समंक मक होते हैं. उनसे कुछ भी निष्कर्ष निकाला जा सकता है। अत: उनके पर निकाले गये निष्कर्षों में उपयोगकर्ता की व्यक्तिगत भावनाओं एवं ज्ञान का प्रभाव पड़ता है।

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वित्तीय विवरणों के प्रयोगकर्ता

(USERS OF FINANCIAL STATEMENTS)

अथवा

अथवा विभिन्न पक्षकारों के लिए वित्तीय विवरणों का महत्त्व

(IMPORTANCE OF FINANCIAL STATEMENTS FOR VARIOUS PARTIES)

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किसी व्यावसायिक संस्था के क्रियाकलापों से समाज का प्रत्येक वर्ग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होता है। इसलिए वे इस संस्था के लाभों उसके विकास और प्रगति में विशेष रुचि रखते हैं । वित्तीय विवरण सभी पक्षों को संस्था के लाभों तथा प्रगति के सम्बन्ध में सूचनाएँ प्रदान करते हैं, अतः ये सभी पक्ष वित्तीय विवरणों में रुचि रखते हैं। वे सभी व्यक्ति और संस्थाएँ जिनका वित्तीय विवरणों में हित होता है और उनके द्वारा उपलब्ध सूचनाओं से जिन्हें लाभ होता है, उनका संक्षिप्त विवेचन निम्न प्रकार है

1. प्रबन्ध (Management)-प्रबन्धक वित्तीय विवरणों के आधार पर व्यवसाय से सम्बन्धित सचनाएँ प्राप्त करते हैं तथा भविष्य के लिए नीति का निर्धारण करते हैं। ये विवरण ही प्रबन्ध को अपने व्यवसाय की सम्पूर्ण उद्योग से अथवा उसी व्यवसाय में लगी अन्य इकाइयों से या अपने ही व्यवसाय के पिछले क्रियाकलापों से तुलना करने का अवसर प्रदान करते हैं। वित्तीय विवरण ही प्रबन्ध की वित्तीय नीति, नियोजन एवं नियन्त्रण के आधार होते हैं।

2 विनियोजक (Investors)-विनियोजकों की श्रेणी में अशधारी तथा दीर्घकालीन ऋणदाता (ऋणपत्रधारी) शामिल हैं। अंशधारियों का मुख्य उद्देश्य मूलधन की सुरक्षा तथा उस पर पर्याप्त आय प्राप्त करना है, अत: इन्हें संस्था की वित्तीय स्थिति, लाभार्जन शक्ति, अंशों का वर्तमान मूल्य तथा विनियोग की सुरक्षा आदि के बारे में अनेक आवश्यक सूचनाओं की आवश्यकता होती है, जो वित्तीय विवरणों से प्राप्त होती हैं। ऋणपत्रधारी यह आश्वस्त होना चाहते हैं कि उन्हें समय पर ब्याज प्राप्त होगा तथा देय तिथि पर कम्पनी द्वारा ऋणपत्रों का भुगतान कर दिया जाएगा, अतः वे कम्पनी की दीर्घकालीन शोधनक्षमता (Solvency) के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं. जो वित्तीय विवरणों से प्राप्त का जा सकती है भावी विनियोजकों के लिए भी वित्तीय विवरण अनेक महत्त्वपूर्ण सूचनाएँ प्रदान करते हैं। लाभांश एवं लाभ की मात्रा के आधार पर अंशों का वास्तविक मूल्य, बाजार मूल्य तथा भविष्य में प्राप्त होने वाले प्रतिफल का अनुमान लगाया जा सकता है। इस प्रकार वित्तीय विवरणों के आधार पर विनियोजकों को कम्पनी की प्रशासकीय कुशलता, वित्तीय स्थिति तथा लाभोपार्जन क्षमता सम्बन्धी सूचनाएँ प्राप्त होती रहती हैं।

3.बैंक एवं अन्य ऋणदाता संस्थाएँ (Banks and Other Lending Institutions)-बैंक एव अन्य ऋण देने वाली संस्थाएँ वित्तीय विश्लेषण में रुचि रखती हैं। ये संस्थाएँ ऋण देने के पूर्व संस्था की लाभोपार्जन क्षमता एवं वित्तीय स्थिति का विश्लेषण वित्तीय विवरणों के आधार पर करती हैं।

4. लेनदार (Creditors)-लेनदार व्यवसाय की अल्पकालीन वित्तीय स्थिति में रुचि रखते हैं। व वित्तीय विवरणों के विश्लेषण से व्यवसाय की तरलता (Liquidity) की जानकारी प्राप्त करते है। वय जानना चाहते हैं कि उनके द्वारा बेचे गए माल का भुगतान करने के लिए संस्था के पास पर्याप्त मात्रा में चालू सम्पत्तियाँ हैं या नहीं।

5. कर्मचारी एवं श्रम संघ (Employees and Trade Unions)-कर्मचारी एवं श्रम संघ भी वित्तीय विवरणों में रुचि रखते हैं। कर्मचारियों को जो बोनस मिलता है वह पर्णतया अर्जित लाभ पर आधारित होता अत: वे संस्था के द्वारा अर्जित लाभ के सम्बन्ध में जानकारी इन विवरणों की सहायता से प्राप्त कर सकते है। श्रम संघ भी लेखांकन प्रतिवेदनों से प्राप्त सूचनाओं को ही मजदूरी-वृद्धि, बोनस आदि का आधार बनाते

6. सरकार (Government)-सरकार को वित्तीय विवरणों के आधार पर यह ज्ञान होता है कि देश में व्यावसायिक संस्थाएँ प्रगति पर हैं अथवा नहीं। सरकार इन विवरणों के आधार पर ही भावी कर-नीति, उत्पादन मूल्य, आयात-निर्यात आदि के सम्बन्ध में महत्त्वपूर्ण निर्णय लेती है। कुप्रबन्ध की दशा में सरकार कम्पनी को अपने नियन्त्रण में ले सकती है।

7. कराधान अधिकारी (Tax Authorities)-कर अधिकारी वित्तीय विवरणों के आधार पर ही बिक्री-कर, आय-कर आदि की गणना करते हैं। वस्तुत: कर-निर्धारण की प्रक्रिया वित्तीय विवरणों के अभाव में पूरी नहीं की जा सकती।

8. स्कन्ध विपणि (Stock Exchange)-स्कन्ध विपणि पर अंशों का मूल्य, अंशों में क्रय-विक्रय की प्रवत्ति काफी सीमा तक सम्बन्धित कम्पनी के वित्तीय विवरणों की सूचनाओं से प्रभावित होती है।

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वित्तीय विवरणों के प्रकार

(TYPES OF FINANCIAL STATEMENTS)

संक्षेप में मुख्यतया वित्तीय विवरणों में निम्नलिखित को शामिल किया जाता है

1 आय विवरण (Income Statement) अथवा व्यापारिक एवं लाभ-हानि खाता (Trading and P& Account) अथवा लाभ-हानि विवरण (Statement of Profit and Loss)-जो व्यवसाय की एक निश्चित अवधि के आय एवं व्ययों को प्रदर्शित करता है तथा शुद्ध लाभ/शुद्ध हानि (Net Profit/Net Loss) को प्रदर्शित करता है। यह किसी संस्था की लाभदायकता मापता है। कम्पनी अधिनियम, 1956 की संशोधित अनुसूची VI के अन्तर्गत लाभ-हानि खाते को लाभ-हानि का विवरण कहा गया है एवं लाभ-हानि के विवरण का प्रारूप भी निश्चित कर दिया गया है।

2. आर्थिक चिट्ठा या स्थिति विवरण (Balance Sheet or Position Statement) चिट्ठा व्यवसाय में एक निश्चित समय बिन्दु पर सम्पत्तियों, दायित्वों एवं स्वामियों के हित सम्बन्धी सूचना दर्शाता है। अन्य शब्दों में, चिट्ठा किसी निश्चित तिथि पर व्यवसाय की वित्तीय स्थिति को दर्शाता है।

नोट-एकाकी व्यापारी एवं साझेदारी फर्म के वित्तीय विवरणों में व्यापारिक एवं लाभ-हानि खाते तथा आर्थिक चिट्ठे को ही शामिल किया जाता है।

3. लेखा टिप्पणियाँ (Notes to Accounts)-लेखा टिप्पणियाँ, चिट्ठे ( Balance Sheet) तथा लाभ-हानि विवरण में प्रदर्शित मदों का विवरण प्रस्तुत करती हैं।

4. अन्य विवरण जैसे प्रतिधारित लाभों का विवरण, कोष प्रवाह विवरण, रोकड़ प्रवाह विवरण आदि ।

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कम्पनी के वित्तीय विवरण या अन्तिम खातों की

कम्पनी अधिनियम, 1956 की संशोधित अनुसूची VI

(REVISED SCHEDULE VI OF COMPANIES ACT, 1956)

वित्तीय वर्ष 2011-12 से प्रभावी

संशोधित अनुसूची VI की महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ__

1 वित्तीय वर्ष 2011-12 से लागू-संशोधित अनुसूची वित्तीय वर्ष 2011-12 से सभी कापनियों पर लागू हुई है, अर्थात् 31 मार्च 2012 को एवं इसके पश्चात् समाप्त होने वाले वर्ष के लिए कम्पनियों द्वारा वित्तीय विवरण (Financial Statement) इसी संशोधित अनुसूची VI के अनुसार बनाये जायेंगे।2.

2. चिट्ठे का लम्बवत् प्रारूप (Vertical Form of Balance Sheet)-संशोधित अनुसूची VI के अन्तर्गत चिट्टे का लम्बवत् (शीर्ष) प्रारूप (Vertical Form) संशोधित अनुसूची के पहले भाग में दिया गया है। चिट्टे का समतल प्रारूप (Horizontal Form) हटा दिया गया है। अब कम्पनी का चिट्ठा संशोधित अनुसूची VI में दिये गये लम्बवत प्रारूप में ही तैयार करना है। _

3. लाभ-हानि का विवरण (Statement of Profit and Loss) संशोधित अनुसूची VI (Revised Schedule VI) के अन्तर्गत लाभ-हानि खाते (Profit and Loss Account) को लाभ-हानि का विवरण (Statement of Profit and Loss) से सम्बोधित किया गया है। पहली बार संशोधित धित अनुसूची VI में लाभ-हानि विवरण का प्रारूप निर्धारित किया गया है, जबकि पुरानी अनुसूची में कोई प्रारूप नहीं – गया था।

4. निर्वचन और चिट्ठा सारांश की समाप्ति-पुरानी अनुसूची का भाग-III (निर्वचन) तथा भाग-IV चिट का सारांश आदि) को हटा दिया गया है।

संशोधित अनुसूची के अनुसार कम्पनी के चिट्ठे का प्रारूप

(FORMAT OF COMPANY’S BALANCE SHEET AS PER REVISED SCHEDULE Vi)

कम्पनी अधिनियम, 1956 के अन्तर्गत Revised Schedule VI द्वारा जारी Balance Sheet का प्रारूप नीचे दिया गया है

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चिट्ठे को तैयार करने के लिए सामान्य निर्देश

(General Instructions for Preparation of Balance Sheet)

1 चालू सम्पत्तियाँ (Current Assets) किसी सम्पत्ति (Asset) को चालू सम्पत्ति (Current Asset) तभी माना जाएगा जब वह निम्न में से किसी एक कसौटी को पूरा करती हो

(a) इसके कम्पनी के सामान्य संचालन चक्र (Normal Operating Cycle) सम्भावना है अथवा यह विक्रय करने या उपभोग (Consumption) करने के लिए है।

(b) यह मुख्यत: व्यापार करने के लिए रखी गई है।

(c) इसके विवरण तैयार (रिपोर्टिंग तिथि) होने की तिथि के 12 माह के अन्दर वसूल होने की सम्भावना

(d) यह रोकड़ अथवा रोकड़ तुल्य (Cash Or Cash Equivalents) है जब तक कि यह किसी ऐसे दायित्व के विनिमय या प्रयोग के लिए प्रतिबंधित है जो रिपोर्टिंग तिथि से 12 माह बाद देय है।

शेष सभी सम्पत्तियों को गैर-चाल सम्पत्तियाँ (Non-current Assets) माना जाएगा।

2.  संचालन चक्र (Operating Cycle) का स्पष्टीकरण संचालन चक्र वह समयावधि है जो सम्पत्ति का प्रसस्करण (Processing) के लिए क्रय करने और इसके नकद अथवा नकद तुल्या (CN Cash Equivalent) में परिवर्तन होने के मध्य की अवधि है। जब संचालन चक्र की अवधि को मापा नहीं जा सकता है तो यह अवधि 12 माह की मान ली जाती है।

3.  चालू दायित्व (Current Liabilities)-किसी दायित्व को चालू दायित्व (Current Liability तभी माना जाएगा जब वह निम्न में से किसी एक कसौटी को पूरा करता है(a) इसके कम्पनी के सामान्य संचालन चक्र (Normal Operating Cycle) की अवधि में भुगतान की सम्भावना है। (b) यह मुख्यत: व्यापार करने के उद्देश्य से रखा गया है। (c) इसके विवरण तैयार करने की तिथि के 12 माह के (अर्थात् Balance Sheet की तिथि से 12 माह) अन्दर भुगतान किए जाने की सम्भावना है। (d) इसे चिट्ठे की तिथि से शर्तरहित 12 माह से अधिक स्थगित करने का अधिकार नहीं है। शेष सभी दायित्वों को गैर-चालू दायित्व (Non-current Liability) माना जाएगा।

4. व्यापारिक प्राप्य (Trade Receivables)-एक प्राप्य को व्यापारिक प्राप्य के रूप में वर्गीकृत किया। जाएगा यदि यह व्यवसाय की सामान्य व्यावसायिक क्रियाओं में माल के विक्रय अथवा सेवाएं प्रदान करने (Goods Sold or Service Rendered) के सम्बन्ध में प्राप्य राशि से सम्बन्धित है। इनमें विविध देनटार (Sundry Debtors) तथा प्राप्य विपत्रों (Bills Receivable) को सम्मिलित किया जाता है। इस प्रकार Trade Receivable = Sundry Debtors + B/R…

5. व्यापारिक देयता (Trade Payables)-एक देयता (Liability) को व्यापारिक देयता (Trade Payables) के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा यदि यह व्यवसाय की सामान्य व्यावसायिक क्रियाओं के अन्तर्गत माल के क्रय अथवा सेवाएँ प्राप्त करने के सम्बन्ध में देय राशि से सम्बन्धित है। इनमें विविध लेनदार (Sundry Creditors) तथा देय विपत्रों (Bills Payables) को सम्मिलित किया जाता है। अर्थात् Trade Payables = Sundry Creditors + B/P.

6.लाभ-हानि विवरण का डेबिट शेष-संशोधित अनुसूची VI में एक महत्त्वपूर्ण परिवर्तन यह है कि लाभ-हानि विवरण के डेबिट शेष को संचय एवं आधिक्य (Reserves and Surplus) शीर्षक के अन्तर्गत ऋणात्मक (Negative) शेष के रूप में लिखा जाएगा।

7. चिट्ठे (Balance Sheet) में दी गई मदों का स्पष्टीकरण Notes to Accounts में दिया जायेगा।

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आर्थिक चिटे में दर्शाई गई मदों का स्पष्टीकरण

(EXPLANATION OF ITEMS SHOWN IN BALANCE SHEET)

1 समता एवं दायित्व (Equity and Liabilities)

       1 अंशधारी कोष (Shareholder’s Funds)

(A) अंश पूँजी (Share Capital)-प्रत्येक प्रकार की अंश पूँजी के लिए।

(ii) अधिकृत (Authorised) अंशों की सख्या एवं राशि

(ii) निर्गमित (Issued), प्रार्थित (Subscribed) एवं पूर्णतयाः चुकता, तथा प्रार्थित एवं आंशिक चुकता अंशों की संख्या;

(iii) प्रति अंश का सम मूल्य (Par Value)

(iv) चिट्टे (Balance Sheet) को तैयार करने की तिथि से तुरन्त पहले के पाँच वर्षों की अवधि में

रोकड़ के अतिरिक्त अन्य किसी प्रतिफल के बदले निर्गमित अंशों (जैसे मशीन के बदले अंश जारी । करना) की संख्या एवं प्रकार पूर्ण दत्त बोनस अंशों (fully Paid bonus shares) की प्रार्थित संख्या एवं प्रकार; वापिस क्रय किये गये अंशों की संख्या एवं प्रकार।

(v) यदि किसी कम्पनी ने कई प्रकार के पूर्वाधिकार अंश (Preference Shares) जारी किये हे तो उनका पृथक्-पृथक् विवरण देना होगा।

(vi) अदत्त याचनाओं (Calls-in-Arrear) की राशि को ‘प्रार्थित पूँजी’ की माँगी गई राशि से घटाकर दिखलाया जाता है।

1 जब्त किये गये अंशों (Forfeited Shares) पर प्राप्त राशि।

(B) संचय एवं आधिक्य (Reserves and Surplus)-संचय एवं आधिक्य को निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जाएगा

(i) पूँजी संचय (Capital Reserves);

(ii) पूँजी शोधन संचय (Capital Redemption Reserve);

(iii) प्रतिभूति प्रीमियम संचय (Securities Premium Reserve); (इसमें से Preliminary Expenses को घटा दिया जाता है।)

(iv) ऋणपत्र शोधन संचय (Debenture Redemption Reserve);

(v) र्मुल्यांकन संचय (Revaluation Reserve);

(vi) अंश विकल्प अदत्त खाता (Share Options Outstanding Account);(

(vii) अन्य संचय (Other Reserves) (प्रत्येक संचय की प्रकृति, उद्देश्य एवं राशि स्पष्ट करते हुए)

(viii) आधिक्य (Surplus) अर्थात् लाभांश (Dividend), बोनस अंश एवं संचयों में हस्तान्तरण के

पश्चात् लाभ-हानि विवरण का शेष (Balance of Statement of Profit & Loss)

संशोधित अनुसूची VI के अनुसार Profit and Loss Appropriation Account नहीं बनाया जाएगा। इसका अर्थ है कि लाभों का नियोजन Notes to Accounts में Reserves and Surplus से किया जाएगा। _ 

Profit & Loss Statement के डेबिट शेष को ‘Surplus’ शीर्षक के अन्तर्गत ऋणात्मक (Negative) मद के रूप में दिखाया जाएगा। यदि इस डेबिट शेष को समायोजित (Adjust) करने के बाद परिणाम ऋणात्मक है तो चिट्ठे में ‘संचय तथा अधिशेष’ को ऋणात्मक मद के रूप में दिखाया जाएगा।

2 अंश आवेदन राशि, जब तक आबंटन न हो (Share Application Money Pending Allotment)-कम्पनी द्वारा शेयर आवेदन से प्राप्त राशि जिसके सम्बन्ध में अभी तक अंशों का आबंटन नहीं किया गया है,उस राशि को Share Application Money Pending Allotment’ के रूप में वर्गीकृत (Classify) किया जाएगा। इस राशि को चिट्ठे में पथक् मद के रूप में दिखाया जाएगा।

3. गैर-चाल दायित्व (Non-current Liabilities)-संशोधित अनुसूची VI के अनुसार ऐसे दायित्व जो चालू दायित्व (Current Liabilities) नहीं हैं, गैर-चालू दायित्व हैं (Non-current liabilities are those liabilities which are not current liabilities)

संशोधित अनसची VI के अनुसार किसी दायित्व को चालू दायित्व तभी माना जाएगा जब वह निम्नलिखित में से किसी एक कसौटी को पूरा करता हो

(i) इसके कम्पनी के सामान्य संचालन चक्र (Normal Operating Cycle) की अवधि में भुगतान की सम्भावना है।

(ii) यह मुख्यत: व्यापार करने के उद्देश्य से रखा गया है।

(iii) इसके विवरण तैयार करने की तिथि (अर्थात् Balance Sheet की तिथि) के 12 माह के अन्दर

भुगतान किये जाने की सम्भावना है। संशोधित अनुसूची VI के अनुसार गैर चालू दायित्वों को निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकृत किया गया

(क) दीर्घकालीन उधार (Long-term Borrowings)-इनको निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया जाएगा

(i) ऋणपत्र/बॉण्ड (Debentures/Bonds)

(ii) सावधि ऋण (Term Loans):

(a) बैंकों से (from Banks); (b) अन्य पक्षकारों से (from Other Parties)|

(iii) निक्षेप (Deposits)।

(iv) अन्य ऋण और अग्रिम (प्रकृति विनिर्दिष्ट कीजिए) (Other Loans and Advances : Specify Nature)

(ख) स्थगित कर दायित्व (शद्ध) (Deferred Tax Liabilities) लेखांकन आय (Accounting Income) (अर्थात् लाभ-हानि विवरण द्वारा प्रदर्शित आय) कर-योग्य आय (Taxable Income) के अन्तर पर कर दायित्व स्थगित कर दायित्व कहलाता है।

यदि कर-योग्य आय लेखांकन आय से कम है, तो इसका परिणाम स्थगित कर दायित्व (Deferred Tax Liability) है।

यदि कर-योग्य आय लेखांकन आय से अधिक है, तो इसका परिणाम स्थगित कर सम्पत्ति (Deferred Tax Asset) होगा।

स्थगित कर दायित्व/स्थगित कर सम्पत्ति (शुद्ध) वास्तविक दायित्व/सम्पत्ति नहीं होते । इनके सम्बन्ध में की गई प्रविष्टि, केवल Book Entry है ।

चिट्ठे में या तो कर स्थगित कर दायित्व (Net) होगा या स्थगित कर सम्पत्ति (Net) होगी। दोनों। एक ही समय पर विद्यमान नहीं हो सकते।

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स्थगित कर की अवधारणा

(THE CONCEPT OF DEFERRED TAX)

लेखांकन आय कम्पनी द्वारा अपनाये गये लेखांकन व्यवहारों (Accounting Practices) द्वारा निर्धारित की जाती है जबकि कर-योग्य आय (Taxable Income) आय-कर अधिनियम (Income Tax Act) के प्रावधानों (Provisions) के अनुसार निर्धारित की जाती है, अतः लेखांकन आय तथा कर-योग्य आय समान नहीं होती हैं। दोनों आयों में भिन्नता के कारणों के कुछ निम्नलिखित उदाहरण हैं

(i) संदिग्ध ऋणों पर प्रावधान (Provision for Doubtful Debts)-लेखों में संदिग्ध ऋणों (Doubtful Debts) के सम्बन्ध में प्रावधान किया जाता है । आय-कर में कर-योग्य आय ज्ञात करते समय डूबत ऋणों (Bad Debts) के लिए छूट दी जाती है,न कि संदिग्ध ऋणों के प्रावधान के लिए अतः लेखांकन आय तथा कर-योग्य आय में भिन्नता की सम्भावना रहती है।

(ii) ह्रास (Depreciation) कम्पनी स्थायी सम्पत्तियों पर ह्रास Straight Line Method के अनुसार ह्रास चार्ज कर सकती है। आय-कर अधिनियम के अनुसार ह्रास केवल Written-Down Value Method के अनुसार ही चार्ज किया जा सकता है, अत: लेखांकन आय तथा कर-योग्य आय में भिन्नता होना स्वाभाविक है।

(ग) अन्य दीर्घकालीन दायित्व (Other Long-term Liabilities)-अन्य दीर्घकालीन दायित्वों को निम्नलिखित रूपों में वर्गीकृत किया जाएगा

(i) व्यापारिक देयताएँ (Trade Payable)-यदि यह 12 माह के बाद देय है।

(ii) अय (Other)-यदि यह 12 माह के बाद देय है।

(घ) दीर्घकालीन प्रावधान (Long-term Provisions)-भावी दायित्व,जिनकी राशि निर्धारित न का जा सके, को पूरा करने के लिए रखी गई राशि प्रावधान कहलाती है एवं कोई भी प्रावधान जो 12 माह से अधिक अवधि के बाद देय होगा उसे दीर्घकालीन प्रावधान कहते हैं। इस शीर्षक में रकमों को निम्न प्रकार से प्रदर्शित किया जायेगा

(i) कर्मचारियों के हित सम्बन्धी प्रावधान (Provision for Employees’ Benefits)

(ii) अन्य प्रावधान (प्रकृति विनिर्दिष्ट कीजिए) [Other Provisions (Specify Nature)]

4 चालू दायित्व (Current Liabilities)-चाल दायित्व वे दायित्व हैं जो चिट्टे (Balance Shect) की तिथि से 12 माह या संचालन चक्र (Operating Cycle) के अन्दर देय (Payable) है । चालू । दायित्वों का वर्गीकरण निम्न प्रकार है

(अ) अल्प-कालीन ऋण (Short-term Borrowings) anstimal )

(i) मांग पर देय ऋण (Loans repayable on demand)

बैकों से

अन्य पक्षकारों से

(ii) जमा (Deposits)

(iii) अन्य ऋण एवं अग्रिम (Other Loans and Advances)

(ब) व्यापारिक देयताएँ (Trade Payables) (i.e. Sundry Creditors and Bills Payable) (यदि यह 12 माह या इससे कम अवधि के लिए देय रहती है)

(स) अन्य चालू दायित्व (Other Current Liabilities)-इन्हें निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जाएगा

(i) दीर्घकालीन ऋण जो वर्तमान में देय हैं (Current Maturities of long-term debt)

(ii) ऋणों पर अदत्त ब्याज जो देय नहीं है (Interest Accrued but not due on Borrowings)।

(iii) ऋणों पर अदत्त एवं देय ब्याज (Interest Accrued and due on Borrowings)||

(iv) अग्रिम में प्राप्त आय (Income Received in Advance)।

(v) अदत्त लाभांश (Unpaid Dividends)।

(vi) प्रतिभूतियों के आबंटन के लिए प्राप्त आवेदन राशि जो वापस करनी है और इस पर देय ब्याज (Application Money Received for Allotment of Securities and due for Refund and Interest Accrued thereon)

(vii) अदत्त परिपक्व निक्षेप और उन पर अर्जित ब्याज (Unpaid Matured Deposits and Interest Accrued thereon)

(viii) ऋणपत्र जो भुगतान के लिए देय हो गए हैं और उन पर अर्जित ब्याज (Unpaid Matured Debentures and Interest Accrued Thereon)

(ix) अग्रिम याचना (Calls-in-Advance)।

(x) अन्य देय राशियाँ (प्रकृति स्पष्ट कीजिए) (Other Payables : Specify Nature)। )

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(द) अल्पकालीन प्रावधान (Short-term Provision)-अल्पकालीन प्रावधानों को निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया जाएगा

(i) कर्मचारियों के हित के लिए प्रावधान (Provision for Employees’ Benefits) |

(ii) अन्य (प्रकृति स्पष्ट कीजिए) (Other : Nature to be Specified)

  1. सम्पत्तियों का स्पष्टीकरण (Explanation of Assets)

संशोधित अनसची VI (Revised Schedule VI) के अन्तर्गत सम्पत्तियों को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है

1 गैर-चालू सम्पत्तियाँ (Non-current Assets) |

2. चालू सम्पत्तियाँ (Current Assets)

1 गैर-चालू सम्पत्तियाँ (Non-current Assets)-गैर-चालू सम्पत्तियाँ वह सम्पत्तियाँ हैं जो चाल सम्पत्तियाँ नहीं हैं। (Non-current assets are those assets which are not current asset).

अत: गैर-चालू सम्पत्तियों को समझने के लिए चालू सम्पत्तियों को समझना आवश्यक हो जाता है।

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चालू सम्पत्तियाँ (Current Assets)-संशोधित अनुसूची VI के अनुसार किसी सम्पत्ति को चालू सम्पत्ति तभी माना जाएगा जब वह निम्न में से किसी एक कसौटी को पूरा करती हो

(i) इसके कम्पनी के सामान्य संचालन चक्र (Normal Operating Cycle) में वसूल होने की सम्भावना है अथवा विक्रय (Sale) करने या उपभोग (Consumption) करने के लिए है।

(ii) यह मुख्यत: व्यापार करने के लिए रखी गई है।

(iii) इसके विवरण तैयार होने की तिथि के 12 माह के अन्दर वसूल होने की सम्भावना है।

(vi) यह रोकड अथवा रोकड़ तुल्य (Cash or Cash Equivalents) है जब तक कि यह किसी ऐसे दायित्व के विनिमय या प्रयोग के लिए प्रतिबंधित (Restricted) है जो रिपोर्टिंग तिथि (Balance Sheet Date) से 12 माह बाद निपटायी (Settle) जाएगी।

गैर-चालू सम्पत्तियों को निम्नलिखित पाँच भागों में बाँटा गया है

(अ) स्थायी सम्पत्तियाँ (Fixed Assets)

(i) मूर्त सम्पत्तियाँ (Tangible Assets)-इनका वर्गीकरण इस प्रकार किया जाएगा

(a) भूमि (Land)

(b) भवन (Buildings)

(c) संयन्त्र एवं उपकरण (Plant and Equipment)

(d) फर्नीचर एवं साज-सज्जा (Furniture and Fixtures)

(e) वाहन (Vehicles)

(f) कार्यालय उपकरण (Office equipment)

(g) अन्य (Others)

(ii) अमूर्त सम्पत्तियाँ (Intangibie Assets)-इनका वर्गीकरण इस प्रकार किया जाएगा

(a) ख्याति (Goodwill)

(b) ब्राण्ड एवं व्यापारिक चिह्न (Brands/Trademarks)

(c) कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर (Computer software)

(d) मास्टहैड एवं प्रकाशन अधिकार (Mastheads and publishing titles) (मास्टहैड से आशय किसी समाचार-पत्र या पत्रिका के नाम से है जो इसके प्रथम पृष्ठ के ऊपर छपता है)

(e) खनिज अधिकार (Mining rights)

(f) कापीराइट (Copy right), एकस्व (Patents) एवं अन्य बौद्धिक सम्पत्ति अधिकार (Intellectual property righ rights)

(g) नुस्खे (Recipes), फार्मूले, मॉडल, डिजाइन एवं मूल रूप (prototypes) )

(h) लाइसेंस एवं फ्रेन्चाइजी।

(iii) पूँजीगत कार्य जो प्रगति पर हैं (Capital Work-in-Progress)- इससे आशय स्वयं निर्मित सम्पत्ति, संयन्त्र एवं उपकरण की लागत से है।

(ब) गैर-चालू विनियोग (Non-current investments) (एक वर्ष से अधिक अवधि के विनियोग)

(i) गैर चाल विनियोगों को व्यापारिक विनियोग (Trade Investments) तथा अन्य विनियोगों में वर्गीकृत किया जाएगा तथा पुनः निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जाएगा

(a) सम्पत्ति में विनियोग (Investments in Property)-विनियोग सम्पत्ति से आशय उस भूमि तथा भवन से है जिसे मूल्य वृद्धि अथवा किराया अर्जित करने के उद्देश्य से रखा गया है न कि

(a) माल के उत्पादन या पूर्ति करने के लिए अथवा सेवाओं अथवा प्रशासनिक कार्यों के लिए अथवा

(b) व्यावसाय के सामान्य संचालन के दौरान विक्रय के लिए NEP

(b) समता प्रपत्रों में विनियोग (Investment in Equity Instruments)

(c) पूर्वाधिकार अंशों में विनियोग (Investments in Preference Shares)

(d) सरकारी अथवा ट्रस्ट प्रतिभूतियों में विनियोग (Investments in Government or Trust Securities)

(e) ऋणपत्रों अथवा बॉण्ड में विनियोग (Investments in Debentures or bonds)

(f)  म्यूच्यूअल फण्डों में विनियोग (Investments in Mutual Funds)

(g) साझेदारी फर्मों में विनियोग (Investments in Partnership Firms)

(h) अन्य गैर चालू विनियोग (Other non-current investments) (specify nature)

(स) स्थगित कर सम्पत्ति (Deferred Tax Assets)-कर-योग्य आय के लेखांकन आय से अधिक होने के परिणामस्वरूप स्थगित कर सम्पत्ति उत्पन्न होती है।

(द) दीर्घकालीन ऋण और अग्रिम (Long-term Loans and Advances)-ऐसा ऋण एवं अग्रिम जो 12 मास या संचालन चक्र (Operating Cycle) के बाद रोकड़ (Cash) या सम्पत्ति के रूप में वापस होगा। इन्हें निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया गया है

(i) पूँजी अग्रिम (Capital Advances);

(ii) प्रतिभूति (जमानती) निक्षेप (Security Deposits);

(iii) सम्बन्धित पक्षकारों को ऋण और अग्रिम (उनके ब्योर देते हुए) (Loan and Advances to Related Parties : Giving Details thereof) )

(iv) अन्य ऋण और अग्रिम (प्रकृति विनिर्दिष्ट करते हुए (Other Loans and Advances : Nature to be Specified)

उपरोक्त का पुनः निम्न प्रकार उप-वर्गीकरण किया जाएगा

(i) सरक्षित. जो अच्छे माने गए (Secured, considered good);

(ii) असुरक्षित, जो अच्छे माने गए (Unsecured, considered good) तथा

(iii) संदिग्ध (Doubtful) बत एवं संदिग्ध ऋणों के लिए आयोजन (Provision for Bad and Doubtful Debts) को उचित शीर्षक के अन्तर्गत अलग से दिखाया जाएगा।

कम्पनी के संचालकों एवं अन्य अधिकारियों से देय ऋण एवं अग्रिम ।

(य) अन्य गैर-चालू सम्पत्तियाँ (Other Non- arrent Assets)-अन्य गैर-चालू सम्पत्तियों को निम्नानुसार वर्गीकृत किया जाएगा(i) दीर्घकालीन व्यापारिक प्राप्य (स्थगित उधार सम्बन्धी शर्तों पर व्यापार प्राप्यों को सम्मिलित करते हुए) (Long-term Trade Receivables : Including Trade Receivables on Deferred Credit Terms) 791

(i) अन्य (प्रकृति निर्दिष्ट कीजिए) [Others (Nature to be Specified)]

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2 चालू सम्पत्तियाँ (Current Assets) – (अ) चालू विनियोग (Current Investments)

(i) वर्ष या उससे कम अवधि के विनियोग) (i) चालू विनियोगों को निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जाएगा

(a) समता प्रपत्रों में विनियोग (Investments in Equity Instrumenus)

(b) पूर्वाधिकार अंशों में विनियोग (Investments in Preference Shares) –

(c) सरकारी अथवा ट्रस्ट प्रतिभूतियों में विनियोग (Investments in Government or

Trust Securities)

(d) ऋणपत्रों अथवा बॉण्ड में विनियोग (Investments in Debentures or bonds)

(e) म्युच्युअल फण्डों में विनियोग (Investments in Mutual Funds)

(f)  साझेदारी फर्मों में विनियोग (Investments in Partnership Firms)

(g) अन्य विनियोग (Other Investments)

(ii) निम्नलिखित का भी प्रकटीकरण किया जाएगा

(a) प्रत्येक विनियोग के मूल्यांकन का आधार

(b) स्टॉक एक्सचेंज पर सूचित विनियोग (Quoted Investments) एवं इनका बाजार मूल्य ।।

(c) गैर-सूचित (Unquoted) विनियोगों का मूल्य।

(d) विनियोगों के मूल्य में कमी के लिए किया गया आयोजन।

(ब) स्टॉक (Inventories)– (i) स्टॉक को निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जाएगा

(a) कच्चा माल (Raw Materials);

(b) अर्ध निर्मित माल (Work-in-progress);

(c) तैयार माल (Finished Goods);

(d) व्यापार स्टॉक (व्यापार के लिए क्रय किया गया स्टॉक (Stock-in-Trade (for goods acquired for trading)];

(e) स्टोर्स तथा स्पेयर्स (Stores and Spares);

(f) छोटे औजार (Loose Tools) तथा

(g) अन्य (प्रकृति विनिर्दिष्ट कीजिए) [Other (Nature to be Specified)

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टिप्पणियाँ (Notes)

माँग में माल (Goods-in-Transit) को स्टॉक के अन्तर्गत अलग उप-शीर्षक में दिखाया जाएगा।

स्टॉक के मूल्यांकन की विधि को स्पष्ट किया जाएगा।

(स) व्यापारिक प्राप्यताएँ (Trade Receivables)-इनमें एक वर्ष के अन्तर्गत परिपक्व (Mature) होने वाले देनदारों (Debtors) एवं प्राप्य विपत्रों (B/R) को शामिल किया जाता है।

(i) भुगतान हेतु देय तिथि से 6 माह से अधिक बकाया वाले व्यापारिक प्राप्यों की सकल रकम को अलग से दिखाया जाएगा।

(ii) व्यापारिक प्राप्यताओं को निम्न प्रकार से उप-वर्गीकृत किया जाएगा

(a) सुरक्षित, जो अच्छे माने गए हैं (Secured, considered good)

(b) असुरक्षित, जो अच्छे माने गए हैं (Unsecured, considered good)

(c) संदिग्ध (Doubtful)

(iii) डूबत एवं संदिग्ध ऋणों के लिए आयोजन को उचित शीर्षक के अन्तर्गत अलग से दिखाया जाएगा।

कम्पनी के संचालकों या अन्य अधिकारियों द्वारा लिये गण ऋण को अलग से दिखाया जाएगा।

(द) नकद और नकद तुल्य (Cash and Cash Equivalents)-नकद और नकद तुल्यों को निम्नानुसार वर्गीकृत किया जाएगा

(i) बैंकों में शेष (Balances with Banks);

(ii) हस्तस्थ चेक,ड्राफ्ट (Cheques, Drafts in Hand);

(ii) हस्तस्थ नकदी (Cash in Hand) तथा

(iv) अन्य (प्रकृति विनिर्दिष्ट कीजिए) Others (Nature to be Specified)|

नकद तुल्य (Cash Equivalents) से आशय अल्पकालीन तथा उच्च तरल विनियोगः तुरन्त ही रोकड़ की निश्चित राशि में परिवर्तित किया जा सकता है और जिनके मूल्य में परिवर्तन का जोखिम नहीं के बराबर होता है। किसी भी विनियोग को रोकड तुल्य तभी माना जाता है जबकि इसकी परिपक्वता अवधि कम हो जैसे कि इसके प्राप्त करने की तिथि से तीन माह या इससे कम।

(य) अल्पकालीन ऋण और अग्रिम (Short-term Loans and Advances)-इन्हें निम्नानुसार वर्गीकृत किया जाएगा

(i) सम्बन्धित पक्षकारों को ऋण और अग्रिम (Loans and Advances to Related Parties)

(ii) अन्य (प्रकृति विनिर्दिष्ट कीजिए) [Others (Nature to be Specified)।

उपरोक्त को निम्नानुसार भी उपवर्गीकृत किया जाएगा

(i) सुरक्षित, जो अच्छे माने गए (Secured, considered good);

(i) असुरक्षित, जो अच्छे माने गए (Unsecured, considered good)

(iii) संदिग्ध (Doubtful)

डूबत और संदिग्ध ऋणों और अग्रिमों के प्रावधान (Provision for Bad and Doubtful Loans and Advances) को उचित शीर्षक के अधीन अलग से दिखाया जाएगा।

(र) अन्य चालू सम्पत्तियाँ (Other Current Assets)-इस शीर्षक में वे सभी चालू सम्पत्तियाँ लिखी जाएँगी जो उपरोक्त किसी भी शीर्षक में सम्मिलित नहीं की जा सकतीं, जैसे पूर्वदत्त व्यय (Prepaid Expenses), विनियोगों पर अर्जित ब्याज (Interest Accrued on Investments) आदि

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संयोगिक दायित्वों एवं वचनबद्धताओं का स्पष्टीकरण

(EXPLANATION OF CONTINGENT LIABILITIES AND COMMITMENTS)

1 आकस्मिक अथवा संयोगिक दायित्व (Contingent Liabilities)-ये वे दायित्व हैं जो वर्तमान में दायित्व नहीं हैं परन्तु इनका होना या न होना भविष्य की किसी घटना पर आधारित होता है अर्थात दायित्व का होना निश्चित नहीं है। इनकी राशि चिट्ठे के जोड़ में शामिल नहीं की जाती है, अतः इनकी राशि को चिद्रे के नीचे Notes to Accounts में दिखाया जाता है। संक्षेप में, निम्नलिखित संयोगिक दायित्वों का उल्लेख करना चाहिए

(i) कम्पनी के विरुद्ध ऐसे दावे जिन्हें कम्पनी ने अभी ऋण नहीं स्वीकार किया है (Claim against the company not acknowledged as debts)

(ii) कम्पनी द्वारा दी गई गारण्टी के अन्तर्गत दायित्व।। (ii) अन्य धनराशि जिसके लिए कम्पनी सम्भाव्य रूप में दायी है।

2 .वचनबद्धताएँ (Commitments)-वचनबद्धताओं से आशय, “भविष्य में किन्हीं निश्चित दशाओं में किसी निश्चित समय पर किसी निश्चित कार्य को करने का अनुबन्ध है ।” वचनबद्धताओं को निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया जाएगा

(i) उन ठेकों की अनुमानित राशि जो अभी अपूर्ण हैं और जिनके लिए कोई आयोजन नहीं किया गया है (ii) आंशिक चकता अंशों पर न माँगी हई याचनाओं की राशि (Uncalled liability on partly paid shares)-यदि कम्पनी ने किसी अन्य कम्पनी के ‘आंशिक चुकता अंश’ विनियोग के रूप में क्रय किए हुए हैं तो इन अंशों पर ‘न माँगी हुई राशि’ कम्पनी के लिए वचनबद्धता है, क्योंकि यह राशि कभी भी चुकानी पड़ सकती है।

(iii) अन्य वचनबद्धताएँ (Other Commitments) जैसे कि संचयी पूर्वाधिकार अंशों पर लाभांशों की बकाया राशि (Arrears of Dividends on Cumulative Preference Shares)

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संशोधित अनुसूची I के अनुसार कम्पनी के लाभ-हानि विवरण का प्रारूप

(FORMAT OF COMPANY’S PROFIT AND LOSS AS PER REVISED SCHEDULE

FORM OF STATEMENT OF PROFIT AND LOSS STATEMENT OF PROFIT AND LOSS

लाभ-हानि विवरण तैयार करने के लिए सामान्य अनुदेश

(GENERAL INSTRUCTIONS FOR PREPARATION OF STATEMENT OF

1. संचालन क्रियाओं से आगम (Revenue from Operations)(अ) वित्तीय कप्पनी के अतिरिक्त अन्यकिसी कम्पनी के सम्बन्ध में संचालन क्रियाओं से आगम शीर्षक के अन्तर्गत Notes में अलग से निम्नलिखित को दर्शाया जाएगा

(i) उत्पादों (माल) के विक्रय से आगम प्राप्ति (Revenue from sale of products)

(ii) सेवाओं के विक्रय से आगम प्राप्ति (Revenue from sale of services)

(iii) अन्य संचालन क्रियाओं से आगम प्राप्ति (Other operating revenues)

Less : उत्पादन शुल्क (Excise duty)

(ब) एक वित्तीय कम्पनी (Finance Company) की दशा में संचालन क्रियाओं से आगम में निम्न

आगम शामिल होंगे

(i) ब्याज, (ii) लाभांश, (iii) अन्य वित्तीय सेवाओं से आगम

  1. अन्य आय (Other Income)-अन्य आय को निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जाएगा

(a) ब्याज से आय (Interest Income) वित्तीय कम्पनी के अलावा अन्य कम्पनियों की दशा में:

(b) लाभांश की आय (Dividend Income);

(c) विनियोगों के विक्रय से शुद्ध लाभ/हानि (Net gain/loss on sale of investments),

(d) अन्य गैर-संचालन आय (Other non-operating income)।

III. व्यय (Expenses)-व्ययों को निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया जाएगा

प्रयुक्त कच्ची सामग्री की लागत (Cost of Raw Materials Consumed) •

व्यापारिक उद्देश्य से स्टॉक का क्रय (Purchase of Stock-in-Trade)

तैयार माल चाल कार्य तथा व्यापार के स्टॉक में परिवर्तन (Change in Inventories of Finished Goods, Work-in-Progress and Stock-in-Trade)-यह प्रारम्भिक तथा अन्तिम स्टॉक का अन्तर है।।

IV. अतिरिक्त सूचना (Additional Information)-प्रत्येक कम्पनी Notes में अतिरिक्त सूचना के रूप में निम्नलिखित व्ययों और आयों के विषय में प्रकटीकरण करेगी

  1. (अ) कर्मचारियों के हित के व्यय (Employees’ Benefit Expenses)-इसमें निम्न को अलग-अलग दिखाया जाएगा

(i) वेतन एवं मजदूरी (Salaries and Wages)

(ii) प्रोविडेंट एवं अन्य कोषों में अंशदान (Contribution to provident and other funds)

(iii) कर्मचारी कल्याण व्यय (Staff welfare expenses such as canteen expenses)

(ब) वित्तीय लागतें (Finance Costs)-वित्तीय लागतों को निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जाएगा

(i) ब्याज के व्यय (Interest expenses)

(ii) अन्य ऋण लेने की लागतें (Other borrowing costs)

(iii) विदेशी मुद्रा लेन-देनों एवं अनुवादों पर लाभ/हानि (Net gain/loss on foreign currency transactions and translation)

(स) हास तथा अपलेखन व्यय (Depreciation and Amortisation Expenses)-स्थायी मूर्त सम्पत्तियों (Fixed Tangible Assets) पर ह्रास तथा स्थायी अमूर्त सम्पत्तियों (Fixed Intangible Assets) के अपलेखन व्यय ।

अन्य व्यय-जो व्यय उपरोक्त वर्गों में नहीं आते, वह अन्य व्यय कहलाते हैं।

2. आय अथवा व्यय की किसी भी मद को जो संचालन क्रियाओं से आगम (Revenue Operations) का 1% से अधिक हो अथवा 1,00,000 रुपए से अधिक हो अलग स Notes में दिखा जाएगा।

3. अपवादात्मक तथा असामान्य मदों का विवरण-अपवादात्मक मदें (Exceptional Items)-जब आय तथा व्यय की मदें, यद्यपि वह सामान्य क्रियाओं से सम्बन्धित हैं, परन्तु वह इस आकार, प्रकृति तथा प्रभात की हैं कि उनका प्रकटीकरण संस्था के परिणामों को समझने में आवश्यक है तो इन्हें अपवादात्मक मदें करने हैं। ऐसी मदों में निम्नलिखित मदें शामिल होती हैं

(a) स्टॉक के मूल्य का शुद्ध प्राप्य मूल्य तक अपलेखन (Reducing the Value of Inventories to Net Realisable Value);

(b) स्थायी सम्पत्तियों का निबटारा (Disposal of Fixcd Assets);

(c) दीर्घकालीन विनियोग का विक्रय (Disposal of Long-term Investments);

(d) प्रावधान की वापसी (Reversal of Provisions)|

असामान्य मदें  (Extraordinary Items)-जब कोई घटना या लेन-देन व्यवसाय की सामान्य क्रियाओं से बिल्कुल अलग है तो इसे असामान्य मद कहा जाता है। उदाहरण के लिए भूकम्प के कारण होने वाली हानि असामान्य मद है।

4. परिवर्तित प्रति अंश आय (Diluted Earning per Share)-कम्पनी के पूंजी ढांचे में परिवर्तनीय पूर्वाधिकार अंश, परिवर्तनीय ऋणपत्र तथा अधिपत्र (Warrant) होने पर परिवर्तित प्रति अंश आय की गणना की जाती है। परिवर्तित प्रति अंश आय यह दर्शाती है कि यदि सभी परिवर्तनीय पूर्वाधिकार अंशों तथा परिवर्तनीय ऋणपत्रों को समता अंशों में परिवर्तित कर दिया जाए तो कम्पनी की प्रति अंश आय में कितना परिवर्तन होगा।

स्पष्टीकरण हेतु निम्नलिखित उदाहरण देखें

Illustration 1. सम्पत्तियों एवं दायित्वों की निम्नलिखित सूची से विभव लिमिटेड का कम्पनी अधिनियम की अनुसूची VI के भाग । के अनुसार आर्थिक चिट्टा बनाइए।

From the following list of following assets and liabilities, prepare the Balance Sheet of Vibhav Lid. as per Schedule Vi. Part 1 of the Companies Act, 1956 :

Illustration 2. 31 मार्च 2015 को अरवण एक्सपोर्ट लि की खाताबही से लिये गये शेष निमनाकितं है

The following are the balances extracted from the ledger of Arnav

Export Ltd. as on 31 March 2015 :

बिक्रि (Sales) Rs. 8,18,000; बिक्रि वापसी (Sales Return) Rs. 2,000; SIT AM (Interest received) Rs. 40,000; 7 (Salaries) Rs. 32,000; FUT YOU (Interest on Loan) Rs. 8,000; FUTETT (Interest on Debentures) Rs. 16,000; &H (Depreciation) : 4944 (On Building Rs. 60,000) 34 (Furniture) Rs. 32,000; 477 4 (Plant and Machinery) Rs. 40.000, E915 va G H (Printing and Stationery) Rs. 4,800, प्ररम्भ व्यय अपलिखित  [(Preliminary Expenses (written off)] Rs. 8,000, a PIF (Director’s Fees Rs. 8,000, 14P4T (Rent) Rs. 8,000, 3100 [ch (Audit Fees) Rs. 10,000, çad UT 31415 (Provision for Bad Debts) Rs. 20,000, got a डूबत ऋण आयोजन  (Provision for tax), Rs. 96,000, समता अंशों की संख्या  (No. of Equity Share  (Purchases) Rs. 4,00,000.

परीक्षोपयोगी सैद्धान्तिक प्रश्न

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

(LONG ANSWER QUESTIONS)

1 वित्तीय विवरणों से आप क्या समझते हैं? एक व्यावसायिक संस्था में हित रखने वाले विभिन्न पक्षों के लिए वित्तीय विवरणों की उपयोगिता एवं महत्त्व पर प्रकाश डालिए। इनकी सीमाओं की व्याख्या कीजिए।

What do you understand by Financial Statements ? Discuss the utility and significance of financial statements for various parties interested in a business concern. What are its limitations ?

2. वित्तीय विवरण क्या है ? वित्तीय विवरण की प्रकृति, कार्यों व लाभों की व्याख्या कीजिए।

What is Financial Statement ? Explain nature, functions and uses of financial statement.

3. वित्तीय विवरणों की प्रकृति व उद्देश्यों का वर्णन कीजिए। इनकी सीमाएँ क्या है ?

Discuss the nature and objects of financial statements. What are its limitations?

4. वित्तीय विवरण क्या है ? आदर्श वित्तीय विवरण की विशेषताओं को बताइए।

What is Financial Statement? Discuss the various characteristics of ideal financial statement.

5. कम्पनी अधिनियम, 1956 की संशोधित अनुसूची-VI में दिये गए कम्पनी के चिट्टे का प्रारूप दीजिए।

Give the format of the Balance Sheet of a Company as per the revised Schedule-VI of the Companies Act, 1956.

6. वित्तीय विवरण से आप क्या समझते हैं ? प्रमुख वित्तीय विवरणों का उल्लेख तथा विवेचन कीजिए।

What do you understand by Financial Statement ? State and discuss important financial statements.

7. ‘आय विवरण’ एवं ‘तुलन पत्र’ में क्या अन्तर है ? ये दोनों वित्तीय विवरण किन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए तैयार किए जाते हैं तथा कम्पनी प्रबन्ध में इनका क्या महत्त्व है ? समझाइए।

What is the difference in ‘Income Statement’ and ‘Balance Sheet’ ? For what objectives are these two financial statements prepared and what is their role in Corporate Management ? Discuss.

लघु उत्तरीय प्रश्न

(SHORT ANSWER QUESTIONS)

1. वित्तीय विवरणों से आप क्या समझते है ?

What do you mean by Financial Statements?

2. वित्तीय विवरणों के कोई चार उद्देश्य बताइए।

Explain any four objects of Financial Statements.

3. आदर्श वित्तीय विवरण की विशेषताओं को बताइए।

Discuss the characteristics of ideal financial statement.

4. आर्थिक चिट्ठा बनाम लाभ-हानि खाते को समझाइए।

Explain Balance Sheet Vs. Profit and Loss Account.

5. वित्तीय विवरणों की सीमाएँ बताइए।

Explain the limitations of Financial Statements.

6. वित्तीय विवरणों की प्रकृति व उद्देश्य का वर्णन कीजिए।

Discuss the nature and objects of Financial Statements.

7. व्यावसायिक संस्था में हित रखने वाले विभिन्न पक्षों के लिए वित्तीय विवरणों की उपयोगिता एवं महत्त्व पर प्रकाश डालिए।

Discuss the utility and significance of Financial Statements to various parties inic in the business concern.

8. वित्तीय विवरण क्या है ? मौलिक वित्तीय विवरणों के नाम बताइए।

What are Financial Statements ? Name the basic financial statements

9. वित्तीय विवरणों की प्रकृति बताइए।

Explain the nature of Financial Statements.

10. चिट्टे के लम्बवत् प्रारूप का नमूना दीजिए।

Give a specimen of Vertical form of Balance Sheet.

11. वित्तीय विवरणों में रुचि रखने वाले पक्षकार कौन से हैं ?

What are the parties interested in Financial Statements?

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

(OBJECTIVE QUESTIONS)

बताइये कि निम्नलिखित कथन सत्य हैं अथवा असत्य

Indicate whether the following statements are ‘True’ or ‘False’:

1 कोप प्रवाह विवरण भी वितीय विवरण का अंग है।

True Fund Flow Statement is also a part of Financial Statements.

2. आर्थिक चिट्ठा और वित्तीय स्थिति का विवरण एक-दूसरे के पर्यायवाची हैं। (सत्य)

The Balance Sheet and Statement of Financial Position are synonyms.  (Tue)

3. वित्तीय विवरणों को वार्षिक खाते भी कहा जाता है। (सत्य)

Financial Statements are also called Annual Accounts.             (True)

4. वित्तीय विवरण ऐतिहासिक होते हैं।

Financial Statements are historic.     (True)

5. वित्तीय विवरण वर्तमान स्थिति को प्रतिबिम्बित करते हैं। (असत्य)

Financial Statements reflect current position.       (False)

6. लाभ-हानि खाते को आय विवरण भी कहते है। (सत्य)

Profit and Loss Account is also known as Income Statement

7. वित्तीय विवरण प्राप्य मूल्यों के आधार पर तैयार किए जाते हैं। (असत्य)

Financial Statements are prepared on the basis of realisable value.   (False)

8. अमौद्रिक तथ्यों के प्रभाव का वित्तीय विवरणों में लेखा किया जा सकता है। (असत्य)

The impact of non-monetary facts can be recorded in Financial Statements. (False)

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

Fill up the blanks :

1 वित्तीय विवरण …………… सूचनाएँ प्रतिबिम्बित करते हैं।

Financial Statements reflect ………. information

2. वित्तीय विवरण लेखांकन प्रक्रिया का …………… उत्पाद होते हैं।

Financial Statements are the …………. products of accounting process.

3. वित्तीय विवरण में आय विवरण और ………….. सम्मिलित होते हैं।

Financial Statements include income statement and

4. आय विवरण …………. प्रतिवेदन है।

Income Statement is a ………. report.

5. कम्पनियों के लिए आर्थिक चिट्ठा का निश्चित प्रारूप अनुसूची …………… में दिया गया है।

The prescribed form of the balance sheet for the companies has been given in the Schedule

6. लाभ-हानि खाते को …………. विवरण भी कहते हैं।

Profit and Loss Account is also called …………. statement.

Ans. 1. ऐतिहासिक (Historical), 2. अन्तिम (End), 3. चिट्ठा (Balance Sheet), 4. निष्पादन (Performances 5. VI Part I, 6. 3774 (Income).


निम्नलिखित में से सही विकल्प को चनिये

Select the correct Option from the following:

1 वित्तीय विवरण होते हैं (Financial Statements are):

(a) प्रत्याशित तथ्य (Anticipated Facts) (b) अभिलेखित तथ्य (Recorded Facts)

(C) तथ्यों के अनुमान (Estimated Facts) (d) इनमें से कोई नहीं (None of these) ।

2. वित्तीय विवरण का प्रयोग होता हैThe use of Financial Statement is for :

(a) विनियोजकों के लिए (Investors)

(b) लेनदारों के लिए (Creditors)

(C) प्रबन्धकों के लिए (Managers)

(d) उपरोक्त सभी के लिए (All of the above)

3. वित्तीय विवरण में शामिल हैThe term Financial Statement includes:

  1. a) लाभ-हानि खाता (Profit and Loss Ac)

(b) लाभ-हानि खाता एवं आर्थिक चिट्ठा)

(c) लाभ-हानि नियोजन खाता एवं आर्थिक चिट्ठा (P&L Appropriation A/c and Balance Sheet) (d) लाभ-हानि खाता, लाभ-हानि नियोजन खाता एवं आर्थिक चिट्ठा

(P & L A/C, P & L Appropriation A/c and Balance Sheet) (V)

4. कम्पनी के आर्थिक चिट्टे का प्रारूप है

The format of Company’s Balance Sheet is :

(a) समतल (Horizontal)

(b) लम्बवत् (Vertical)

(c) समतल या लम्बवत् (Horizontal or Vertical)

(d) इनमें से कोई नहीं (None of these)

5. वित्तीय विवरण में समाहित होती है Financial Statements contain:

(a) मौद्रिक सूचना (Monetary information)

(b) गुणात्मक सूचना (Qualitative Information)

(C) अमौद्रिक सूचना (Non-monetary information)

(d) इनमें से कोई नहीं (None of these)

6. वित्तीय विवरण सारांश प्रस्तुत करते हैं

Financial Statements provides a summary of ……………

(a) खातों का (Accounts)

(b) सम्पत्तियों का (Assets)

(c) दायित्वों का (Liabilities)

(d) इनमें से कोई नहीं (None of these) को

7. लाभ-हानि खाते ………. को नाम से भी जाना जाता है

Profit and Loss Account is also known as ……………

(a) अर्जन विवरण (Statement of Earnings)

(b) आय विवरण (Statement of Income)

(c) लाभ-हानि का विवरण (Statement of P/L)

(d) उपरोक्त सभी (All the above) (1)

8. अंश पूँजी को चिट्ठे में निम्नलिखित में से किस शीर्षक के अन्तर्गत दिखाया जाएगा- –

Share Capital is shown in the Balance Sheet under the head of:

(a) अंशधारियों का कोष (Shareholders’ Funds)

(b) गैर-चालू दायित्व (Non-current liabilities)

(c) संचय एवं आधिक्य (Reserve and Surplus)

(d) इनमें से कोई नहीं (None of these)

9. ऋणपत्रों को चिट्ठे में निम्नलिखित में से किस शीर्षक के अन्तर्गत दिखाया जाएगा

Debentures are shown in the Balance Sheet under the head of:

(a) अंशधारियों का कोष (Shareholders’ Funds)

(b) चालू दायित्व (Current Liabilities)

(C) गैर-चालू दायित्व (Non-current Liabilities)

(d) इनमें से कोई नहीं (None of these)y

chetansati

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