BCom 2nd Year Income Tax Authorities Study Material Notes in hindi

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BCom 2nd Year Income Tax Authorities Study Material Notes in Hindi

Table of Contents

BCom 2nd Year Income Tax Authorities Study Material Notes in Hindi: Various Income Tax Authorities  Provision of Income Tax Act Regarding Income Tax Authorities Provisions Regarding Powers of Income Tax Authorities  Appellate Authorities Powers and Function of An Assessing Offices  Commissioner Appeals Deputy Commissioner Appeals  Powers and Function of An Assessing Officer Examination Questions Long Answer Questions Short Answer Questions (  Most Important Notes For BCom 2nd Year Students )

Authorities Study Material Notes
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Topic Wise BCom 2nd Year Study Material Notes

आयकर पदाधिकारी

(INCOME TAX AUTHORITIES)

आय-कर अधिनियम से सम्बन्धित नियमों एवं प्रावधानों को प्रभावशाली ढंग से लागू करने के लिए तथा आय-कर विभाग की प्रशासनिक कुशलता बनाये रखने के लिए आय-कर अधिनियम की धारा 116 के अन्तर्गत केन्द्रीय सरकार द्वारा विभिन्न पदाधिकारियों की ज्की गई है। इनमें से कुछ पदाधिकारी प्रशासन से सम्बन्धित होते हैं, जिनका कार्य आय-कर अधिनियम के प्रावधानों को प्रभावशाली ढंग से लागू कराना एवं विभाग के अन्य प्रशासनिक कार्यों के सफल क्रियान्वयन में सहायता करना है। दूसरी ओर कुछ पदाधिकारी न्यायिक होते हैं, जो अपील सम्बन्धी कार्यों को निपटाते हैं एवं आय-कर अधिनियम से सम्बन्धित विभिन्न धाराओं की व्याख्या एवं न्यायपूर्ण विश्लेषण का कार्य करते हैं। यदि आय-कर अधिनियम से सम्बन्धित धाराओं की व्याख्या में कहीं पर भ्रमपूर्ण स्थिति है, तो सदह को दूर करने में ये पदाधिकारी करदाताओं एवं प्रशासन सम्बन्धी पदाधिकारियों की सहायता भी करते हैं।

विभिन्न आयकर पदाधिकारी (धारा 116)

(Various Income-tax Authorities (Section 116)]

आय-कर अधिनियम की धारा 116 के अन्तर्गत निम्नलिखित पदाधिकारियों का उल्लेख किया गया है

1 प्रत्यक्ष करों का केन्द्रीय बोर्ड (Central Board of Direct Taxes),

2. आय-कर महानिदेशक (Director General of Income tax) अथवा मुख्य आय-कर आयुक्त (Chief Commissioner of Income-tax),

3 . आय-कर निदेशक (Directors of Income tax) अथवा आय-कर आयुक्त (Commissioners of Income-tax) अथवा आय-कर आयुक्त (अपील) [Commissioners of Income-tax (Appeals)],

4. अतिरिक्त आय-कर निदेशक (Additional Directors of Income tax) अथवा अतिरिक्त आय-कर आयुक्त (Additional Commissioner of Income-tax) अथवा अतिरिक्त आय-कर आयुक्त (अपील) [Additional Commissioner of Income-tax (Appeals)],

5. आय-कर संयुक्त निदेशक (Joint Director of Income tax) अथवा आय-कर संयुक्त आयुक्त Joint Commissioner of Income-tax),

6. आय-कर उप-निदेशक (Deputy Director of Income tax) अथवा आय-कर उप-आयुक्त (Deputy Commissioners of Income tax) अथवा उप-आयुक्त आय-कर (अपील) [Deputy Commissioners of Income-tax (Appeals),

7. आय-कर सहायक निदेशक अथवा सहायक आयुक्त आय-कर (Assistant Director of Income-tax or Assistant Commissioner of Income tax),

8. आय-कर अधिकारी (Income tax Officer),

9. कर वसूली अधिकारी (Tax Recover Officer),

10. आय-कर निरीक्षक (Income tax Inspector)

आयकर पदाधिकारियों से सम्बन्धित आयकर अधिनियम के प्रावधान

(Provisions of Income-tax Act Regarding Income-tax Authorities)

आय-कर पदाधिकारियों से सम्बन्धित प्रावधानों को निम्नलिखित चार भागों में बाँटा जा सकता है

() पदाधिकारियों की नियुक्ति एवं नियन्त्रण सम्बन्धी प्रावधान.

() पदाधिकारियों के क्षेत्राधिकार सम्बन्धी प्रावधान…

() पदाधिकारियों के अधिकारों से सम्बन्धित प्रावधान

() पदाधिकारियों द्वारा सूचनायें प्रकट करने सम्बन्धित प्रावधान।

() नियुक्ति एवं नियन्त्रण सम्बन्धी प्रावधान (धाराएँ 117 से 119 तक)

(Provisions Regarding Appointment and Control)

1.आयकर पदाधिकारियों की नियुक्ति (Appointment of Income tax Authorities) (धारा 117) केन्द्रीय सरकार द्वारा नियुक्ति (Appointment by Central Government)-केन्द्रीय सरकार किन्हीं भी आय-कर हाधिकारियों, जिन्हें वह उचित समझे, नियुक्ति कर सकती है। केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT के सदस्यों की भी नियक्ति ही करती है। इसके अतिरिक्त केन्द्रीय सरकार यदि उचित समझे तो वह CBDT को इस बात के लिए अधिकत वह महानिदेशक/मुख्य आयुक्त/सहायक आयुक्त/उप-आयुक्त/अन्य अधीनस्थ पदाधिकारियों की नियुक्ति कर।

(ii) बोर्ड द्वारा अधिकृत प्राधिकारी द्वारा नियुक्ति (Appointment by an Authority Authorised by the “केटीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) सरकारी नियमों व आदेशों के अन्तर्गत किसी भी आय-कर पदाधिकारी को ऐसे काय या लिपिकीय कर्मचारी नियुक्त करने क लिए आधिकृत कर सकता है, जो बोर्ड के कार्यों के क्रियान्वयन में उसकी सहायता करें।

2. आय पदाधिकारियों पर नियन्त्रण (धारा 118) केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा सभी आय-कर पदाधिकारी कोते है। बोर्ड एक अधिसूचना जारा करके किसी भी पदाधिकारी को दूसरे पदाधिकारी के अधीन घोषित कर सकता है।

3. अधीनस्थ अथवा मातहत (Subordinate) पदाधिकारियों को निर्देश (धारा 119)-आय-कर अधिनियम के प्रभावी एवं सफल क्रियान्वयन हेतु कन्द्राय प्रत्यक्ष कर बाड आय-कर पदाधिकारियों को वांछित निर्देश देने के लिए अधिकत है।

पदाधिकारियों के क्षेत्राधिकार या अधिकारिता (न्याय क्षेत्र) सम्बन्धी प्रावधान (धारा 120)

(Provisions Regarding Jurisdiction of Authorities)

आयकर पदाधिकारियों के न्याय क्षेत्र को अग्रलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया जा सकता है

(i) आयकर पदाधिकारी उन सभी अधिकारों का प्रयोग कर सकते हैं जिनके लिए उन्हें केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने निर्देशित किया है।

(ii) CBDT किसी भी पदाधिकारी को इस बात के लिए अधिकृत कर सकता है कि वह अपने अधीनस्थ अधिकारियों को लिखित आदेश द्वारा उनके द्वारा किये जाने वाले कार्यों व अधिकारों को निर्देशित करें।

(iii) CBDT करदाता की आय की विवरणी जमा करने के सम्बन्ध में क्षेत्र एवं पदाधिकारी से सम्बन्धित कोई अधिसूचना निर्गमित कर सकता है।

(iv) CBDT किसी विशेष क्षेत्र के कुछ मामलों को निपटाने हेतु कर-निर्धारण अधिकारियों को संयुक्त रूप से निर्देश दे सकता है।

(v) CBDT को किसी क्षेत्र या मामलों के सम्बन्ध में अधिकार एवं कर्तव्यों को पूरा करने के लिए दो या अधिक कर-निर्धारण अधिकारियों (एक ही श्रेणी के या अलग-अलग श्रेणी के) की आवश्यकता हो सकती है। (स)

आयकर पदाधिकारियों के अधिकारों/शक्तियों सम्बन्धी प्रावधान

(Provisions Regarding Powers of Income Tax Authorities)

विभिन्न आय-कर पदाधिकारियों के अधिकारों एवं शक्तियों का विस्तृत विवेचन निम्न प्रकार है

[I] प्रत्यक्ष करों का केन्द्रीय बोर्ड (Central Board of Direct Taxes)-यह एक स्वायत्त शासित संस्था है, जिसका गठन भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के अधीन केन्द्रीय राजस्व बोर्ड अधिनियम, 1963 (Central Board of Revenue Act, 1963) के अन्तर्गत हुआ है। केन्द्रीय सरकार द्वारा लगाये गये सभी प्रकार के प्रत्यक्ष करों के (वर्तमान में आय-कर एवं धनकर) सम्बन्ध में एकमात्र सर्वोच्च प्रशासनिक संस्था है, जिसमें सभी केन्द्रीय प्रत्यक्ष करों के क्रियान्वयन, पर्यवेक्षण एवं प्रशासन का अधिकार निहित है। इस बोर्ड में अधिक से अधिक 5 सदस्य हो सकते हैं जिनकी नियुक्ति केन्द्रीय सरकार द्वारा की जाती है। वर्तमान में इस बोर्ड में एक अध्यक्ष व चार अन्य सदस्य हैं।

बोर्ड के अधिकार (Powers of the Board) केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड को आय-कर अधिनियम के अन्तर्गत निम्नलिखित अधिकार प्राप्त है

1 नियम बनाने के अधिकार (Power to make Rules) (धारा 295)-बोर्ड आय-कर अधिनियम के प्रभावी एवं सफल संचालन हेतु सम्पूर्ण भारत या इसके किसी भाग के लिए वांछित नियम बना सकता है। इन नियमों का संसद द्वारा अनुमोदन किया जाना आवश्यक है। संसद यदि उचित समझे, तो इनमें संशोधन भी कर सकती है।

2. अधीनस्थों को निर्देश देने का अधिकार (Power to Instruct to Subordinate Authorities) [धारा 119(1)]आधानयम के सुचारु क्रियान्वयन हेत यह अन्य आय-कर पदाधिकारियों को निर्देश दे सकता है। इन निर्देशों का पालन करना सम्बन्धित पदाधिकारियों के लिए आवश्यक है। बोर्ड निम्न प्रकार के निर्देश जारी करने का अधिकार नहीं रखता

(i) किसी विशिष्ट मामले को विशिष्ट प्रकार से निपटाने से सम्बन्धित आदेश। (ii) अपील सम्बन्धी पदाधिकारियों के अधिकारों में हस्तक्षेप करने वाला आदेश।

3. स्पष्टीकरण देना-कर निर्धारण एवं कर की वसूली के कार्य को श्रीक ढंग से परा करने के लिए यह बोर्ड समय-समय पर आवश्यक आदेश, निर्देश एवं स्पष्टीकरण दे सकता है।

4. कठिनाई दूर करना-बोर्ड किसी विशिष्ट मामले में या विशिष्ट प्रकार के मामलों में वास्तविक कठिनाइयों को दूर करने के उद्देश्य से आय-कर पदाधिकारियों को अधिकृत कर सकता है।

5. नियुक्ति का अधिकार बोर्ड सहायक कमिश्नर से नीचे के पद के आय-कर पदाधिकारियों की नियुक्ति कर सकता है।। ऐसी नियुक्तियाँ तभी की जा सकती हैं जबकि केन्द्र सरकार ने बोर्ड को इस कार्य के लिए अधिकृत किया हो।

6. नियुक्ति करने का अधिकार देना-अपने कार्यों को सम्पन्न करने के लिए आवश्यक स्टॉफ की नियुक्ति करने का अधिकार किसी भी आय-कर पदाधिकारी को प्रदान कर सकता है।

7. कम्पनी घोषित करने का अधिकार—किसी संस्थान, समदाय या संगठन को किसी कर-निर्धारण वर्ष के लिए कम्पनी घोषित करने का अधिकार बोर्ड को प्राप्त है।

8. माफी की पुष्टि का अधिकार-यदि 5 लाख से अधिक छिपायी गयी या गलत दिखाई गयी आय के सम्बन्ध में मुख्य कामश्नर ने अर्थदण्ड को माफ करने या कम करने का कोई आदेश दिया हो तो बोर्ड उसकी पुष्टि कर सकता है।

9. पुन: करनिर्धारण-यदि कोई आय-कर अधिकारी 8 वर्षों की समाप्ति पर किसी करदाता को पुन: कर-निर्धारण का नोटिस देना चाहता है तो बोर्ड की सहमति प्राप्त करना आवश्यक है।

10. कार्य क्षेत्र निर्धारण सम्बन्धी अधिकार-आय-कर पदाधिकारी अपने अधिकारों व कर्त्तव्यों का निष्पादन बोर्ड द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार ही करते हैं। साथ ही बोर्ड दो या दो से अधिक कर निर्धारण अधिकारियों को साथ-साथ कार्य करने का आदेश भी दे सकता है। बोर्ड निदेशक या महानिदेशक को अन्य किसी पदाधिकारी के कार्य करने के लिए भी अधिकृत कर सकता है।

11. जनहित में सूचना प्रदान करने का आदेश-यदि जनहित में किसी अन्य विभाग के अधिकारी को आय-कर विभाग से किसी व्यक्ति के सम्बन्ध में जानकारी की आवश्यकता हो, तो बोर्ड ऐसी जानकारी प्रदान करने का आदेश आय-कर विभाग के किसी प्राधिकारी या पदाधिकारी को दे सकता है।

[1] आयकर महानिदेशक (Director General of Income Tax)-आय-कर महानिदेशक को प्रमुख निदेशक भी कहते हैं। इसकी नियुक्ति केन्द्र सरकार द्वारा धारा 117(1) के अन्तर्गत की जाती है। ये केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के अधीन कार्य करते हैं। वर्तमान में तीन आय-कर महानिदेशक हैं-(i) महानिदेशक-आय-कर एवं अंकेक्षण, (ii) महानिदेशक-अन्वेषण एवं (iii) महानिदेशक-अनुसंधान, सांख्यिकी एवं प्रकाशन।

प्रत्येक महानिदेशक के अधीन निदेशक, उपनिदेशक और सहायक निदेशक होते हैं। अधिकार एवं कार्य (Powers and Functions)

1 नियुक्ति का अधिकार

(i) केन्द्रीय सरकार द्वारा अधिकृत होने पर ये सहायक उपायुक्त के नीचे के स्तर के आय-कर पदाधिकारियों की नियुक्ति कर सकते हैं।

(ii) बोर्ड द्वारा अधिकृत होने पर ये अपने कार्यों के निष्पादन हेतु कार्यालय कर्मचारियों की नियुक्ति कर सकते हैं।

2. मामलों के स्थानान्तरण का अधिकार-एक निर्धारण अधिकारी से दूसरे निर्धारण अधिकारी को मामलों का हस्तान्तरण करने का अधिकार।

3. निर्देश देने का अधिकार [धारा 119(2)]-ये आय-कर अधिकारी को आवश्यक निर्देश दे सकते हैं।

4. तलाशी एवं कब्जे में लेने का अधिकार

(1) बोर्ड द्वारा अधिकृत होने पर किसी भी आय-कर उपनिदेशक, सहायक निदेशक, सहायक आयत्ता अथवा आय-कर अधिकारी की तलाशी लेने या वस्तुओं को कब्जे में लेने के लिए अधिकृत कर सकता है।

(ii) उसे अन्य किसी विभाग के किसी अधिकारी के कब्जे से बहीखाते एवं अन्य प्रलेख मांगने का अधिकार है।

5. जाँच-पड़ताल का अधिकार—यह इस अधिनियम के अन्तर्गत सब प्रकार की जाँच-पड़ताल कर सकता है और इस सम्बन्ध में उसे वे सब अधिकार होंगे, जो एक कर-निर्धारण अधिकारी को जाँच-पड़ताल के सम्बन्ध में प्राप्त हैं।

6. कुछ मामलों में करदाता के सम्बन्ध में सूचनाओं के प्रकाशन का अधिकार।

7. बैंकिंग कम्पनी सहित किसी व्यक्ति या अधिकारी से सूचना प्राप्त करने का अधिकार।

[III] मुख्य आयकर आयुक्त या आयकर आयुक्त (Chief Commissioners or Commissioners of Income Tax)-मुख्य आय-कर आयुक्त तथा आय-कर आयुक्त की नियुक्ति केन्द्र सरकार द्वारा की जाती है। ये केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड। के नियन्त्रण में रहते हैं तथा बोर्ड के आदेशों, निर्देशों के अनुसार कार्य करते हैं। इनकी नियक्ति किसी क्षेत्र विशेष के लिए की जाती है। इनके क्षेत्र का निर्धारण बोर्ड द्वारा किया जाता है। आयुक्त किसी क्षेत्र विशेष अथवा आय विशेष अथवा किसी एक प्रकार के करदाताओं के लिए कार्य करत हा सामान्यतया प्रत्येक राज्य में एक आय-कर आयुक्त नियुक्त किया जाता है

मुख्य आयकर आयुक्त या आयुक्त के अधिकार

1 अधिकृत होने पर सहायक आयुक्त से नीचे के स्तर के अधिकारियों की नियुक्ति का अधिकार।

2. एक निर्धारण अधिकारी से दूसरे निर्धारण अधिकारी को मामले के हस्तांतरण का अधिकार।

3. न्यायिक अधिकार।

4. धारा 132 में तलाशी लेने का अधिकार।

5. सर्वे का अधिकार।

6. धारा 134 में कम्पनियों के रजिस्टर के निरीक्षण करने का अधिकार।

7. भविष्य निधि को मान्यता देने का अधिकार।

उपनिदेशक, उपायुक्त, सहायक निदेशक, सहायक आयुक्त (Deputy Director, Deputy Commissioner, acistant Director. Assistant Commissioner)- इनकी नियुक्ति केन्द्र सरकार द्वारा की जाती है। ये आयक्त अथवा के नियन्त्रण में कार्य करते हैं। इनके कार्यक्षेत्र का निर्धारण आयुक्त ही करते हैं। एक आयक्त के अधीन कई उपायक्त व सहायक आयुक्त होते हैं।

कार्य

 1. कर-वंचन (Tax Evasion) या कर-चोरी का पता लगाना।

2. अपने क्षेत्र के निर्धारण अधिकारियों के कार्यों का निरीक्षण करना, देख-रेख करना एवं निर्देश देना।

3. कई मामलों में निर्धारण अधिकारी को किसी करदाता को आदेश देने से पूर्व इसकी स्वीकृति उपायुक्त से लेनी पड़ती है।

4. जटिल तथा महत्त्वपूर्ण मामलों में आयुक्त के आदेशानुसार कर-निर्धारण अधिकारी का कार्य करना।

अधिकार एवं शक्तियाँ (Rights and Powers)

1 निर्देश जारी करने का अधिकार-कर-निर्धारण अधिकारियों को निर्देश जारी करने का अधिकार है। (धारा 119)

2. न्यायिक अधिकार-धारा 131 के अन्तर्गत किसी मामले की कार्यवाही के सम्बन्ध में इन्हें वे सब अधिकार प्राप्त हैं, जो Code of Civil Procedure, 1908 के अन्तर्गत किसी न्यायालय को प्राप्त है।

3. तलाशी एवं अधिग्रहण का अधिकार-बोर्ड द्वारा अधिकृत किये जाने पर उप निदेशक, सहायक निदेशक या सहायक आयक्त को तलाशी एवं अधिग्रहण के लिए अधिकृत कर सकता है। साथ ही प्रमुख निदेशक, मुख्य आयुक्त या आयुक्त द्वारा अधिकत किये जाने पर उपनिदेशक स्वयं भी तलाशी और अधिग्रहण कर सकता है।

4 सूचनाएँ माँगने का अधिकार-उप निदेशक, उप आयुक्त, सहायक निदेशक एवं सहायक आयुक्त को सम्बन्धित सभी आवश्यक सूचनाएँ माँगने का अधिकार है।

5. प्रवेश एवं जाँच-पड़ताल करने का अधिकार-उप निदेशक, उप आयुक्त, सहायक निदेशक एवं सहायक आयुक्त को अपने कार्य क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले सभी भवनों, स्थानों में प्रवेश करने, जाँच पड़ताल करने एवं आवश्यक सूचनाएं संग्रह करने का अधिकार है।

6. कम्पनी के रजिस्टरों के निरीक्षण करने का अधिकार-संयुक्त आयुक्त या इनके द्वारा अधिकृत किसी अधीनस्थ अधिकारी को किसी भी कम्पनी के सदस्यों, ऋणपत्रधारियों एवं बन्धक (Mortgage) के प्रपत्रों एवं रजिस्टर का निरीक्षण करने एवं उसकी कॉपी लेने का अधिकार है।

7 संयुक्त कमिश्नर को पूछताछ का अधिकार-संयुक्त कमिश्नर इस अधिनियम के अन्तर्गत कोई भी पूछताछ करने के लिए सक्षम होगा और उसे वे सब अधिकार होंगे जो एक कर-निर्धारण अधिकारी को इस अधिनियम के अन्तर्गत पूछताछ करने के सम्बन्ध में हैं।

8. रिकॉर्ड मंगवाकर जाँच-पड़ताल करना-संयुक्त कमिश्नर को अधिकार है कि वह किसी विचाराधीन कर-निर्धारण की कार्यवाही के सम्बन्ध में रिकॉर्ड माँगकर जाँच-पडताल कर सकता है और यदि वह आवश्यक समझता है, तो कर-निर्धारण अधिकारी को इस सम्बन्ध में उचित निर्देश दे सकता है।

9. आय छिपाने का संदेह होने पर अधिकार-यदि सहायक निदेशक अथवा उप-निदेशक को सन्देह हो कि उसके कार्य-क्षेत्र में आने वाले किसी व्यक्ति द्वारा कोई आय छिपा ली गयी है अथवा छिपाये जाने की सम्भावना है, तो वह धारा 131(1A) के अन्तर्गत आवश्यक अधिकारों का प्रयोग कर सकता है।

V] करनिर्धारण अधिकारी (Tax Assessment Officer)-आयकर अधिनियम की धारा 2(7A) के अन्तर्गत। कर-निर्धारण अधिकारी से आशय धारा 117 के अन्तर्गत केन्द्रीय सरकार द्वारा नियुक्त किये गये निम्नांकित पदाधिकारियों से ह जिन्ह बाड द्वारा कर-निर्धारण हेतु निर्देशित किया गया है या किसी क्षेत्र विशेष का कर-निर्धारण करने हेत आदेश दिया गया है

1 अतिरिक्त निदेशक/आयुक्त (Additional Director/Commissioner)

2. संयुक्त निदेशक/आयुक्त (Joint Director/Commissioner)

3. उप निदेशक/आयुक्त (Deputy Director/Commissioner)

4. सहायक निदेशक/आयुक्त (Assistant Director/Commissioner)

5. आय-कर अधिकारी (Income Tax Officer)

बोर्ड द्वारा सौपे गये कार्यक्षेत्र में कर निर्धारण अधिकारी को कर-निर्धारण, कर-वसूली एवं वापसी तथा अर्थदण्ड आदि लगाने के सम्बन्ध में आय-कर अधिकारी को प्राप्त सभी अधिकार प्रयोग करने का अधिकारी है। इनके कार्यों में सहायता पहुँचाने । के लिए आय-कर निरीक्षक होते हैं जो कर-निर्धारण अधिकारियों के मातहत/निर्देशन में कार्य करते हैं।

करनिर्धारण अधिकारी के कार्य एवं अधिकार

(Powers and Functions of An Assessing Officer)

1 करनिर्धारण करना-यह अपने कार्यक्षेत्र में आने वाले करदाताओं का कर-निर्धारण करता है। यह इसका सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य है, क्योंकि कर-निर्धारण ही कर वसूली का आधार होता है।

2. प्रवेश एवं जाँच का अधिकार-कर-निर्धारण अधिकारी को यह अधिकार है कि अपने क्षेत्र में किसी भी स्थान पर जाँच करने हेतु प्रवेश कर सकता है।

3. लेखा पुस्तकें तथा सूचनाएँ प्राप्त करना—यह करदाता से आवश्यक लेखा पुस्तकें, रिकॉर्ड एवं सूचनाएं मांग सकता है।

4. तलाशी एवं कब्जे में लेना-यह अपने कार्यक्षेत्र में तलाशी ले सकता है एवं संदिग्ध बहीखातों या सम्पत्तियों को अपने कब्जे में ले सकता है।

5. गवाही लेना-यह किसी व्यक्ति से शपथ के आधार पर गवाही या बयान ले सकता है।

6. कम्पनी के रजिस्टरों की जाँच-यह कम्पनी के सदस्यों, ऋण-पत्र धारियों या अन्य प्रकार के रजिस्टरों का निरीक्षण कर सकता है एवं उनकी प्रतिलिपियाँ प्राप्त कर सकता है।

7. आय का विवरण प्रस्तुत करने के लिए सूचना देना-यदि यह समझता है कि किसी व्यक्ति की आय कर-योग्य है और उसने आय का विवरण प्रस्तुत नहीं किया है, तो उसे यह आय का विवरण प्रस्तुत करने के लिए सूचना दे सकता है।

8. कर वसूली करना-यह करदाता को कर का भुगतान करने के लिए माँग का नोटिस देता है एवं इसकी वसूली करता है।

9. न्यायिक अधिकार-इसे किसी मामले की सनवाई के सम्बन्ध में वे सब न्यायिक अधिकार प्राप्त हैं, जो एक न्यायालय को प्राप्त होते हैं।

10. फर्म का पंजीयन-आय-कर की दृष्टि से फर्म का पंजीयन करने और निरस्त करने का अधिकार होता है।

11. कर वापसी का समायोजन-यह किसी करदाता को कर की वापसी करने के स्थान पर वापिस की जाने वाली राशि का बकाया कर की वसूली के लिए समायोजन कर सकता है, लेकिन इसके लिए कमिश्नर से पूर्व अनुमति लेना आवश्यक है।

12. पुनः कर निर्धारण का अधिकार-यदि किसी करदाता की कोई आय भूल से कर-निर्धारण से छूट गयी हो या गलत कटौती दे दी गयी हो या कोई अन्य भूल हो गयी हो, तो वह पुनः कर-निर्धारण कर सकता है।

13. कर की वापसी-यदि करदाता ने अग्रिम कर या उद्गम स्थान पर कटौती के रूप में नियमित कर-निर्धारण के अन्तर्गत देयकर से ज्यादा राशि जमा कर दी हो तो उसे कर की वापसी का आदेश इसी अधिकारी द्वारा दिया जाता है।

14. स्थायी खाता संख्या देना-यह अपने कार्य क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले करदाताओं को स्थायी खाता संख्या आबंटित करता है।

15. अपीलेट ट्रिब्यूनल में अपील-यह किसी मामले के सम्बन्ध में अपील में दिये गये निर्णय के विरुद्ध अपीलेट ट्रिब्यूनल में अपील कर सकता है।

इस प्रकार कर-निर्धारण अधिकारी को अनेक अधिकार एवं शक्तियाँ प्राप्त है।

[VI] आयकर निरीक्षक (Income Tax Inspector)-आय-कर निरीक्षक की नियुक्ति केन्द्रीय सरकार के नियमों के अनुसार, आय-कर आयुक्त द्वारा की जाती है। जिस कर-निर्धारण अधिकारी के अधीन उसको नियुक्त किया जाता है, उसके नियन्त्रण में उसके द्वारा दिये गये कार्यों को यह सम्पन्न करता है। इसका प्रमुख कार्य नये-नये करदाताओं का पता लगाना तथा कर-निर्धारण अधिकारी की आज्ञानुसार किसी भी प्रकार की जाँच करना है। धारा 133A के अन्तर्गत कर-निर्धारण अधिकारी द्वारा अधिकृत होने पर वह अपने क्षेत्र में किसी व्यवसाय या पेशे के स्थान पर प्रवेश कर सकता है तथा धारा 133A के अन्तर्गत वे सब कार्य कर सकता है जो कर-निर्धारण अधिकारी कर सकता है।

प्रमुख कार्य

1 नये करदाताओं का पता लगाना,

2. करनिर्धारण अधिकारी द्वारा सौंपा गया कार्य करना एवं उसके आदेशानुसार जाँच करना,

3. अधिकृत होने पर वह किसी भी स्थान में प्रवेश करके कर-निर्धारण अधिकारी के अधिकारों का प्रयोग कर सकता है।

न्याय सम्बन्धी पदाधिकारी

(Appellate Authorities)

कर अधिनियम में कुछ न्याय सम्बन्धी पदाधिकारियों की भी व्यवस्था की गई है ताकि जब कोई करदाता कर-निर्धारण । निर्णय से सन्तुष्ट न हो तो वह इनके यहाँ न्याय पाने के लिए अपील कर सके। पदाधिकारियों की इस श्रेणी में व्यतया निम्नलिखित आते हैं-1. उप-आयुक्त (अपील) एवं 2. आयुक्त (अपील)। न्याय सम्बन्धी अन्य अधिकारियों में अपीलीय प्राधिकरण, उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय आते हैं।

आयकर आयुक्त (अपील) तथा उपआयुक्त (अपील)

[Commissioner (Appeals) & Deputy Commissioner (Appeals)]

इनकी नियुक्ति केन्द्रीय सरकार द्वारा की जाती है। ये प्राधिकारी सीधे प्रत्यक्ष करों के केन्द्रीय बोर्ड के नियन्त्रण में कार्य करते परन्त बोर्ड को अपील सम्बन्धी कार्यों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। वर्तमान में यह गैर-कम्पनी करदाताओं की दशा । में 1,00,000 ₹ से अधिक आय के मामलों एवं कम्पनी करदाताओं की दशा में 5,00,000 ₹ से अधिक आय के मामलों की सुनवाई करता है।

आयकर आयुक्त (अपील)/उपआयुक्त (अपील) के कार्य एवं अधिकार-

1 न्यायालय सम्बन्धी अधिकार (धारा 131)-आयुक्त (अपील) अथवा उपायुक्त (अपील) को इस अधिनियम के अन्तर्गत किसी मकदमें को सनने के समय वे सब अधिकार होते हैं, जो एक न्यायालय को Code of Civil Procedure, 1908 के अन्तर्गत होते हैं।

2. सूचनाएँ माँगने का अधिकार (धारा 133)-इन्हें मामलों से सम्बन्धित सूचनाएँ प्राप्त करने के सभी अधिकार प्राप्त

3. कम्पनी के रजिस्टरों का निरीक्षण (धारा 235)-इन्हें कम्पनी के सदस्यों, ऋणपत्रधारियों अथवा बन्धक रजिस्टरों के निरीक्षण करने तथा इन रजिस्टरों की नकल प्राप्त करने का अधिकार है।

4. कर वापसी की रकम का समायोजन (धारा 245)-कर की बकाया राशि की वसूली करने में कर वापसी की रकम का समायोजन करने का अधिकार।

5. अपील निपटाने के सम्बन्ध में अधिकार-धारा 252 के अन्तर्गत आय-कर आयुक्त (अपील) अथवा उपायुक्त (अपील) को अपील निपटाने के सम्बन्ध में निम्नलिखित अधिकार प्राप्त है

(i) कर-निर्धारण के विरुद्ध की गई अपील के सम्बन्ध में उसे कर-निर्धारण को सम्पुष्ट (Confirm) करने, कम करने या रद्द करने का अधिकार है।

(ii) उसे कर-निर्धारण अधिकारी को अपने निर्देशानुसार फिर से कर-निर्धारण (re-assessment) करने हेतु आदेश देने का अधिकार है।

(iii) अर्थदण्ड (Penalty) के विरुद्ध की गई अपील के सम्बन्ध में यह अर्थदण्ड को सम्पुष्ट कर सकता है अथवा रद्द कर सकता है अथवा संशोधन करके अर्थदण्ड को कम कर सकता है या बढ़ा सकता है।

(iv) अन्य किसी दशा में, वह जैसा उचित समझे, निर्णय दे सकता है।

टिप्पणीयदि उपायुक्त (अपील) अथवा आयुक्त (अपील) के किसी निर्णय के फलस्वरूप करदाता के कर-दायित्व में वृद्धि होती है अथवा वापसी की रकम कम होती है तो यह पदाधिकारी ऐसा निर्णय तभी दे सकता है जबकि उसने निर्णय देने के पूर्व करदाता को अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए उचित अवसर प्रदान किया हो।

() सूचनायें प्रकट करने सम्बन्धी प्रावधान (धारा 138)

(Provisions Regarding Disclosure of Informations)

केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड एक आदेश द्वारा करदाता के कर-निर्धारण के सम्बन्ध में कुछ पदाधिकारियों अथवा संस्थाओं को। सूचनायें प्रकट कर सकता है जो किसी सम्बन्धित कानून के अन्तर्गत अपने कार्यों को पूरा करने हेतु आवश्यक समझी जाती हैं। इसक आतरिक्त यदि कोई संस्था अथवा व्यक्ति करदाता के सम्बन्ध में मख्य आयक्त/आयुक्त से कोई जानकारी मांगता है ता एसा। सूचनायें तभी दी जायेंगी जबकि ये जनहित मे हों।

परीक्षा हेतु सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न

(EXPECTED IMPORTANT QUESTIONS FOR EXAMINATION)

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

(Long Answer Questions),

1 आय-कर अधिनियम 1961 के अन्तर्गत किन-किन पदाधिकारियों का वर्णन किया गया है ? इनकी शक्तियों एवं कार्यों की व्याख्या कीजिए ?

What are the various Authorities envisaged in the Income Tax Act, 1961 ? Explain their powers and Functions?

2. भारतीय आय-कर अधिनियम में किन प्राधिकारियों का वर्णन किया गया है ? प्रत्यक्ष करों के केन्द्रीय बोर्ड के अधिकारों

की व्याख्या कीजिए।

What are the various authorities envisaged in the Indian income tax law ? Explain the powers of

the central board of direct taxes.

3. भारतीय आय-कर विधान में किन-किन प्राधिकारियों का वर्णन किया गया है ? कर-निर्धारण अधिकारी के अधिकारों का

वर्णन कीजिए।

(What are the various authorities envisaged in the Indian Income Tax Law ? Discuss the powers of assessing officer.)

4. भारतीय आय-कर विधान में किन-किन पदाधिकारियों का वर्णन किया गया है तथा उनके क्या-क्या कार्य हैं ?

What are the various authorities envisaged in the Indian Income-tax and what are their functions?

5. कर-निर्धारण अधिकारियों के अधिकार एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।

Explain rights and functions of Assessing Officers.

6. प्रत्यक्ष करों के केन्द्रीय बोर्ड के अधिकारों का वर्णन कीजिए।

Describe the powers of Central Board of Direct Taxes.

7. आय-कर विभाग के संगठन की व्याख्या कीजिए। प्रत्यक्ष करों के केन्द्रीय बोर्ड के अधिकारों का वर्णन कीजिए।

Describe the organisation of the Income tax Department. Describe the powers of Central Board of Direct Taxes.

8. आय-कर प्राधिकारियों के अधिकारों का वर्णन कीजिए। Discuss the powers of Income Tax Authorities.

9. इन्कम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल के संगठन तथा कार्यों का वर्णन कीजिए। Describe how the Income-tax Appellate Tribunal is constituted and discuss its functions.

10. कर-निर्धारण अधिकारी कौन होता है ? उसके कार्यों को समझाइए। Who is Assessing Officer ? Explain his functions.

11. आय-कर विभाग के संगठन की व्याख्या कीजिए।

Describe the organisation of the Income-tax Department. (Agra, 2009, Ujjain, 2006)

लघु उत्तरीय प्रश्न

(Short Answer Questions)

1 प्रत्यक्ष करों के केन्द्रीय बोर्ड के क्या अधिकार हैं? What are the power of Central Board of Direct Taxes ?

2. कर-निर्धारण अधिकारी कौन होता है ? (Who is an Assessing Officer ?))

3. आय-कर आयुक्त के अधिकार एवं कार्यों का वर्णन कीजिए..

Describe the powers and functions of the Commissioner of Income-tax.

4. आय-कर अधिकारी कोन होता है ? (Who is Income-tax Officer ?)

5. निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियों लिखिए

(Write short notes on the following) :

केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Taxes).

(i) आय-कर महानिदेशक (Director General of Income tax)

(ii) आय-कर अधिकारी (Income Tax Officer)

(iv) आय-कर आयुक्त [Commissioner of Income tax (AppealD]]

 

chetansati

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