BCom 2nd Year Income Tax Depreciation Study Material Notes in Hindi

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BCom 2nd Year Income Tax Depreciation Study Material Notes in Hindi

Table of Contents

BCom 2nd Year Income Tax Depreciation Study Material Notes in Hindi : Rules and Condition for Grant of Detraction Discussion of Important Concepts Related to Depreciation Ascertainment of Actual cost of Acquiring Assets in Various Condition Computation of Depreciation Rated of Depreciation Absorbed Depreciation Investment Allowance   numerical Illustration of Depreciation Important Examination Questions Numerical Questions :

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BCom 2nd Year Income Tax Salary Retired Employees Study Material Notes in Hindi

हास

(DEPRECIATION)

व्यापार अथवा पेशे से लाभ एवं प्राप्तियों वाले शीर्षक में स्पष्टयता स्वीकृत कटौतियों में धारा 32 के अन्तर्गत ‘हास’ अत्यधिक महत्त्वपूर्ण व्यय है, परन्तु आय-कर अधिनियम में ‘हास’ शब्द को कहीं पर भी परिभाषित नहीं किया गया है। हास से आशय सम्पत्ति के मूल्य में होने वाली कमी (गिरावट) से है जो सम्पत्ति का प्रयोग करने से, समय व्यतीत होने से या दोनों कारणों से उत्पन्न होती है। ह्रास एक अनिवार्य कटौती है।

(1) के अनुसार, करदाता के सम्पूर्ण या आंशिक स्वामित्व वाली निम्नलिखित वर्ग की सम्पत्तियों के सम्बन्ध में जिन्हें वह अपने व्यापार अथवा पेशे के लिए प्रयुक्त करता है, हास की कटौती स्वीकृत की जाती है

(1) मूर्त सम्पत्तियाँ (Tangible Assets)-ऐसी सम्पत्तियाँ जिन्हें देखा अथवा स्पर्श किया जा सकता है उन्हें मूर्त सम्पत्तियों कहा जाता है। जैसे-भवन, मशीन अथवा प्लान्ट एवं फर्नीचर आदि।

भवन से आशय केवल भूमि पर बने हुए ढांचे से है। इसमें भूमि शामिल नहीं होती है क्योंकि भूमि प्रयोग किये जाने से हासित नहीं होती है। भवन में सड़कें, पुल, पुलियाँ, कुएं तथा नलकूप आदि शामिल हैं।

प्लाण्ट में समुद्री जहाज, गाड़ियां, पुस्तके, वैज्ञानिक यन्त्र, शल्यकर्म यन्त्र आदि शामिल हैं जो व्यापार अथवा पेशे में प्रयोग हो रहे हों, परन्तु इसमें पशु, चाय के पौधे, भवन, फर्नीचर एवं फिटिंग शामिल नहीं हैं।

(2) अमूर्त सम्पत्तियाँ (Intangible Assets)-ऐसी सम्पत्तियाँ जिन्हें देखा अथवा स्पर्श नहीं किया जा सकता, उन्हें अमूर्त सम्पत्तियाँ कहा जाता है। व्यापार में प्रयोग की जाने वाली अमूर्त सम्पत्तियाँ जैसे-तकनीकी ज्ञान, पेटेण्ट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क, विशेषाधिकार आदि। हास केवल उन्हीं अमर्त सम्पत्तियों पर स्वीकृत है जिन्हें 1.4.1998 को या उसके बाद प्राप्त किया गया है। क्योंकि यह प्रावधान गत वर्ष 1998-99 से लागू हुआ है।

Income Tax Depreciation

हास स्वीकार करने के नियम एवं शर्ते

(Rules and Conditions for Grant of Depreciation)

हास की छूट (कटौती) प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित शर्तों का पूरा होना आवश्यक है

1 ह्रास धारा 32(1) में वर्णित उपर्युक्त सम्पत्तियों पर ही स्वीकृत किया जायेगा।

2. करदाता सम्पत्ति का स्वामी हो (Assamese must be the Owner of the Asset)-सम्पत्ति पर करदाता का पूर्णत: अथवा आंशिक स्वामित्व होना चाहिए। हास की छट प्राप्त करने के लिए यह जरूरी नहीं हैं कि करदाता का सम्पत्ति पर पंजीकृत (Registered) स्वामित्व हो।

यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति से कोई सम्पत्ति किराये पर या पट्टे पर लेता है अथवा माँग कर प्रयोग करता है तो ऐसी सम्पत्ति के सम्बन्ध में उसे ह्रास की छूट नहीं दी जायेगी। परंतु इस नियम/शर्त के निम्नलिखित अपवाद हैं

(i) यदि करदाता किसी भवन को अपने व्यापार अथवा पेशे के उपयोग के लिए किराये अथवा पट्टे पर लेता है तथा ऐसे भवन के नवीनीकरण, विस्तार, सुधार अथवा अन्य किसी निर्माण कार्य पर कोई पूँजीगत व्यय करता है तो ऐसे निर्माण कार्य के सम्बन्ध में उसे हास की छूट दी जायेगी।

(ii) किरायाक्रय पद्धति (Hire purchase system) पर खरीदी गई सम्पत्ति पर भी क्रेता को ह्रास की छूट स्वीकृत है।

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3. सम्पत्तियाँ गत वर्ष में व्यापार अथवा पेशे के लिए प्रयोग की गई हों (Assets must be used in the Previous Year for Business or Profession)-किसी भी मूर्त अथवा अमूर्त सम्पत्ति पर हास तभी स्वीकृत होगा जब वह सम्पत्ति गत वर्ष में करदाता के व्यापार अथवा पेशे के लिए प्रयोग की गई हो। भवन जिसे व्यापार के कर्मचारियों के निवास हेतु दे दिया हो, उसे नियोक्ता के व्यवसाय में प्रयुक्त हुआ माना जाता है। इसी प्रकार पंखे, रेफ्रिजरेटर, एयरकण्डीशनर्स व फर्नीचर जो कर्मचारियों के निवास पर उपयोग हेतु नियोक्ता ने दिये हों, उन्हें पूर्ण रूप से नियोक्ता के व्यवसाय में ही प्रयुक्त हुआ माना जाता है। इस सम्बन्ध में निम्नलिखित बिन्दु ध्यान रखने योग्य हैं

(i) यदि कोई सम्पत्ति आंशिक रूप से व्यापार में तथा आंशिक रूप से निजी प्रयोग में आती है तो व्यापार के लिए प्रयोग के सम्बन्ध में हास की छूट आनुपातिक रूप से दी जायेगी।

(ii) यदि किसी सम्पत्ति के सम्बन्ध में हास का दावा किया जाता है तो इसके लिए आवश्यक है कि करदाता द्वारा उस सम्पत्ति को गत वर्ष में प्रयोग किया गया हो। सम्पत्ति का प्रयोग चाहे कितनी भी कम अवधि के लिए किया गया हो, ह्रास की छूट दी जायेगी।

(iii) गत वर्ष में प्राप्त/क्रय की गई कोई सम्पत्ति व्यापार में 180 दिन से कम प्रयोग की जाए तो उस सम्पत्ति के सम्बन्ध में उस गत वर्ष के लिए सामान्य ह्रास का 50% हास ही स्वीकृत होगा। इसके विपरीत सम्पत्ति को प्राप्त करने वाले गत वर्ष में यदि सम्पत्ति का उपयोग 180 दिनों अथवा उससे अधिक अवधि के लिए किया गया हो तो हास की सम्पूर्ण राशि की कटौती स्वीकृत होगी।

(iv) यदि कोई सम्पत्ति सम्बन्धित गत वर्ष के पूर्व में प्राप्त की गई हो परन्तु उसके बाद के किसी भी गत वर्षों में उसका उपयोग 180 दिनों से कम की अवधि में हुआ हो तो उस पर सम्पूर्ण वर्ष का ह्रास पाने की पात्रता होगी। संक्षेप में, उक्त प्रावधान को निम्न सारणी की सहायता से समझा जा सकता

4.सम्बन्धित गत वर्ष के अन्तिम दिन सम्पत्ति की विद्यमानता (Assets must be Exist on the last day of Related Previous Year)-गत वर्ष की समाप्ति के दिन (31 मार्च) को यदि कोई सम्पत्ति विद्यमान नहीं हो, तो उस पर हास की कटौती नहीं मिलेगी, चाहे उसका वर्ष में कितने भी दिन उपयोग हुआ हो। उदाहरण के लिए, 1 अप्रैल, 2017 को कार का अपलिखित मूल्य 2,50,000 ₹ था एवं यह कार 1 फरवरी, 2018 को 2,00,000 ₹ में बेच दी गयी। ऐसी स्थिति में 31 मार्च, 2018 को चूंकि सम्पत्ति करदाता के स्वामित्व में नहीं रही है, इसलिए हास स्वीकृत नहीं होगा और उसके विक्रय से हुई हानि 50,000₹ व्यापार की हानि नहीं मानी जायेगी, बल्कि पूँजी लाभ शीर्षक के अंतर्गत अल्पकालीन पूँजी हानि मानी जायेगी।

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5. हास सम्पत्तियों के खण्ड के आधार पर मिलेगा (Depreciation will be Allowed on Block of Assets)-आय कर नियम-5 के परिशिष्ट-1 में विभिन्न प्रकार की सम्पत्तियों के लिए हास की भिन्न-भिन्न दरें दी गई हैं। हास की कटौती व्यक्तिगत सम्पत्तियों पर अलग-अलग स्वीकार नहीं की जाती है बल्कि एक जैसी सम्पत्तियों के खण्ड (Block) बना लिये जाते हैं और उन पर एक साथ हास की कटौती मिलती है। मूर्त सम्पत्तियों में सम्मिलित भवन, फर्नीचर, मशीन एवं प्लान्ट पर हास के सम्बन्ध में अलग-अलग दरों के आधार पर 12 खण्ड बनाये गये हैं जिनमें से 3 भवन के लिए हैं, 1 फर्नीचर के लिए एवं 8 मशीन एवं प्लान्ट के लिए हैं जबकि अमूर्त सम्पत्तियों में सम्मिलित पेटेन्ट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क, लाइसेन्स, फ्रेन्चाईजी एवं तकनीकी ज्ञान पर व्यय के सम्बन्ध में 1 समूह बनाया गया है। संक्षेप में, सम्पत्तियों के खण्ड (Block of Assets) से आशय सम्पत्तियों के एक ऐसे वर्ग से है जिसमें समान दर से ह्रास स्वीकृत की जाने वाली एक जैसी सभी सम्पत्तियों को शामिल किया जाता है।

6. हास की विधियाँ (Methods of Depreciation)-(अ) शक्ति के उत्पादन अथवा उत्पादन एवं वितरण में लगे हए औद्योगिक उपक्रमों के अतिरिक्त अन्य उपक्रमों की दशा में सम्पत्तियों के खण्ड के अपलिखित मूल्य (Written Down Value) पर निर्धारित दरों से ह्रास स्वीकृत होगा। (ब) यदि कोई औद्योगिक उपक्रम शक्ति के उत्पादन अथवा उत्पादन एवं वितरण (Generation of power or generation and distribution of power) में लगा है तो उसकी सम्पत्तियों की वास्तविक लागत पर निर्धारित दरों से ह्रास लिया जा सकता है।

7. निर्धारित प्रतिशत से ह्रास (Depreciation at prescribed percentage)-सम्पत्तियों के लिए हास की अलग-अलग दरें आय-कर नियमावली, 1962 की Appendix I के भाग 1 एवं Appendix-1A में दी गई हैं। सम्पत्तियों पर हास इन्हीं दरों पर स्वीकार किया जायेगा, अन्य किसी दर से नहीं। इन्हें इसी अध्याय में आगे विस्तार से बताया गया है।

8. ह्रास की कटौती सम्पत्ति की लागत से अधिक नहीं मिलेगी (Depreciation cannot be Allowed for more than the Cost of the Asset)-यदि किसी सम्पत्ति पर व्यय अथवा ह्रास के रूप में एक या अधिक वर्षों में सम्पूर्ण राशि की कटौती। मिल चुकी हो तो फिर उस पर हास स्वीकृत नहीं होगा।

9. ह्रास अनिवार्य कटौती है (Depreciation is Mandatory)-धारा 32 के स्पष्टीकरण 5 के अनुसार ह्रास कटौती के रूप में अवश्य स्वीकृत किया जायेगा, भले ही करदाता ने अपनी कुल आय का गणना करने में हास की कटौती का दावा किया है। अथवा नहीं। वस्तुतः ह्रास की कटौती एक अनिवार्य कटौती है।

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10. विदेशी कारों पर हास (Depreciation on Imported Cars)-विदेशी कार से आशय विदेश में निर्मित एवं भारत में आयात की गई कार से है। विदेश में निर्मित मोटर कार जो 1.4.2001 से पूर्व क्रय की गई है उस पर हास की कटौती तभी। प्रदान की जायेगी जब उक्त कार का प्रयोग पर्यटकों के लिए टैक्सी के रूप में किया जाए अथवा विदेश में अपने व्यापार या पश। के लिए किया जाए। परन्तु वित्त अधिनियम, 2001 के द्वारा किये गये संशोधन के परिणामस्वरूप 1 अप्रैल, 2001 से विदेश में बनी। आयातित कार पर भी उसी प्रकार हास की छूट दी जायेगी जिस प्रकार भारत में निर्मित हुई कार के सम्बन्ध में दी जाती है। ।

11. गत वर्ष में सम्पत्ति का क्रयविक्रय या नष्ट होना (Sale or Purchase/Discarded or Destroyed Assets) यदि कोई सम्पत्ति गत वर्ष में बेच दी जाती है, तो उसका प्राप्त मल्य खण्ड (Block) के मूल्य में से कम कर दिया। जाता है, इसके विपरीत यदि कोई नई सम्पत्ति क्रय की जाती है, तो खण्ड (Block) में उसका लागत मूल्य जोड़ दिया जाता है। याद । सम्पत्ति नष्ट हो जाती है या अप्रचलन के कारण रद्द हो जाती है, तो उसके अवशिष्ट को बेचने से प्राप्त राशि खण्ड (Block) का सम्पत्तियों के योग में से कम कर देते हैं। इस प्रकार अन्त में जो अपलिखित मूल्य बचता है, उस पर निधारित दर स हास का गणना की जाती है।

12. खण्ड की सभी संम्पत्तियों का विक्रय (Sale of all Assets in a Block)-यदि ब्लॉक की सभी सम्पत्तियाँ बेच दी जाए तो उनसे होने वाला लाभ या हानि अल्पकालीन पूँजी लाभ या हानि मानी जायेगी। ऐसी सम्पत्ति पर गत वर्ष में कोई ह्रास स्वीकृत नहीं होगा। उदाहरण के लिए-1 अप्रैल, 2017 को मशीनरी ब्लॉक का अपलिखित मूल्य 3,60,000₹ था एवं गत वर्ष में इस समूह की सभी मशीनें 3,10,000 ₹ में बेच दी गयीं और कोई नई मशीन नहीं क्रय की गयी। ऐसी स्थिति में दो प्रभाव होंगे-(1) बेची गयी मशीनों पर गत वर्ष में कोई ह्रास स्वीकृत नहीं होगा, क्योकि 31 मार्च, 2018 को इस समूह में कोई मशीन शेष नहीं है। (2) मशीनों के विक्रय से हानि 50,000 ₹ पूँजी लाभ शीर्षक में अल्पकालीन पूँजी हानि के रूप में लिखी जायेगी। इसे व्यापारिक हानि नहीं मानेगे, अत: व्यापार अथवा पेशे शीर्षक में कटौती स्वीकृत नहीं होगी।

13. उत्तराधिकार अथवा एकीकरण की दशा में (In case of Succession or Amalgamation)-संयंत्र और मशीनरी, भवन अथवा फर्नीचर पर सम्पूर्ण वर्ष के ह्रास की गणना की जायेगी तथा पूर्व मालिक तथा उत्तराधिकारी मालिक अथवा जिस कम्पनी ने एकीकरण किया हो अथवा जिस कम्पनी का एकीकरण हुआ हो उनके द्वारा उन सम्पत्तियों का कितने दिनों तक उपयोग किया गया है, इस आधार पर हास की गणना की जायेगी।

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संक्षेप में, हास के दावे हेतु निम्नलिखित शर्तों का पूरा होना आवश्यक है

() सम्पत्ति, स्वामी के पूर्ण या आंशिक रूप से स्वामित्व में हो।

() वह सम्पत्ति व्यवसाय या पेशे में प्रयुक्त होनी चाहिए।

() वह सम्पत्ति गत वर्ष में उपयोग की जानी चाहिए। यदि उपर्युक्त में से कोई भी शर्त पूरी न हो रही हो, तो उस पर हास स्वीकृत नहीं होगा।

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ह्रास से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण अवधारणाओं की विवेचना

(Discussion of Important Concepts Related to Depreciation)

हास के सम्बन्ध में निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण अवधारणाएँ हैं जिनको समझना परमावश्यक है

(1) खण्ड (Block) का निर्माण कैसे करें।

(II) सम्पत्तियों की वास्तविक लागत।

(III) अपलिखित मूल्य के अर्थ का स्पष्टीकरण।

(I) खण्ड (Block) का निर्माण कैसे करें (How to Form Blocks)-जैसा कि पीछे बताया जा चुका है कि सम्पत्तियों के खण्ड से आशय सम्पत्तियों के एक ऐसे वर्ग (समूह) से है जिसमें समान दर से हास स्वीकृत की जाने वाली एक जैसी सभी सम्पत्तियों को शामिल किया जाता है। प्रश्न यह है कि हास की गणना हेत सम्पत्तियों के खण्ड का निर्माण कैसे किया जाए। इसे एक उदाहरण की सहायता से सरलतापूर्वक समझा जा सकता है। उदाहरण के लिए, आय-कर अधिनियम के अन्तर्गत हास स्वीकृत की जाने वाली सम्पूर्ण सम्पत्तियों को निम्नांकित चार वर्गों एवं उन पर स्वीकत हास की दरों के अनुसार 13 खण्डों में। विभक्त किया गया है (विस्तृत विवेचना इसी अध्याय में हास की स्वीकृत दरों वाले शीर्षक में आगे की गई है)।

(i) भवन-3 खण्ड (5%, 10 %, एवं 100%) (ii) फर्नीचर तथा फिटिंग्स-1 खण्ड (10%) (iii) प्लॉट तथा मशीनरी-8 खण्ड (15%, 20%, 30%, 40%, 50%, 60%, 80%, एवं 100%) (iv) अमूर्तवान सम्पत्तियाँ-1 खण्ड (25%)

चूंकि भवन, सम्पत्तियों का एक वर्ग है जिसके सम्बन्ध में हास की तीन दरें हैं अतः भवनों के 3 खण्ड बनेंगे। करदाता के स्वामित्व वाले और व्यापार हेतु प्रयुक्त सभी भवन जिनके सम्बन्ध में हास की दर 5% है, खण्ड-1 में रखे जायेंगे। ये करदाता द्वारा अपने कर्मचारियों को प्रदत्त आवासीय भवन होंगे। करदाता के स्वामित्व वाले तथा व्यापार हेतु प्रयुक्त वे सभी भवन जिन पर स्वीकृत हास की दर 10% है,खण्ड-2 में रखे जायेंगे। इसी प्रकार करदाता के स्वामित्व वाले तथा व्यापार में प्रयुक्त वे सभी भवन । जिन पर स्वीकृत हास की दर 100% है खण्ड-3 में रखे जायेंगे।

सम्पत्तियों के अन्य वर्गों अर्थात प्लांट एवं मशीनरी, फर्नीचर एवं फिटिंग्स के खण्ड बनाने हेत भी यही प्रक्रिया अपनाई जायेगी। परन्तु अमूर्तवान सम्पत्तियों का एक ही खण्ड होगा क्योंकि इसमें हास की एक ही दर निर्दिष्ट की गयी है।

(II) सम्पत्तियों की वास्तविक लागत (Actual Cost of Assets) [धारा 43 (1)]-धारा 43 (1) के अन्तर्गत वास्तविक लागत का अर्थ करदाता के द्वारा किसी सम्पत्ति को खरीदने के लिए वहन की गई वास्तविक लागत से है। इसमें से उस राशि को घटाया जाता है जिसे किसी अन्य व्यक्ति ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वहन किया हो अथवा उस राशि की प्रतिपूर्ति (reimbursement) की गई हो या किसी व्यक्ति, संस्था, सत्ता अथवा सरकार से कोई सहायता या अनुदान मिला हो। यदि ऐसी सहायता अथवा अनुदान एक से अधिक सम्पत्तियों के सम्बन्ध में प्राप्त हुआ हो तो केवल आनुपातिक राशि को ही लागत में से कम किया जायेगा।

उदाहरण के लिए, करदाता एक संयंत्र 2,00,000 ₹ में खरीदता है और सरकार से 50,000₹ नकद सहायता के रूप में प्राप्त करता है तो उसकी वास्तविक लागत 1,50,000 रु० (2,00,000 ₹ -50,000१) होगी और वह 1,50,000र पर ही ह्रास का हकदार होगा न कि 2,00,000₹ पर कर निर्धारण वर्ष 2018-19 से यदि करदाता किसी सम्पत्ति को प्राप्त करने हेतु कुछ व्यय करता है, जिसके सम्बन्ध में किसी व्यक्ति को किसी एक दिन में, किसी बैंक पर आहरित किसी खाते में देय चेक या खाते में देय बैंक ड्राफ्ट या किसी बैंक खाते के माध्यम से इलेक्ट्रानिक प्रणाली से भिन्न 10,000 ₹ से अधिक का भुगतान करता है, तो ऐसा व्यय वास्तविक लागत में शामिल नहीं किया जाएगा।

संक्षेप में, वास्तविक लागत में निम्नलिखित व्ययों को शामिल किया जाता है

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1 सम्पत्ति प्राप्त करने के व्ययों को सम्पत्ति की लागत में जोड़ेंगे (Expenses Incurred to Purchase Assets will be Added in the Cost of Assets)-यदि कोई सम्पत्ति क्रय करने की दशा में पंजीकरण व्यय, बिक्री कर, दलाली, गाड़ी-भाड़ा, चुंगी या अन्य प्रकार के किसी कर की लागत लगी है तो इस प्रकार के व्ययों को सम्पत्ति की लागत में जोड़ देंगे।

2. सम्पत्ति क्रय करने अथवा भवन का निर्माण शुरू करने से उत्पादन प्रारम्भ करने की अवधि का ब्याज (Interest from the Period of Purchasing Asset or from Construction of House to date of Starting Production)-कर-निर्धारण वर्ष 2005-06 से यह विशेष प्रावधान किया गया है कि यदि किसी मशीन का क्रय करने हेतु अथवा वाणिज्यिक प्रयोग हेतु भवन निर्माण करने के लिए ऋण लिया जाये, तो उत्पादन कार्य प्रारम्भ होने से पूर्व की अवधि का ब्याज पंजीगत ब्याज मानते हुए सम्पत्ति की लागत में जोड़ दिया जाता है। उत्पादन प्रारम्भ करने के बाद चुकाये गये ब्याज का आयगत व्यय के रूप में कटौती मिलेगी।

3. सम्पत्ति को स्थल तक लाने, उसको स्थापित करने तथा प्रयोग हेतु सक्षम बनाने में किये गये व्यय, जैसे आगम भाड़ा, चढ़ाने-उतारने के व्यय, लगाने के व्यय, आधारशिला रखने के आयोजन व्यय आदि।

4. सम्पत्ति के प्रयोग को सुगम बनाने के लिए किये गये व्यय जैसे-सम्पत्ति को प्रयोग से पूर्व उसे प्रयोग हेतु उपयुक्त बनाने के लिए उसकी मरम्मत तथा सुधार में किये गये व्यय, स्टाफ के प्रशिक्षण व्यय, आवश्यक निर्माण कार्यों, जैसे-भवन निर्माण, कूलिंग टावर, स्टोरेज रूम आदि के व्यथ।

5.सम्पत्ति के प्रयोग से पूर्व उसके बीमा,शक्ति तथा उसके परीक्षण दौड (Test run) आदि के लिए किये गये व्यय संक्षेप में, वास्तविक लागत = सम्पत्ति के क्रय/निर्माण की लागत + उपयोग के पूर्व की अवधि के व्यय – सरकार आदि से प्राप्त आर्थिक सहायता (subsidy) की रकम

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विभिन्न दशाओं में सम्पत्ति को प्राप्त करने की वास्तविक लागत का निर्धारण

(Ascertainment of Actual Cost of Acquiring Assets in Various conditions)

धारा 43 (1) के अनुसार विभिन्न दशाओं में सम्पत्ति को प्राप्त करने की लागत के सम्बन्ध में निम्नलिखित स्पष्टीकरण दिये गये है

स्पष्टीकरण 1: वैज्ञानिक अनुसंधान हेतु प्रयोग की गई सम्पत्तियों का व्यावसायिक प्रयोग (Business use of Assets earlier used for Scientific Research)-यदि करदाता ने पहले किसी सम्पत्ति का प्रयोग वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए किया हो, परंतु अब वह सम्पत्ति अनुसंधान पूरा हो जाने के कारण अथवा वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए प्रयोग बन्द हो जाने के कारण व्यापार में प्रयोग की जाने लगी हो तो उस सम्पत्ति की लागत निम्न प्रकार जात की जायेगी

सम्बन्धित सम्पत्ति की वास्तविक लागतउक्त सम्पत्ति पर वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए मिल चुकी कटौती। धारा 35(10 ) के अन्तर्गत वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए सम्पत्ति की लागत का 100% कटौती के रूप में स्वीकृत होता है, अत: ऐसी सम्पत्तियों को प्राप्त करने की लागत अधिकतर शून्य होती है।

स्पष्टीकरण 2: उपहार अथवा उत्तराधिकार में प्राप्त सम्पत्ति की लागत (Cost of Asset Received as a Gift.or in Inheritance) -यदि करदाता को कोई सम्पत्ति उपहार या उत्तराधिकार में मिलती है तो ऐसी सम्पत्ति की वास्तविक लागत पर्व स्वामी की वास्तविक लागत में से ऐसी सम्पत्ति पर अब तक स्वीकृत हुए हास की राशि घटाने के बाद बची हुई राशि मानी जाती है। इस सम्बन्ध में यह उल्लेखनीय है कि भूतपूर्व स्वामी के लिए उस सम्पत्ति की वास्तविक लागत में से कर-निर्धारण वर्ष। 1987-88 तक का स्वीकृत हास घटा दिया जायेगा। कर निर्धारण वर्ष 1988-89 एवं बाद के कर-निर्धारण वर्षों का ह्रास यह मानते हुए घटाया जायेगा कि उस समूह में यह अकेली सम्पत्ति थी। संक्षेप में; उपहार अथवा उत्तराधिकार में प्राप्त सम्पत्ति की वास्तविक लागत को निम्नलिखित सूत्र की सहायता से ज्ञात किया जा सकता है

पूर्व स्वामी की वास्तविक लागत कर-निर्धारण वर्ष 1988-89 से पूर्व स्वीकृत ह्रास की राशि

कर-निर्धारण वर्ष 1988-89 से पूर्व स्वीकृत ह्रास की राशि + कर-निर्धारण वर्ष 1988-89 एवं बाद के कर-निर्धारण वर्षों में करदाता को सम्पत्ति पर स्वीकृत ह्रास, यदि उस सम्पत्ति को एक समूह या ब्लॉक माना जाये।]

नोट-ऐसी स्थिति में वास्तविक लागत के निर्धारण में सम्पत्ति को प्राप्त करने के दिन उसके बाजार मूल्य पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।

स्पष्टीकरण 3 : पुरानी सम्पत्ति को क्रय करना (Purchase of Old Asset)-यदि कोई व्यापारी किसी अन्य व्यापारी द्वारा उसके व्यापार अथवा पेशे में प्रयोग की जा रही किसी सम्पत्ति को अधिक हास की छुट की माँग करने के उद्देश्य से उक्त सम्पत्ति के वास्तविक मूल्य से अधिक मूल्य पर क्रय करता है, तो इस सम्पत्ति की वास्तविक लागत उस राशि को माना जायेगा जो आयकर अधिकारी द्वारा डिप्टी कमिश्नर की पूर्व अनुमति लेकर तथा अन्य सभी परिस्थितियों पर विचार करने के पश्चात् निर्धारित की गई हो।

स्पष्टीकरण 4: करदाता द्वारा पुनः प्राप्त सम्पत्ति (Asset Re-acquired by the Assesses)-यदि कोई करदाता एक बार किसी सम्पत्ति को बेच देता है और पुन: क्रेता से उसी सम्पत्ति को खरीद लेता है तो ऐसी सम्पत्ति की दशा में भी यह माना जायेगा कि सम्पत्ति को बेचने एवं पुनः खरीदने के अनुबन्ध आय-कर बचाने की दृष्टि से किये गये हैं एवं वास्तविकता से दूर हैं। अत: ऐसी सम्पत्ति की दशा में सम्पत्ति की लागत निम्नलिखित में से जो कम हो, वह होगी

() करदाता द्वारा सम्पत्ति की पुनः खरीद पर किया गया भुगतान। (ब) करदाता द्वारा सम्पत्ति को बेचते समय सम्पत्ति का अपलिखित मूल्य।

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स्पष्टीकरण 4 A: क्रय करके पुन: पट्टे पर देना (Buy and Lease Back)-यदि कोई सम्पत्ति करदाता द्वारा क्रय किये जाने से पूर्व किसी अन्य व्यक्ति द्वारा उसके व्यवसाय अथवा पेशे में काम में ली जा रही थी एवं उस व्यक्ति ने इस सम्पत्ति के सम्बन्ध में हास की छूट प्राप्त की थी एवं करदाता ने इस सम्पत्ति को खरीद कर फिर से उस व्यक्ति को पट्टे पर दे दिया है तो इस प्रकार हस्तान्तरित सम्पत्ति की वास्तविक लागत करदाता के लिए वह राशि होगी जो विक्रेता के लिए इस सम्पत्ति के हस्तान्तरण के समय अपलिखित मूल्य था।

स्पष्टीकरण 5 : व्यापार या पेशे के लिए प्रयुक्त करदाता का भवन (Asses see’s Building used for Business or Profession)-यदि कोई भवन जो पूर्व में करदाता की निजी सम्पत्ति थी, बाद में व्यापार अथवा पेशे के लिए प्रयुक्त करना प्रारम्भ कर दिया है तो उस सम्पत्ति की वास्तविक लागत वह राशि होगी जो करदाता की वास्तविक लागत (सम्पत्ति क्रय करते समय थी) में से अब तक का स्वीकृत ह्रास (क्रय तिथि से गत वर्ष तक) घटाने के बाद आयेगी। क्रय तिथि से गत वर्ष तक का स्वीकृत हास यह मानकर निकाला जायेगा जैसे कि यह सम्पत्ति प्रारम्भ से ही व्यापार या पेशे में प्रयुक्त हो रही थी। ।

स्पष्टीकरण 6: सूत्रधारी एवं सहायक कम्पनियों के बीच पूँजी सम्पत्ति का हस्तान्तरण (Transfer of Assets between Holding and Subsidiary Companies)-यदि किसी सत्रधारी कम्पनी द्वारा अपनी 100% सहायक कम्पनी को। अथवा 100% सहायक कम्पनी द्वारा अपनी सूत्रधारी कम्पनी को कोई पंजी सम्पत्ति हस्तान्तरित की जाती है तो प्राप्त करने वाली । कम्पनी के लिए उस सम्पत्ति की वास्तविक लागत वह राशि होगी जो हस्तांतरण करने वाली कम्पनी के लिए होती यदि वह सम्पत्ति । का हस्तान्तरण न करके अपने व्यापार में ही प्रयोग करती एवं सम्पत्ति प्राप्त करने वाली कम्पनी एक भारतीय कम्पनी होती।

स्पष्टीकरण 7: एकीकरण की योजना के अन्तर्गत हस्तान्तरित सम्पत्ति (Transfer of Assets under the Scheme of | Amalgamation)-एकीकरण की योजना के अन्तर्गत यदि एकीकरण होने वाली कम्पनी अपनी पूँजी सम्पत्ति का हस्तान्तरण एकीकृत कम्पनी को करती है एवं एकीकृत कम्पनी भारतीय कम्पनी है तो इस कम्पनी के लिए उस सम्पत्ति की वास्तविक लागत। वह राशि होगी जो हस्तांतरण करने वाली कम्पनी के लिए होती बशर्ते हस्तांतरण करने वाली कम्पनी उस सम्पत्ति को हस्तांतरित न । करके उस सम्पत्ति का प्रयोग अपने व्यापार या पेशे के लिए ही जारी रखती।

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स्पष्टीकरण 7A: विभक्तीकरण योजना के अन्तर्गत हस्तांतरित सम्पत्तियाँ (Assets Transferred Under al scheme of demerger)-यदि किसी विभक्तीकरण की योजना के अन्तर्गत विभक्त कम्पनी की कोई पूँजी सम्पत्ति परिणामी कम्पनी (Resulting Company) को हस्तान्तरित की जाती है तथा परिणामी कम्पनी एक भारतीय कम्पनी है, तो परिणामी कम्पनी के लिए उस सम्पत्ति की वास्तविक लागत वही होगी जो विभक्त कम्पनी के लिए होती यदि यह कम्पनी उस सम्पत्ति का प्रयोग स्वयं के लिए जारी रखती, किंतु ऐसी वास्तविक लागत उस अपलिखित मूल्य से अधिक नहीं होगी जो उस सम्पत्ति का विभक्त। कम्पनी की पुस्तकों में है।

स्पष्टीकरण 8 : सम्पत्ति को क्रय करने के लिए उधार ली गई पूँजी पर ब्याज (Interest on Borrowed Capital for the Purchase of Asset)-यदि कोई व्यक्ति सम्पत्ति को खरीदने के लिए कोई पूँजी उधार लेता है तो उस सम्पत्ति के प्रयोग में आने के बाद की अवधि का ब्याज उस सम्पत्ति की वास्तविक लागत में नहीं जोड़ा जायेगा।

स्पष्टीकरण 9 : उत्पाद शुल्क जिसका CENVAT क्रेडिट मिल गया है, का समायोजन-यदि किसी करदाता ने कोई पूँजी सम्पत्ति खरीदी है एवं उस पर उत्पाद शुल्क नियमों के अनुसार उस शुल्क का क्रेडिट मिल गया है तो क्रेडिट की राशि सम्पत्ति की वास्तविक लागत में शामिल नहीं की जायेगी।

स्पष्टीकरण 10 : सम्पत्ति को खरीदने के सम्बन्ध में लागत की प्रतिपूर्ति अथवा सहायता या अनुदान प्राप्त करना (Subsidy. Grant or Reimbursement of the Cost)-यदि किसी करदाता को सम्पत्ति को खरीदने के सम्बन्ध में केन्द्रीय सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय सत्ता आदि से कोई अनुदान प्राप्त होता है तो ऐसी प्राप्त होने वाली राशि को सम्पत्ति की वास्तविक लागत में से घटा दिया जाता है।

स्पष्टीकरण 11: अनिवासी करदाता द्वारा विदेश से भारत में लाई गई सम्पत्ति-यदि किसी अनिवासी करदाता ने विदेश में। कोई सम्पत्ति प्राप्त की थी जिसे वह भारत में व्यापार अथवा पेशे के प्रयोग करने के लिए लाता है तो करदाता के लिए उस सम्पत्ति की वास्तविक लागत वही होगी जो उस करदाता के लिए वास्तविक लागत थी परंत उसमें से ह्रास की राशि को घटा दिया जायेगा, जो उस सम्पत्ति के प्राप्त किये जाने की तिथि से ही उसके भारत में प्रयोग किये जाने पर हास के रूप में स्वीकृत की जाती।

विशेषकिरायाक्रय पद्धति के अन्तर्गत यद्यपि क्रेता ने सम्पूर्ण किराये की किस्तों का भुगतान नहीं किया हो फिर भी वह सम्पत्ति का स्वामी माना जायेगा, अतः उसे ह्रास की छुट उपलब्ध होगी। इस पद्धति के अन्तर्गत खरीदी गई सम्पत्ति की वास्तविक लागत वह राशि मानी जायेगी जो उस सम्पत्ति को रोकड़ में खरीदने (cash value) के लिए दी जाती है।

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(III) धारा 43 (6) के अन्तर्गत अपलिखित मूल्य के अर्थ का स्पष्टीकरण [Clarification Regarding Meaning of Written Down Value u/s 43(6)]-सम्पत्ति के खण्ड पर चालू वित्तीय वर्ष में ह्रास लगाने के उद्देश्य से अपलिखित मूल्य का अर्थ(i) गत वर्ष से पूर्व प्राप्त की गयी सम्पत्तियों की दशा में एक खण्ड में आने वाली सभी सम्पत्तियों की करदाता को पड़ने वाली वास्तविक लागत में से वास्तव में स्वीकृत सम्पूर्ण ह्रास की राशि घटाकर निकाली/ज्ञात की गयी राशि। (ii) गत वर्ष में प्राप्त की गयी सम्पत्तियों की दशा में करदाता को पड़ने वाली वास्तविक लागत परन्तु यदि किसी एक खण्ड की कोई सम्पत्ति गत वर्ष में बेच दी जाती है तो सम्पत्तियों के उस खण्ड का अपलिखित मूल्य निम्न प्रकार से ज्ञात करेंगे

Step I: गत वर्ष के प्रारम्भ में सम्पूर्ण खण्ड का अपलिखित मूल्य निर्धारित करें जो कि सम्बन्धित गत वर्ष से लीक पूर्व समाप्त होने वाले वर्ष के अन्तिम दिन सम्बन्धित खण्ड में से स्वीकृत ह्रास घटाने के बाद बची हुई राशि के बराबर होगा। संक्षेप में, सम्बन्धित गत वर्ष के प्रारम्भ में एक खण्ड के अन्तर्गत आने वाली सभी सम्पत्तियों के अपलिखित मूल्य (W.D.V.) को जोड़ देंगे।

Step II: सम्पत्ति के उसी खण्ड में आने वाली यदि कोई सम्पत्ति क्रय की गई है तो उक्त सम्पत्ति की वास्तविक लागत को उपर्युक्त Step 1 के अन्तर्गत सम्बन्धित खण्ड के ज्ञात किये गये अपलिखित मूल्य में जोड़ देंगे।

Step III : यदि इस खण्ड की कोई सम्पत्ति गत वर्ष में बेच दी गई हो, नष्ट कर दी गई हो या रद्द कर दी गई हो तो उस सम्पत्ति के सम्बन्ध में करदाता को प्राप्त होने वाली राशि के साथ-साथ उस सम्पत्ति के अवशिष्ट मूल्य (Scrap Value) भी (यदि कोई हो तो) घटा देंगे। इस प्रकार शेष बची हुई राशि ही उस खण्ड को सम्पत्तियों का अपलिखित मूल्य होगा जिस पर चाल वर्ष का ह्रास लगाया जायेगा।

नोट-(1) उपर्युक्त वर्णित Step III के अन्तर्गत घटाई जाने वाली राशि Step I एवं Step II की राशियों के योग से अधिक नहीं हो सकती। यदि घटाई जाने वाली राशि अधिक है तो ऐसी दशा में अपलिखित मूल्य शून्य माना जायेगा एवं Step II के अन्तर्गत घटाई जाने वाली राशि, Step I तथा Step II की राशियों के योग से जितनी अधिक होगी उसे धारा 50 के अन्तर्गत अल्पकालीन पूँजी लाभ (Short Term Capital Gain) मानेंगे।

(2) जहाँ सम्पत्ति का खण्ड विद्यमान ही रहे अर्थात् खण्ड की सभी सम्पत्तियाँ हस्तान्तरित हो गयी हों Where Block of an Asset does not Exist i.e., all the Assets of Related Block have been Transferred/sold)-यदि किसी खण्ड की सभी सम्पत्तियां गत वर्ष के दौरान हस्तांतरित कर दी जायें तो ऐसे खण्ड का अपलिखित मूल्य घटकर शन्य रहा जायेगा तथा कोई ह्रास स्वीकृत नहीं होगा। ऐसा निम्नलिखित दो दशाओं में हो सकता है

Income Tax Depreciation

(i) जब खण्ड की सम्पर्ण सम्पत्तियों का विक्रय मूल्य उनके प्रारम्भिक अपलिखित मूल्य तथा वर्ष में प्राप्त सम्पत्ति की लागत से भी अधिक हो। ऐसी दशा में आधिक्य की राशि धारा 50 के अन्तर्गत अल्पकालीन पूँजी लाभ कहलाएगी।

(ii) जब विक्रय मूल्य सम्पत्तियों के खण्ड के प्रारम्भिक अपलिखित मूल्य तथा वर्ष के अन्तर्गत प्राप्त सम्पत्ति की लागत से कम हो तो ऐसी हानि धारा 50 के अन्तर्गत अल्पकालीन पूंजी हानि कहलाएगी।

(3) जहाँ खण्ड का केवल एक भाग बेचा गया हो (Where onlyaPart of a Block has been Sold)-जहाँ सम्पत्तिया। के खण्ड में से कोई सम्पत्ति हस्तांतरित कर दी गयी हो तथा बेची अथवा रद्द की गयी या नष्ट की गयी सम्पत्ति के अवशिष्ट मूल्य सहित देय राशि, सम्बन्धित खण्ड के गत वर्ष के प्रारम्भ में अपलिखित मल्य तथा वर्ष के दौरान प्राप्त की गयी सम्पत्ति की लागत के । योग से अधिक है अथवा बराबर है, यद्यपि खण्ड की कुछ सम्पत्तियाँ विद्यमान हैं, तो खण्ड का अपलिखित मूल्य घटाकर शून्य कर दिया जायेगा तथा कोई हास स्वीकत नहीं होगा। इसके अतिरिक्त विक्रय मूल्य का ऐसा आधिक्य अल्पकालीन पूंजीगत लाभ के रूप में कर-योग्य होगा। उदाहरण के लिए जहां एक खण्ड के अंतर्गत दो भवन हैं-अ तथा ब जिनका अपलिखित मूल्य 1.4.2017 को 2,40,000 ₹ है। गत वर्ष में भवन ‘अ’ बेच दिया जाता है जिसका विक्रय मूल्य 2,60,000₹ है। चूंकि यह विक्रय मूल्य खण्ड के कुल अपलिखित मूल्य (W.D.V.) से अधिक है, अत: 31.3.2018 को खण्ड का अपलिखित मूल्य (W.D.V.) शून्य माना जायेगा तथा कोई हास स्वीकृत नहीं होगा। परन्तु 20,000 ₹ का अन्तर अल्पकालीन पूँजी लाभ के रूप में कर-योग्य होगा।

Income Tax Depreciation

ह्रास की गणना

(Computation of Depreciation)

हास की गणना हेतु उठाये जाने वाले आवश्यक कदम निम्न प्रकार हैं

1.विभिन्न सम्पत्तियों का खण्ड निर्धारण (Block Determination of Various Assets)-करदाता द्वारा गत वर्ष में प्रयोग में लाई गई सम्पत्ति का खण्ड निर्धारण किया जायेगा। एक खण्ड में आने वाली विभिन्न सम्पत्तियों को एक साथ जोड़ा जायेगा। इसकी विस्तृत विवेचना पीछे कर चुके हैं।

2. प्रत्येक खण्ड का अपलिखित मूल्य ज्ञात करना (Find out the Written Down Value of each Block)-यद्यपि अपलिखित मूल्य की विस्तृत विवेचना ऊपर कर चुके हैं, फिर भी सांराश रूप में प्रत्येक खण्ड का अपलिखित मूल्य निम्न प्रकार ज्ञात करेंगे

() प्रत्येक खण्ड का वर्ष के प्रारम्भ में अपलिखित मुल्य ज्ञात करें।

() वर्ष के दौरान यदि कोई सम्पत्ति प्राप्त की गई है एवं गत वर्ष में उस सम्पत्ति का व्यवसाय में प्रयोग प्रारम्भ हो गया हो तो उस सम्पत्ति को प्राप्त करने की लागत सम्बन्धित खण्ड में जोड़ देंगे।

() यदि कोई सम्पत्ति वर्ष में रद्द या नष्ट या बेच दी गई है तो उसके अवशिष्ट मूल्य सहित विक्रय मूल्य को सम्बन्धित सम्पत्ति के खण्ड में से घटा देंगे। संक्षेप में अपलिखित मूल्य जिस पर हास की गणना की जायेगी = उपर्युक्त (अ) + (ब)- (स)

नोट

(i) यदि किसी खण्ड की सभी सम्पत्तियाँ गत वर्ष में हस्तांतरित कर दी जायें तो खण्ड का अपलिखित मूल्य घट कर शून्य रह जायेगा तथा कोई हास स्वीकृत नहीं होगा।

(ii) जहाँ खण्ड का एक भाग बेच दिया गया हो तथा सम्पत्ति का विक्रय मूल्य उस खण्ड के प्रारम्भिक अपलिखित मूल्य (W.D.V) एवं वर्ष में क्रय की गयी सम्पत्ति की लागत के योग से कम हो तो ऐसी दशा में वर्ष के अन्त में खण्ड के अपलिखित मूल्य पर हास स्वीकृत होगा। ऐसी स्थिति में कोई अल्पकालीन पूंजीगत लाभ या हानि नहीं उत्पन्न होगा।

हास की दरें

(Rates of Depreciation)

(i) यदि कोई औद्योगिक उपक्रम शक्ति के उत्पादन अथवा उत्पादन एवं वितरण में लगा है तो उसकी सम्पत्तियों की वास्तविक लागत पर निर्धारित दरों से हास लिया जा सकता है।

(ii) अन्य दशा में सम्पत्तियों के खण्ड के अपलिखित मूल्य पर निर्धारित दरों से ह्रास स्वीकृत होगा। हास की निर्धारित दरें आय कर अधिनियम, 1962 की Appendix के भाग 1 में दी हुई हैं। 01.04.2017 (वित्तीय वर्ष 2017-18) से लागू दरों की संक्षिप्त विवेचना निम्न प्रकार है

प्लाण्ट एवं मशीनरी पर अतिरिक्त ह्रास की कटौती (Deduction for Additional Depreciation on Plant and, Machinery) [धारा 32(1)(iia)]-निर्धारित शतों के पूरा होने पर करदाता को प्लाण्ट एवं मशीनरी पर उपर्युक्त वर्णित सामान्य हास के अतिरिक्त, हास के सम्बन्ध में जो अतिरिक्त कटौती स्वीकत होती है उसे अतिरिक्त हास कहते हैं। अतिरिक्त हास की कटौती को भली प्रकार समझने के लिए योग्य करदाता एवं निर्धारित शर्तों को समझना आवश्यक है।

योग्य करदाता (Eligible Assesses)-औद्योगिक उपक्रम करदाता जो किसी वस्तु के निर्माण या उत्पादन कार्य में संलग्न है अतिरिक्त ह्रास की कटौती की माँग कर सकता है। इसका अर्थ है कि यदि कोई करदाता वस्तुओं का क्रय-विक्रय (Trading Business) कर रहा है, तो उसे अतिरिक्त ह्रास की छूट का लाभ प्राप्त नहीं होगा कर निर्धारण वर्ष 2013-14 से अतिरिक्त हास की छूट का लाभ ऐसे औद्योगिक उपक्रम को भी स्वीकार किया जाएगा, जो शक्ति के उत्पादन अथवा संचारण (transmission) (w.e.f.A.Y.2017-18) अथवा उत्पादन एवं वितरण में लगा हुआ है।

शर्ते (Conditions)-कोई भी नया प्लाण्ट एवं मशीनरी जिसे योग्य करदाता द्वारा 31.3.2005 के पश्चात् प्राप्त एवं स्थापित किया गया हो, उस पर अतिरिक्त ह्रास की कटौती स्वीकार की जायेगी, परन्तु निम्नलिखित सम्पत्तियों पर अतिरिक्त ह्रास की कटौती स्वीकार नहीं की जाती है

(i) जलयान एवं वायुयान, (ii) ऐसी प्लाण्ट एवं मशीनरी जिसे करदाता द्वारा स्थापित किये जाने से पूर्व भारत के भीतर या भारत के बाहर किसी अन्य व्यक्ति द्वारा प्रयोग किया जा चुका है, (iii) कार्यालय परिसर अथवा आवासीय भवन में (अतिथि गृह की प्रकृति के आवास सहित) स्थापित मशीन एवं प्लाण्ट, (iv) कोई भी कार्यालय उपकरण (Office Appliances) अथवा सड़क पर चलने वाला यातायात वाहन, (v) कोई मशीनरी या प्लाण्ट जिसकी सम्पूर्ण वास्तविक लागत. हास अथवा किसी अन्य प्रकार से किसी गत वर्ष में व्यापार अथवा पेशे से आय की गणना करने में कटौती के रूप में स्वीकृत हो चुकी हो।।

अतिरिक्त हास की दर एवं वर्ष जिसमें अतिरिक्त ह्रास स्वीकृत होगा (Rate of Additional Depreciation and the Year in which Additional Depreciation shall be Allowed)-सामान्य हास के अतिरिक्त, ऐसा अतिरिक्त ह्रास नई प्लाण्ट एवं मशीनरी की वास्तविक लागत पर 20% की दर से उस गत वर्ष में स्वीकृत होगा जिस गत वर्ष में उक्त प्लाण्ट एवं मशीनरी प्राप्त एवं स्थापित की गई है, परन्तु यदि करदाता ने उक्त प्लाण्ट एवं मशीन का प्रयोग उक्त गत वर्ष में 180 दिन से कम अवधि के लिए किया गया है तो अतिरिक्त हास की दर 20% का आधा अर्थात् 10% होगी। यदि कोई करदाता किसी वस्तु या चीज के निर्माण या उत्पादन के लिए कोई उपक्रम या उद्यम आन्ध्र प्रदेश या बिहार या तेलंगाना या पश्चिम बंगाल राज्य के अधिसूचित किसी पिछड़े क्षेत्र में 31.3.2015 के पश्चात् स्थापित करता है और इसके लिए 31.3.2015 के पश्चात् परन्तु 01.04.2020 से पूर्व नई मशीनरी या प्लाण्ट (परन्तु इसमें पोत या वायुयान शामिल नहीं है) प्राप्त करता है या स्थापित करता है तो उसे 35% (17.5% यदि गत वर्ष में प्राप्त कोई सम्पत्ति 180 दिन से कम प्रयोग की जाए) की दर से अतिरिक्त हास स्वीकार किया जाएगा। वित्त विधेयक, 2015 के द्वारा किये गये संशोधन के अनुसार कर-निर्धारण वर्ष 2016-17 से गतवर्ष में प्राप्त कोई सम्पत्ति यदि 180 दिन से कम प्रयोग की जाए तो अतिरिक्त हास का शेष 50% भाग अर्थात् 20% अतिरिक्त हास की दशा में 10% एवं 35% ह्रास की दशा में 17.5% की कटौती तुरन्त बाद वाले आगामी गत वर्ष में स्वीकृत होगी। नोट-(1) स्वीकृत अतिरिक्त ह्रास की राशि अगले वर्ष का अपलिखित मूल्य (W.D.V) ज्ञात करने के लिए घटाये जाने योग्य है। (2) गत वर्ष में प्राप्त एवं स्थापित नए प्लाण्ट एवं मशीनरी पर 15% सामान्य हास तो मिलता ही है, इसके अतिरिक्त 20% अतिरिक्त हास की छुट भी प्राप्त होगी।

अशोधित ह्रास

(Unabsorbed Depreciation)

[धारा 32 (2)] यदि किसी करदाता के गत वर्ष के ‘व्यापार अथवा पेशे की आयों’ पर कर-निर्धारण करते समय कम लाभों अथवा लाभ न होने के कारण उस गत वर्ष में ‘स्वीकृत हास’ की राशि की कटौती न दी जा सके तो स्वीकृत ह्रास की जितनी राशि की गत वर्ष में कटौती नहीं मिल पाई है, उसे ‘अशोधित ह्रास’ (Absorbed Depreciation) कहते हैं। उदाहरण के लिए, गत वर्ष । 2015-16 में करदाता आय-कर अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार स्वीकृत हास के रूप में 50,000 ₹ की छुट प्राप्त करने का अधिकारी है, लेकिन आय की अपर्याप्तता के कारण यह 16,000₹ की ही छूट ले पाता है। ऐसी दशा में स्वीकृत ह्रास के सम्बन्ध में 50.000-16,000 %= 34,000१ को जो छूट नहीं मिल सकी है, उसे ही अशोधित हास कहेंगे। अशोधित हास की राशि को उसी गत वर्ष के किसी भी अन्य व्यापार अथवा पेशे के लाभों में से अपलिखित (set off) किया जा सकता है। यदि फिर भी अशोधित हास की पूरी राशि अपलिखित न हो पाये तो ऐसी बिना अपलिखित हुई राशि (Not set off amount) को उसी गत वर्ष  में किसी भी अन्य शीर्षक की आय से (वेतन शीर्षक की आय छोड़कर) अपलिखित किया जा सकता है तथा शेष बची अशोधित हास की राशि को आगामी वर्षों में अपलिखित करने हेतु आगे ले जाया जायेगा। अशोधित हास को आगे ले जाने के लिए कोई । समय-सीमा नहीं है, परन्तु आगामी वर्षों में अशोधित ह्रास की पूर्ति वेतन शीर्षक की आय के अतिरिक्त अन्य किसी भी शीर्षक की । आय से की जा सकती है। यहाँ पर यह भी उल्लेखनीय है कि आगे लाये गये अशोधित ह्रास की पूर्ति निम्नलिखित क्रम के अनुसार की जायेगीह्रास घटाने से पूर्व गत वर्ष की व्यापारिक आय

(i) घटाया-गत वर्ष का ह्रास

(ii) घटायी-आगे लाई गई व्यापारिक हानि

(iii) घटाया-अशोधित ह्रास

नोट

(1) उपर्युक्त वर्णित क्रम के अनुसार अशोधित हास की पूर्ति करते हुए बचे हुए अशोधित हास की राशि वेतन शीर्षक की आय के अतिरिक्त अन्य किसी भी शीर्षक की आय से पूरी की जा सकती है।

(2) यदि गत वर्ष में कोई व्यापारिक हानि आगे नहीं लाई गई है, तो अशोधित ह्रास की राशि को चालू गत वर्ष में स्वीकृत हास के साथ जोड़कर भी कटौती स्वीकृत की जा सकती है।

(3) यदि व्यापार बन्द भी हो गया है तो भी उसके अशोधित हास की पूर्ति भविष्य में की जा सकती है।

विनियोग भत्ता (Investment Allowance)

करनिर्धारण वर्ष 2014-15 से प्रभावी]

कटौती किसे मिलेगीयदि करदाता कोई कम्पनी है एवं किसी वस्तु या चीज के निर्माण के व्यवसाय में लगी हुई है। कम्पनी के अतिरिक्त अन्य किसी करदाता को यह कटौती नहीं मिलेगी।

कटौती की शर्ते-01.04.2013 से लेकर 31.03.2015 तक एक सौ करोड़ रुपए से अधिक की नई सम्पत्ति (योग्य प्लाण्ट एवं मशीनरी परन्तु इसमें पोत या वायुयान शामिल नहीं है) प्राप्त एवं स्थापित की गई हो।

कटौती की मात्रा

1 कर निर्धारण वर्ष 2014-15 के अन्तर्गत प्राप्त नई सम्पत्तियों की वास्तविक लागत की 15% कटौती मिलेगी यदि 01.04.2013 से 31.03.2014 तक प्राप्त एवं स्थापित की गई नई सम्पत्तियों की वास्तविक लागत एक सौ करोड़ रुपए से अधिक है।

2. करनिर्धारण वर्ष 2015-16 में 01.04.2014 से 31.03.2015 तक प्राप्त एवं स्थापित की गई नई सम्पत्तियों की वास्तविक लागत की 15% कटौती मिलेगी। परन्तु कर-निर्धारण वर्ष 2014-15 में धारा के अन्तर्गत स्वीकृत कटौती की राशि (यदि कोई हो तो) कम कर दी जाती है।

नई सम्पत्ति का विक्रय या अन्तरणएकीकरण या अविलयन (Amalgamation or Emerge) को छोडकर यदि कम्पनी नई सम्पत्ति को उसके लगाए जाने की तिथि से पाँच वर्ष की अवधि के अन्दर बेच देती है या किसी अन्य प्रकार अन्तरित (Transform कर देती है तो स्वीकृत की गई कटौती की राशि को उस गत वर्ष की आय मानकर कर (tax) लिया जाएगा. जिस गत वर्ष में उक्त सम्पत्ति बेची गई है या अन्तरित की गई है। इसके अतिरिक्त यदि उक्त सम्पत्ति को बेचने पर कोई पूँजी लाभ होता है, तो वह भी कर-योग्य होगा।

नोटविनियोग भत्ते की कटौती हास की कटौती के अतिरिक्त स्वीकृत होगी।

करनिर्धारण वर्ष 2015-16 से संशोधनवित्त अधिनियम 2014 के द्वारा धारा 32AC(1A) जोड़ी गई है जिसके अनुसार 1.4.2014 को या इसके पश्चात् परन्तु 31.3.2017 तक किसा भी गत वर्ष में 25 करोड़ से अधिक की वास्तविक लागत की योग्य प्लाण्ट एवं मशीनरी प्राप्त (क्रय) एवं स्थापित करने पर धारा 32AC के अन्तर्गत 15% की कटौती स्वीकत होगी। यद्यपि गत वर्ष 2013-14 एवं 2014-15 में 100 करोड़ से अधिक का योग्य प्लाण्ट एवं मशीनरी प्राप्त एवं स्थापित किये जाने। पर उपरोक्त वर्णित धारा 32AC के अन्तर्गत स्वीकृत कटौती यथावत् प्रदान की जाएगी।

नए प्लाण्ट या मशीनरी में किये गए विनियोग के सम्बन्ध में विनियोग भत्ता [Investment Allowance for investment in new plant and machinery in notified backward areas in certain stata 39ADI-(कर-निर्धारण वर्ष 2016-17 से प्रभावी) यदि कोई करदाता किसी वस्तु या चीज के निर्माण या उत्पादन के लिए आन्ध्र

प्रदेश राज्य या बिहार राज्य या तेलंगाना राज्य या पश्चिमी बंगाल राज्य में अधिसूचित किसी पिछड़े क्षेत्र में 31.3.2015 के पश्चात् कोई उपक्रम या उद्यम स्थापित करता है एवं उस उपक्रम या उद्यम के लिए 31.3.2015 के पश्चात् परन्तु 01.04.2020 से पर्व नई । मशीनरी या प्लाण्ट (पोत या वायुयान को छोड़कर) प्राप्त करता है एवं स्थापित करता है तो ऐसे प्लाण्ट या मशीनरी की लागत के 15% के बराबर धारा 32AD के अन्तर्गत कटौती स्वीकृत होगी। नई सम्पत्ति के विक्रय या अन्तरण के सम्बन्ध में धारा 32AC के अन्तर्गत उपर्युक्त वर्णित नियम ही लागू होंगे।

Income Tax Depreciation

हास की गणना से सम्बन्धित क्रियात्मक उदाहरण

(Numerical Illustrations related to Computation of Depreciation)

Illustration 1

डॉ० शर्मा ने एक मकान सम्पत्ति 1.12.2015 को 10 लाख ₹ में खरीदी। उक्त मकान सम्पत्ति 1.12.2017 तक स्वयं के निवास हेतु प्रयोग की गई। इस तिथि से भवन का चिकित्सा पेशे में प्रयोग किया जाने लगा। मकान सम्पत्ति पर क्रय के समय भवन पर हास की दर 15% थी। कर-निर्धारण वर्ष 2018-19 हेतु स्वीकृत ह्रास की राशि ज्ञात कीजिये।

Dr. Sharma purchased a house property on 1.12.2015 for ₹ 10,00,000. Till 1.12.2017, the same was self-occupied as a residence. On this date, the building was brought into use for his medical profession. Rate of depreciation on buildings at the time of purchase of house property was 15%. Compute the allowable depreciation for the A.Y. 2018-19.

Solution :

Explanation 5 to section 43(1) provides mode of computation of actual cost when a building initially used for personal purposes is brought into business use. The rate of depreciation to be applied is the rate in force in the year in which building is brought into business use i.e. 10%.

Computation of the Amount of Depreciation Allowable for A.Y. 2018-19

W.D.V. as on 31.3.2016

10,00,000 Less : Depreciation @ 5% of ₹ 10,00,000 (use for less than 180 days) (-) 50,000 W.D.V. as on 1.04.2016

9,50,000 Less : Depreciation (10% of ₹9,50,000)

(-195,000 W.D.V. as on 1.4.2017 (Actual cost of building)

8,55,000 Depreciation for the assessment year 2018-19 (10% of 8,55,000) 185,500

Illustration 2

सुनील शर्मा, मु० नगर ने 10.8.2013 को एक कार अपने व्यक्तिगत प्रयोग के लिए 3,25,000 ₹ में खरीदी, जिसे 1.12.2017 को जब इसका बाजार मूल्य 1,50,000 ₹ है करदाता के व्यवसाय में प्रयोग की जाने लगी। हास की दर 15% मानते हुए कर-निर्धारण वर्ष 2018-19 के लिए कार की वास्तविक लागत एवं स्वीकृत ह्रास की राशि की गणना कीजिए।

A car purchased by Sunil Sharma, Muzzafarnagar on 10.8.2013 for ₹3,25,000 for personal use is brought into the business of the assessee on 1.12.2017, when its market value is ₹ 1,50,000. Compute the actual cost of the car and the amount of depreciation for the

assessment year 2018-19 assuming the rate of depreciation to be 15%… Solution :

Explanation 5 to section 43(1) provides mode of computation of actual cost when a building initially used for personal purposes is brought into business use. The said Explanation doesn’t extend to a motorcar initially used for personal purposes a brought into business use.

Hence, in this case, the actual cost of motorcar brought into busi actual cost to assessee i.e.

Te* 3.25,000. The market value of motorcar as on date of

3,25,000. The market valu bringing it into business use is of no relevance. Thus, actual cost of car = ₹3,25,000&depre

not of car = ₹3,25,000 & depreciation = 7.5% of ₹3,25,000 = ₹24.375 (used for less than 180 days).

Illustration 3

एक कम्पनी की दो मशीनों का हासित मूल्य गत वर्ष 2017-18 के प्रारम्भ में 4,00,000₹ था जो कि एक सम्पत्ति समूह का भाग है और इस पर 15% की दर से हास लगना है। उसी सम्पत्ति समूह में निम्नलिखित तीन मशीनें क्रय की गई

Written down value of two machines at the beginning of the previous year 2017-18 forming part of a block of assets carrying 15% rate of depreciation was ₹4,00,000. The following three machines of the same block were bought:

Income Tax Depreciation

परीक्षा हेतु सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न

(EXPECTED IMPORTANT QUESTIONS FOR EXAMINATION)

दीर्घ उत्तरीय सैद्धान्तिक प्रश्न

(Long Answer Theoretical Questions)

1 उन सम्पत्तियों का उल्लेख कीजिए जिन पर व्यापारिक लाभों के निर्धारण में हास की कटौती स्वीकृत की जाती है तथा इस सम्बन्ध में आवश्यक शर्तों को समझाइए। भारतीय आय-कर अधिनियम के अन्तर्गत दी जाने वाली हास की विभिन्न कटौतियों को संक्षेप में समझाइए।

Name the assets on which depreciation is allowed in computation of business profits and explain the conditions to be fulfilled for this purpose. Briefly discuss the different types of depreciation allowances admissible under the Indian Income Tax Act.

2. हास शब्द से आपका क्या आशय है? हास किन-किन सम्पत्तियों पर स्वीकार किया जाता है? हास की कटौती स्वीकृत करने के लिए कौन-कौन सी शर्ते पूरी होनी चाहिए?

What do you mean by the term Depreciation ? Which assets are subject to depreciation ? What are the conditions which have to be fulfilled for allowing deduction for depreciation?

3. ह्रास स आप क्या समझते हैं? व्यवसाय अथवा पेशे से आय की गणना करते समय करदाता को हास की कटौती किस प्रकार मिलती है ? समझाइए।

What do you understand by Depreciation? How is the deduction of depreciation can be availed while computing income from business or profession ? Discuss.

Income Tax Depreciation

लघु उत्तरीय सैद्धान्तिक प्रश्न

(Short Answer Theoretical Questions)

1 हास से आप क्या समझते हैं ? ह्रास किन-किन सम्पत्तियों पर स्वीकार किया जाता है ?

What do you mean by Depreciation ? Which assets are subject to depreciation ?

2. ऐसी कौन सी शर्ते हैं जिन्हें ह्रास का दावा करने के लिए पूरा करना आवश्यक है ? बताइये।

What conditions are to be fulfilled for claiming depreciation allowance ? Explain.

3. अमूर्त सम्पत्तियों में किस प्रकार की सम्पत्तियाँ सम्मिलित होती हैं ? अमूर्त सम्पत्तियों पर स्वीकृत ह्रास की दर क्या है ?

What type of assets are included in intangible assets ? What is the rate of allowable depreciation on intangible assets? .

4. अतिरिक्त ह्रास से आप क्या समझते हैं ? यदि उत्पादन क्षमता में विस्तार करने हेतु नई मशीनें खरीदी जायें तो इस सम्बन्ध में कौन सी शर्ते पूरी होने पर अतिरिक्त ह्रास की कटौती मिलेगी?

What do you understand by additional depreciation ? If new assets are purchased for expansion of capacity then what conditions should be fulfilled to get additional depreciation?)

5. ह्रास के सम्बन्ध में आय-कर अधिनियम के अन्तर्गत सम्पत्तियाँ कितने प्रकार की होती हैं ?

What are the kinds of assets for computing depreciation under the Income tax Act ?

6. अशोधित ह्रास किसे कहते हैं ? अशोधित ह्रास से सम्बन्धित आय-कर प्रावधानों की विवेचना कीजिए?

What is meant by unabsorbed depreciation ? Also explain the income tax provisions related to unabsorbed depreciation.

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chetansati

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